समय था दिसंबर 2019 की एक सर्द शाम का। आज ऑफिस का काम समय से पहले खत्म हो चुका था ,जिम जाने में एक घंटा बाकी था तो सोचा कि कुछ समय इंटरनेट पर व्यतित किया जाये।अपने फेवरेट गाने को लैपटॉप पर चलाकर , अचानक एक ब्लॉग पढ़ा भारत के सबसे खतरनाक ट्रेक के बारे मे।
थोड़ा सा इसको पढ़ के सोचा कि क्यों न इस सर्दी में ,ये ट्रेक ही किया जाए।इंटरनेट पर कुछ देर ढूंढने पर इसके लिए एक एजेंसीअच्छी लगी।मैंने इसके लिए ऑनलाइन कोटेशन मंगवाने के लिए आवेदन किया और जिम के लिए रवाना हो गया।अगले दिन मेरे नंबर फ़ोन आ गया. उसके हिसाब से“अर्लीबर्ड”ऑफर मे यह पैकेज मुझे अच्छे डिस्काउंट मे मिल रहा था। कुछ मेडिकल एवं बिमा का पेमेंट अलग से ट्रेक शुरू होने के दौरान ही देना था।कुछ देर इसकी जानकारी देने के बाद एवं मेरे निवेदन पर यह पैकेज मुझे तय की हुई तारीख वाले बैच मे मिल गया। वहा से मुझे एक ई-मेल किया गया जिसमे पैकेज की पूरी जानकारी थी।
मेरे ट्रेक के अनुभव के बारे मे बताने से पहले मैं इस ट्रेक की कुछ सामान्य जानकारी साँझा करना चाहूंगा-
“जनवरी-फ़रवरी मे लेह मे ZANSKAR नदी पर बर्फ, चादर की तरह जम जाती हैं।इसीलिए इस पर होने वाले ट्रेक को चादर ट्रेक बोला जाता हैं। कुछ इसे FROZEN RIVER TREK के नाम से भी जानते हैं।ZANSKAR नदी, लद्दाख मे कारगिल जिले के ZANSKAR तहसील से गुजरती है।यह नदी आगे जाकर लेह के NIMMU गांव मे सिंध नदी से जाकर मिल जाती है।“
“यह ट्रेक लेह पहुंचने के 3 दिन बाद चालू किया जाता है। इस ट्रेक मे 5 दिन का समय लगता हैं। इसमें ट्रैक्कर्स का लक्ष्य, 30 कि.मी.का ट्रेक करके ,NEYRAKS गांव के GRAND FROZEN WATERFALL पर पहुंचना होता हैऔर यहाँ से वापस 30 कि.मी.चलकर यह ट्रैक खत्म किया जाता है।इस प्रकाऱ यह 60 कि.मी.का पैदल सफ़र है।यह ट्रेक इंटरनेशनल स्तर पर भी काफी नाम कमा चुका है।इस पर डिस्कवरी चेंनल ने भी डॉक्युमेंट्री बनायीं हुई है और काफी संख्या मे हर साल विदेशी लोग भी इस ट्रेक को करने आते हैं।इस ट्रेक की सबसे बड़ी चुनौती यहाँ के कम तापमान मे अपने आपको स्वस्थ रखकर, खुद को बिना किसी प्रकार की चोट पहुचाये इसको पूरा करना होता हैं।यहाँ सामान्य तापमान -20 डिग्री से होता हुआ रात के समय -35 डिग्री तक पहुंच जाता है।“
..to be continued