हमारी इस पृथ्वी पर रामायण काल समय के दौरान की, ना जाने कितनी ही ज्यादा धार्मिक, हिन्दू पौराणिक कथायें प्रचलित हैं जो हमें भूतकाल में ले जाने और उस वक्त के बारे में हमें अधिक जानने के लिए थोड़ा मजबूर जरूर कर देतीं हैं। एक ऐसा ही प्रचलित धार्मिक स्थान भारत के उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के मध्य में स्थित चित्रकूट है। जहां भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता ने अपने वनवास बिताए थे। अपने 14 बर्षों के वनवास में से 11 वर्ष भगवान राम ने चित्रकूट में ही बिताए थे। आपको बता दूं चित्रकूट मे ऐसी बहुत सी धार्मिक और खूबसूरत जगहें हैं जो हमें रामायण काल का अनुभव देती हैं। आज हम आपको उन्हीं खूबसूरत जगहों के बारें में बताने जा रहे हैं जहां धार्मिक विचारों और प्रकृति प्रेमियों के लिए चित्रकूट अपनी बाहें फैलाए हुए बैठा हैं।
1. जानकी कुण्ड
प्रकृति प्रेमियों के लिए चित्रकूट के मंदाकिनी नदी का जानकी कुंड एक बेहद खूबसूरत और धार्मिक दार्शनिक स्थल है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहाँ माता सीता जी के पैरों के निशान विद्यमान हैं। वनवास के समय माता सीता इसी कुंड पर स्नान करने आतीं थी। इसी कुंड में माता सीता जी के आज भी पैरों के निशान देखने को मिल जाएंगे। इसी कुंड के पास भगवान राम जी का एक खूबसूरत मंदिर बना हुआ है जिसकी गरिमा आज भी देखने लायक है। आज के समय में पर्यटक यहाँ दूर दूर से इस कुंड में स्नान करने के लिए आते हैं और अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते हैं।
2. कामदगिरी पर्वत
चित्रकूट के सबसे खूबसूरत स्थानों में शुमार कामदगिरी पर्वत अपनी खूबसूरती के लिए विश्व विख्यात है। यहाँ आकर हर पर्यटक का मंत्रमुग्ध होना लाजमी ही है। पौराणिक कथाओं के अनुसार चित्रकूट के इस पवित्र जगह पर ब्रह्मा जी ने संसार की रचना करते समय एक साथ 108 अग्नि कुंडों के साथ हवन किया था। इसके अलावा रामायण काल में श्री राम जी ने अपने वनवास के समय कुछ पल यहीं पर गुजारे थे। जो कि अपने आप में ही एक रमणीय स्थानों की सूचीयौं में आता है।
3. हनुमान धारा
चित्रकूट शहर से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हनुमान धारा जो कि एक रोमांचक पर्यटन स्थल है। यह मंदिर हनुमान धारा जी के नाम से प्रसिद्ध है। प्रसिद्ध होने की वजह इसकी 360 सीढियां हैं जिन्हें पर्यटकों को चड़ कर जाना होता है। जो कि अपने आप में एक रोमांचकारी होता है। यहाँ का वातावरण बहुत ही आकर्षक होता है। चित्रकूट के लोगों के अनुसार रामायण काल में हनुमान जी ने लंका में आग लगाने के बाद इसी धारा पर स्नान किया और अपने गुस्से को शांत किया था। इसी कारण आज इस जगह को हनुमान धारा के नाम से जाना जाता है।
4. सती अनुसुइया आश्रम
चित्रकूट को उसकी देश विदेश में पहचान दिलाने के लिए चित्रकूट का प्रसिद्ध और धार्मिक पर्यटन स्थल माता सती अनुसूइया आश्रम का एक बहुत बड़ा योगदान है जो कि चित्रकूट शहर से मात्र 16 किलोमीटर की दूरी पर एक हरे भरे क्षेत्र में मौजूद है। जो भी पर्यटक अगर चित्रकूट घूमने आता है तो बह इस आश्रम में अपनी भक्ति और प्रकृति की खूबसूरती को नजदीक से निहारने जरूर आता है।
5. चित्रकूट जलप्रपात और दंतेवाड़ा मां काली मंदिर
चित्रकूट में सबसे मुख्य एक चित्रकूट जलप्रपात नाम से विख्यात जलप्रपात है जो कि यहाँ आने वाले हर प्रकृत्ति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित जरूर करता है। इस जलप्रपात के आसपास की हरियाली और शांत वातावरण यहां आने वाले हर पर्यटक को मंत्रमुग्ध कर देता है। चित्रकूट से मात्र तीन घंटे की दूरी पर स्थित है दंतेवाड़ा माँ काली का आलौकिक मंदिर, जहां जाना हर धार्मिक विचार वालों की पहली पसंद रही है।
6. शबरी फाल्स
वाटर फाल के दिवानों के लिए शबरी फाल्स एक बेहद रोमांचकारी स्थान है जो कि चित्रकूट के मारकुंडी गांव से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर जमुनीहाई गांव के पास मंदाकिनी नदी के एक खूबसूरत स्थान पर स्थित है। जहां के आसपास का शांत और हरियाली भरा वातावरण बेहद मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है।
कैसे पहुंचे?
वायु मार्ग से -चित्रकूट का नजदीकी विमानस्थल इलाहाबाद है। खजुराहो चित्रकूट से 185 किलोमीटर दूर है। चित्रकूट में भी हवाई पट्टी बनकर तैयार है लेकिन यहां से उड़ानें अभी शुरू नहीं हुई हैं। यहां से आप बस या टैक्सी ले कर चित्रकूट आराम से पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग से - चित्रकूट से 8 किलोमीटर की दूर करवी निकटतम रेलवे स्टेशन है। यहां से आप टैक्सी या कैब ले कर चित्रकूट आराम से आ सकते हों।
सड़क मार्ग से -चित्रकूट के लिए इलाहाबाद, बांदा, झांसी, महोबा, कानपुर, छतरपुर,सतना, फैजाबाद, लखनऊ, मैहर आदि शहरों से नियमित बस सेवाएं हैं। दिल्ली से भी चित्रकूट के लिए बस सेवा उपलब्ध है।
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