जयपुर, राजस्थान की राजधानी, अपने समृद्ध इतिहास, भव्य महलों, और आकर्षक वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। इसे 1727 में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा स्थापित किया गया था। जयपुर को "पिंक सिटी" (गुलाबी नगरी) के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि शहर के अधिकांश भवन गुलाबी रंग में रंगे हुए हैं, जो आतिथ्य और स्वागत का प्रतीक माना जाता है। जयपुर, जिसे "गुलाबी नगरी" के नाम से भी जाना जाता है, न केवल अपने महलों, किलों और बागों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपने धार्मिक स्थलों और भव्य मंदिरों के लिए भी जाना जाता है। यहाँ के मंदिर न केवल आध्यात्मिकता और श्रद्धा के प्रतीक हैं, बल्कि स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना भी प्रस्तुत करते हैं। जयपुर के मंदिरों में धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर की झलक मिलती है, जो सदियों से लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करती रही है। जयपुर का दांत माता मंदिर राजस्थान के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। मंदिर का इतिहास उसकी स्थापना से लेकर वर्तमान दिन तक के उत्सवों और परंपराओं का एक मिश्रण है।
दांत माता मंदिर
दांत माता का मंदिर मीणाओं के सीहरा राजवंश की कुल देवी का मंदिर है। मंदिर जयपुर से 30 किलोमीटर दूर जमवारामगढ़ बांध की पहाड़ियों की तलहटी में बना हुआ है। इस मंदिर की स्थापना से पहले जमवारामगढ़ में पुराने समय में मीणों का राज था। दांत माता मंदिर में नियमित पूजा, आरती और भजन-कीर्तन होते हैं। यहाँ पर विशेष रूप से नवरात्रि और अन्य धार्मिक त्योहारों के दौरान विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भक्तजन बड़ी संख्या में यहाँ आते हैं और माँ दांत माता से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
मान्यताएं और प्रथाएं
एक बार कुछ ग्वाले तलहटी में अपने पशुओं को चारा रहें थे। तभी वहां अचानक से एक दिव्य प्रकाश होने के साथ एक आकाशवाणी हुई,"हे ग्वाले", मैं शक्ति रूप में हूं। मैं इस स्थान पर प्रकट हो रहीं हूं, तुम डरना मत। कुछ समय में वहां तूफान आया, धनधोर बादल छा गए तथा बादल गरजना चालू हो गए। ये सब देख के ग्वाले डर के वहां से भाग गए। तब नाराज हो कर माता उसी पहाड़ी के दाते में अवस्थित हो कर रह गई। पहाड़ में दाते रूप मे प्रकट होने पर गांव वालो ने इनका नाम दांत वाली माता रख दिया। मातेश्वरी ने ग्वालों को आशीर्वाद दिया कि सच्चे मन से पूजा अर्चना करने पर सुख समृद्धि में कोई कमी नहीं रहेगी। दांत माता पूरे जमवारामगढ़ कस्बा प्राचीन मांच नगर के निवासियों की आराध्य कुलदेवी है।
संरचना और वास्तुकला
मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक राजस्थानी शैली में है, जिसमें सुंदर नक्काशी और कलात्मक कार्य शामिल हैं। मंदिर का गर्भगृह, जहाँ माँ दांत माता की मूर्ति स्थापित है, बेहद आकर्षक और श्रद्धालु वातावरण प्रदान करता है। दांत माता मंदिर के नीचे आधे रास्ते में विश्राम स्थल पर मीणा शासक राव मेदा की घोडे पर सवारी वाली मूर्ति लगी हुई है। दो बड़ी धर्मशालाएं बनी हुई है। जहां श्रद्धालुओं के रात्रि विश्राम एवं सवामणियां करने के लिए व्यवस्था है। मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको बहुत सारी सीढियां चढ़नी पड़ती हैं।
सांस्कृतिक महत्व
दांत माता मंदिर स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का भी महत्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ पर होने वाले उत्सव और मेलों में स्थानीय लोकनृत्य, संगीत और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जो पर्यटकों और भक्तों को राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव कराते हैं। नवरात्र के समय माता जी के दर्शन एवं भोग लगाने के लिए प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते जाते है। चैत्र नवरात्र अष्टमी को माताजी का मेला लगता है। जो आसपास में दांत माता के मेला का नाम से प्रसिद्ध है। श्रद्धालुओं को माता जी के मंदिर तक आने जाने के लिए मंदिर विकास समिति ने श्रद्धालुओं के सहयोग से सीढ़ियों के रास्ते पर टीनशेड लगवाए है।
कैसे पहुंचें?
हवाई मार्ग से-
जयपुर का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जो शहर के केंद्र से लगभग 13 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां से आप टैक्सी कर के मंदिर तक पहुंच सकते हों।
मुख्य एयरलाइन्स: इंडिगो, स्पाइसजेट, एयर इंडिया, विस्तारा आदि प्रमुख भारतीय और अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन्स यहाँ सेवाएँ देती हैं।
उड़ानें: दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद आदि प्रमुख भारतीय शहरों से सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं। कुछ अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भी उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग से -
जयपुर रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख रेलवे जंक्शनों में से एक है और देश के विभिन्न हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां से आप टैक्सी कर के मंदिर तक पहुंच सकते हों।
मुख्य ट्रेनें: शताब्दी एक्सप्रेस, राजधानी एक्सप्रेस, पूर्वा एक्सप्रेस, अजमेर शताब्दी, जयपुर सुपरफास्ट आदि।
महत्वपूर्ण रूट्स: दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद आदि प्रमुख शहरों से नियमित ट्रेनें उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग से -
जयपुर सड़क मार्ग द्वारा भी देश के विभिन्न हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
बस सेवाएं: राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (RSRTC) की नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। इसके अलावा, प्राइवेट बस ऑपरेटरों की भी सेवाएं हैं।
राष्ट्रीय राजमार्ग: जयपुर दिल्ली से राष्ट्रीय राजमार्ग NH48 (पुराना NH8) के माध्यम से जुड़ा है। मुंबई से NH48 और NH52 द्वारा, आगरा से NH21 द्वारा और अन्य प्रमुख शहरों से भी जयपुर जुड़ा हुआ है।
कार/टैक्सी: आप निजी कार या टैक्सी से भी जयपुर पहुँच सकते हैं। दिल्ली से जयपुर की दूरी लगभग 280 किलोमीटर है और सड़क मार्ग से यात्रा करने में लगभग 5-6 घंटे लगते हैं।
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