आ रही है सर्दी, अब करें चादर ट्रेक की तैयारी। यहाँ लीजिये पूरी जानकारी 

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हर भारतीय एडवेंचर ट्रैवलर जो कि खतरनाक ट्रेक ,रोडट्रिप या एक्टिविटीज में लगे रहते हैं। उनकी बकेट लिस्ट में कुछ जगहों/चीजों के नाम तो जरूर होते हैं जैसे - मनाली-लद्दाख-श्रीनगर बाइक ट्रिप ,स्पीति वैली बाइक ट्रिप ,कैलाश मानसरोवर यात्रा,एवेरेस्ट बेस कैंप ट्रेक, कश्मीर से कन्याकुमारी बाइक ट्रिप ,ओडेन्स कॉल ट्रेक आदि। इन सबके अलावा एक नाम जो होता है वह है - चादर ट्रेक

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चादर ट्रेक ,लद्दाख का वह सबसे खतरनाक ट्रेक जो कि हर एक ट्रैवेलर्स की बकेट लिस्ट का हिस्सा तो होता हैं ,परन्तु इसे कर बहुत ही कम लोग पाते हैं। पर ऐसा क्यों ? ये जानेंगे हम आज के इस आर्टिकल में। इसके अलावा काफी लोगों के मन में ये भी सवाल आते हैं कि इसमें कितने किलोमीटर की चढ़ाई करनी होती हैं , इसको चादर ट्रेक क्यों बोलते हैं या ट्रेक के दौरान कितनी ठंड पड़ती हैं। ये सब चीजे आज इस आर्टिकल में कवर होगी ।इस साल भी अगर आप लदाख बाइक ट्रिप पर नहीं जा सके तो कम से कम चादर ट्रेक के दौरान तो लेह घूम ही सकते हैं।

सर्दियों में लेह शहर -

चादर ट्रेक खतरनाक सदियों (जनवरी एवं फरवरी शुरुवात) में लेह के जंस्कार क्षेत्र में किया जाने वाला पैदल ट्रेक हैं।इस ट्रेक की खासियत यह हैं कि जनवरी फरवरी की खतरनाक ठंड में यहाँ बहने वाली जंस्कार नदी बर्फ की मोटी परत में जम जाती हैं।बस तैयार हो गयी चादर ,बर्फ की चादर। अब आपको बस इस पर चलना हैं और पहुंचना होता हैं एक विशाल झरने के पास ,जो खुद भी बर्फ से जम जाता हैं।अब आप सोच रहे होंगे इसमें क्या हैं ? ठीक हैं चल लेंगे 5 दिन -6 दिन ,दूसरे ट्रेक्स पर चलते हैं उसी तरह,खामखा चादर ट्रेक चादर ट्रेक का बतंगड़ बनाया हुआ हैं। अगर ऐसा सोच रहे हो तो आगे पढ़ते जाओ ।

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इंटरनेशनल स्तर पर फेमस यह ट्रेक करीब 9 दिन का होता हैं।किसी एजेंसी से ट्रेक का पैकेज लीजिये ,क्योकि जहाँ तक मुझे पता हैं ,यह ट्रेक एजेंसीज के द्वारा ही करना पड़ता हैं। दिल्ली से लेह की फ्लाइट लीजिये ,ट्रेक के दौरान बोर्डिंग पास संभाल कर रखिये,इसके बिना आपको ट्रेक पर जाने की अनुमति नहीं मिलेगी। जिस दिन आप लेह उतरोगे उसके बाद 2 दिन तक और आपको लेह शहर में ही रोका जाता हैं ,ताकि आप वहा के वातावरण में ढल पाओ ,क्योकि आप कम ऊंचाई के शहरों से सीधा 11500 फ़ीट की ऊंचाई के इस लेह शहर में उतरते हैं ,तो काफी लोग बीमार पड़ जाते हैं।फ्लाइट से बाहर पैर रखते ही आपको ठंड का अंदाजा हो जायेगा और आप भागे भागे अपने लगेज लेकर जल्दी से गर्म कपड़े निकाल कर पहनने लगेंगे।

अब इन्ही दो तीन दिनों में आप लेह शहर की सर्दी के मौसम वाली खूबसूरती देख पाओगे,यहाँ की कंपकपाती ठंड का अंदाजा लगा पाओगे।आप पाओगे किस तरह यहाँ पानी की भारी कमी सर्दियों में रहती हैं ,कैसे गर्म बॉटल से पानी बाहर निकलते ही कुछ ही मिनट में आपकी आँखों के सामने बर्फ बन जायेगा। बाथरूम में अगर फर्श पर थोड़ा सा पानी आप गलती से गिरा कर भूलकर चले जाओगे और कुछ मिनट में वापस आप अंदर जाओगे तो जमीन पर जमीन पर पानी से जमी बर्फ से फिसल जाओगे। शहर में हर जगह केवल सफेदी ,नदी ,नाले ,मकान ,खाली मैदान ,पेड़ ,पौधे सब कुछ बर्फ से आच्छादित।ठंड इतनी कि आपके ऊपर 5 -5 रजाई और कंबल डालने के बाद भी हाथ पैर सुन्न पड जायेंगे।हीटर वाले कमरे सामान्यत: शुरू में नहीं दिए जाते हैं ताकि हमारा शरीर इस ठंड से लड़ने में सक्षम हो सके।कुछ एजेंसी को शुरू के ये 2 से 3 दिन भी टेंट में निकलवाती हैं।

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आपको लेह शहर को दो बार घूमना चाहिए ,एक सर्दी में एवं एक बार गर्मी में। दोनों बार में आपको यहाँ की अलग अलग खूबसूरती देखने को मिलेगी।इन 2 -3 दिनों में आप लेह मार्किट ,लेह पैलेस ,आइस स्तूप ,शांति स्तूप जैसी जगह भी घूम सकते हैं। तीसरे दिन आपके मेडिकल टेस्ट होंगे जिनमे ब्लड टेस्ट ,ऑक्सीजन लेवल आदि चेक होते हैं। आपका बोर्डिंग पास देखा जायेगा कि क्या आपको लेह में तीन दिन हो चुके हैं। सब सही रहा तो ,आपको आगे ट्रेक पर भेजा जायेगा ,एक atm साइज के मेडिकल एवं एमर्जेन्सी रेस्क्यू कार्ड को देकर।

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चादर ट्रेक का एक संक्षिप्त अनुभव -

श्रीनगर रोड की ओर पत्थरसाहिब गुरूद्वारे ,मैग्नेटिक हिल ,निम्मू संगम के बाहर से गुजरते हुए ,एक गाडी में आपको उस स्थान तक ले जाया जायेगा जहा से ट्रेक चालू होता हैं। पुरे रास्ते ही आपको अपने एक तरफ जमी हुई नदी ही दिखाई देगी। करीब 10 -15 लोगों के बैच के साथ कुछ पोर्टर्स,ट्रेक लीडर ,कूक आपके साथ स्लीपिंग बैग्स ,टेंट ,मेडिकल किट ,ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर अब पुरे ट्रेक पर आपके साथ रहेंगे।आपको नदी के ऊपर उतारा जायेगा और बताया जायेगा कि आपको पैर उठाकर नहीं ,रगड़ कर आगे बढ़ना हैं। ताकि फिसल कर गिर ना जाओ। फिर भी पहले ही दिन से यात्रियों के गिरने का सिलसिला भी शुरू हो जायेगा।

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3 दिन लेह शहर के बाद अब 5 दिन इस ट्रेक पर आपको लगते हैं। अगर आपको NEYRAKS गांव के GRAND FROZEN WATERFALL से आगे बसे गाँवों में भी जाना होता हैं ,तो उनके 3 दिन अलग गिन कर चलिए। सामान्यत: वहा कोई एजेंसी ले नहीं जाती हैं। तो इस प्रकार यह ट्रेक 3 +5 =8 और एक अंतिम दिन सुबह ,जिस रीटर्न फ्लाइट हो ,वो मान लीजिये। करीब 9 दिन में यह ट्रेक खत्म हो जाता हैं दिल्ली से दिल्ली तक।

अब आ जाते हैं कि यहाँ कितना पैदल चलना होता है। जवाब है करीब 60 किमी आना जाना। कितना ऊंचाई पर चढ़ना होता हैं तो जवाब हैं जीरो। यही इस ट्रेक की खासियत हैं आपको चढ़ना वढ़ना नहीं बल्कि पैदल ही चलना होता हैं। लेकिन यह इतना आसान नहीं होता ,क्योंकि जीरो से निचे के यहाँ के तापमान में आप कई दफा गिरते हैं ,आपको चोट भी लगती है, खून खच्चर भी हो जाते हैं, पैदल ही जाना होता है केदारनाथ /अमरनाथ की तरह खच्चरों पर बैठकर जाने की कोई सुविधा नहीं है,कई बार फ्रेक्चर भी हो जाते हैं। यहाँ तक कि कम मोटाई की बर्फ पर पैर रखदो तो बहती हुई कई फ़ीट गहरी ,चिलचिलाती ठंडी नदी में गिर सकते हो।नींद ना आना ,हाथ पैर इस तरह सुन्न पड़ना कि काटो तो भी दर्द नहीं ,जैसी चीजे यहाँ आम बात हैं। चादर टूट जाने पर आगे बढ़ने का रास्ता बंद हो जाने पर आप फंस भी सकते हैं या अधूरे ट्रेक से ही लौटना पड़ सकता हैं।ऊपर से ,रात को तापमान -30 डिग्री तक खतरनाक। जैसे तैसे नींद आएगी ,तो सुबह उठते ही नाक ,बाल ,कान पर बर्फ जमी मिलेगी। नहाना क्या होता हैं ,यह तो यहाँ अगर याद भी आजाये तो सोचकर ही हाथ पैर फिर फिर सुन्न पड़ जाते हैं वैसे तो आएगा ही नहीं।

ट्रेक के दौरान काम आने वाले सामान -

कपडे ,हाथ पेरो के मौजे ,दस्ताने एक नहीं ,एक ही साथ दो दो या तीन तीन पहनने पड़ेंगे जो कि पांच दिन तक आप खोलने का सोचोगे भी नहीं। गिर गिर कर आपके कपडे भी गंदे होकर कीचड़ में भरे हुए लगेंगे। जब आप बिना नहाये ही कीचड़ में भरे इन कपड़ों मे शहर पहुंचोगे तो आदिवासी वाली फीलिंग भी आ सकती हैं। क्योकि शहर में घूम रहे पर्यटक लोग आपके हुलिए को तिरछी नजरों से देखेंगे जरूर।

अन्य ट्रेक्स से यह ट्रेक कुछ अलग और ज्यादा ठंडा होने की वजह से यहाँ साथ ले जाने के सामान भी थोड़े ज्यादा ही ले जाने होंगे है। वैसे इसकी जानकारी भी मैं दे देता हूँ कि आपको यहाँ क्या-क्या साथ ले जाना चाहिए। लिस्ट इस प्रकार है -

1. polarised sunglasses

2. monkey cap

3. 3-3 pairs of woolen and synthetic socks

4. comfortable trekking shoe

5. gum boots

6. rain coat

7. down jacket

8. gloves - 2 pairs,waterprrof

9. 3 to 4 full layer woolen t-shirts

10 headtorch /normal torch

11.trekking pole

12.rain trousers and thermals

13.sunscreen lotions

14.insulated water bottle

15.first aid kit

16.towels

17.dryfruits and chocolates

18. toiletry

19. colgate flex mouthwash

20. comfortable rucksack or duffle bag.No trolly bags.

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कुल मिलकर यहाँ मुख्य चेलेंज अत्यधिक कम तापमान को सहन करना और खतरनाक बर्फीले रास्तों से खुद को सही सलामत वापस लेकर आना होता हैं।चादर ट्रेक पर मैंने पूरी सीरीज भी लिखी हुई हैं ,जिसमे हर दिन का मेरा वृतांत लिखा हुआ हैं ,जिसे आप फेसबुक पर पढ़ सकते हैं। डिस्कवरी द्वारा बनाई इसकी डॉक्युमंट्री देख सकते हैं और हां फिर भी कोई जानकारी रह जाए तो मुझसे तो पूछ ही सकते हैं।

धन्यवाद

-ऋषभ भरावा (लेखक ,पुस्तक :चलो चले कैलाश )

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