DAY 4 : हरिद्वार की यात्रा
सलाम नमस्ते केम छु दोस्तों 🙏
जैसा कि मैंने अपने पहले ब्लॉग में बताया था कि तीसरे दिन की शाम मैंने राम झूला पर बिताया था उसके बाद मैं सुबह सुबह ऑटो ले कर हरिद्वार की तरफ रवाना हो गया एक नए सफ़र और एक आध्यात्मिक जगह को एक्सप्लोर करने और वहां का एक्सपीरियंस लेने के लिए।
जैसा कि हम सब जानते हैं कि हरिद्वार उत्तराखण्ड राज्य में स्थित है और हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ है। यह बहुत प्राचीन नगरी है।यह पवित्र शहर भारत की जटिल संस्कृति और प्राचीन सभ्यता का खजाना है।हरिद्वार वह स्थान है जहाँ अमृत की कुछ बूँदें भूल से घड़े से गिर गयीं जब गरुड़ उस घड़े को समुद्र मंथन के बाद ले जा रहे थे।
ऑटो वाले भैया ने मुझे डायरेक्ट "हर की पौड़ी" पे ही उतार दिया। यहां पहुंच कर मैंने देखा कि यहां की हवा में सोंधी सी खुशबू थी और दूर से दिखते अडिग पर्वत, कलकल कर के बहती पवित्र गंगा, दूर दूर से आए श्रद्धालु और चारो ओर गूंजते गंगा मईया के जय कारे। ये रमणीय दृश्ये आँखों के द्वार से होता हुआ सीधे मेरे मन में बस गया तो मैंने सीधे होटल ना जा के थोड़े देर यहां बैठने का निर्णय लिया।
थोड़े देर यहां बैठने के बाद मैंने होटल बुक किया और फ्रेश होते होते शाम हो गईं।शाम को मैने आरती देखने का निर्णय लिया।
हर की पौड़ी पर शाम के वक्त गंगा देवी की आरती तीर्थ यात्रियों का प्रमुख आकर्षण है। गंगा आरती देश ही नहीं विदेशों में भी लोकप्रिय है। यहां के नज़ारे को देख के मुझे ऐसा लग रहा था कि मानों यहां कोई त्यौहार हैं।हर रोज़ हज़ारो श्रद्धालु देश के कोने कोने से यहाँ गंगा आरती के लिए आते है।इस महाआरती में असंख्य सुनहरे दीप जलाएं जाते हैं जो बेहद आकर्षक लगती है। हर शाम हज़ारों दीपों के साथ गंगा की आरती की जाती है। पानी में दिखाई देती दीयों की रोशनी हज़ारों टिमटिमाते तारों की तरह लगती है।
हरिद्वार का प्राचीन पौराणिक नाम 'माया' या 'मायापुरी' है।महाभारत में हरिद्वार को 'गंगाद्वार' कहा गया है।भारत के हर प्रांत के लोग यहाँ आते है और गंगा जी के पवित्र जल को बोलतों में भर कर अपने साथ ले जाते है मैंने भी एक बोतल जल भरा अपने घर लाने के लिए। यहाँ पहाड़ियों से निकल कर भागीरथी गंगा पहली बार मैदानी क्षेत्र में आती हैं और गंगा के उत्तरी भाग में बसे हुए 'बदरीनारायण' तथा 'केदारनाथ' नामक भगवान विष्णु और शिव के प्रसिद्ध तीर्थों के लिये इसी स्थान से मार्ग जाता है। इसीलिए इसे 'हरिद्वार' तथा 'हरद्वार' दोनों ही नामों से पुकारा जाता हैं।
आरती देखने के बाद मैंने बाज़ार घूमने का निर्णय लिया। मैंने देखा कि यहां पूजा की सामग्री व हिन्दू धार्मिक किताबो की भी बहुत सी दुकाने हैं। बाज़ार घूमने के बाद मैंने यहां स्वादिष्ट रात्रि भोजन खाया वो भी बिना लहसुन प्याज का।
अगले दिन मेरी ट्रेन थीं। सुबह सुबह होटल से चेकआउट करके सीधा मैं शांतिनिकेतन गया पर कॉरोना की वजह से वो बंद था तो मैं डायरेक्ट स्टेशन चला गया।मेरे पांच दिन का सोलो ट्रिप का अंत हुआ और इस ट्रिप से मैंने ये जाना कि सोलो ट्रिप करने में काफी मज़ा हैं और हर इंसान को अपने लाइफ में एक बार सोलो ट्रिप पर जरूर जाना चाहिए।