पिछली सर्दियों में उत्तराखंड की यात्रा के दौरान, मैं किसी एकांत आशियाने की तलाश में था, ताकि कुछ खास पल बिता सकूँ। रानीखेत से शीतलाखेत तक की खूबसूरत वादियों को देखते हुए ड्राइव करने का मज़ा तब कई गुना बढ़ गया, जब मैं नयलाप नामक एक आकर्षक आशियाने में पहुँचा। इसका नाम ही कुछ ऐसा था जिसकी वजह से मैं भीतर तक खींचा आया। यहाँ आकर जैसे मैं पूरी तरह से मुग्ध हो गया और ऐसे में ना रुकने का सवाल ही नहीं उठता!
इनके लिए है खास
उन सबके लिए ये जगह बेहद खास है जो अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनना चाहते हैं। नयलाप पहाड़ों से घिरा वो गंतव्य है जहँ एकांत में आप अपने लिए कुछ समय निकाल सकते हैं। यहाँ प्रकृति के बीच समय बिताएँ, ताज़ी हवा में साँस लें, और पूरी तरह से लक्जरी माहौल का भी मजा लें।
यहाँ क्या-कुछ है स्पेशल
हिमालय की गोद में बसी ये छोटी सी जगह आपका मन मोह लेती है। नयलाप आपको ऐसी जगह प्रदान करता है जिससे आपके दिल में उसकी छाप बैठ जाती है। मैं यहाँ आकर इतना प्रभावित इसलिए हुआ क्योंकि यहाँ प्रकृति और इसके आसपास सुरम्य वातावरण मौजूद था। हालांकि लक्जरी टेंट निस्संदेह यहाँ का एक बड़ा आकर्षण था, लेकिन यहाँ के आस पास की खूबसूरती और कुदरत से नज़दीकी थी जिसने इसे होटलों और रिज़ॉर्ट से अलग बनाए रखा है। यहाँ कफल, देवदार और पाइन के पेड़ चारों ओर फैले दिख जाएँगे जहाँ सैकड़ों पक्षियों की प्रजातियों की चहचहाने की आवाज़ आपको झूमने पर मजबूर करती है।
लक्जरी टेंट एक दूसरे से बहुत दूर बने हैं, जिससे कि आपके एकांत में कोई खलल नहीं पड़ सकता है। टेंट के कमरे इतने बड़े हैं कि आप भूल जाएँगे कि आप टेंट में डेरा डाले हुए हैं। कमरे डाइनिंग टेबल, डबल बेड, स्टडी टेबल और एक बड़े बाथरूम से लैस हैं! यहाँ की सजावट शानदार ढंग से की जाती है और इसका कोना-कोना जैसे चमक उठता है। लकड़ी के इतने सामान देखकर आपको लगेगा की जैसे किसी काठ के आरामगाह में आ गए हैं।
यहाँ के टेंट बेहद खास हैं ही बल्कि आसपास के हिमालयी नज़ारा भी कम खूबसूरत नहीं हैं! टेंट के चारों ओर जो माहौल देखने को मिलता है, वो अद्भुत है!
गाँव की मदद के मकसद से शुरू हुआ नयलाप
यहाँ ये जानना बेहद दिलचस्प है कि नयलाप के मालिक किस तरह गाँव के लोगों की सेवा कर रहे हैं! नयलाप शब्द हिन्दी के पलायन को ठीक उल्टा कर बनाया गया है जिसका शाब्दिक अर्थ प्रवासन होता है। इस आशियाने को बनाने के पीछे लोगों के पलायन को रोकते हुए आसपास के गाँवों में रोज़गार पैदा करना लक्ष्य रहा है। इस विचारधारा को दर्शाने के लिए पलायन शब्द को उल्टा कर इसके नाम को बना दिया गया है। आसपास के गाँवों के पुरुषों और महिलाओं को रोज़गार देकर नयलाप इन गांवों को आधुनिक दुनिया में कहीं गुम होने से बचाने का काम करता है।
नयलाप आकर आप बिना किसी काम और टेंशन के आराम फरमाने के तौर-तरीकों को आज़मा सकते हैं। आप झूले पर बैठे हुए सर्द हवाओं को महसूस कर सकते हैं तो वहीं पहाड़ों के पार से आती धूप में नहा सकते हैं। या फिर किसी ड्रिंक के साथ पिकनिक भी प्लान करने की सोच सकते हैं। आपके पास भागदौड़ वाली जिंदगी से दूर शौक पूरे करने का समय भी होगा और इसको प्लान करने के लिए दिमाग भी एकदम शांत रहेगा।
लागत
यहाँ कुल चार टेंट के कमरे हैं जिन्हें बारीकी से डिजाइन किया गया है जिससे कि आपको बेहतरीन अनुभव हो सके। यहाँ एक टेंट रूम में आपको नाश्ता सहित प्रति रात ₹7,500 खर्च करने होंगे।
खाना-पीना
नयलाप में खासतौर से भोजन स्वादिष्ट मिलता है। आप यहाँ गरम-गरम कुमाउनी खाने का लुत्फ़ उठा सकते हैं। चाहे वह शिकार (मटन) हो या लाइ (एक पत्तीदार हरी सब्जी), दुबकी (कुमाऊँनी मसालों में तला हुआ आलू पकवान), पहाड़ी रायता (मसालों के साथ दही) या चुड़कानी दाल - आप खूब मन से खाने पर टूट सकते हैं। इसके अलावा आप यहाँ विभिन्न प्रकार के नार्थ इंडियन व्यंजनों में से अपनी पसंद का चुन सकते हैं और उनके कांटिनेंटल ब्रेकफास्ट ले सकते हैं।
कैसे पहुँचें
सड़क: दिल्ली से शीतलाखेत (393 कि.मी). जाने में लगभग 9-10 घंटे लगते हैं। रूट- दिल्ली — हापुड़ — गजरौला — मुरादाबाद — रामपुर — बाजपुर — भवाली — रानीखेत — शीतलाखेत।
रेल: शीतलाखेत तक पहुँचने के लिए सबसे आम और आसान सवारी ट्रेन है। निकटतम स्टेशन काठगोदाम है, जो लगभग 75 कि.मी. (2.5 घंटे) दूर है। स्टेशन पर पहुँचने के बाद आप आसानी से कैब बुक करके शीतलाखेत पहुँच सकते हैं।
हवाई यात्रा: शीतलाखेत का निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर में है, जो 110 कि.मी. (4 घंटे) की दूरी पर स्थित है। वहा से आप एक टैक्सी लेकर सीधे पहुँच सकते हैं।
आसपास क्या है खास?
गाँव की सैर
नयलाप एक बेहतरीन अनुभव देने के साथ ही गाँव की सैर भी कराता है, जिससे कि आप कुमाऊँनी जीवन के बारे में जान सकेंगे। आप ना केवल गाँव में जा सकते हैं, बल्कि गाँव के बच्चों और अन्य लोगों के साथ बातचीत भी कर सकते हैं। इतना ही नहीं, वहाँ के निवासियों के घरों में चाय या भोजन का आनंद भी ले सकते हैं। यदि आपके साथ छोटे बच्चे हैं तो उनके लिए गाँव की सैर बेहद आकर्षित करने वाला हो सकता है। यहाँ आकर वे देख सकते हैं कि सब्जियाँ कैसे उगाई जाती हैं और दूध कहाँ से आता है! यहाँ की यात्रा ख़ास बच्चों को सीख देने वाला साबित हो सकता है।
आसपास के शहर भी घूमें
अल्मोड़ा, रानीखेत और कसारदेवी आसपास के खूबसूरत शहर हैं जहाँ आप घूमने निकल सकते हैं। चितई मंदिर ज़रूर जाएँ जहाँ माना जाता है कि सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं। कसारदेवी के पर्वतों से होते हुए ड्राइव करें और हिमालय के शानदार दृश्यों का आनंद लें। रानीखेत में चौबटिया गार्डन में और जंगलों से होकर ट्रेक करें!
नयलाप के स्नेह भरे माहौल में घुलमिल जाएँ प्रकृति के साथ फिर से ऐसे जुड़ें कि जैसा इससे पहले आपने कभी अनुभव नहीं किया है।
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