किसी भी जगह को जानना समझना हो तो उसके स्वाद को तलाशें, बहुत कहानियां बहुत किस्से मिलेंगे आपको. इस लेख में हम आपको रूबरू कराएंगे बनारस के स्वाद से. 3 दिन के हमारे सफर में हमने जितना हो सका बनारसी खाने को एक्सप्लोर करने की कोशिश की. बनारस की गलियों घूम-घूम के इसके स्वाद को तलाश के लाए हैं आपके सामने.
बनारस में पहला दिन और पहले ही दिन हम जा पहुंचे बनारसी चाट खाने. अब बनारसी चाट के बारे में इतना सुना है तो शुरूवात तो वहीं से करनी बनती है. वो कहते हैं ना कुछ नया शुरु करने से पहले मीठा हो जाए लेकिन आप बनारस में हैं जनाब इसलिए शुरवात तो चटपटी होनी बनती है.
बनारस का मशहूर गदोलिया मार्केट. यहां आपको सब मिलेगा चाट से लेकर लस्सी, लस्सी से लेकर बनारसी पान, पान से लेकर मीठा-मीठा मालईयो सब कुछ. बस थोड़ा चलना पड़ेगा गली गली एक्सप्लोर करनी पड़ेगी.
चाट के लिए यहां का काशी चाट भंडार बहुत फेमस है, लेकिन हम यहां नहीं गए. दरसल हम जिस वक्त यहां पहुंचे दुकान में काफी भीड थी. वक्त नहीं था इसलिए हमने कहीं और बनारसी चाट खाई. वैसे भी अगर हम पुराना ही एक्सप्लोर करते रहेंगे तो नया कब खुजेंगे.
इसलिए काशी चाट भंडार को रख साइड हम पहुंचे राज श्री चाट भंडार. यहां मैंने ट्राई किया बनारसी टमाटर चाट और भी बहुत सी चाट है यहां पर लेकिन वो सब आपको दिल्ली या बाकी शहरो में भी मिल जाता है. लेकिन टमाटर चाट तो मिलेगी बनारस में ही.
चाट खाने के बाद हम पहुंचे बीएचयू कैंपस जहां है बिरला मंदिर जो भगवान शिव को समर्पित है. इसे नया काशी विश्वनाथ भी कहते हैं. यहां मंदिर के बहार बहुत सारे फूड स्टॉल या छोटे-मोटे कैफे हैं, खाने के अनलिमिटेड ऑप्शन है. एक चीज जो मैने यहां नोटिस कि वो यह कि यहां बनारस में साउथ इंडियन खाना भी बहुत खाया जाता है. हमें लगी थी बहुत तेज की भूख और चाट से कुछ नहीं होने वाला था इसलिए यहां वि-टी कैफे में हमने ऑर्डर किया आलु परांठा, रवा डोसा, केले का शेक और कोल्ड कॉफी. यहां आएं तो इनका रवा डोसा जरूर ट्राई करें. इसके बाद संकट मोचन हनुमान मंदिर होते हुए हम वापिस लौटे गदौलिया मार्केट. यहां से सीधे गए गंगा घाट संध्या आरती देखने और कुछ यूं खत्म हुआ सफर-ए-बनारस में तलाश-ए- स्वाद का सफर.
दूसरा दिन जो पुरी तरह समर्पित था सिर्फ और सिर्फ बनारसी स्वाद को. दिन की शुरूवात काशी विश्वनाथ के दर्शन से हमने की और उसके बाद निकले पड़े स्वाद के सफर पर. सब से पहले हम पहुंचे होटल बनारस हवेली. बनारस में आलू की सब्जी और पूरी सुबह का नाश्ता है इसलिए हमने भी यही खाया. यहां की आलू मटर की सब्जी और पूरी अब तक हमारा बनारस में सबसे अच्छा अनुभव था. इसके बाद हमने एक्सप्लोर किए बनारस के 88 घाट.
लंच के लिए हम पहुंचे ठेठ बनारसी रेस्टोरेंट एक स्वादिष्ठ मुलाकात जहां आपको मिलेगा ठेठ बनारसी खाना. यह बहुत ही सुंदर-सा घाट के किनारे बना रेस्टोरेंट है. यह भारत की असली खूबसूरती यानि यहां के गांवों की सेर कराता है.
तो हमने यहां खाया लिट्टी चुखा, मसला खचड़ी और आलू के परांठे. बेस्ट था जिसकी उम्मीद कम थी मसाला खिचड़ी. खिचड़ी के आगे यहां सारे स्वाद फेल होए. दोस्तों यहां जाना तो आपका बनता ही है इसकी मसला खिचड़ी के लिए
थोड़ा आराम करने के बाद हम वापस पहुंचे गदोलिया. कुछ चेक लिस्ट थी वो अभी पूरी नहीं हुई थी. जब आप बनारस में मशहूर फूड जॉइंट के बारे में सर्च करेंगे तो आपको मिलेगा ब्लू लस्सी वाला. काशी विश्वनाथ मंदिर की तरफ जब आप जाते हैं तो एक छोटी सी गली में है ब्लू लस्सी वाला.शॉप छोटी है लेकिन लस्सी का मेन्यू बहूत बड़ा है. हमने यहां ऑर्डर किया है ड्राय फ्रूट केसर लस्सी. अगर आपको मीठी-मीठी लस्सी बहूत पसंद है तो मैंगो से लेकर बादम लस्सी सब आपका इंतजार कर रही है.
मीठी-मीठी लस्सी के बाद वक्त था कुछ चटपटे का इसलिए हम गए केशरी चाट भंडार, जहां गोलगप्पे प्लेट में सजा का सर्व हुए. लेकिन हम दिल्ली वालों को आदत है कि कोई खिलाएं है ना ?इसलिये मुझे तो देखकर ही मजा नहीं आया वैसे इसका स्वाद भी अच्छा नहीं था. तो गोलगप्पे खाने के बाद दिल थोड़ा टूट गया था, चटपटा बनारसी स्वाद नहीं मिल रहा था इसलिए चाट को रख साइड हम वापस लौटे मीठे पर. बनारस आएं और ठंडाई ना पीएं तो जनाब आप बनारस नहीं घुमें. नंदी चौक पर ही बहुत सी ठंडाई की दुकानें हैं और साथ ही है बनारसी पान की दुकानें. इसलिए पहले हमने पी ठंडाई फिर खाया बनारसी पान.
बनारस के लोग मीठे के बहुत शौकीन होते हैं. रबड़ी, जलेबी, ठंडाई, गर्मा-गर्म रबड़ी दूध तो डैली लाइफ का हिस्सा है. इसके अलावा बनारस अपने मलइयो के स्वाद के लिए भी फेमस है. यह एक स्वीट डिश है जिसे ओस से तैयार किया जाता है. वैसे अगर आप दिल्ली से हैं तो पुरानी दिल्ली में जो दौलत की चाट आपने देखी होगी मलइयो वही है. इसके बाद हम पहुंचे कालिका ढाबा जहां का चंपारन हांडी मटन बहुत फेमस है. यहां का हांडी मटन एक बार खाना तो बनता ही है. दिल्ली का बटर चिकन तो यहां का हाड़ी मटन.
बनारस में आखिरी दिन वक्त कम था इसलिए हम वापस पहुंचे घाट. यहां सबसे पहले ट्राई किए गोलगप्पे. पिछली रात का अनुभव खराब था लेकिन गोलगप्पे तो खाने ही थे इसलिए हमने घाट के बहार एक छोटे-से फूड जॉइंट से खाएं गोलगप्पे. यहां के गोलगप्पे उस बड़ी शॉप के गोलगप्पों से बेहत्तर थे. इन्हें खाने के बाद मैं कह सकती हूं यह है बनारस का चटपटा स्वाद.
इसके बाद हमने किया नौका विहार, थोड़ा समय घाट में बिताया फिर लंच के लिए जा पहुंचे आलू पूरी खाने. बनारस में वेज में ये बेस्ट है थाली ट्राई न करें. बनारस में आलू पूरी के साथ हमारा अनुभव कभी भी खराब नहीं रहा. इसी के साथ यह था बनारस में हमारा आखिरी मील.