हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित देवभूमि उत्तराखंड प्राकृतिक सौंदर्य एवं धार्मिक यात्राओं की वजह से विश्वप्रसिद्ध हैं। यहाँ पर हिन्दू धर्म के अनेक मंदिर हैं कही दुर्गम ट्रैकिंग करके पहुंचना पड़ता तो हैं तो कही आप सीधा अपनी गाडी से भी पहुंच सकते हैं। आज बात करते हैं उत्तराखंड के ऐसे ही एक मंदिर की जहाँ करीब 9 साल बाद माता की मूर्ति वापस अपनी जगह स्थापित हुई हैं। करीब 9 साल पहले जून 2013 में उत्तराखंड में भारी आपदा आयी थी जिसमें कि हज़ारों जाने गई थी। कहते हैं कि आपदा के कुछ घंटे या शायद कुछ ही दिन पहले ही धारी देवी मंदिर से माता की मूर्ति को एक हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के कारण अपनी मूल जगह से विस्थापित किया गया और फिर माता के प्रकोप से वहां भीषण आपदा आई। तो जानते हैं इस मंदिर के बारे में:
'धारी देवी मंदिर', उत्तराखंड राज्य में स्थित एक हिंदू मंदिर है। मंदिर श्रीनगर से करीब 15 किमी. दूर ही अलकनन्दा नदी में स्थित है।यह मंदिर माँ धारी देवी को समर्पित है, जो माँ काली की एक अवतार मानी जाती हैं। माँ धारी देवी को उत्तराखंड की चार धाम यात्रा की संरक्षक देवी मानी जाती हैं और इसीलिए यह मंदिर स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों द्वारा पूजनीय हैं।इस मंदिर का फोटो मैंने सोशल मीडिया पर काफी बार देखा था और इसकी खूबसूरती और लोकेशन देखकर मुझे यहाँ जाने का मन तो था। 2021 में केदारनाथ यात्रा के दौरान गाडी में बैठे हुए मुझे अचानक से यह मंदिर दूर से ही नजर आया और मुझे याद आया कि यह तो वो ही मंदिर हैं जिसके खूब सारे फोटोज सोशल मीडिया पर मैंने देखे हैं।
एकदम मुख्य हाईवे पर नदी के बीच में ही यह मंदिर बना हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए ऊपर सड़क से पैदल उतरकर काफी निचे झील के पास तक जाना होता हैं। जब मैं यहाँ गया था तब मंदिर के एक भाग में निर्माण कार्य चल रहा था। मैंने आराम से माता की काले पत्थर की मूर्ति के दर्शन किये। यह मूर्ति केवल सिर की ही थी ,धड़ का कोई हिस्सा वहां नहीं था। इसके पीछे कई कथाये प्रचलित हैं। जैसे एक कथा के अनुसार कई सौ सालों पहले 13 साल की एक कन्या (माँ धारी देवी ) का सिर उनके धड़ से अलग कर दिया गया था और फिर सिर नदी में बहता हुआ इस स्थान तक आया। यहाँ एक व्यक्ति से इस कटे हुए सिर ने बात की और इसी स्थान पर मंदिर बनवाने की बात कही।बोलते हुए सिर को देखकर उस व्यक्ति को यकीन हो गया कि यह कोई चमत्कार ही हैं इसके बाद गाँव वालों की मदद से यहाँ मंदिर की स्थापना की गई। हाँ एक और बात ,जो धड़ वाला हिस्सा हैं उसके लिए कहते हैं कि धड़ रुद्रप्रयाद के कालीमठ में एक मंदिर तक पहुंचा और वहा भी मंदिर की स्थापना हुई जो कि अभी तक मौजूद हैं।एक प्रचलित कथा के अनुसार यहाँ काले रंग की यह मूर्ति बहकर आई थी जिसें बाद में यहाँ मंदिर बनाकर स्थापित कर दिया गया।
कहा जाता हैं कि मां धारीदेवी की प्रतिमा सुबह एक बच्चे के समान लगती है, दोपहर में उसमें युवा स्त्री की झलक मिलती है और फिर शाम होते ही प्रतिमा बुजुर्ग महिला जैसा रूप धर लेती है।कई श्रद्धालु प्रतिमा में होने वाले परिवर्तन को साक्षात देखने का दावा भी करते हैं।वर्तमान में यह मंदिर नदी से करीब 100 फ़ीट ऊँचा स्थापित हैं और लाल रंग का बना हुआ है। 2013 से पहले यह मंदिर काफी विशाल और सफ़ेद रंग का हुआ करता था। किसी हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के सिलसिले में मूर्ति को अपने मूल स्थान से हटाया गया और कुछ ही घंटों बाद उत्तरांखंड में तबाही आ गई।
अभी जनवरी 2023 में करीब नौ साल बाद माता को पुन: अपने मूल स्थान पर स्थापित किया गया हैं।चार धाम यात्रा वाले श्रद्धालु यहाँ दर्शन करने जरूर आते हैं।
कैसे पहुंचे : यह मंदिर दिल्ली से करीब 360 किमी दूर हैं।नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश और हवाई अड्डा देहरादून एयरपोर्ट हैं। यहाँ तक दिल्ली ,देहरादून और ऋषिकेश से सड़क मार्ग द्वारा भी पंहुचा जा सकता हैं।
फोटो : दिवाली 2021 से एक दिन पहले की हैं।
-ऋषभ भरावा
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