अगर लॉकडाउन से पहले आप अपनी ट्रिप की योजनाओं को इस वजह से टाल रहें थे कि आप पैसे नहीं बचा पा रहें थे या आपको ऑफिस से एक या 2 दिन की ही छुट्टी मिलती थी तो देहरादून की ये बजट ट्रिप का प्लान आपके लिए बेस्ट रहेगा।
क्वारंटाइन के दिनों से पहले, मैं काफी दिनों से सोच रही थी कि ऑफिस से छुट्टी मिले तो कहीं बाहर घूमने जाऊँ पर करियर एक साल पहले ही शुरू करने की वजह से ना तो पैसे बचा पा रही थी ना ही बॉस छुट्टी देने को राज़ी था। ऐसे में मैंने और मेरे एक दोस्त ने योजना बनाई कि हफ्ते की अपनी एक छुट्टी का इस्तेमाल करके देहरादून घूमने चलते हैं। बस फिर क्या था, हमने ट्रेन चेक करना शुरू किया। वैसे तो दिल्ली से देहरादून जाने का बेस्ट विकल्प देहरादून जनशताब्दी एक्सप्रेस है जो आपको 5 घंटें में देहरादून पहुँचा देगी और उसका किराया भी कम है पर ट्रेन में सीट ना मिलने की वजह से हमने स्लीपर बस से जाना सही समझा।
दिल्ली से देहरादून बस का सफ़र
हमें गो आईबिबो से ₹1200 में 2 स्लीपर की सीट मिल गयी। बस थी शुक्रवार रात 11:30 बजे की और हमें मजनू का टीला से बस पकड़नी थी। निर्धारित जगह पहुँचने के बाद हमने खाना खाया और अपनी बस में जाकर बैठ गए। बस में सुविधाएँ अच्छी थी और हमें दिल्ली से देहरादून के लिए 6 घंटे लगने थे। सुबह जब 5 बजे बस वाले ने हमें जगाया तो हम आई एस बी टी देहरादून पहुँच गये थे। हमने वहाँ के ऑटो वालों से थोड़ी पूछताछ की, ओयो पर हमने पहले ही कमरे चेक किए थे उनका किराया भी ठीक था पर हमें उससे थोड़े सस्ते में ही एक ऑटो वाले ने रूम दिलवा दिया।
सोच समझ कर करें होटल का चयन
ध्यान रहे कि ओयो से रूम लेने पर आपको सुबह और शाम दो दिन का किराया देने पड़ता है क्योंकि ओयो में दोपहर में ही चेक इन की सुविधा है। हम शनिवार सुबह 5 बजे वहाँ पहुँचे थे और हमें उसी रात ही वहाँ निकलना था। हमने होटल वाले से बात की और एक दिन का ही किराया दिया जो हमारे बजट के अन्दर आ गया। हम होटल सुंदर पैलेस में ठहरे थे जहाँ की सुविधाएँ ठीक थी, आस-पास और भी होटल हैं जो आपको उसी किराए पर मिल जाएँगे।
लोकल बस यात्रा ने संभाला बजट
होटल में कुछ देर सोने के बाद हम 9 बजे तक तैयार हुए। उस समय तक देहरादून की दुकानें खुलनी शुरू हो जाती हैं। हमने आस पास की दुकानों से सहस्त्रधारा जाने तक का रास्ता पूछा। सहस्त्रधारा वहाँ से 1 घंटे की दूरी पर है और आप वहाँ तक की कैब भी कर सकतें हैं। अगर आपको लोकल में सफ़र करने में परेशानी नहीं है तो मेरा सुझाव होगा की अपने पैसे बचाएँ और बस और ऑटो ले लें। कैब में आपको लोकल से 16 गुना ज्यादा खर्च होगा।
इंदिरा मार्केट के कैफे
हमने अपने होटल के बहार से लोकल ऑटो लिया जिसने हमें करीब 20 मिनट में परेड ग्राउंड उतारा। इसी जगह से हमें सहस्धारा की बस मिलनी थी। इससे पहले हमने नाश्ता करने का फैसला किया। परेड ग्राउंड चौराहे पर एक रास्ता इंदिरा मार्केट की ओर जाता है जिसके आगे देहरादून का प्रसिद्ध घंटा घर है। हम 10 मिनट पैदल चल कर घंटा घर पहुँच गए जहाँ कई कैफ़े थे। घंटा घर सड़क की शुरुआत में ही एक कैफ़े है के बी सी, जिसका अम्बिएंस काफी सुन्दर था, इसलिए हमने वहाँ नाश्ता करने का फैसला किया। यहाँ आपको हर तरह का नाश्ता सस्ते में मिल जायेगा और खाने की क्वालिटी भी अच्छी है। हमने ₹70 में इडली और आलू पराठे की प्लेट मंगवाई थी जो 2 लोगों के लिए काफी था। वहाँ से आधे घंटे में नाश्ता करके हम परेड ग्राउंड की तरफ वापस चले गए।
हमें तुरंत ही सहस्त्रधारा की बस मिल गयी और ₹40 में हमने करीब 1 घंटे की यात्रा की और अपने पहले पड़ाव पर पहुँच गए। बस की यात्रा आधे घंटे के बाद काफी मज़ेदार हो गयी थी। हर तरफ सिर्फ बादल और बादलों के पीछे छिपे पहाड़ दिखाई दे रहे थे।
पहाड़ों से घिरा सहस्त्रधारा
सहस्त्रधारा पहुँचने पर भी नज़ारा कुछ ऐसा ही था, मनमोहक। वहाँ पहुँचते ही आपको कई लोकल ढाबे दिखेंगे और सामने खूबसूरत पहाड़।
हमने पहाड़ की ओर आगे बढ़ना शुरू किया और कुछ देर आगे जाने के बाद हमें एक दुकानदार ने बताया कि सहस्त्रधारा जाने का रास्ता रोपवे से हो कर जाता है। यह सुनकर मैं बहुत उत्साहित हो गयी। हमने वहाँ से रोपवे की 2 टिकट ली जिसकी कीमत ₹150 प्रति टिकट थी जिसमें आप सहस्त्रधारा के सभी महवपूर्ण आकर्षण का आनंद ले सकते हैं। हम आगे बढ़े और रास्ते में कई पानी के झरने देखे जो मन को बेहद खुश कर देने वाले थे पर हम वहाँ जाना चाहते थे जहां से ये पानी बह कर आ रहा था। हमें दुकानदारों ने रास्ता दिखाया और हम पहुँच गये उस धारा के पास जहां से पानी का बहाव आ रहा था।
छोटे-बड़े चट्टानों को चीरता हुआ जल प्रवाह आँखों और कानों दोनों के लिए ऐसा था जैसे एक खुबसूरत तस्वीर रखी हो और उसमें हम पानी को बहते हुए देख और सुन सकते हैं। वहाँ कुछ देर आराम से बैठ कर हमने उस दृश्य को निहारा, कुछ तस्वीरें ली और रोपवे के लिए आगे बढ़े। आगे कुछ देर चलने के बाद हम रोपवे के लिए अपने डब्बे पर बैठ गए और रोपवे चलने वाले ने मशीन चालू कर दी। हमलोग ऊपर बढ़ने लगे और नीचे का नज़ारा खुबसूरत होता चला गया। रोपवे के उस डिब्बे से आप पूरा सहस्त्रधारा देख सकते हैं और फिर भी आपका मन नहीं भरेगा।
8-10 मिनट की रोपवे यात्रा के बाद हम ऊपर पहुँच चुके थे जहाँ मनुष्य द्वारा बनाए गये कई आकर्षण थे जैसे स्पेस सेंटर, डी जे, बच्चों के लिए टॉय ट्रेन, हमारे लिए शूटिंग, रॉक क्लाइम्बिंग पर हमारे लिए सबसे बेहतरीन आकर्षण था वहाँ के प्राकृतिक नज़ारे। वो जगह इतनी खूबसूरत थी कि हमने वहाँ 100 से ज्यादा तस्वीरें खींची और जितनी ऊपर तक जा सकते थे चढ़ते चले गये।
सहस्त्रधारा में करीब 2-3 घंटे बिताने के बाद हम रोपवे के ही रास्ते से नीचे आ गये। नीचे उतर कर हमने खाना खाने का सोचा पर वहाँ के ढाबों का खाना बेहद महंगा था इसलिए हमने परेड ग्राउंड की बस पकड़ी और वापस घंटा घर वाले के बी सी कैफ़े में जाकर लंच किया।
पानी से भरी गुफा के अन्दर का रोमांच
इसके बाद हमारा अगला पड़ाव था रॉब्बर्स केव या देहरादून की आम भाषा में कहें तो गुच्चुपानी। यहाँ के लिए भी हमें परेड ग्राउंड से बस मिली। वहाँ से गुच्चुपानी के लिए 2 लोगों का किराया ₹24 थे इसलिए हम काफी सस्ते में आधे घंटे के अन्दर रॉब्बर्स केव पहुँच गये। जहाँ बस आपको उतारती है वहाँ से 1 किलोमीटर तक आपको घुमावदार रोड मिलेगी और आपको वहाँ से अन्दर तक पैदल जाना होगा।
15-20 मिनट चलने के बाद हम गुच्चुपनी के टिकट काउंटर पर पहुँच गये जहाँ से हमने ₹25 प्रति व्यक्ति के हिसाब से टिकट ली। हमनें आगे जाकर एक काउंटर पर अपनी चप्पल जमा की और वहाँ से हवाई चप्पल ली क्यूंकि हमें गुफा के अन्दर बहते पानी में जाना था।
हम आगे गुफा की ओर बढ़े और पानी में उतर गए। पहले तो मुझे थोड़ा डर लग रहा था क्यूंकि कई जगह पर पानी बहुत गहरा था पर गुफा की चट्टानों की मदद से हम आगे बढ़ते गए, गुफा और गहरी होती जा रही थी और पानी मेरी कमर से ऊपर तक आ चुका था।
गुफा के अन्दर जाना थोड़ा मुश्किल है इसलिए अपने साथ सामान ना लेकर जाएँ, और हो सके थे मोबाइल भी जेब में ही रखें। चट्टानों की मदद से और एक दूसरा का सहारा लेकर हम आगे बढ़े और गुफा की अंत में हमें बहुत ही खूबसूरत झरना दिखाई दिया जहाँ से पानी गुफा के अंदर आ रहा था। गुफा के पानी के बहाव से विपरीत जाकर उस झरने तक पहुँचने जितना मुश्किल था उतना रोमांचक भी। वहाँ की कुछ तस्वीरें लेकर हम वापस वहाँ आ गए जहाँ पानी का बहाव कम था।
वो जगह अनोखी थी और मैंने अपने दोस्त के साथ कई तस्वीरें खींची और पानी में खूब मस्ती की। करीब 2 घंटे समय बिताने के बाद और पूरी तरह गीले होने के बाद हम गुफा से बहार आये और जिस रास्ते से आये थे उसी रास्ते लौट गये।
जहाँ बस ने हमें उतारा था वहाँ से हमें लोकल ऑटो मिल गया और हम अपने होटल वापस आ गये। हमें देहरादून के डियर पार्क भी जाना था पर कपड़े गीले होने की वजह से हम होटल वापस आ गये।
वापस आकर हमने थोड़ा आराम किया, फिर बहार जाकर समोसे और मिठाई खायी। कुछ देर वहीं आस पास घूमने के बाद हमें पास के ढाबे में डिनर किया और फिर सामान लेकर बस के लिए निकल पड़े।
देहरादून की आखिरी ट्रीट
वापसी के लिए हमें सुभाष नगर ग्राफ़िक एरा से बस पकड़नी थी जो आई एस बी टी से सीधे रस्ते पर पड़ता है। हमने ऑटो लिया और 20 मिनट में पहुँच गये। जहाँ से बस मिलनी थी वहाँ एक बहुत शानदार पिज़्ज़ा प्लेस नज़र आ रहा था। बस आने में समय था इसलिए हम उस पिज़्ज़ा प्लेस पर गए और वहाँ फ्रूट संडे आर्डर किया। देहरादून की वो हमारी आखिरी ट्रीट थी और वो भी बहुत स्वादिष्ट थी।
देहरादून हम गए एक दिन के लिए थे पर एक दिन में रोपवे पर जाना, पहाड़ पर ऊपर तक जाना, और पानी से भरी गुफा में जाना, ये सब कुछ बहुत मनोरंजक भी था और बजट में भी था। इस पूरी ट्रिप में दो लोगों का कर्च लगभग ₹5500 के करीब था जो की एक बजट ट्रिप के लिए बिलकुल परफेक्ट था।