सबसे पहले सवाल यह उठता है की मैंने और मेरे दोस्तों ने आखिर स्पीति घाटी का सफर बस से तय किया क्यों? जेबें हल्की तो थी ही पर जीवन में रोमांच की भूख भी कम नहीं थी। यही कारण है की दिल्ली से शिमला के रास्ते किन्नौर और स्पीति घाटी होते हुए मनाली पहुँचने की ये यात्रा हमने हिमाचल की स्थानीय HRTC बस से करने का फैसला किया।
ये बात है 2018 के जून महीने की। संक्षेप में बताएँ तो सफर की योजना कुछ ऐसी थी। शिमला से HRTC का सफर कर, चितकुल, कल्पा, नाको और ताबो में रुकते हुए, हमको किन्नौर और स्पीति घाटी के पार जाना था। बहुत सारे लोग मनाली से भी अपना सफर शुरू कर शिमला में ख़त्म करते हैं। शिमला से आप 1500 मीटर से 4200 मीटर की ऊँचाई का सफर धीरे धीरे 6-7 दिन में तय करते हैं और यह कम थकावट भरा होता है।
आश्चर्य की बात यह है की हिमाचल में इन दूर दराज के गाँव ,जैसे मुद और किब्बर तक भी रोज़ बस जाती हैं। यहाँ ना सिर्फ लम्बे सफर वाले यात्री पर स्कूल जाने वाले बच्चे भी इन बसों का रोज़ प्रयोग करते हैं। इसलिए यह बसें एक दम भरोसेमंद हैं। भूस्खलन और रोड बंद होने की वजह से अगर बस ना आयी तो वो अलग बात है पर ज्यादातर यह बसें समय पर ही चलती हैं.
विस्तार से लिखी इस HRTC गाइड के माध्यम से आप स्पीति और किन्नौर का सफर आराम से स्थानीय बस में तय कर सकते हैं। हाँ, इस लम्बे सफर में आपके अपने अलग अनुभव ज़रूर होंगे पर शुरुआत में लिए आप इस गाइड की मदद ले सकते है।
दिल्ली से शिमला तक का सफर
दिल्ली से शिमला के लिए रात के समय चलने वाली वॉल्वो बसें आप ऑनलाइन भी बुक कर सकते हैं। इस सफर में आगे आपको HRTC की साधारण बसों से ही सफर करना होगा इसलिए आप चाहें तो अपने आराम का ध्यान रखते हुए शुरुवात में वॉल्वो बस ले सकते हैं। रात के समय में निकलने वाली इन बसों को बुक करते समय ध्यान रखें की आप रात 9 बजे से पहले दिल्ली से निकल जाएँ ताकि सुबह 6 बजे तक आप शिमला की टूटीकंडी बस अड्डे में पहुँच जाएँ। टूटीकंडी बस अड्डे से सुबह 6 बजे रेकोंग पिओ के लिए बस निकलती है। क्योंकि शिमला से रेकोंग पिओ का रास्ता बहुत लम्बा है इसलिए आप एक दिन शिमला में रुक कर अगले दिन भी रेकोंग पिओ का सफर सुबह-सुबह शुरू कर सकते हैं।
शिमला से रेकोंग पिओ और कल्पा का सफर
जो बस शिमला से रेकोंग पिओ के लिए सुबह 6 बजे निकलती है वो आपको पियो बस अड्डे पर शाम 4 बजे छोड़ेगी। आप पियो में भी रात गुज़ार सकते हैं। यात्रियों के लिए यहाँ पर बहुत सारे होटल और होमस्टे हैं। पर अगर आपको इस सफर में पहले दिन में ही सुन्दर नज़ारों की तलाश है तो रेकोंग पिओ से 40 मिनट का सफर आगे और तय कर कल्पा पहुचें। पिओ से कल्पा और वापस जानें की बसें दिन भर चलती रहती है। आपको बस पियो बस अड्डे से बाहर निकल कर पोस्ट ऑफिस के सामने बस का इंतज़ार करना होगा। यह इंतज़ार आधे घंटे से लम्बा नहीं होगा।
कैसे करें शिमला/ पियो से चितकुल का सफर?
पहला तरीका: दिल्ली से सीधे सांगला जाएँ
दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से रात 10 बजे सीधे सांगला के लिए बस चलती है। ये बस आपको अगले दिन 3 बजे शाम को सांगला पहुँचाएगी। सांगला से चितकुल के लिए आखरी बस शाम 4:30 पर निकलती है। आपकी किस्मत ठीक रही तो दिल्ली वाली बस समय से पहुँचेगी। नहीं पहुँची तो आप इस रास्ते में किसी से लिफ्ट भी ले सकते हैं, गाड़ियों की आवाजाही लगी ही रहती है.
दूसरा तरीका: शिमला रुक कर फिर सांगला जाएँ
आप शिमला से सांगला की बस ले सकते हैं जो सुबह 7 बजे निकलती है। यह बस आपको 4बजे तक सांगला पहुँचायेगी। उसके आगे का सफर या तो आपको 4:30 वाली शाम की बस से करना होगा या फिर किसी राह चलते ड्राइवर की मेहेरबानी से आप चितकुल पहुँच सकते हैं।
तीसरा तरीका: शिमला- रेकोंग पिओ- चितकुल रूट लें
जैसे की मैंने पहले भी बताया था शिमला से पियो तक की बस सुबह 6 बजे निकलती है। आप पियो या कल्पा में एक रात रुक कर अगले दिन चितकुल जाने वाली सुबह 9:30 की बस ले सकते हैं। यह बस आपको सीधे चितकुल छोड़ेगी।
चितकुल से रेकोंग पिओ का सफर
एक निजी बस सेवा चितकुल से सुबह 6 बजे रोज़ शुरू होती है। अगर मेरी तरह आप सुबह 6 बजे नहीं उठ सकते तो 1:30 बजे दिन में HRTC की एक और बस चितकुल से रेकोंग पिओ जाती है।
कल्पा से रेकोंग पिओ होते हुए नाको तक का सफर
कल्पा से रेकोंग पिओ की पहली बस सुबह 7:45 पर चलती है। अगर आप यह बस लेंगे तो आप सुबह सुबह पिओ बस अड्डे पहुँच जायेंगे और आपके पास सुबह का नाश्ता करने का भी समय होगा। पिओ बस अड्डे पर अच्छे आलू के पराठे भी मिलते हैं। पिओ से नाको के लिए दिन में 3 बसें चलती हैं, पहली सुबह 5:30 पर, दूसरी सुबह 9 बजे, और तीसरी दिन के 12 बजे। अगर आप कल्पा से पिओ सुबह सुबह पहुँच रहे हैं तो सुबह 9 बजे की नाको की बस आपके लिए बिलकुल सही है।
अगर इस सफर में आपके पास ज्यादा दिन नहीं हैं तो आप नाको और ताबो छोड़ कर सीधे काज़ा तक का सफर भी कर सकते है। पियो से काज़ा की सीधी बस सुबह 5:30 पर निकलती है।
नाको से ताबो तक का सफर
पियो से जो बस सुबह 5:30 पर निकलती है वो नाको सुबह 10 बजे तक पहुँच जाती है। बस जल्दी या देर से भी आ सकती है तो अच्छा होगा की आप आधे घंटे पहले ही यहाँ स्तिथ हेलिपैड के पास बस स्टैंड पर खड़े रहे। कभी-कभी रास्ता बंद होने के कारण बस 11:30 तक भी पहुँचती है। इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है, स्पीति घाटी में सफर करते समय आपको पहाड़ी रास्तों और अनिश्चिताओं की आदत डालनी सीख लेनी चाहिए। नाको से 10 बजे की बस आपको 3-4 घंटों में ताबो छोड़ देगी।
ताबो से काज़ा तक का सफर
ताबो से काज़ा की तरफ जाने वाली बस ताबो सुबह 8:30 से 9 बजे के बीच पहुँचती है। आपको ताबो में स्तिथ प्रवेश द्वार के सामने बस का इंतज़ार करना होगा। आप ताबो से काज़ा जाने के लिए दिन में 1:30 से 2 बजे आने वाली बस भी ले सकते हैं जो आपको 2 घंटे में काज़ा पहुँचा देगी।
इस सफर में आप बीच में धनकर गोम्पा के प्रवेश द्वार पर भी उतर सकते हैं। धनकर गोम्पा जाने के लिए या तो आप पैदल ही चढ़ाई शुरू कर सकते हैं या फिर आपको लिफ्ट भी मिल सकती है। पर अगले दिन ध्यान रहे कि आप धनकर घूम कर वापस इसी रोड पर 9 बजे पहुँच जाएँ । काज़ा के लिए बस यहाँ से 9 बजे गुज़रती है।
काज़ा से आप पिन, की और किब्बर तो बस से जा सकते हैं पर स्पीति घाटी में और भी बहुत सारे ऐसे सुन्दर गांव हैं जहाँ बस नहीं जाती। हिक्किम, कॉमिक और लांग्जा जैसे दुर्गम क्षेत्र में जाने के लिए आपको काज़ा टैक्सी स्टैंड से टैक्सी लेनी ही पड़ेगी।
कैसे पहुँचें पिन घाटी ?
काज़ा से पिन घाटी स्तिथ मुद जाने के लिए शाम 4 बजे बस निकलती है। एक और तरीका है पिन घाटी जाने का, ताबो से काज़ा के रस्ते के बीच में आप बस से अत्तरगो नाम की जगह में उतर सकते हैं। यहाँ पर आपको मुद जाने वाली बस का इंतज़ार करना होगा जो की 4:30 तक यहाँ पहुँचती है। अगले दिन मुद से वापस काज़ा आप सुबह 7 बजे वाली बस से आ सकते हैं।
कैसे जाएँ की और किब्बर?
काज़ा से किब्बर जाने के लिए सिर्फ एक बस है। ये बस काज़ा से किब्बर के लिए शाम 5 बजे निकलती है। 5 बजे निकलने वाली ये बस की गोम्पा से 5:30 तक गुज़रती है। आपको अगर की घूमना है तो आप यहीं उतर सकते हैं। की गोम्पा में रात को रहने की सुविधा भी है, या फिर आप सीधे किब्बर चले जाईये और अगले दिन सुबह 8:30 बस से काज़ा लौट सकते हैं। आप की गोम्पा काज़ा वापस आते हुए भी जा सकते हैं।
(अपने अनुभव से बताऊ तो हमें बताया गया था की की गोम्पा से काज़ा जाने वाली बस सुबह 8:30 पर की गोम्पा में आती है पर उस दिन बस नहीं रुकी और हमको थोड़ा चल कर और बाद में लिफ्ट लेकर काज़ा पहुँचना पड़ा।ऐसी बातें स्पीति में आम हैं।)
काज़ा से मनाली तक का सफर
काज़ा से मनाली जाने वाली बस सुबह 6 बजे निकलती है। अगर आप इस सफर में चंद्रताल भी जाना चाहते हैं तो आप बताल में उतर कर वहाँ से चलना शुरू कर सकते हैं।अगर ट्रैकिंग में आपका अनुभव नहीं है तो ये सफर काफी लम्बा और थकावट भरा हो सकता है इसलिए बेहतर है की आप चंद्रताल के लिए काज़ा से टैक्सी ले लें। काज़ा से चंद्रताल के लिए कोई बस नहीं है, रास्ता देख कर आप समझ जायेंगे क्यों। काज़ा से मनाली तक का सीधा सफर भी काफी लम्बा है। इस सफर में आम तौर पर 12-14 घंटे लग ही जाते हैं। अगर रास्ते में भूस्खलन हो जाए तो घंटे गिनना बंद कर दें।
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सच कहा जाए तो ये सफर हिंदी का लफ्ज़ सफर कम और अंग्रेजी का SUFFER ज्यादा है। हो सकता है की आपकी बस खराब हो जाए या रास्ता बंद हो जाए या रास्ता टूट कर रास्ता ही ना बचे और आप अनिश्चितकाल के लिए स्पीति में रहें। स्पीति घाटी की बस से यात्रा करनी है तो अपना दिमाग किसी भी संभावना के लिए खुला रखें। अगर आपने हवाई यात्रा करके दिल्ली से सफर शुरू किया है तो अपनी वापसी का टिकट कैंसलेशन रिफंडेबल रखें। आपको वापसी की तारिख बदलनी पड़ सकती है, या फिर आप मनाली पहुँचनें के दो-तीन दिन बाद का टिकट बुक कराएँ।.
क्या आपने स्पीति घाटी की यात्रा बस से की है? यहाँ बताइये कैसा रहा आपका "सफर"?
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