DAY 1 : चित्रकूट दर्शन
कभी सोचो तो सच में विविधताओं के साथ रोमांच, सांस्कृतिक धरोहरों, पौराणिक कहानियों के साथ हमारा देश मनोहर लगता हैं।
कई कस्बे और शहर तो ऐसे हैं, जिनके नाम जेहन में आते ही, इंसान उन जगहों से पौराणिक कहानियों के माध्यम से खुद-ब-खुद जुड़ने लगता हैं।
ऐसी ही जगहों में से एक जगह है, भगवान राम के वनवास के समय का आश्रय स्थल “चित्रकूट"। प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर, मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है। इस जगह को देखकर ऐसा लगता है कि यह प्रकृति और ईश्वर की अनुपम कृति है।
चित्रकूट धाम उत्तर विंध्य रेंज में स्थित एक छोटा सा पर्यटन शहर है। यह उत्तर प्रदेश राज्य के चित्रकूट और मध्य प्रदेश राज्य के सतना जिलों में स्थित है। चित्रकूट हिंदू पौराणिक कथाओं और महाकाव्य रामायण की वजह से बहुत अधिक महत्व रखता हैं। पौराणिक कथाओं से पता चलता हैं कि अपने निर्वासन के समय में भगवान राम, माता सीता और श्री लक्ष्मण ने 14 में से 11 वर्ष का वनवास इसी स्थान पर गुजारा था। चित्रकूट में कई धार्मिक, दर्शिनीय और घूमने वाले स्थान है। चित्रकूट की पावन भूमि अनेक दर्शनीय स्थलों से भरी हुई है।
चित्रकूट शब्द का अर्थ -
"चित्रकूट”नाम के बारे में अलग-अलग विचार सुनने और पढ़ने को मिलते हैं। अनेक रंग की धातुयें इस पहाड़ पर पाये जाने के कारण इस पहाड़ को चित्रकूट कहते हैं।
दूसरी तरफ चित्रकूट शब्द को तोड़ कर उसका अर्थ निकालते है। चित्र का मतलब संस्कृत भाषा में अशोक और कूट का मतलब शिखर या चोटी।
इस संबंध में जनश्रुति यह है कि अशोक के वृक्ष इस वनक्षेत्र में बहुतायत से मिलते थे इस लिए इसका नाम चित्रकूट पड़ा।
चित्रकूट मे मेरी यात्रा-
एक कथा प्रसंग में सुना था कि प्रभु श्रीरामचन्द्र जी ने अपने वनवास क़ाल के 14 वर्ष में से 12 वर्ष चित्रकूट में बिताए थे। फिर क्या ये सुन कर हमारी घुमक्कड़ जिज्ञासा जगने लगी सोचा की क्यों न चित्रकूट धाम की यात्रा की जाए। बस फिर क्या था फोन में गूगल बाबा से जानकारी लेने लगे। रात होते होते यात्रा का विचार अपना साकार रूप लेने लगा। बगल में बैठे हमारे ब्लॉगर भाई अनुपम नाग से ये विचार साझा किया तो उन्होंने बोला चलते हैं तो कुछ ऐसे बना हमारा चित्रकूट धाम का प्लान।
अचानक प्लान बनाने की वजह से हमें ट्रेन में सीट नहीं मिली तो हमने बस से जाने का निर्णय लिया। प्रयागराज से हमने बस लिया और श्री राम का नाम लेते लेते चित्रकूट पहुंच गए। चित्रकूट में रात को हमने होटल में रूम लिया और तुरन्त फ्रेश हो के घाट के ओर अग्रसर हो गए,रात को घाट देखने का निर्णय मेरा था क्योंकि किसी ने मेरे से कहा था वहां का रात्रि व्यू बहुत ही अद्भुत हैं।
सुबह- सुबह हमने कैब बुक किया और कैब के ड्राइवर को एक लिस्ट दिया और बोला भाई आज हमे यहां यहां के दर्शन करा दो। तो चलो आपको बताते हैं हमने यहां कौन कौन से पर्यटन और आकर्षण स्थल के दर्शन किए और उस जगह से श्री राम भगवान का क्या संबंध था।
राम घाट –
चित्रकूट में दर्शन करने वाली जगह राम घाट मंदाकनी नदी के किनारे पर बना हुआ हैं। कुछ कथाओं से पता चलता हैं कि वनवास काल के समय में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने इस जगह पर कुछ समय व्यातीत किया था। सुबह के समय भक्तगण स्तुति करने के लिए नदी में खड़े होते हैं।
जानकी कुण्ड –
चित्रकूट में घूमने वाली जगहों में शामिल जानकी कुंड मंदाकनी नदी का एक सुंदर किनारा हैं। इस किनारे पर सीढियां बनी हुई हैं और यहां पर मिलने वाले पैरों के चिन्हों को माता जानकी के पैरो के निशान माने जाते हैं। भगवान राम के वनवास के दौरान यह स्थान माता जानकी का सबसे पसंदीदा स्थान था। जानकी कुंड के पास ही राम जानकी मंदिर बना हुआ हैं और यहां हनुमानी जी की विशाल मूर्ती के दर्शन भी किए जा सकते हैं।
स्फटिक शिला –
चित्रकूट का दर्शनीय स्थल स्फटिक शिला चित्रकूट में जानकी कुंड से कुछ किलोमीटर की दूरी पर मंदाकनी नदी के तट पर स्थित है। चित्रकूट के घने जंगल में स्थित इस स्थान पर एक शिला पर भगवान राम के पैरो के निशान पर्यटकों को देखने के लिए मिल जाते हैं। माना जाता हैं कि भगवान राम अपनी पत्नी सीता का यहां श्रृंगार किया था। यह वही स्थान हैं जहां जयंत नाम के एक कौवा ने सीता जी को काट लिया था जोकि एक राक्षस था।
स्फ़शिला के आसपास कुछ मंदिर भी हैं , बहुत सुन्दर तो नहीं हैं लेकिन पुराने हैं तो देखने का मन करता है। अच्छी बात लगी कि आसपास ही गाय और बंदरों को खिलाने के लिए उनका भी प्रसाद बिक रहा था , और बेचने वाले भी प्रसन्न लग रहे थे।यहां मुझे अपने यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का एक स्टेटमेंट याद आता है कि टूरिज्म एक ऐसी इंडस्ट्री है जो गरीब से लेकर अमीर तक और चाय वाले से लेकर फाइव स्टार होटल वाले तक को कमाने का अवसर प्रदान करती है।
सती अनुसुइया आश्रम –
फिर हम लोग और आगे बढ़े स्फटिक शिला से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर घने वनों से घिरा यह एकान्त आश्रम स्थित है। इस आश्रम में अत्रि मुनी, अनुसुइया, दत्तात्रेय और दुर्वासा मुनि की प्रतिमा स्थापित हैं।माता अनसुइया के मंदिर के सामने ही मंदाकिनी नदी बहती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि अत्रि अपनी पत्नी अनुसूया और तीन पुत्रों के साथ इस स्थान पर निवास करते थे। भगवान राम ने देवी सीता के साथ इस स्थान का दौरा किया था और देवी अनुसुइया ने इसी स्थान पर सीता जी को सतित्त्व का महत्व बताया था।
यह एक ऐसी जगह है जहां बैठे - बैठे आप घण्टों वक्त गुजार सकते हैं , लेकिन अपने साथ समय की समस्या थी तो चल दिए हम हनुमान धारा के तरफ। वैसे पिकनिक मनाने के नजरिए से मंदाकिनी नदी एक उत्तम जगह है। यहां हमने सबसे ज्यादा टाइम व्यतीत किया।
हनुमान धारा –
चित्रकूट धाम के दर्शनीय स्थलों में हनुमान धारा एक प्रमुख पर्यटक स्थल हैं जोकि चित्रकूट पर्यटन स्थल से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर चित्रकूट के जंगल में एक पहाड़ी पर स्थित हैं। यह स्थान हनुमान जी महाराज को समर्पित हैं और हनुमान जी के दर्शन करने के लिए सलानियों 360 सीढ़ियां चढ़के जाना होता है। चित्रकूट में भगवान राम की गाथाओं से पता चलता हैं कि लंका में आग लगाने के बाद बजरंग बलि ने इस पहाड़ी पर छलांग लगाई थी और अपनी गुस्सा को शांत करने के लिए इस धारा के ठन्डे पानी में खड़े होकर अपनी गुस्सा को शांत किया था। इसलिए चित्रकूट धाम की इस धारा को हनुमान धारा के नाम से जाना जाता है।
हनुमान धारा पहुंचते हमने देखा की सामने बहुत सारी सीढ़ियां दिखाई दे रही हैं। फिर उसे देखते हम चारो ने एक दूसरे को देखा 🙄आप ये बिकुल मत सोचना की हमने एक दूसरे को हौसला दिया ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ था।😔 फिर मैंने बोला यारो अभी कोल्ड ड्रिंक और ब्रेड पकोड़ों पर कंसर्ट्रेट करते हैं।अहाहा... आनंद आ गया और आनंद के साथ -साथ डकार भी चली आई😀 । हरिओम !! श्री राधे !!
अब चलते हैं आगे। मैं तो खैर सीढ़ियां ही चढ़कर गया वो भी बहुत मुश्किलो से लेकिन अगर किसी को ऊपर जाने में परेशानी होती है , सीढ़ियां चढ़ने में दिक्कत होती है तो यहीं नीचे ही , जहां से सीढ़ियां शुरू होती हैं वहां कहार (porter ) भी मिल जाते हैं और ले जाने के लिए टोकरी भी।
भरत मिलाप मंदिर –
चित्रकूट के दर्शनीय स्थलों में भरत मिलाप मंदिर परम दर्शनीय स्थान है जोकि परम कुटीर के नजदीक स्थित हैं। राम और भरत का मिलाप इस स्थान पर उस समय हुआ था जब भरत भगवान राम के वन जाने के बाद उनसे मिलने के लिए यहां आते हैं। भरत मिलाप की इस कथा के साथ ही भगवान राम के पद चिन्हों के निशान आज भी इस स्थान पर हैं।
कामदगिरी पर्वत –
चित्रकूट के पवित्र और रमणीय स्थानों में शामिल यहां का कामदगिरि पर्वत्त यहां आने वाले टूरिस्टों को अति-प्रिय लगता हैं। प्राचीन कथाओं के अनुसार इस खूबसूरत सृष्टी की रचना करते समय परम पिता ब्रह्मा जी ने चित्रकूट के इस पावन स्थान पर 108 अग्नि कुंडों के साथ हवन किया था। अपने निर्वासन काल के दौरान भगवान राम ने भी इस स्थान पर कुछ समय व्यतीत किया था। धनुषाकार इस पर्वत पर एक विशाल झील है जो सैलानियों को आकर्षित करती हैं।
परम कुटी –
चित्रकूट में घूमने वाली जगहों में परम कुटी एक पवित्र स्थान हैं, जोकि निर्वासन काल के दौरान श्री लक्ष्मण ने भगवान राम और सीता जी के लिए एक झोपडी के रूप में बनाई थी। जंगल से बांस और अन्य जंगली वस्तु एकत्रित करके इस परम कुटी को बनाया गया था।
भरत कूप –
चित्रकूट धाम में देखने के लिए भरत कोप एक पावन स्थान हैं। चित्रकूट के पश्चिम में लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर भरतपुर गांव के पास एक विशाल कुआ हैं। माना जाता है कि जब भरत भगवान श्री राम को वन से वापिस लाने में असमर्थ हो जाते है, तो वह अत्रि महर्षि की आज्ञानुसार सभी पावन स्थानों से जल लाकर इस कुएं में डालते हैं।
राम सिया गांव –
चित्रकूट में देखने लायक स्थान में शामिल राम सिया गांव चित्रकूट टूरिस्ट प्लेस का एक अहम हिस्सा हैं। चित्रकूट टूरिस्ट प्लेस राम सिया गांव पिल्ली-कोठी आश्रम से 3 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम में बिहारा के पास स्थित हैं। इस स्थान के बारे में कहाँ जाता हैं कि वनवास के दौरान भगवान राम और सीता जी एक विशाल शिला पर विश्राम करते थे। यहां पर धनुष और विस्तर के निशान होने की बात कही जाती हैं।
वाल्मीकि आश्रम –
चित्रकूट में घूमने वाली जगहों में वाल्मीकि आश्रम एक प्रमुख स्थान है जोकि इलाहाबाद रोड पर जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह पवित्र आश्रम वाल्मीकि नदी के तट पर एक उंची पहाड़ी पर स्थित है। भगवान राम की कथाओं से यह पता चलता हैं, कि 14 वर्षो का वनवास भोगने के बाद भगवान राम ने जब माता सीता का त्याग कर दिया था। तब वह इसी स्थान पर रुकी थी और लव-कुश नामक दो बालको को जन्म दिया था।
शबरी फाल्स –
चित्रकूट में घूमने वाली जगहों में शबरी फाल्स मारकुंडी गांव से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर जमुनीहाई गांव के पास मंदाकनी नदी के उद्गम स्थान पर एक खूबसूरत झरना हैं।
विराध कुंड –
चित्रकूट में देखने वाले स्थानों में विराध कुंड अमरावती आश्रम रोड पर बंबीहा और टिकरिया गांव में स्थित एक विशाल कुंड हैं। शबरी फॉल से इसकी दूरी लगभग 6 किलोमीटर हैं। माना जाता हैं कि इस जलाशय का पानी पाताललोक तक पहुंचता है। पौराणिक कथाओं से पता चलता हैं, कि इस स्थान पर एक विरध नाम का राक्षस रहता था। जिसे बाद में भगवान राम ने मारा था। यह राक्षस इस कुंड के जरिए पाताललोक भाग जाया करता था।
गणेश वाग –
चित्रकूट के दर्शनीय स्थलों में शामिल गणेश वाग इलाहाबाद-चित्रकूट मार्ग पर चित्रकूट से लगभग 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। इस वाग का निर्माण पेशवा राजा विनायक राव द्वारा किया गया था।
गुप्त गोदावरी –
चित्रकूट में घूमने वाला स्थान गुप्त गोदावरी राम घाट के दक्षिण में 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक आकर्षित गुफा है। माना जाता हैं कि गोदावरी गुफा के अंदर की चट्टानों से एक बारहमासी धारा निकलती हैं और गोदावरी नदी की और एक अन्य चट्टान में बहती हुई गायब हो जाती हैं। एक अन्य रहस्यमयी बात यह हैं कि एक विशाल चट्टान को छत से बाहर निकलते हुए देखा जाता है। कहते हैं कि यह विशाल दानव मयंक का अवशेष है।
चित्रकूट घूमने जाने का सबसे अच्छा समय –
चित्रकूट भारत के मध्य प्रदेश राज्य का एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। इस स्थान पर रामनवमी और दीवाली जैसे त्योहारों को बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता हैं। चित्रकूट घूमने का सबसे अच्छा समय जुलाई से मार्च महीने का माना जाता हैं।
चित्रकूट में खाने के लिए प्रसिद्ध स्थानीय भोजन –
चित्रकूट धाम अपने यहां आने वाले पर्यटकों के लिए शानदार भोजन की पेशकश करता हैं। चित्रकूट एक धार्मिक स्थल हैं इसलिए यहां शुद्ध शाकाहारी भोजन ही अधिक देखने और चखने के लिए मिलेगा। आप जब चित्रकूट धाम की यात्रा करे तो यहां का लोकल फूड जरूर चखे।
चित्रकूट में कहाँ रुके –
चित्रकूट के प्रमुख दर्शनीय स्थलों की यात्रा करने के बाद यदि आप चित्रकूट में रुकने के स्थान की तलाश कर रहे हैं, तो हम आपको बता दें कि चित्रकूट में कई लो-बजट से लेकर हाई-बजट के होटल आपको मिल जायंगे। तो आप अपनी सुविधानुसार होटल ले सकते है।
श्री जी भवन
रिवर फ्रंट रिजॉर्ट
होटल रुद्र
सुरेंद्र पैलेस
आनंद धाम गेस्ट हाउस
चित्रकूट धाम कैसे जाये –
चित्रकूट की यात्रा पर जाने वाले पर्यटक फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का भी चुनाव कर सकते है।
चित्रकूट की यात्रा पर जाने के लिए यदि आपने हवाई मार्ग का चुनाव किया हैं, तो हम आपको बता दे की चित्रकूट के सबसे निकटतम इलाहाबाद हवाई अड्डा है। जोकि चित्रकूट से 135 किलोमीटर की दूरी पर है।
चित्रकूट से 8 किलोमीटर की दूरी पर कर्वी रेलवे स्टेशन है जोकि चित्रकूट का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन हैं। कर्वी रेलवे स्टेशन झांसी-मानिकपुर रेलवे लाइन पर स्थित है और भारत के सभी प्रमुख शहरो से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
चित्रकूट दर्शन के बाद हम रीवा की तरफ़ अग्रसर हो गए, वहां के दो फेमस जलप्रपात देखने के लिए।