बाबा श्याम का वह धाम जहाँ किया बाबा ने शीश का दान, जिसके बारे में कम ही लोग जानते है

Tripoto
25th Jan 2024
Photo of बाबा श्याम का वह धाम जहाँ किया बाबा ने शीश का दान, जिसके बारे में कम ही लोग जानते है by Pooja Tomar Kshatrani
Day 1

हमारे समाज में धार्मिक स्थलों का विशेष महत्व है। यहां धर्म की एक ऐसी गहराई है जो हमारे जीवन को प्रभावित करती है और हमें संतुष्टि और शांति की अनुभूति प्रदान करती है। चुलकाना धाम वह पवित्र स्थान है जहां बाबा श्याम जी ने अपना शीश दान किया था। यह हरियाणा राज्य के पानीपत के समालखा शहर से 5 किमी की दूरी पर चुलकाना गांव में स्थित है। चुलकाना धाम को कलिकाल का सर्वोत्तम तीर्थ माना गया है। मंदिर में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और अन्य राज्यों से लाखों भक्त श्याम बाबा के दर्शन करने आते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। चुलकाना धाम में आने वाले लोग श्रद्धा और आस्था के साथ मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। यहां के पुजारियों द्वारा आयोजित आरती का दर्शन करने से मन और आत्मा को शांति मिलती है।

चुलकाना धाम में पूजे जाने वाले देवता

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मंदिर में बाबा श्याम जी की पूजा की जाती है, बाबा के अलावा हनुमान, कृष्ण बलराम, शिव और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। श्याम मंदिर के पास एक पीपल का पेड़ है। पीपल के पेड़ के पत्तों में आज भी छेद हैं, जो मध्यकाल में महाभारत काल में वीर बर्बरीक के बाणों से हो गये थे। वहीं कहा जाता है कि जो भक्त बाबा श्याम से मन्नत मांगते हैं, उनकी मन्नत खाली नहीं जाती।

वर्ष 1989 में इस मंदिर के उद्धार के लिए एक समिति का गठन किया गया और यहां एक विशाल मंदिर का निर्माण कराया गया। मंदिर में श्याम भक्त बाबा मनोहर दास जी की समाधि भी स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि श्याम बाबा की पूजा करने वाले पहले व्यक्ति बाबा मनोहर दास थे। वैरागी परिवार की 18वीं पीढ़ी मंदिर की देखभाल में लगी हुई है।

बाबा ने क्यों दिया था शीश का दान?

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, भीम के पुत्र थे घटोत्कच जिनका विवाह दैत्य पुत्री कामकटंकटा के साथ हुआ था। उनके पुत्र हुआ जिसका नाम बर्बरीक रखा था। बर्बरीक को भगवान शिव और विजया माता के आशीर्वाद से कई अनोखी शक्तियां प्राप्त हुई थी। जब महाभारत का युद्ध चल रहा था तो बर्बरीक ने घोषणा की थी की जो भी पक्ष हारेगा मैं उसकी तरफ से युद्ध में शामिल हो जाउंगा। तब श्री कृष्ण चिंतित हो गए और अर्जुन और श्री कृष्ण उनकी वीरता का चमत्कार देखने के लिए वहां उपस्थित हुए। तब बर्बरीक ने कृष्ण भगवान की आज्ञा के अनुसार, एक ही तीर से सारे पत्ते छेद दिए थे। तब तीर एक एक करके सारे पत्ते छेदता जा रहा था। तब एक पत्ता टूटकर नीचे गिर गया। कृष्ण ने उसपर पैर रख लिया की ये बच जाएगा। लेकिन, तीर कृष्ण भगवान के पैर के पास आकर रुक गया। तब बर्बरीक ने कहा कि प्रभु एक पत्ता आपके पैर का नीचे हैं मैंने तीर को सिर्फ पत्ते छेदने की आज्ञा दी थी। इसके बाद श्री कृष्ण चिंतित हो गए और फिर ब्राह्मण के वेश बनाकर सुबह बर्बरीक के शिविर के पास पहुंच गए और दान मांगने लगे। बर्बरीक ने कहा कि मांगों ब्राह्मण क्या चाहिए। कृष्ण ने कहा कि तुम दे न सकोगे। बर्बरीक कृष्ण के जाल में फंस गया और भगवान कृष्ण ने उसका शीश मांग लिया। जिस स्थान पर शीश रखा गया वह पवित्र स्थान चुलकाना धाम है और आज हम इसे प्राचीन सिद्ध श्री श्याम मंदिर चुलकाना धाम के नाम से जानते हैं।

चुलकाना धाम मंदिर दर्शन का समय

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सप्ताह के सभी सात दिनों में दर्शन का समय सुबह 7:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से रात 9:00 बजे तक है।

श्याम बाबा के मंदिर में प्रत्येक एकादशी को जागरण होता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी और द्वादशी को श्याम बाबा के दरबार में विशाल मेलों का आयोजन होता है, जिसमें दूर-दूर से लाखों भक्त अपनी मनोकामना लेकर आते हैं।

कैसे पहुंचें चुलकाना धाम मंदिर

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चुलकाना धाम हरियाणा राज्य के जिला पानीपत की तहसील समालखा में स्थित है। यहां बाबाश्याम का भव्य मंदिर है। आप देश के किसी भी हिस्से से आसानी से दिल्ली पहुंच सकते हैं, दिल्ली से हरियाणा का पानीपत सड़क और रेल मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

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