ब्रिटिश शासन के दौरान चोरों का ठिकाना चोरला घाट अब कैसा है घूमने के लिए?

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Photo of ब्रिटिश शासन के दौरान चोरों का ठिकाना चोरला घाट अब कैसा है घूमने के लिए? by Nikhil Vidyarthi

अगर आपको नेचर से प्यार है और ऊँचाइयों, घुमावदार सड़क से निकलने में सहज हैं। यदि आप शांति जे हरे-भरे प्रकृति के बीच छुट्टियाँ बिताना चाहते हैं, तो चोरला घाट का ट्रिप करना बेस्ट ऑप्शन है। चोरला घाट एक उष्णकटिबंधीय जंगल और पारिस्थितिक महत्व का जगह है। जो आज महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक के परस्पर बीच में स्थित है।

फोटो स्रोत: पैलीन पॉल डब्ल्यू एडमंड

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सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित चोरला जैव विविधता से परिपूर्ण है। यह स्थान 100 से भी ज्यादा झरनों का घर माना जाता है। अँग्रेजी शासन के दौरान हरियाली के बीच स्थित चोरला घाट चोरों के लिए अंग्रेज पुलिस से बचने का ठिकाना हुआ करता था। पश्चिमी घाट में सह्याद्रि पर्वत के बीच स्थित यह जगह धीरे-धीरे प्रकृति और ट्रेकिंग के लिए बेस्ट डेस्टिनेशन बनने लगा है।

कहाँ स्थित है चोरला घाट?

यह स्थान गोवा की राजधानी पणजी से लगभग 50 किमी की दूरी पर स्थित है। चोरला घाट गोवा के सत्तारी तालुका में है। चोरला घाट ट्रिप के दौरान आस पास फैले चावल के लहलहाते खेतों, चमकती झीलों और पुराने पुलों से गुजरते हुए आप यहाँ खो जाना चाहेंगे।

नाम 'चोरला घाटी' के पीछे की कहानी

दोस्तों, चोरला के इतिहास की बात करें तो यह सिर्फ पर्यावरण महत्व में सीमित नहीं है। चोरला नाम 'चोर' (thief) शब्द से आया है। इस प्रकार चोरला का अर्थ 'चोरों का' बनता है। अँग्रेजों ने इस जगह को कोल्हापुर और बीजापुर शहर का प्रवेश द्वार बनाया था। इस जगह पर अँग्रेजी राज में चोर खुद को बचाने के लिए छिपते थे। इसलिए इसे 'ब्रिटिश शासन में चोरों का ठिकाना' भी संबोधित किया जाता है।

चोरला घाट में स्थित है छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ा ऐतिहासिक किला

इस घाटी में 300 साल पुराना सडा किला है। जिसका निर्माण छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना के एक सैनिक ने कराया था। जिसका मकसद चोरला और इसके आसपास के क्षेत्र पर निगरानी करने के लिए किया गया था। छत्रपति संभाजी महाराज और राजाराम महाराज नियमित रूप से सडा किले का दौरा करते थे।

वैश्विक स्तर पर क्यों प्रसिद्ध है चोरला घाट/घाटी?

चोरला घाट एक पारिस्थितिक महत्व का जगह है। यह घाटी समुद्र तल से लगभग 2,600 फीट की ऊँचाई पर है। चोरला घाट महादेई वन्यजीव अभयारण्य का एक हिस्सा है। यहाँ कई विदेशी वनस्पतियों और जीवों की सैकड़ों प्रजातियाँ पाई जाती हैं। जिस कारण इसे जैव विविधता के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। घाटी में एक प्रकृति संरक्षण सुविधा का स्थापना किया गया है। जहाँ से पूरे सह्याद्रि क्षेत्र, पश्चिमी घाट और उनकी जैव विविधता संबंधी अनुसंधान और निगरानी किया जाता है।

महादेई वन्यजीव अभयारण्य

महादेई नदी फोटो स्रोत: लोकमत

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जैव विविधता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध चोरला घाटी में पाए जाने वाली प्रजातियाँ

नीलगिरि फ्लाईकैचर

मालाबार व्हिसलिंग थ्रश

मालाबार ग्रे हॉर्नबिल

नीलगिरि वुड पिजन

लोटेन सनबर्ड

व्हाइट चीक्ड बारबेट

क्रिमसन समर्थित सनबर्ड

म्हादेई वन्यजीव अभयारण्य में तितलियों की 257 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। यहाँ दक्षिणी बर्डविंग, धारीदार बाघ, नीला बाघ और नीला मॉर्मन पाए जाते हैं।

जानवर

यहाँ देखे जाने वाले जानवरों में बाघ, भारतीय ब्लैक पैंथर, स्लॉथ भालू, भौंकने वाले हिरण, सांभर, तेंदुआ, नेवला, सिवेट, जंगली बिल्ली, उड़ने वाली गिलहरी आदि देख सकते हैं।

उभयचर प्रजातियाँ

चोरला घाट के म्हादेई वन्यजीव अभयारण्य में देखे जाने वाली उभयचर प्रजातियों में मार्बल रामानेला और महाराष्ट्र बुश मेंढक, बेडडोम का छलांग लगाने वाला मेंढक और मालाबार ग्लाइडिंग मेंढक देखा जा सकता है।

विभिन्न झरने/जलप्रपात

ट्वीन वज़रा सकला वॉटरफॉल्स

फोटो सोर्स: गूगल

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महादेई अभयारण्य क्षेत्र में कई जलप्रपात हैं। इन में से एक है- 'ट्वीन वज़रा सकला वॉटरफॉल' जिसकी यात्रा करना अविस्मरणीय है। यह जलप्रपात महादेई नदी में जा कर गिरता है। यह इलाका ढलानदार और थोड़ा मुश्किल भी है। खासकर मानसून के दौरान यह अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है। लेकिन झरनों के ऊपर से जंगलों का दृश्य देख आप मंत्रमुग्ध हो जाएँगे।

घूप अंधेरे जंगल ट्रेक के लिए लोकप्रिय लसनी टेंब की चोटी

फोटो स्रोत: फ्लिकर.कॉम

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एक अन्य स्थान लसनी टेंब की चोटी है जो ट्रेकर्स के बीच खूब लोकप्रिय है। यहाँ घूप अंधेरे जंगल देखने को मिलते हैं। यहाँ के ट्रेक नम लकड़ियों से अटे पड़े हैं। जंगल में बायो-ल्यूमिनसेंट फंगस की भी मौजूदगी है जिसके कारण अंधेरे में चमकते हैं। ट्रेकिंग करते समय आप कई प्रकार की तितलियों और चहचहाते पक्षियों को देख सकते हैं।

ये जरूरी टिप्स याद रखें चोरला घाट जाने से पहले

इस क्षेत्र में घुमावदार सड़कें और आदि-तिरछी मोड़ आती हैं। जिसके कारण अंधेरे के समय इस क्षेत्र में ड्राइविंग करना ठीक नहीं है। दोस्तों, इसी कारण यात्रा विशेषज्ञ चोरला घाट जाने के लिए सूरज ढलने के बाद यानि शाम को चुनने से बचने का सुझाव देते हैं।

कैसे पहुँचें चोरला घाट

इस घाट का निकटतम हवाई अड्डा गोवा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। इसका निकटतम रेलवे स्टेशन थिविम, गोवा तथा कर्नाटक का बेलगाम स्टेशन है। गोवा और बेलगाम दोनों स्थानों से टैक्सी आसानी से उपलब्ध हो जाता है। बेलगाम से इस जगह की दूरी लगभग 55 किमी होगी। चोरला घाट तक आसानी से पहुँचा जा सकता है।

अगस्त-नवंबर चोरला घाट घूमने के लिए बेस्ट

चोरला घाट जाने सबसे बेस्ट समय अगस्त से नवंबर होता है। इस वक्त मानसून के बाद पहाड़ियाँ हरी-भरी हो उठती हैं। बारिश में मुश्किल ड्राइविंग कंडीशन जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए अगस्त-नवंबर जाना बहुत सही है। हालाँकि, कुछ साहसी यात्री और अकेले घूमने वाले जून-जुलाई के बीच भी यात्रा करते हैं।

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