पहाड़ी शहरों में रहना और घूमना एक एहसास की तरह होता है। ऐसे शहरों में अगर हिमाचल प्रदेश के शिमला और मनाली आते हैं तो पश्चिम बंगाल का दार्जिलिंग भी पीछे नहीं है। इस जगह की खूबसूरती और यहाँ का कल्चर हर किसी को आकर्षित करता है। घूमने वाला इंसान इस खूबसूरत हिल स्टेशन की यात्रा जरूर करना चाहता है। यहाँ आकर भागदौड़ वाली जिंदगी स्लोमोशन में चलने लगती है। दार्जिलिंग को अच्छे से कैसे घूमा जाए? ये हम आपको बता देते हैं।
दार्जिंलिंग को लैंड ऑफ थंडर बोल्ट के नाम से जाना जाता है। दोर्जे का अर्थ है थंडर और लिंग का मतलब है शांति की धरती। 1700 के दशक में दार्जिलिंग सिक्किम का हिस्सा हुआ करता था। जिस पर नेपाल ने कब्जा कर लिया था लेकिन अंग्रेजों ने युद्ध में इसे जीत लिया। अंग्रेजों के सिक्किम के चोग्याल राजा से संधि की और सिक्किम को वापस लौटा दिया। अंग्रेजों ने दार्जिलिंग को विकसित किया और बाद में दार्जिलिंग को सिक्किम से अलग कर दिया गया। दार्जिंलिंग को पहाड़ों की रानी भी कहा जाता है।
कैसे पहुँचे?
फ्लाइट से: अगर आप वायु मार्ग से दार्जिलिंग जाने का प्लान बना रहे हैं तो सबसे निकटतम बागडोगरा एयरपोर्ट है। बागडोगरा से दार्जिलिंग 95 किमी. है। आप टैक्सी बुक करके अपने गंतव्य तक पहुँच सकते हैं।
ट्रेन से: यदि आप ट्रेन से दार्जिलिंग जाने का सोच रहे हैं तो सबसे नजदीकी न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन है। न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग 88 किमी. की दूरी पर है। आप टैक्सी बुक करके अपनी मंजिल तक पहुँच सकते हैं।
वाया रोड: दार्जिलिंग सड़क मार्ग से भी अच्छी तरह से कनेक्टेड है। कोलकाता से आपको दार्जिलिंग जाने के लिए बसें मिल जाएंगी। इसके अलावा आप प्राइवेट टैक्सी बुक कर सकते हैं या फिर खुद की गाड़ी से दार्जिलिंग पहुँच सकते हैं।
दिन 1
दार्जिलिंग मॉल
समुद्र तल से 2,050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित दार्जिलिंग में घूमने वाली कई सारी जगहें हैं। शहर के बीचों बीच दार्जिलिंग मॉल इलाका है जिसे आप देख सकते हैं। यहाँ पर बहुत सारी दुकानें हैं। सुबह-सुबह आप इस जगह को पैदल-पैदल देख सकते हैं। यहाँ पर आपको लोगों की ज्यादा भीड़ नहीं मिलेगी। दार्जिलिंग में इस जगह को तो आपको देखना ही चाहिए।
टाइगर हिल
मेरा ऐसा मानना है कि टाइगर हिल को देखे बिना दार्जिलिंग की यात्रा पूरी हो ही नहीं सकती है। समुद्र तल से 2,950 मीटर की ऊंचाई पर स्थित टाइगर हिल शहर से लगभग 11 किमी. की दूरी पर है। यहाँ से आपको कंचनजुंगा समेत कई हिमालयन रेंज देखने को मिलेंगी। टाइगर हिल दार्जिलिंग की सबसे ऊंची जगह है। आपको यहाँ से एक बार खूबसूरत सनराइज और सनसेट जरूर देखना चाहिए।
महाकाल मंदिर
दार्जिलिंग में आप महाकाल मंदिर की सैर भी कर सकते हैं। महाकाल मंदिर में बुद्धिज्म और हिंदुज्म एक साथ देखने मिलते हैं। यहीं पर आप भोटिया बुस्टी मोनेस्ट्री को देख सकते हैं। इस मंदिर तक पहुँचने के लिए आपको 100 सीढ़ियों को चढ़ना होता है। यहाँ का वातावरण बेहद शानदार है। बौद्ध भिक्षुओं और पुजारी के मंत्रों की आवाज आपको यहाँ एर साथ सुनने को मिलेगी।
दूसरा दिन
दार्जिलिंग जू
दार्जिलिंग में आपको चिड़ियाघर भी देखना चाहिए। इसे पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क के नाम से भी जाना जाता है। लगभग 27 हेक्टेयर में फैले इस जू में आपको कई सारे दुर्लभ जानवर देखने को मिलेंगे। इसमें रेड पांडा, तिब्बती वोल्फ और हिमालयन भालू शामिल हैं। भारत में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है दार्जिलिंग जू। दार्जिलिंग जाएं तो एक बार इसकी सैर जरूर करें।
घूम मोनेस्ट्री
दार्जिलिंग के पास में एक बेहद खूबसूरत मोनेस्ट्री है, घूम मोनेस्ट्री। दार्जिलिंग शहर से 8 किमी. दूर स्थित घूम मोनेस्ट्री समुद्र तल से 7,400 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस मोनेस्ट्री को यिगा चोएलिंग मोनेस्ट्री के नाम से भी जाना जाता है। ये दार्जिलिंग की सबसे पुरानी मोनेस्ट्री में से एक है। यहाँ पर बुद्ध का 15 फीट ऊंचा स्टैच्यू भी है जिसे आप देख सकते हैं।
जापानीज मंदिर
दार्जिलिंग की जलपहाड़ पहाड़ी पर एक मंदिर स्थित है जिसे जापानीज मंदिर के नाम से जाना जाता है। इसे मंदिर को निप्पोनजन मयोहोजी बुद्ध मंदिर के नाम से जाना जाता है। 1972 में एक जापानी बौद्ध भिक्षु ने इस मंदिर को बनवाया था। जापनीज शैली में बना ये मंदिर बेहद खूबसूरत है और यहाँ से कंचनजुंगा पीक भी दिखाई देती है।
दिन 3
रिवर राफ्टिंग
अगर आपको एडवेंचर पसंद है तो आप दार्जिलिंग में तीस्ता नदी में रिवर राफ्टिंग भी कर सकते हैं। रिवर राफ्टिंग आपको एक अलग ही रोमांच पर ले जाएगा। इसके अलावा आप यहाँ रोपवे का अनुभव भी ले सकते हैं। रोपवे से आपको दार्जिलिंग आपको और भी खूबसूरत दिखाई देगा।
टॉय ट्रेन
दार्जिलिंग की टॉय ट्रेन की यात्रा के बिना आपका दार्जिलिंग की सफर अधूरा ही माना जाएगा। दार्जिलिंग की टॉय ट्रेन की शुरूआत 1800 ईस्वी में हुई थी। इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया है। इस सफर में आपको हिमालय के खूबसूरत नजारे देखने को मिलेंगे। दार्जिलिंग में टॉय ट्रेन का सफर करना बिल्कुल भी न भूलें।
चाय के बागान
दार्जिलिंग चाय के बागानों का घर है। दार्जिलिंग में 80 से ज्यादा टी गार्डन हैं। दार्जिलिंग के सबसे बड़े चाय के बागानों में से एक है पुट्टाबोंग टी एस्टेट। दूर-दूर तक हरियाली ही हरियाली और चाय की भीनी सुगंध इस जगह को खास बनाती है। यहाँ से आपको हिमालय के शानदार नजारे भी देखने को मिलेंगे। दार्जिलिंग जाएं तो किसी न किसी चाय के बागान में घूमने जरूर जाएं।
कहाँ ठहरें?
दार्जिलिंग भारत के सबसे फेमस हिल स्टेशन में से एक है। यहाँ आपको ठहरने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। यहाँ आपको लग्जरी होटलों से लेकर बजट में सस्ते होटल मिल जाएंगे। जिनको आप अपने बजट के अनुसार ले सकते हैं। इसके अलावा यहाँ होमस्टे और हॉस्टल की सुविधा भी उपलब्ध है।
क्या खाएं?
दार्जिलिंग घूमने के मामले में तो अमीर है ही इसके अलावा खानपान के मामले में भी कम नहीं है। यहाँ आपको स्थानीय फूड से लेकर विदेशी व्यंजन तक सब कुछ मिलेगा। आप यहाँ मोमोस, थुपका और नूडल्स खा सकते हैं। इसके अलावा दार्जिलिंग में आपको नेपाली थाली और बंगाली थाली भी मिल जाएगी। यहाँ का लजीज स्थानीय फूड का स्वाद लेकर आपका मन एकदम चंगा हो जाएगा।
कब जाएं?
दार्जिलिंग जाने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से लेकर जून तक के महीनों का होता है। जब देश के ज्यादातर हिस्सों में गर्मी पड़ती है तब भी दार्जिलिंग ठंडा रहता है। इस मौसम में आपको यहाँ सैलानी ज्यादा तादाद में देखने को मिलेंगे। सर्दियों में भी आप दार्जिलिंग की सैर कर सकते हैं। दार्जिलिंग आपको हर समय खूबसूरत ही लगेगा।
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