24 अगस्त 2023 जब मैंने पहली बार यूनाम चोटी पर चढाई की थी तो कहने को तो मेरा शरीर मेरा साथ सही से दे नहीं रहा था।
शरीर सही से acclimatize हुआ नहीं था और मैंने चढाई शुरू कर दी थी। हालांकि मुझे अपने आप पर पूरा विश्वास था की इस चोटी पर मैं फ़तेह हासिल कर लूँगा। हुआ भी ऐसा ही सफलता तो मुझे मिली लेकिन उस दिन मैंने सोचा था अगली बार अगर इस चोटी पर आना होगा तो बेहतर तरीके से आऊंगा।
एक दिन ऐसे ही विचार आया की क्या साइकिल ले कर किसी चोटी के ऊपर चढ़ा जा सकता है। अभी तक कोई कितना ऊपर साइकिल ले कर गया है। गूगल और कुछ जगह से जानकारी लेने से पता चला लोग एवेरेस्ट बेस कैंप 5364 मीटर और कलापत्थर 5644 मीटर तक तो साइकिल ले कर गये हैं।
मैंने सोचा क्यों न एक विश्व कीर्तिमान और बनाया जाय और वो काम किया जाय जो आज तक किसी ने न किया हो। कोई भी काम सबसे पहले करने वाले और सबसे बाद में करने वाले को ही लोग जानते हैं बीच में करने वाले को नहीं। जैसे सबको पता है एकदिवसीय क्रिकेट में सबसे पहला दोहरा शतक सचिन ने बनाया और उसके बाद न जाने किस किसने बनाया।
तैयारी शुरू की पहले तो इसकाम के लिए एक अच्छी और हल्की साइकिल की जरुरत थी। मेरा ये काम तो मैं पहले ही कर चूका था। मैंने दिसंबर 2021 में एक साइकिल खरीदी थी वो थी scott scale 940 इसकी कीमत थी 1 लाख 69 हजार। इसकी खासियत ये थी की ये कार्बन फाइबर की थी तो इसका वजन था सिर्फ 12 kg। शायद इसको लेने का मेरा लक्ष्य 6000 मीटर की चोटी ही था।
पहाड़ चढ़ना और उतरना मेरे लिए ज्यादा बड़ा काम नहीं था लेकिन साइकिल ले कर चढ़ना इसकी तैयारी करना जरुरी था। सही बताऊँ इसकी ज्यादा कोई तैयारी मैंने की ही नहीं थी। मुझे अपने पर और अपने मजबूत दिमाग़ पर पूरा भरोसा था।
अगस्त 15 से 30 के बीच में यूनाम 6111 मीटर पर सबसे कम बर्फ रहती है ये मेरा अनुभव था। मैंने इस समय के बीच में अपना combine cyclomountain expedition प्लान किया। बहुत ही मुश्किल से ऑफिस से छुट्टी मिली।
18 अगस्त 2023 को निकल गया बस में साइकिल डाल कर जोधपुर से चंडीगढ़ को। 19 अगस्त को विकास और हरपाल जी ने मुझे जॉइन कर लिया।
चंडीगढ़ से हरपाल जी की गाड़ी में साइकिल डाल कर चल दिए। मंडी मनाली रोड की हालत नाजुक थी जैसे तैसे 19 को ही मनाली क्रॉस कर लिया। ज्यादा हाइट पर जाना आज बेवक़ूफी थी इसलिए अटल टनल क्रॉस करके 3160 मीटर पर गोंडला में एक eco camp में रुक गये।
20 अगस्त को हम दीपक ताल, सूरज ताल, बारलाचाला होते हुए पहुँचे यूनाम के बेस कैंप 4700 मीटर यानी भरतपुर टेंट कॉलोनी में। यहाँ पहुँचते ही हालत और जज्बात दोनों ही बदल गये। मौसम एक दम ठंडा ऑक्सीजन तो ढूंढ ढूंढ़ कर खिंचनी पड़ रही थी। अब समय था मौसम और भौगोलिक स्तिथि में अपने शरीर को ढालना जिसमें कम से कम 2 दिन लगते हैं।
20 अगस्त को 2 km की वाक की साथ में लोकल के साथ थोड़ा क्रिकेट भी खेला। 20 को शरीर पूरा फिट था। 21 अगस्त को एक झील की तलाश में करीब 16 km का ट्रेक किया 3 नदियाँ भी क्रॉस करी लेकिन झील नहीं मिली और आज ज्यादा थकना नहीं चाहते थे तो वापस आ गये।
आज शरीर में थकान थी। सर में दर्द भी था अगले सुबह समिट को निकलना भी था खाना खा कर रात में जल्दी सो गये। सुबह जब 03.30 पर उठे तो मौसम ख़राब था और तबियत भी सही नहीं लग रही थी। मैंने प्लान रद्द कर दिया और विकास को बोला कल चलेंगे क्युकी इस एक्सपीडिशन को मैं सफल बनाना चाहता था असफल होने का कोई भी मौका देना ही नहीं चाहता था।
22अगस्त को पूरा रेस्ट किया। 22 को मेरी सबसे बढ़ी टेंशन दूर हो गयी। साइकिल को कैसे कैर्री किया जायेगा ये सबसे बड़ा प्रश्न था। लेकिन इसका उतर मुझे तब मिला जब मैं पॉट्टी में बैठा इसके बारे मैं सोच रहा था। मेरे पास एक रक्सक बैग था तो मुझे लगा इसके साइकिल सही से बाँधी जा सकती है और मैं बिल्कुल सही था।
22 अगस्त को बैग में साइकिल बांध कर थोड़ा वाक किया। अब लग रहा था की साइकिल आसानी से चली जाएगी।
23 अगस्त को सुबह 3 बजे अलार्म बजा नींद तो बहुत पहले से ही नहीं आ रही थी। मौसम आज भी कल जैसा ही था बादल छाये हुए थे लेकिन आज तो निकलना ही था। 4 बजे भरतपुर से मैं और विकास निकल गये। शुरुआत से ही सांसे चढ़ रही थी, फिर भी हम धीरे धीरे चढाई कर रहे थे। 6 बज कर 14 मिनट यानी 2 घंटे 14 मिनट में 5200 मीटर ऊपर समिट कैंप पर हम पहुँच चुके थे जो साइकिल के साथ बहुत ही अच्छी स्पीड थी।
असली दिमाग़ और शारीरिक क्षमता का खेला शुरू हुआ समिट कैंप के बाद। एक ख़तरनाक गली जिसमें हमेशा पत्थर गिरते रहते हैं उसको साइकिल पीठ में ले कर क्रॉस कैसे किया जायेगा ये शुरुआत से ही मेरे दिमाग़ में चल रहा था लेकिन जितना कठिन ये मुझे लग रहा था ये उतना मेरे लिए था नहीं।
गली क्रॉस करने के बाद यूनाम शिखर दिखाई दे रहा था और वो भी सर के ऊपर सीधे खड़ा। ऊपर देख कर तो साइकिल के साथ वहाँ तक पहुँचना असंभव ही लग रहा था। धीरे धीरे चलने पर भी 20 कदम में ही सांसे सातवें आसमान में पहुँच जा रही थी। ये ही वो जगह थी जहाँ शरीर से ज्यादा दिमाग़ की जरुरत थी।
शरीर बोल रहा था ये हो नहीं पायेगा दिमाग़ बोल रहा था धैर्य से काम ले सब हो जायेगा तू कर सकता है। मैंने दिमाग़ की सुनी और ऊपर देखना बंद कर दिया और धीरे धीरे कदम बढ़ाने शुरू किये। जैसे ही थक जाता तो रुक जाता फिर सांसों को काबू करके एक बार फिर चलने लगता। ऐसे ही करते करते 12 बज कर 37 मिनट पर यूनाम चोटी मेरे क़दमों के नीचे थी और मैं 6111 मीटर के ऊपर। ये मेरा 4th वर्ल्ड रिकॉर्ड था।