शिमला-मनाली को छोड़ो, इस गर्मी बनाओ नए हिल स्टेशन का प्लान

Tripoto
19th Jun 2023
Photo of शिमला-मनाली को छोड़ो, इस गर्मी बनाओ नए हिल स्टेशन का प्लान by Priya Yadav

आज कल पर्यटन के मायने बिल्कुल ही बदल गए है यही वजह है की आज कल पर्यटन स्थलो पर इतनी भीड़ बढ़ती जा रही है क्योंकि आज कल हर कोई अपनी छुट्टियों को किसी ऐसे जगह पर बिताना चाहता है जिसे वो हमेशा याद रखे।हिमाचल और उत्तराखंड तो हर घुमक्कड़ की लिस्ट का पहला नाम होता है क्योंकि इनकी वादियों में जो सुकून है वो और कहीं नहीं।तो अगर आप भी इन छुट्टियों में घूमने का प्लान बना रहे है और वही बोरिंग शिमला और मनाली की भीड़ से बचना चाहते है तो हम आपको आज एक ऐसी जगह के बारे में बताएंगे जो प्रकृति खूबसूरती और शांति दोनो का ही पर्याय है।

Photo of शिमला-मनाली को छोड़ो, इस गर्मी बनाओ नए हिल स्टेशन का प्लान 1/4 by Priya Yadav

नेलांग घाटी

समुद्र तट से लगभग 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित उत्तराखंड के उत्तरकाशी का एक बहुत ही खूबसूरत घाटी है नेलांग घाटी। यहां पर बहने वाले नदियों का पानी नीले रंग का होता है इसी कारण इस जगह का नाम नेलांग पड़ा।पहले ये घाटी चीन और भारत का व्यापार मार्ग था,लेकिन सन 1962 के चीन भारत युद्ध के बाद इस घाटी को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया था,लेकिन एक बार फिर से इसे सन 2015 से पर्यटकों के लिए खोल दिया गया ।चीन और भारत के व्यापार मार्ग की झलक आप आज भी यहां देख सकते है। उस समय में प्रयोग किए जाने वाले लकड़ी के पूल जो व्यापार मार्ग के लिए प्रयोग में लाएं जाते थे वो आज भी यहां देखें जा सकते है।चारो ओर से घिरे सुंदर प्राकृतिक नजारों वाले इस घाटी में पर्यटक साल भर बर्फबारी का मजा ले सकते है। आज यह स्थान उत्तराखंड के लद्दाख के नाम से मशहूर है। यहां पर आप कुछ लुप्तप्राय वन्यजीव प्रजातियों जैसे कस्तूरी मृग, हिम तेंदुआ, भारल या हिमालयन नीले भेड़ आदि का दीदार भी कर सकते है।

नेलांग घाटी के मुख्य आकर्षण

वैसे तो पूरी की पूरी घाटी ही बेहद खूबसूरत और आकर्षक है आप यहां सुकून और शांति दोनो ही का अनुभव करेंगे।लेकिन कुछ ऐसे स्थान भी है जो आपको जरूर एक्सप्लोर करना चाहिए।

1. गर्तांगली

नेलांग घाटी का सबसे आकर्षक स्थान है गर्तांगली। यह एक लकड़ी का सीढ़ीनुमा पूल है जो 17वी शताब्दी में भारत तिब्बत के व्यापार का एकमात्र साधन था।इसकी खास बात यह है कि इसे समुद्रतल से लगभग 11 हजार फीट की ऊंचाई पर हिमालय की खड़ी पहाड़ी को काटकर यह खतरनाक रास्ता तैयार किया था।भारत-चीन युद्ध के बाद दस वर्षों तक सेना ने भी इस मार्ग का उपयोग किया और इसे बंद कर दिया।उसके बाद 2015 में इसकी मरम्मत करने के बाद फिर से पर्यटकों के लिए खोल दिया गया।

2. भैरव मंदिर

जब आप नेलांग घाटी जाते है तो रास्ते में ही आपको भैरैव घाटी मिलेगी जहां पर गंगा आगे भैरव घाटी में भागीरथी में मिल जाती हैं और भागीरथी कहलाती है।यही पर एक भैरैव मंदिर जो काफी प्राचीन है।यहां का खूबसूरत नजारा आपको एक अलग ही दुनिया में ले जायेगा।अगर आप शान्ति और सुकून की तलाश में हैं तो यहां जरूर जाए।

3. मैमोरियल पॉइंट

यह एक ऐसा प्वाइंट है जहां भारतीय सैनिक गश्त लगाया करते थे।लोगो का कहना है की यहां पर सर्दियों में बर्फ के बीच रात भर जगाना बहुत ही मुश्किल कार्य है।कहा जाता है की उस समय यहां तीन जवानों की तैनाती थी और सर्दी के कारण उनको पानी पीने के लिए बर्फ पिघलना कर पीना पड़ता था।एक रात जब वो पानी की तलाश कर रहे थे तो बर्फ में दब कर उनकी मौत हो गई। आज भी उन जवानों की आत्मा सपनो में आकर पानी मांगती है।इसलिए इस प्वाइंट पर उनकी याद में पानी से भरी बोतले रखी जाती है।

Photo of शिमला-मनाली को छोड़ो, इस गर्मी बनाओ नए हिल स्टेशन का प्लान 2/4 by Priya Yadav

4. हर्षिल

नेलांग घाटी के रास्ते में ही आपको एक और खूबसूरत वादियों का दीदार होगा जो की अपने खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों और सेब के बागानों के लिए पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है।यहां पर आप कई साहसिक गतिविधियों का भी आनंद ले सकते है।आपको बता दे की यहां पर भारतीय सेना का बेस कैंप भी है।

Photo of शिमला-मनाली को छोड़ो, इस गर्मी बनाओ नए हिल स्टेशन का प्लान 3/4 by Priya Yadav

5. मुखवा गाँव

हर्षिल घाटी से करीब 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह एक बहुत ही शांत और खूबसूरत गांव है,जिसे गंगा मैया का मायका माना जाता है। जब सर्दियों में गंगोत्री मंदिर के कपाट को भरी बर्फबारी के कारण छः महीने के लिए बंद किया जाता है तो बाकी के छः माह के लिए माता गंगा की मूर्ति को मुखवा गांव के मंदिर में ही रख कर पूजा अर्चना की जाती है।

6. गौमुख ट्रेक

अगर आप ट्रैकिंग लवर है तो यहां से आप गंगोत्री ट्रेक पर भी जा सकते है।

नेलांग वैली के लिए परमिट

नेलांग वैली जाने के लिए आपको ऑनलाइन वेबसाइट से परमिट लेना होता है। अटैच आईडी कार्ड और स्कैन की गई पीडीएफ फाइल के साथ फॉर्म भरें और प्रिंट आउट ले जाएं। जिला मजिस्ट्रेट के पास जाकर स्‍टैंप लगवाएं। अब आप नेलांग घाटी जाने के लिए तैयार हैं। इस परमिट को भैरो घाटी के फॉरेस्‍ट ऑफिस में दिखाएं और 200 रुपए फीस जमा करें। इसके बाद आपको नेलांग वैली पे प्रवेश की अनुमति मिल जायेगी।

Photo of शिमला-मनाली को छोड़ो, इस गर्मी बनाओ नए हिल स्टेशन का प्लान 4/4 by Priya Yadav

नेलांग वैली घूमने का सबसे अच्छा समय

नेलांग घाटी घूमने का सबसे आदर्श समय मई से नवंबर के बीच का है ।क्योंकि इस दौरान यहां का मौसम सर्द और काफी अनुकूल रहता है।अधिक ऊंचाई पर स्थित होने के कारण सर्दियों में यहां भरी बर्फबारी होती है जिसके कारण यह पर्यटकों के लिए बंद कर दी जाती हैं।

कैसे पहुंचे?

हवाई मार्ग द्वारा: हवाई मार्ग द्वारा नेलांग घाटी पहुँचने के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा देहरादून का जॉलीग्रांट हवाई अड्डा है जहाँ से भैंरोघाटी की दूरी लगभग 250 किलोमीटर है।यहां से आप कैब या निजी साधन द्वारा यहां पहुंच सकते है।

रेल मार्ग द्वारा: रेल मार्ग द्वारा नेलांग वैली पहुँचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है। ऋषिकेश से भैरों घाटी की सड़क मार्ग दूरी लगभग 275 किलोमीटर है।

कैसा लगा आपको यह आर्टिकल हमे कमेंट में जरुर बताएं।

क्या आपने हाल में कोई की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें

बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।

Further Reads