भारत के हरेक हिस्से से कोई न कोई प्राचीन सभ्यता जुड़ी हुई है जो कि आज भी जिन्दा है। इन सभ्यताओं के अपने रीति रिवाज़ है जिनमे से कुछ तो बहुत ही विचित्र, अजीबो गरीब और दिल दहलाने वाले है। भारत का प्रत्येक राज्य, धर्म, समुदाय और प्रत्येक जनजाति के लोग अपनी संस्कृति और परम्पराओं का पालन करते हैं। भारत में मनाए जाने वाले त्यौहारों की एक विस्तृत विविधता इसकी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं की एक सही अभिव्यक्ति है। लेकिन क्या आप जानते हैं इन रंगीन त्यौहारों और जीवंत समारोहों के बीच, भारत में कुछ ऐसी प्रथाएं भी हैं जो असाधारण रूप से अजीब हैं। जिनमे से कुछ खतरनाक और दर्दनाक है जबकि कुछ मनोरंजन से भरी हुई है । लेकिन फिर भी इन्हें पूरी निष्ठा के साथ निभाया जाता हैं।
अगर आप भी भारत में मनाई जाने वाली इन अजीबो गरीब प्रथाओं के बारे में जानने के उत्सुक है तो आप हमारे इस आर्टिकल को पूरा अवश्य पढ़ें।
मेंढक की शादी:
आपने भारत में आमतौर में पेड़ से शादी करने वाले लोगों के बारे में सुना होगा लेकिन कभी आपने मेंढक की शादी के बारे में सुना है? अगर नही सुना है तो आप थोड़ा आश्चर्यचकित हो सकते हैं लेकिन यह बिल्कुल सत्य है। हमारे देश के ही कुछ हिस्सों में अच्छी बारिश के लिए मेंढक और मेंढकी की शादी पूरे रीति-रिवाज से कराई जाती है। दरअसल, असम के जोरहाट जिले के गाँव के लोगों का मानना है कि अगर पारंपरिक हिंदू विवाह में जंगली मेंढकों की शादी की जाती है, तो इससे लंबे समय तक सूखे का अंत होता है और कुछ दिनों के भीतर भारी बारिश होती है। और इन मेढको की शादी सभी हिंदू विवाह परंपराओं का पालन करते हुए कराई जाती हैं। जिसमें पुजारी भी सम्मिलित होते हैं।
लठ मार होली:
वैसे तो होली का त्यौहार पूरे भारत में बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है लेकिन उत्तर प्रदेश के मथुरा-जिले के नंदगाँव और बरसाना कस्बों में होली का यह त्यौहार बहुत ही अजीबोगरीब तरीके से मनाया जाता है। जिसे लठ मर होली के नाम से जाना जाता हैं। इसके नाम से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह होली किस तरह की होगी। लठ मार होली में औरतें पुरुषों को लठ से मरती है जबकि पुरुष ढाल से अपने आपको बचाते हैं। और इसी कारण इसे एक विचित्र परम्परायों का हिस्सा माना गया हैं। वो कहते है ना भारत में आपको कई रंग देखने को मिलेंगे। ये भी उन रंगों की अजीबोगरीब विधाओं में से हैं।
सिर पर नारियल फोड़ना:
यूं तो भारत में आस्था के नाम पर कई चीजें की जाती है, लेकिन ऐसे ही हैरतंगेज किस्सों मेें शामिल है भक्तों के सिर पर नारियल फोड़ना। दरअसल ये काम तमिलनाडू के एक मंदिर में होता है। माना जाता है कि सिर पर नारियल फोड़ने से देवता प्रसन्न होंगे और कस्बों को समृद्धि और कल्याण की ओर ले जाएंगे। नारियल फोड़ने के दौरान कई लोग चोटिल भी होते हैं। खून को रोकने और घाव को भरने के लिए मंदिर के पुजारी भक्तों के सिर पर हल्दी और अगरबत्ती की राख लगाते हैं। इस परंपरा का स्थानीय लोगों द्वारा बहुत निष्ठा के साथ पालन किया जाता है।
जलते अंगारों पर चलना:
तमिलनाडु में लोकप्रिय तिमिथी नामक त्यौहार भारत की सबसे विचित्र परम्पराओं में से एक है। इस उत्सव में भक्त हिंदू देवी द्रौपती अम्मान का सम्मान करने के लिए जलते हुए कोयला पर नंगे पैर चलकर त्यौहार मनाते हैं। यदि आपको लगता है कि भक्त गर्म कोयले में तेजी से चल सकते हैं तो ऐसा नहीं हैं देवी को प्रसन्न करने के लिए, भक्तों को धीमी गति से चलना पड़ता है। जो वास्तव में बहुत खतरनाक और दर्दनीय है। यह परम्परा विदेश के भी कई हिस्सों में पायी जाती है।
केले के पेड़ से शादी:
भारत में मांगलिक दोष सबसे बड़ा दोष माना जाता है। अगर किसी व्यक्ति को यह दोष होता है तो उसकी शादी केले के पेड़ से करवा दी जाती है ताकि उसके ऊपर से मांगलिक दोष दूर हो जाएं। भारत में ऐसा माना जाता है कि अगर मांगलिक दोष वाले की शादी किसी दोषरहित व्यक्ति से होती है तो दोनों में से किसी एक की मृत्यु पक्की है, ऐसे में दोष को दूर करने का यह सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। केले के साथ शादी कराने के बाद लड़की दोषरहित हो जाती है और फिर उसकी शादी किसी से भी की जा सकती है।
पुली काली महौत्सव:
पुली काली महौत्सव भारत की एक अजीबोगरीब परम्परा के रूप में कार्य करता है। यह त्यौहार केरल के त्रिशूर जिले में हर साल मनाया जाता है जहाँ प्रशिक्षित कलाकार, टाईगर के रूप में तैयार होते हैं, और सड़कों पर चलते हुए पारंपरिक लोक गीतों पर प्रस्तुति देते हैं। हालांकि यह परम्परा कोई खतरनाक परंपरा नही है लेकिन अभी भी कुछ हद तक विचित्र हैं साथ ही कई लोगों के लिए मनोरंजक भी है।
नरभक्षण और शवभक्षण:
भारत के वाराणासी में अघोरी बाबा रहते हैं। यह मृत व्यक्ति के शरीर के टुकड़े और मांस के लूथड़े खाने के लिए कुख्यात हैं। इनका मानना है कि ऐसा करना से इनके मन से मौत का डर हमेशा के लिए चला जाएगा। इसके अलावा इन्हें आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति हो जाएगी। हिंदू मान्यता के मुताबिक, पवित्र व्यक्ति, बच्चे, गर्भवती, कुवारी लड़कियां, कुष्ठ रोग और सांप के काटे जाने वाले व्यक्ति का दाह संस्कार नहीं किया जाता है। इन सभी को गंगा नदी में बहा दिया जाता है। अघोरी बाबा इन्हें वहाँ से निकाल अपने रस्म पूरी करते हैं।
गरबड़ा एकादशी:
गरबड़ा गुजरात का एक शहर है जहाँ गरबड़ा एकादशी के दौरान भारत की सबसे अजीबो गरीब परम्परा को देखा जा सकता है। यह शहर लोगो की पीठ के ऊपर से गायों के चलने की परंपरा का घर है। जो कभी कभी अत्यंत दर्दनाक और खतरनाक साबित होता है। चूँकि हिंदू धर्म में गायों को पवित्र माना जाता है। इसलिए माना जाता है कि गायों के आपके ऊपर रौंद कर निकलने से आपकी समस्याएं कम हो जाएंगी। ऐसा भी माना जाता है अगर आपकी पीठ में इससे कोई चोट नहीं पहुंची तो ये आपके लिए काम नहीं करेगा। जो बाकई आश्चर्यचकित करने वाली बात हैं।
बच्चो को हवां में फेकना:
हमने आमतौर पर बच्चो को हवा में फेकते हुए उनको खिलाते हुए देखा है। लेकिन क्या कभी आपने इसी चीज की कल्पना की होगी की बच्चो को उपर से नीचे हवा में फेकना भी एक परम्परा का हिस्सा हो सकता हैं। परिवार और बच्चे के भाग्योदय के लिए महाराष्ट्र के सोलापुर और कर्नाटक के संतेश्वर मंदिर अजीबोगरीब मान्यता लोग करते हैं। बताया जाता है यहां पिछले 700 सालों से बच्चे को 50 फीट की उंचाई से फेंकते हैं और नीचे लोग बच्चे को चादर से पकड़ लेते हैं। कहते हैं ऐसा करने से बच्चा और परिवार का भाग्योदय होता है।
क्या आप भी भारत की ऐसी ही कोई विचित्र और अजीबो गरीब परंपराएं जानते हैं जो इस सूची में ना हो, साथ ही जिसकी मान्यता लोगों में हो। तो अपने भी अनुभव हमारे साथ शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
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