लोग अपने बच्चों को चिड़ियाघर और सर्कस दिखाने ले जाते हैं | मगर बचपन से ही मुझे पिंजरे में क़ैद जानवरों को चाबुक के ज़ोर पर नाचते देखने में कोई दिलचस्पी नहीं रही है | आज जब मैं थोड़ा बड़ा हो गया हूँ तो समझ आया है कि जानवरों को पिंजरे में क़ैद करके उनकी आज़ादी छीनना कितना ग़लत है |
क्या जानवरों को भी हमारी ही तरह आज़ाद घूमने का अधिकार नहीं है ?फिलहाल ये मुद्दा काफ़ी चर्चा का विषय रहा है , और रहना भी चाहिए |
आप खुद सोचिए, क्या ये दरिंदगी का काम नहीं है?
जानवरों को ज़िंदगी भर के लिए छोटे-छोटे पिंजरों में क़ैद रखना, जहाँ वे ज़िंदगीभर ना खुल कर दौड़ सकते हैं, ना शिकार कर सकते हैं, ना खुली हवा में साँस ले सकते हैं; वो भी सिर्फ़ हमारे मनोरंजन के लिए ?
जो लोग मेरी इस बात से सहमत हैं, उन्हें जान कर खुशी होगी कि चीन के एक चिड़ियाघर ने इंसानों को प्रकृति और जानवरों के करीब लाने की कोशिश की है, वो भी बिना जानवरों को बंदी बनाए |
लेहे लेदू वाइल्डलाइफ़ ज़ू,चीन
लेहे लेदू वाइल्डलाइफ़ ज़ू में बाघ, भालू और ऐसे ही अन्य जानवर खुले घूमते हैं और इन्हें देखने आने वाले लोगों को पिंजरे में रखा जाता है | इस तरह से लोग इन बड़े जानवरों को अपने प्राकृतिक परिवेश में खुले घूमते देख पाते हैं, और दुनिया के ज़्यादातर चिड़ियाघरों की तरह जानवरों को छोटे-छोटे पिंजरों में क़ैद करके रखने की भी ज़रूरत नहीं पड़ती |
चिड़ियाघर के स्पोक्स्पर्सन चान लांग का मानना है इस चिड़ियाघर के ज़रिए बड़े और ख़तरनाक जानवरों को देखने आने वाले लोगों की सुरक्षित तौर पर उन्हें एक ऐसी जगह लाना चाहते थे, जहाँ वे इस जानवरों को बेहद करीब से देख पाएँ |
इस ज़ू में लोगों को एक पिंजरेनुमा ट्रक में बिठाकर चिड़ियाघर की सैर करवाई जाती है। इस टूर को रोमांचक बनाने के लिए पिंजरे से ही माँस के टुकड़े लटका दिए जाते हैं जिसे देखकर शेर और बाघ पिंजरे के बेहद करीब आ जाते हैं। इतनी करीबी से इन खतरनाक जानवरों को देखना जितना अद्भुत होता है उतना ही दिल दहलाने वाला भी।
अगर आप भी ऐसे अनुभव के दीवाने हैं, फटाफट चीन के इस अनोखे चिड़ियाघर की टिकट बुक करा लें। पहले ही बता दूँ, यहाँ महीनों पहले ही बुकिंग फुल हो जाती है।