कहते है प्रकृति की गोद में एक अलग ही सुकून होता है।वो हमे अंदर से तरो ताज़ा तो करता है ही साथ ही हमारे अंदर एक ऊर्जा भर देता है जिससे हम फिर से रिस्टार्ट हो जाते हैं। आज हमारी लाइफ़ इतनी बिजी हो गई है कि जैसे ही हमे थोड़ा सा वक्त मिलता है हम इस भीड़ से दूर कहीं शान्ति की तलाश में निकल पड़ते है। आज हम आपको देव भूमि उत्तराखंड की एक ऐसी ही जगह के बारे मे बताएंगे जो बहुत ज्यादा चर्चित तो नही है पर यहां पहुंचने के बाद आपको ऐसा लगेगा मानो आप स्वर्ग में हो।जहां हिमालय की ऊंची ऊंची चोटी और चारो ओर प्रकृति की हरियाली,नदिया,झरने और भी बहुत कुछ होंगे जिसे देखकर आपका दिल सुकून से भर जाएगा।
चौकोड़ी
दिल्ली से 530 किमी दूर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की बेरीनाग तहसील में स्थित चौकोरी एक छोटा सा पहाड़ी गांव है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 2010 मीटर की है।यह गांव पश्चिमी हिमालय की पर्वत श्रृंखला के पास स्थित है। यहां से आपको हिमालय के सुंदर दृश्य के साथ ही साथ चाय के बागान भी देखने को मिलेंगे।सर्दियों में यहां चारो ओर आपको बर्फ की चादर में लिपटा हुआ मनोरम दृश्य देखने को मिलेंगे।वैसे तो सभी पहाड़ एक जैसे ही दिखते है पर यहां आपको सुकून और प्रकृति से जो लगाव दिखेगा वो और कहीं नहीं।चौकोड़ी और इसके आसपास का क्षेत्र महाभारत काल का भी हिस्सा है। इसलिए प्रकृति के अलावा धार्मिक लोगों की दृष्टी से भी चौकोड़ी के आसपास कई बेहतरीन दृश्य हैं। चौकोड़ी में ही है गोलू देवता का अवतार चौकोड़ी बुब्बू का मंदिर। पाताल भुवनेश्वर, नकुलेश्वर मंदिर, अर्जुनेश्वर शिव मंदिर, नाग मंदिर, कपिलेश्वर, महादेव जैसे कई मंदिर चौकोड़ी से बहुत कम दूरी पर हैं।
चौकोड़ी के मुख्य आकर्षण
यह एक ऑफ बीट जगह है इसलिए आपको यहां घूमने के उतने ऑप्शन नहीं मिलेंगे।लेकिन अगर आप अपने किसी खास के साथ क्वालिटी टाइम बिताना चाहते है या फिर आप खुद के लिए ही किसी सुकून की तलाश में है तो यह जगह आपके लिए बिलकुल परफेक्ट है।इसके अलावा आप यहां इन जगहों पर भी घूम सकते हैं।
1. गंगोलीघाट
गंगोलीहाट जगह हाट कलिका मंदिर नामक सिद्धपीठ के लिये प्रसिद्ध है। इस सिद्ध पीठ की स्थापना आदिगुरू शंकराचार्य के द्वारा की गयी थी।ऐसी मान्यता है कि हाट कलिका देवी रणभूमि में गए जवानों की रक्षा करती है।
2. पाताल भुवनेश्वर
चौकोरी से लगभग 40 किमी की दूरी पर स्थित पाताल भुवनेश्वर नामक एक मंदिर गुफा है जिसका संबंध महाभारत काल से माना जाता है।ऐसी मान्यता है कि यही वह स्थान है जहां पांडवो ने तपस्या की थी।प्राथमिक रूप से यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि इस गुफा में 33करोड़ देवी-देवताओं का निवास है।इस गुफा में प्रवेश के लिए एक बहुत ही संकरा रास्ता है जो तकरीबन 100 फीट नीचे की ओर जाता है।
3. चिन्नेश्वर वॉटरफॉल
चिन्नेश्वर वॉटरफॉल, उत्तराखंड के खूबसूरत वॉटरफॉल्स में से एक है। कुमांऊ के गराऊं गांव में 160 फीट ऊंचा ये वॉटरफॉल चारों ओर पाइन के जंगलों से घिरा हुआ है। इस जगह के बारे में भी लोग कई सारी बातें बताते हैं। उनका मानना है कि वॉटरफॉल के पीछे भगवान शिव का मंदिर है जिसे पार कर मंदिर तक पहुंचना बहुत ही मुश्किल। तो अगर आप चौकोरी में हैं तो इस जगह को जरूर देखने जाएं।
4. नागदेवता मंदिर
चौकोरी से 12 किमी की दूरी पर बेरीनाग में स्थित है ये मंदिर। नागदेवता मंदिर के अलावा यहां और भी कई सारे नाग मंदिर हैं। मंदिर के बारे में कहा जाता है कि कालीनाग और श्रीकृष्ण के बीच युद्ध हुआ था जिसमें कालीनाग की हार हुई थी। जिसके बाद भगवान ने उसे यमुना नदी से जाने को कहा था। और वो अपने अनुयायियों के साथ इस जगह पर आकर बस गया था। ये सिर्फ मंदिर ही नहीं बल्कि हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल भी है।
5. धरमघर
धरमघर चौकोरी से 9 किमी दूर है। गांधी जी के पगचिन्हों पर चलने वाली सरला बहन ने अपनी जिन्दगी के अन्तिम कुछ पल यहां पर ही गुजारे थे। धरमनगर में हिमदर्शन के नाम सरला बहन का एक कुटीर है। यहां से हिमालय पर्वत के चोटियों का नजारा दिखाई देता है।
चौकोड़ी घूमने का सबसे अच्छा समय
चौकोड़ी घूमने का सबसे अच्छा समय गर्मियों का होता है। अप्रैल से जून के बीच आप यहां सुहाने मौसम का मजा ले सकते है और हिमालय पर्वत के सुंदर नजारे देख सकते है।।अगर आप बर्फ बारी देखना चाहते है तो आप यहां दिसंबर से फरवरी के बीच बर्फबारी का आनंद लें सकते है।
कैसे पहुंचे?
हवाईमार्ग: चौकोरी में अपना कोई एयरपोर्ट नहीं है लेकिन पंतनगर, सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। जो शहर से लगभग 223 किमी की दूरी पर है और ज्यादातर शहरों से जुड़ा हुआ है। एयरपोर्ट से आप टैक्सी द्वारा 3 से 4 घंटे में चौकोरी पहुंच सकते हैं।
रेलमार्ग: शहर से लगभग 180 किमी की दूरी पर स्थित काठगोदाम, यहां तक पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। वैसे स्टेशन के बाहर कैब और टैक्सी की सुविधाएं अवेलेबल रहती हैं।जिससे आप यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।
सड़कमार्ग: यहां तक डायरेक्ट बसें नहीं चलती तो आप काठगोदाम या अल्मोड़ा तक की बस ले सकते हैं और फिर यहां से चौकोरी पहुंच सकते हैं।
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