पूरी दुनिया में कोरोना की महामारी फैली है। शायद ही ऐसा कोई ख़ास देश बचा हो जहाँ से कोरोना के संक्रमण की खबर ना आयी हो। ये देखो अलजज़ीरा वेबसाइट में दिए मैप में वो देश जहाँ से कोरोना के संक्रमण के केस सामने आये हैं।
ये वाइरस चीन से निकल कर लगभग हरेक जगह पहुँच गया है। जो विकसित देश सोचते थे कि कोरोना वहाँ नहीं पहुँच सकता, कोरोना ने उन्हें भी नहीं छोड़ा, जैसे हाल ही में इटली से दर्जनों केस सामने आये हैं।
वैसे तो मैं आपको सभी तरह के गैर ज़रूरी यात्रा ना करने की ही सलाह दूंगा , लेकिन अगर किसी वजह से आपको ट्रैवल करना पड़ रहा है तो मैंने WHO की साईट पर काफी रिसर्च करने के बाद ऐसे कई तरीके अपनाये हैं, जिनके सहारे मैं घूमते हुए भी अपने स्वास्थ्य को अच्छा रख रहा हूँ।
1. नोटों या सिक्कों में लेन -देन लगभग बंद सा ही कर दिया है
नोट और सिक्के ना जाने कितने हाथों से हो कर गुज़रते हैं। हमेशा पर्स या जेब में पड़े रहते हैं। पर्स और जेब की गर्माहट और पसीने की नमी की वजह से जीवाणु-कीटाणु इनपर इतने ज्यादा पनपते हैं कि हमें अंदाज़ा भी नहीं है।
नोटों सिक्कों की जगह जितना हो सके मोबाइल या ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफॉर्म्स को यूज़ कर रहा हूँ। रोडवेज बस की टिकट भी करवानी पड़े तो ऑनलाइन बुकिंग ही करवा रहा हूँ। ओला-उबर कैब एप्लीकेशन से कैब बुक करवाता हूँ, और वॉलेट से पेमेंट कर देता हूँ। होटल/हॉस्टल बुकिंग ऑनलाइन कर रहा हूँ। उसी रेस्त्रां में खाना खाने जा रहा हूँ, जो मोबाइल पेमेंट से पैसे ले रहे हैं।
2. अपने साथ एक हैंडवाश और हैंड सैनिटाइज़र रखता हूँ, जिसे दिन में कई बार काम में लेता हूँ
कोरोना के कीटाणु संक्रमित व्यक्ति की खासी, छींक या छुअन के साथ कई चीज़ों पर लग जाते हैं। अगर आप पब्लिक प्लेस पर हैं तो आपके हाथ कई बार ऐसी जगहों को छुएंगे, जहाँ आपसे पहले कई लोगों ने हाथ लगाया है और जहाँ की सफाई भी नहीं होती। जैसे रेल के दरवाज़े पर लगे हैंडल, ऑटो का सपोर्ट या कैब का डोर ओपनर, होटल के एंट्री गेट के हैंडल या रिसेप्शन डेस्क की सतह।
ऐसे में हम जितनी बार हाथ धोते हैं और सैनिटाइज़र लगाते हैं, उतनी बार ही हमारे स्वस्थ रहने की संभावनाएँ कई गुना बढ़ जाती हैं।
3. हाथ मिलाने की जगह लोगों से ऐसे मिल रहा हूँ
हाथ मिलाना मुझे हमेशा से नापसंद रहा है। ना जाने सामने वाले ने अपने हाथों या उंगलियों से क्या किया था ? हो सकता है वो कुछ देर पहले नाक में ऊँगली डाले बैठा हो, या अपने कच्चे में हाथ देकर खुजली कर रहा हो।
कई बार ऐसा भी होता है कि हाथ मिलाते हुए सामने वाला इंसान या तो ज़ोर से हाथ मिलाकर हाथ निचोड़ डालता है, या उसका हाथ इतना ठंडा होता है कि ऐसा लगता है जैसे बर्फ की सिल्ली को छु लिया हो। ऐसे में मैनें कई तरीके निकाले हैं , लोगों से हाथ ना मिलाने के। पहला तरीका है किसी से मिलते हुए अपने हाथ में कुछ ना कुछ पकड़े रखना। जैसे मोबाइल, पर्स या पेन। जैसे ही आपको कोई अपनी तरफ आता दिखे, अपनी जेबों में हाथ डालकर जो मिले उसे निकलकर अपनी हाथों में पकड़ लें। अगर जेबें खाली हों तो हाथ जेब में डाले रखें। सामने वाला अपने आप समझ जाएगा।
4. पब्लिक प्लेस पर मास्क काम में ले रहा हूँ लेकिन मास्क की सफाई का भी ध्यान रख रहा हूँ
लोगों को लगता है की मास्क लगा लेने भर से बचाव की गारंटी हो गयी। ऐसा नहीं है। हाँ, मास्क हमें लोगों की खांसी, छींक या उबासी से तो बचा सकता है, मगर गन्दा मास्क संक्रमण का कारक भी बन सकता है।
ऐसे में मैं पब्लिक प्लेस पर रोज़ एक नया मास्क लगा कर ही जाता हूँ। अगले दिन नया मास्क ही लगाता हूँ। एक मास्क ₹5 का मिलता है। महीने के ₹150 में मेरा स्वास्थ्य सुनिश्चित हो रहा है।
5. अपने चेहरे से अपने हाथों को दूर रख रहा हूँ
किसी को नाखून चबाने की आदत है, तो कोई अपनी पलकें छेड़ता रहता है। किसी बहन को अपने चेहरे से बालों की लटें हटाने की आदत है, तो कोई कुछ-न-कुछ सोचते हुए सैकड़ों बार अपने गालों, ठोड़ी या माथे को छूता रहता है। ये सब आदतें अवचेतन रूप से चालू रहती हैं। लेकिन अगर आपको स्वस्थ रहना है, तो अभी से ही अपने हाथों को अपने चेहरे से दूर रखें।
आप अपने हाथों से दिन भर में कई सतहों को छूते हैं। सतह छूने से लेकर हाथों को साफ़ करने के बीच अगर आपने अपने चेहरे को छुआ तो आपके स्वस्थ रहने की संभावनाएँ उतनी अच्छी नहीं रहेंगी।
6. विदेशियों से कोई बातचीत करने या मिलने जुलने से बच रहा हूँ
मैं तो भारत में ही घूम रहा हूँ, मगर मुझे पता है कि सबसे ज़्यादा संक्रमित होने की संभावना विदेशियों की हैं। ये विदेशी लोग या तो बाहर से भारत आए हैं, या उन लोगों के संपर्क में आए हैं जो विदेश से आए हैं। ऐसे में अपने स्वस्थ रहने की संभावना को अच्छा रखने के लिए मैं किसी भी विदेशी से बात करने या संपर्क में आने से बच रहा हूँ। जब तक कोरोना का खतरा कम नहीं हो जाता, बैकपैकिंग हॉस्टल्स में किसी भी विदेशी ट्रैवलर से बात ना करने का उसूल बनाया है।
7. अपने साथ बैग में एक स्लीपिंग बैग लेकर घूमता हूँ
अभी हाल ही दिल्ली जाना हुआ। हर बार की तरह बैकपैकर हॉस्टल में डॉरमिट्री ली, लेकिन गद्दे पर से तकिया और चादर हटा दी। उसकी जगह अपना स्लीपिंग बैग खोल कर डाल लिया। ज़रूरी नहीं कि हर बैकपैकिंग हॉस्टल में हर गेस्ट के बाद चादर बदली जाए। अगर चादर बदल भी दी तो तकिया तो वही रहता है। और सोते हुए मुँह से निकलती लार, खांसी या छींक तकिये में ही समाती रहती है। ऐसे में अपने स्लीपिंग बैग में सोना काफी आरामदेह और सुरक्षित है।
WHO की वेबसाइट को अच्छी तरह पढ़ने के बाद ही मैनें इन तरीकों का निचोड़ निकाला है। इन्हें अपनाकर मैं तो घूम भी रहा हूँ, और स्वस्थ भी हूँ। अगर आप भी अपने आप को अच्छा-भला रखना चाहते हैं तो इन तरीकों को अपना सकते हैं। अगर हम सतर्क रहें, तो टीवी चैनलों के फैलाए कोरोना के हव्वे से अपने आपको उबार सकते हैं।
आप इससे बचने के लिए किस तरह की सावधानियाँ बरत रहे हैं, हमें कॉमेंट्स में बताएँ।
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