आपने भारत के चार धाम की यात्रा तो सुनी होगी जो कि भारत के अलग-अलग राज्यों में स्थित चार धाम है। जैसे कि रामेश्वरम, बद्रीनाथ, द्वारका और पूरी यह भारत के अलग-अलग राज्यों में चार धाम है। लेकिन हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के चार धाम की अगर आपके पास बजट कम है तो आप भारत के चार धाम की यात्रा की बजाए उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा कर सकते हैं जो कि इस प्रकार हैं।
केदारनाथ
यह वही स्थान है जहां पर आदि शंकराचार्य ने 32 वर्ष की आयु में समाधि में लीन हुए थे। केदारनाथ धाम भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं। यह मंदिर बहुत ही भव्य और सुंदर बना हुआ है। इस मंदिर की ऊंचाई समुद्र तल से 3593 फिट है। इस मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर में जो पुजारी होता है वह पुजारी मैसूर के जंगम ब्राह्मण ही होते हैं। शंकर बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में श्री केदारनाथ में पूजे जाते हैं।शीतकाल में केदारघाटी बर्फ से ढंक जाती है।जिस कारण नवम्बर माह मे मंदिर के कपाट बन्द कर दिये जाते है। ओर ये कपाट 6 माह बाद ही खुलते हैं। इस मंदिर के कपाट खुलने और बंद करने का कार्य मुहूर्त के हिसाब से किया जाता हैं।
इस मंदिर मे जाने का समय-केदारनाथ जी का मन्दिर आम दर्शनार्थियों के लिए प्रात: 7:00 बजे खुलता है।
विशेष पूजा के इस मंदिर में दोपहर 1:00 बजे से 2:00 बजे के बीच होती है।
रात्रि 8:30 बजे यह मंदिर बंद कर दिया जाता है।
कैसे पहुँचें?
आप गोरीकुंड तक वाहन के द्वारा जा सकते है। उसके बाद आपको 14 किलो मीटर की ट्रैकिंग करके इस मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
बद्रीनाथ
बद्रीनाथ मंदिर को बद्रीनारायण मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के बद्रीनाथ शहर में स्थित है। यह मंदिर उत्तराखंड के चार धामों में से एक है। बद्रीनाथ मंदिर समुद्र तल से 3100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर के बारे में कोई पुख्ता सबूत नहीं है की यह मंदिर कितने साल पुराना है इस मंदिर का उल्लेख कई वेदों पुराणों में मिलता है। इस मंदिर में हिंदु धर्म के देवता विष्णु की पूजा बद्री नारायण के रूप में की जाती है। यह मंदिर भारत के चार धामों के अलावा उत्तराखंड के चार धामों में गिना जाता है। इस मंदिर की खास बात यह है कि इस मंदिर के मुख्य पुजारी को रावल कहां जाता है।खास बात यह है की मंदिर के पुजारी दक्षिण भारत के केरल राज्य के नम्बूदरी सम्प्रदाय के ब्राह्मण होते है।
दर्शन करने का समय-मंदिर आम जनता के दर्शन के लिए सुबह 7-8 बजे के आसपास खुलता है।
मंदिर में दोपहर 1:00 बजे से लेकर साय 4:00 बजे तक अवकाश रहता है।
गंगोत्री
गंगोत्री उत्तराखंड जिले का एक शहर भी है।इस स्थान को गोमुख कहे तो गलत नहीं है। क्योंकि गोमुख को ही गंगोत्री के नाम से जाना जाता हैं। यह भारत के धार्मिक और अध्यात्मिक स्थानों में से एक है।
इसी स्थान से भागीरथी नदी निकलती है। पुराणिक कथाओं के अनुसार राजा भागीरथ के नाम पर इस नदी का नाम भागीरथ रखा गया। भागीरथ द्वारा पूजा अर्चना कर गंगा को पृथ्वी पर लाए थे।
गंगा नदी गोमुख से निकलती है।इस जल को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र जल माना गया है। चाहे घर में पूजा अर्चना करनी हो या मंदिर में इस जल से सबसे पहले जल अभिषेक करके पूजा अर्चना शुरू की जाती है।
स्थान पर गंगोत्री मंदिर भी स्थित है।मंदिर के समीप 'भागीरथ शिला' है जिसपर बैठकर उन्होंने गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए कठोर तपस्या की थी।
कैसे पहुँचें?
गंगोत्री भारत के कई राज्य से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। अगर आप गंगोत्री जाना चाहते हैं तो आपको दिल्ली से गंगोत्री की दूरी 452 किलोमीटर है और ऋषिकेश से गंगोत्री की दूरी 229 किलोमीटर है। सड़क मार्ग द्वारा भी गंगोत्री आसानी से पहुंचा जा सकता है।
यमुनोत्री
यही वह स्थान है जिस स्थान से भारत के पवित्र नदी यमुना नदी निकलती है इसलिए स्थान को यमुनोत्री के नाम से जाना जाता है। इस स्थान पर यमुना देवी का मंदिर भी स्थित है। पौराणिक कथाओं में यमुना को सूर्य की पुत्री भी कहा गया है। यह स्थान उत्तरकाशी जिले की राजगढी मे स्थित है।इस देवी यमुना माता के मंदिर का निर्माण, टिहरी गढवाल के महाराजा प्रताप शाह द्वारा किया गया था।
कैसे पहुँचें?
सड़क मार्ग द्वारा भी स्थान पर आसानी से पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से यमुनोत्री तीर्थ स्थान की दूरी 430 किलोमीटर है। अगर आप ऋषिकेश से यमुनोत्री की दरी 105 किमी है। जिससे की आप आसानी से यमुनोत्री की यात्रा कर सकते हैं। उत्तराखंड परिवहन द्वारा वहां पर जाने के लिए बस सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
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