Dakshin Bharat Yatra : ooty day 3
दक्षिण भारत का सुहाना और धार्मिक सफर
[ 06-04-2016 Day 4 ]
आज हमारा उटी झील देखने का प्रोग्राम है और हमारे पास समय भी कम था क्योंकि हमें आज तिरुपति बालाजी मंदिर के लिए ट्रेन पकड़नी है कोयम्बतूर से 6.05 कि इसलिए सब जल्दी तैयार हो गाये जाने के लिए फटाफट नाश्ता किया वहीं डोसा और सभंर का,ओटो किया और पहुंच गए उटी झील,
ऊटी की सैर के लिए आने वाले पर्यटकों में ऊटी झील सबसे अधिक लोकप्रिय स्थान है। यह झील मानव निर्मित है जैसे माउंट आबू कि निकी झील है उटी झील का निर्माण जॉन सुल्लिवन ने 1824 में किया था तथा यह लगभग 65 एकड़ के क्षेत्र में फ़ैली हुई है। मानसून के दौरान पहाड़ों से बहकर आने वाले पानी को एकत्रित करके इस झील का निर्माण किया गया। हालाँकि इसके आवश्यकता से अधिक भर जाने के कारण इसे लगभग तीन बार खाली किया गया। इसका निर्माण स्थानीय मछुआरों द्वारा मछली पकड़ने के उद्देश्य से किया गया। झील अब वास्तविक आकार में नहीं है तथा अनेक भौगोलिक कारकों के कारण और बस स्टैंड, रेस कोर्स और लेक पार्क बनने के कारण छोटी हो गई है। बोट में बैठ ने का हमारा कोई इरादा नहीं था क्योंकि बोट कि सवारी करके हम थक गए थे सो आगे चल दिये वहां कई प्रकार के झुले लागे थे बच्चों को और क्या चाहिए उनकी तो जैसे लाटरी लग गई हो जैसे ,हमने तकरीबन सभी झूले की सैर कि जिसमें काफी मौज मस्ती कि दुर्भाग्यवश यहां कि सारी फोटो गुम हो गई थी बस वही फोटो है जो मेरे भाई कुलदीप के फोन से ली गई थी क्योंकि मेरा फोन तो धर पे आने के बाद चोरी हो गया था बाहर आने के बाद हमने दुकान से कुछ सामान और होममेड चौकलेट ली और चल दिए होटल कि तरह होटल पहुंचे कर सामान उठाया जो हमने रात को ही पैक कर दिया था ,ओटो कर के उटी बस स्टैंड पहुंच जहां से हमें कोयम्बतूर के लिए बस पकड़नी थी उटी बस स्टैंड से कोयम्बतूर बस स्टैंड कि दुर लगभग 84 किलोमीटर है
कोयम्बतूर रेलवे स्टेशन जो काफी बड़ा और साफ सुथरा है ट्रेन हमें सुबह 3.30 तक तिरूपति रेलवे स्टेशन पहुंचेगी लम्बा सफर था इसलिए सब जल्दी ही सो गऐ,