देहरादून की सूरत अब कुछ बदल-सी गई है। अब न वहाँ बहते झरने हैं और न ही घने जंगल। झरनों की जगह पर अब चौड़ी सड़कें दिखाई देती हैं। वो जंगल, जहाँ मैंने घुमक्कड़ी का सबसे पहला स्वाद चखा था। अब लंबी ऊँची इमारतों से ढंक दिए गए हैं। ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात हो जब मैंने देहरादून की खोती हुए खूबसूरती के बारे में जाना था। ब्रिटिशों के शौक ने देहरादून की सुंदरता पर भर-भर के चोट पहुँचाई है।
रस्किन बॉन्ड की किताबों में जिस देहरादून को मैंने जिया है। उस देहरादून का दिल अब भी कहीं न कहीं इन इमारतों के पीछे धड़क रहा है। उन्हीं पुरानी सड़कों और रास्तों पर चलकर अब भी उसी देहरादून से मिला जा सकता है। देहरादून के देखने के लिए केवल मसूरी घूम लेना ही काफी नहीं है। अगर आप सच में असली देहरादून को देखना चाहते हैं तो इसका सबसे अच्छा तरीका है यहाँ कुछ दिन ठहरिए, किताबें पढ़िए और दिन के समय ट्रेक करने जाइए। यकीन मानिए देहरादून के जंगलों में खोने का एहसास वाकई शानदार होता है। इसके लिए मैंने एक लिस्ट बनाई है। जिसमें आप देहरादून के आसपास कुछ ट्रेक कर सकते हैं।
1. द बरलो गंज हाईक
रुडयार्ड किपलिंग और रस्किन बॉन्ड की किताबों में कई बार इस जगह का जिक्र हो चुका है। मसूरी के बेहद पास वाली इस जगह की पहचान किपलिंग और रस्किन बॉन्ड की किताबें से होती है। बरलो गंज तक पहुँचने के लिए आपको एक हाईक करना होता है जिसके रास्ते को ओल्ड मसूरी रूट कहते हैं। सीढ़ियों वाले इस रास्ते को ब्रिटिशों ने बनवाया था। जिसको पूरा करने में 5 से 6 घंटे लगते हैं। देहरादून से 14 किमी. दूर इस जगह पर पहुँचने की शुरुआत राजपुर से होती है।
2. मालदेवता ब्रिज/वॉटरफॉल
माल देवता ब्रिज रिस्पना घाटी के पास है। रिस्पना घाटी, जिसका इस्तेमाल एक समय पर मसूरी पहुँचने के लिए किया जाता था। पुल से कुछ किलोमीटर आगे बढ़ने पर मालदेवता वॉटरफॉल दिखाई देता है। ये वाटरफॉल बरसात में खिल उठता है इसलिए जुलाई का महीना यहाँ जाने के लिए सबसे अच्छा समय है। देहरादून से 8 किमी. दूर इस वाटरफॉल पर बेहद खूबसूरत एहसास होता है। अगर आप राजपुर से मालदेवता जा रहें हैं तब यहाँ पहुँचने में सिर्फ आधा घंटा लगेगा।
3. जॉर्ज एवरेस्ट ट्रेक
जॉर्ज एवरेस्ट एक ब्रिटिश अधिकारी था। जिन्होंने गणित में शोध किए थे। उनके शोध की वजह से आज धरती के सबसे ऊँचे पहाड़ की ऊँचाई को नापना मुमकिन हो पाया है। अपनी जिन्दगी का ज्यादातर समय उन्होंने देहरादून में काम करते हुए निकाला। उनके इस घर तक पहुँचने के लिए आपको भट्टा गाँव और हाथी पाँव जैसी जगहों को पार करना होता है। चढ़ाई थोड़ी कठिन जरूर है लेकिन ऊपर जाकर दून घाटी और बर्फीले पहाड़ों का इतना सुन्दर नजारे दिखाई देते हैं कि आप सारी थकान भूल जाएँगे। जॉर्ज एवरेस्ट के घर तक जाने के लिए मसूरी हाईवे पर एक खास मोड़ भी बनाया गया है जिससे आपको रास्ता ढूंढने में परेशानी नहीं होगी। देहरादून से 20 किमी. दूर इस जगह पर पहुँचने के लिए 4 से 5 घंटों की ट्रेकिंग करनी पड़ती है। आप बीन दून देयर दैट के साथ भी ये ट्रेक कर सकते हैं।
4. कलिंग पार्क और किला
बाकी ट्रेकों की तुलना में कलिंगा पार्क ट्रेक थोड़ी छोटी ट्रेक है। इस ट्रेक पर कलिंगा किले के साथ-साथ गोरखा सिपाहियों की स्मृति में बनाया गया स्मारक भी देखने को मिलता है। ये वही फौजियों की टुकड़ी है जिन्होंने अपनी बहादुरी के बल पर ब्रिटिश आर्मी को भारत से बाहर का रास्ता दिखाया था। राजपुर-सहस्त्रधारा हाईवे पर बना ये किला देहरादून के बाजार से 5 किलोमीटर की दूरी पर है।
5. फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट
फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट को देखना सुनने में थोड़ा गैरजरूरी-सा लगता है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। बॉलीवुड के कॉलेजों को लाइफ देने वाले इस इंस्टीट्यूट को ब्रिटिशों ने बनवाया था। देहरादून का हीरा कहीं जानी वाली इस जगह का आर्किटेक्चर जितना सुंदर है उतना ही सुन्दर यहाँ से दिखने वाले नजारे हैं। देहरादून की भीड़ से दूर देवदार के जंगलों के पास बसा ये कॉलेज प्रकृति प्रेमियों के लिए बिल्कुल सही जगह है। यहाँ आप टहल सकते हैं, कॉलेज को देख सकते हैं या बस बैठ कर चिड़ियों की आवाज सुन सकते हैं।
6. थानो गाँव की सैर
इस गाँव तक जाने वाला रास्ता बाकी जगहों से थोड़ा अलग है। इस रास्ते पर आपको कई सारे पुराने लेकिन बेहद सुंदर मंदिर देखने को मिलेंगे। इन मंदिरों की खास बात ये है कि ये सभी मंदिर थोड़े छोटे हैं इसलिए रास्ते पर चलते समय घनी झाड़ियों के बीच इन्हे देखना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। देहरादून से थानो की दूरी लगभग 23 किमी. है। इस यात्रा में कई तरह के पक्षी भी दिखाई देते हैं जो आपके सफर को सुहावना बना देता है।
7- डाक पत्थर
डाक पत्थर एक जलाशय है जिसे पानी संरक्षण करने के लिए बनाया गया है। आसपास के नजारे और खूबसूरती की वजह से ये जगह टूरिस्टों की पसंदीदा जगहों में से एक है। एक बार जब आप डाक पत्थर पहुँचते हैं तो आप आसन बैराज भी जा सकते हैं। यहाँ एक वाटर स्पोर्ट्स रिजाॅट है जहाँ आप कई प्रकार की एक्टिीविज कर सकते हैं। डाक पत्थर के बारे में बहुत कम लोगों को पता है। डाक पत्थर देहरादून से लगभग 45 किमी. की दूरी पर है। यहाँ आप जितना दूर चाहें पैदल चल सकते हैं। उसके बाद आप गाड़ी पकड़कर यहाँ पहुँच सकते हैं।
8- लंबी देहर माइंस
ऐसा सिर्फ मूवीज में होता है कि जंगल के बीच कोई भूूतिया घर है। असल जिंदगी में ऐसा होना सामान्य नहीं है। लेकिन लंबी देहर माइंस को भुतिया जगह जरूर मानना चाहिए और इसकी वजह ये घर नहीं है। बल्कि आसपास का नजारा है जो किसी की जान ले लेगा। इतना खूबसूरत नजारा देखकर कौन इस जगह से वापस आना चाहेगा? तभी तो कहते हैं कि जो यहाँ जाता है वो वापस नहीं आता है। देहरादून से माइंस की दूरी लगभग 27 किमी. है। अगर आप देहरादून के राजपुर से चलना शुरू करते हैं तो आपको यहाँ पहुँचने में एक दिन लग जाएगा।
9- कालसी ट्रेक
उत्तराखंड में जौनसार की तलहटी में बसा है खूबसूरत कालसी। कालसी एक ऐतहासिक हेरिटेज साइट है। यहां के असोकन राॅक लोगों को बहुत लुभाते हैं। इस जगह के बारे में लोगों को कम जानकारी है। आप यहाँ पास के ही काटा पथर नहर और जगत ग्राम बाग भी देख सकते हैं। देहरादून से कालसी की दूरी 49 किमी. है जो बहुत ज्यादा है। इसलिए आपको सहसपुर से पैदल चलना शुरू करना चाहिए जो लगभग 25 किमी. की दूरी पर है।
10- किपलिंग ट्रेल
किपलिंग बाघों के एनकाउंटर के अलावा पैदल चलने के लिए भी फेमस है। किपलिंग ट्रेल राजपुर से शुरू होती है और झरीपानी से होकर मसूरी में खत्म होती है। इस ट्रेल में आप एक पुरानी रेलवे सुरंग और ठहरने वाली जगह को पार करेंगे जो ब्रिटिश लोगों के लिए बनाए गए थे। ब्रिटिश इसी रास्ते से मसूरी जाते थे। आप उसी पगडण्डी पर चल रहे होंगे जो कभी खुद किपलिंग से चल रही थी! राजपुर में शहंशाह आश्रम से शुरू होने वाला रास्ता पाँच हेयरपिन के सामने से होकर गुजरता है और झिरपानी में खत्म होती है। इसकी दूरी लगभग 5 किमी. है और खड़ी चढ़ाई के कारण आपको हाइकिंग करने में लगभग दो घंटे लगेंगे।
11- रोबर्स केव ट्रेल
रोवर्स केव या यूं कहे कि गुच्चू पानी। ये जगह देहरादून की सबसे पाॅपुलर जगहों में से एक है। इसके बावजूद बहुत कम लोग इसे पैदल पार करते हैं। अगर आपको एडवेंचर पसंद है और अपने पैरों को गीला करने से कोई प्राॅब्लम नहीं तो आपको रोबर्स केव में पैदल चलना चाहिए। जब आप यहाँ जाएँ तो अपने साथ एक जोड़ी कपडे जरूर रख लें। इस जगह पर पानी में चलने के बाद आपको दिल खुश हो जाएगा। ज्यादातर लोग इस जगह को बाहर से देखकर चले जाते हैं। इस गुफा में क्या-क्या है, कितनी खास जगह है? ये आपको इसमें चलते समय ही समझ आएगा। लगभग 8 किमी. लंबी इस केव को पूरा चलने में आपको लगभग 1 घंटा लगेगा।
12- ओल्ड मसूरी हाइक
इस रूट का इस्तेमाल देहरादून से ओल्ड मसूरी से जाने के लिए किया जाता था। आप देखेंगे की इस रूट पर अब भी चेक प्वाइंट बने हुए हैं। इस जगह पर कई पुराने मंदिर और आश्रम हैं। बहुत कम लोग इस ट्रेल को करने की सोचते हैं। अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं तो आपको इस ट्रेल को करने में बहुत मजा आएगा। आप यहाँ प्रकृति के बीच खुद को खुद के साथ पाएँगे। ये ट्रेल पुराने राजपुर से शुरू होकर पुराने टोल रोड पर पूरा होता है। 8 किमी. लंबे ट्रेल में ऊपर की तरफ काफी चढ़ाई है। इस ट्रेल को पूरा करने में आपको लगभग दो घंटे लगेंगे। आप इस ट्रेक को बीन देयर दून के साथ कर सकते हैं।
13- भद्रराज हिल ट्रेक
भद्रराज पहाड़ी मसूरी और बादलों के छोर से कुछ ही आगे है। कुल मिलाकर ये जगह मसूरी से थोड़ा आगे है और यहाँ पर एक प्राचीन मंदिर है। जब आप भद्रराज पहाड़ी की चोटी पर पहुँचते हैं तो वहाँ से बादलों के बीच फैली घाटी का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। आप इस ट्रेक को एक-दो दिन में पूरा कर सकते हैं। आप इसे देहरादून या मसूरी से शुरू कर सकते हैं। देहरादून से भद्रराज पहाड़ी की दूरी लगभग 20 किमी. जिसे पूरा करने में आपको लगभग 4-5 घंटे लगेंगे। आप इस ट्रेक को इको ट्रेकिंग क्लब के साथ कर सकते हैं।
14- देहरादून वाॅक
देहरादून को अगर आपको समझना है तो आपको इस शहर की पैदल यात्रा करनी चाहिए। आप यहाँ के बाजारों, गलियों और फिर वापस गलियों में जाएँ। यकीन मानिए आपको इस शहर से प्यार हो जाएगा। बड़े शहरों के उलट देहरादून आधुनिकता के बीच भी अपने पुराने ठिकानों, दुकानों और गलियों को बचाए हुए है। जो इस शहर को आज भी खास बनाता है। यहाँ पर क्लाॅक टाॅवर, पलटन बाजार, एशले हाॅल और सेंट जोसेफ स्कूल हैं जिनको आप पैदल चलते हुए देख सकते हैं। देहरादून को देखने के लिए आपके पास लगभग आधा दिन तो होना ही चाहिए।
15- पुराना देहादून
जिस देहरादून को आज हम देखते हैं उस पर नयेपन की परत चढ़ी हुई। जहाँ भीड़ भाड़ कुछ ज्यादा है, जहाँ बाजार और दुकानें ज्यादा हैं। अगर आप असल देहरादून देखना है तो सहारनपुर चौक जाइए। जहाँ शांति है, सुकून है और खूबसूरत भी है। ये पुराना देहरादून है जो नए देहरादून की परछाई से भी दूर है। शायद इसलिए ये खूबसूरत भी है। यहाँ पुराने महल, गुरूद्वारे और गढ़वाली घर हैं। यहाँ की चौड़ी सड़कों से आपको मोहब्बत होने लगेगी। पुराने देहरादून को देखने के लिए आपके पास आधे दिन से थोड़ा ज्यादा समय होना चाहिए।
मुझे लगता है कि सबसे अच्छी तरह से चलना या यात्रा वो है जिसमें आपके पास कोई मंजिल नहीं होती है। - रस्किन बॉन्ड।
क्या आपने कभी देहरादून का कोई सीक्रेट ट्रेक किया है? अपने सफर का अनुभव यहाँ लिखें।
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