दिल्ली से 4 घंटे दूर राजस्थान की एक ऑफबीट जगह, घुमक्कड़ों के लिए एक खजाना

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Photo of दिल्ली से 4 घंटे दूर राजस्थान की एक ऑफबीट जगह, घुमक्कड़ों के लिए एक खजाना by Rishabh Dev

घूमते हुए कई बार ऐसी जगहों के बारे में पता चलता है कि जहां के बारे में सुनकर ही जाने का मन कर जाता है। ऐसी जगहों पर जाने का मज़ा ही अलग होता है। अक्सर ऐसी जगहें अनछुई ही होती हैं। राजस्थान वैसे तो कई मशहूर शहरों के लिए जाना जाता है लेकिन आज हम आपको एक ऐसी ऑफ़बीट जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में शायद ही आपने सुना होगा। राजस्थान कई अनछुई और अंदरूनी जगहों का घर है। ऐसी ही एक जगह है, दधिकर। दिल्ली से सिर्फ़ कुछ ही घंटे की दूरी पर स्थित राजस्थान का ये क़िला घूमने वालों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है।

शहर दधिकर परगना, अलवर गढ़ के पास

बस्ती राजा चाँद की, अभानेर निकास।

दधिकर किले के बारे में एक स्थानीय लोकगीत है : दधिकर क़िला राजस्थान के अलवर में स्थित है। अलवर शहर से दधिकर क़िला लगभग 14 किमी. की दूरी पर है। अरावली की पहाड़ी पर स्थित दधिकर क़िला लगभग 1100 साल पुराना है। इस क़िले को आभानगरी के राजा चाँद ने बनवाया था। इस क़िले से आपको दूर-दूर तक पहाड़ और हरियाली के सुंदर नज़ारे देखने को मिलेंगे। इस क़िले को अब हेरिटेज होटल में तब्दील कर दिया गया है। अगर आपको राजस्थान के एक अनछुए इतिहास और कल्चर से रूबरू होना है तो इस क़िले को एक्सप्लोर करना ना भूलें।

कैसे पहुँचे?

दधिकर क़िला पहुँचने का सबसे आसान तरीक़ा बताता हूँ। हवाई मार्ग से आपको समय ज़्यादा ही लग जाएगा। आप रेल मार्ग से अलवर पहुंचिए और अलवर से कैब से दधिकर क़िला पहुँच जाइए। इसके अलावा अगर आपके पास ख़ुद की गाड़ी है तब तो आपकी यात्रा और भी शानदार हो जाएगी। दिल्ली से दधिकर क़िले की दूरी 174 किलोमीटर है। दिल्ली से 4-5 घंटे में आप दधिकर आराम से पहुँच जाएँगे।

कहाँ ठहरें?

अगर आप दधिकर क़िले को देखन के लिए जा रहे हैं तब तो आपको क़िले में ही रूकना चाहिए। दधिकर क़िला अब एक हेरीटेज होटल है। इस ऐतिहासिक क़िले में ठहरने का एक अलग ही मज़ा है। क़िले के अंदर कमरों की सजावट शानदार है। इसके अलावा आपको सर्दियों में इस जगह को देखने के लिए जाना चाहिए। तब ही आप इस जगह का आनंद अच्छे से उठाएँगे।

क्या देखें?

1- दधिकर क़िला

दधिकर किला अपने आप में एक घूमने की जगह है। इस क़िले को हेरिटेज होटल में तब्दील कर दिया गया है। इस क़िले का आर्किटेक्चर बेहद शानदार है। नक़्क़ाशी देखकर आप खुश हो जाएँगे। राजस्थान के रिमोट इलाक़े में ऐसा क़िला देखने को मिल जाए तो क्या ही कहने? क़िले में रात को स्थानीय लोगों द्वारा स्थानीय संगीत को सुन सकते हैं। क़िले के चारों तरफ़ हरियाली और पहाड़ है। अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं तो आपको ये जगह बेहद पसंद आएगी।

2- बाला क़िला

दधिकर क़िले के पास में ही एक और शानदार क़िला है जिसे बाला क़िले के नाम से जाता है। दधिकर क़िले से 6 किमी. की दूरी पर स्थित बाला क़िले को 1049 में अलघु राय निकुंभ ने बनवाया था। इस वजह से इस क़िले को निकुंज पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। बाला क़िला भी अरावली की पहाड़ी पर स्थित है। इस शानदार क़िले से आपको राजस्थान का एक अलग ही नजारा देखने को मिलेगा। यहाँ आपको रेत ही जगह पहाड़ और हरियाली देखने को मिलेगी। दधिकर क़िला आएँ तो इस क़िले को देखना ना भूलें।

3- मूसी महारानी की छत्री

राजस्थान की इस क़िले की यात्रा में आप कई ऐतिहासिक जगहों को देख सकते हैं। उन जगहों में से ही एक है, मूसी महारानी की छत्री। ऐतिहासिक मूसी महारानी की छत्री दधिकर क़िले से लगभग 9 किमी. की दूरी पर है। इस छत्री को सन 1815 में महाराजा भक्तावर सिंह और उनकी पत्नी मूसी महारानी की याद में बनवाया गया था। इस शानदार छत्री को लाल पत्थर और सफ़ेद मार्बल से बनवाया गया था। ये जगह वाक़ई में देखने लायक़ है।

4- सिलीसेढ़ लेक

सिलीसेढ़ लेक राजस्थान की सबसे खूबसूरत झीलों में से एक है। दधिकर क़िले से 13 किमी. की दूरी पर स्थित सिलीसेढ़ लेक लगभग 7 किमी. के क्षेत्र में फैली हुई है। इस शानदार झील को 1845 में महाराजा विनय सिंह ने अपनी रानी शीला के लिए बनवाई थी। पहाड़ों के बीच में स्थित ये झील आज सैलानियों के लिए एक तोहफ़ा है। बड़ी संख्या में लोग इस झील के सुरमयी नज़ारे को देखने के लिए आते हैं। इसके अलावा आप सागर लेक और जय समंद लेक को भी देखने के लिए जा सकते हैं।

5- अलवर

दधिकर क़िला जाने के लिए आपको सबसे पहले अलवर तो आना ही पड़ेगा। अलवर राजस्थान के सबसे शानदार शहर है। इस ऐतिहासिक शहर में देखने के लिए काफ़ी कुछ है। अलवर में क़िले के अलावा कई सारे महल और हवेलियाँ भी हैं। इसके अलावा शानदार सिटी पैलेस और संग्रहालय भी है। इसके अलावा आप इस यात्रा में विजय मंदिर और प्राचीन कंकाबाड़ी क़िले को भी देख सकते हैं। दधिकर क़िले की ये यात्रा आपको ज़िंदगी भर याद रहेगी।

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