जब कॉलेज में थे तो छुट्टी ही छुट्टी थी, पर जेब खाली थी। अब जब जॉब वाले हो गए तो पैसे हैं, लेकिन छुट्टी नहीं है। 9 से 6 वाली जॉब में बस यही तो एक रोना है। लेकिन इन तमाम दिक्कतों के बावजूद, जो एक साल में 12 जगह घूम आए, वो राजपूत।
मज़ाक नहीं कर रहा, एक साल में कृतार्थ वाशी और उनकी पार्टनर ने 12 नई जगहें देखीं, वो भी ना ज़्यादा छुट्टी लिए और ना अपनी सेविंग्स उड़ाए। आप भी चाहो तो अपने ट्रिप को इस तरह से प्लान कर सकते हो, और बिना ज़्यादा छुट्टी या पैसा उड़ाए घूमने के मज़े ले सकते हो, बस इस पावर कपल की पावर टिप्स फॉलो करो!
1. सही जगह और सही समय, सबसे पहले
कहाँ घूमने जाना है और किस समय जाना है, इसका चुनाव करना सबसे ज़रूरी है। ये नहीं कि जनवरी की ठंड में झरने के नीचे नहाने का प्लान बनाया और मार्च अप्रैल की चिलचिलाती धूप में कच्छ का रण देखने निकल गए।
इस कपल के हिसाब से आधा काम तो वहीं पूरा हो जाता है, जब आप ट्रिप का सही प्लान बना लेते हो। बाकी आधा काम जगह तलाशने में पूरा हो जाता है।
जगह तय करना इतना कठिन नहीं है, जितना उसे घूमने का समय तय करना है। इन्होंने एक बार लवासा घूमने का प्लान बनाया और टाइमिंग तब रखी, जब मॉनसून अपने उफ़ान पर था। लेकिन इस कारण आधे से ज़्यादा घूमने की जगहें बन्द थीं। और उन्होंने सारा समय होटल में खुराफातें करते हुए बिताया। इसलिए एक बात हमेशा ध्यान रखिए, सबसे पहले जगह तलाशो, और उसके बाद उसको घूमने का सही समय।
2. पैसा इम्पॉर्टेंट हैं बाबू
अगर आपके पापा का नाम मुकेश अंबानी है तो अगले पैराग्राफ़ पर चले जाइए। क्योंकि बाक़ी हम जैसों के लिए पैसा बहुत ज़रूरी है। जो भी लोग घूमने निकले हैं, जानते हैं कि जेब में कैश होना कितना ज़रूरी है। कभी ऑटो वाले को, कभी अपने किसी ख़ास के लिए स्पेशल गिफ़्ट, अकाउंट में पैसा होने से काम नहीं चलता।
तो आते हैं असली सवाल पर, कि अपनी सेविंग्स भी न जाएँ और घूम भी लें। अगर दो चीज़ों की प्लानिंग पहले से कर लेंगे तो आपका काम बहुत आसान हो जाएगा। पहला, रुकने की जगह अपने बजट में पहले से बुक करके रख लें। दूसरा, आने और जाने का टिकट पहले से बुक कर लें। इससे आपका आधे से ज़्यादा खर्चा बजट में हो जाएगा।
दो ढाई महीने पहले ही आप इनकी टिकट बुक कर लें। आने जाने की टिकट दो महीने पहले सस्ते दामों पर मिलती है। कई बार फ़्लाइट की टिकट से सस्ती एसी 3 टियर की टिकट होती है। सौ की सीधी एक बात, अपना ट्रिप सस्ते में प्लान करने के लिए आने जाने और ठहरने का बजट पहले और सस्ते में कर लें। फ़ायदे में रहेंगे। लेकिन इसका मतलब बिल्कुल नहीं कि ग़रीबी दिखानी है। थोड़ा अच्छा पैसा खर्च करके बहुत शानदार अनुभव मिलता है, जो बहुत ज़रूरी है।
3. चालाक बनो, क्योंकि बस यही एक रास्ता है
कहाँ रुकना है, ये पता करना बहुत ज़रूरी है। हमारा एक नियम है। उस होटल की बुकिंग करो, जहाँ से आपकी यात्रा सबसे बेहतर हो। अगर आपको बहुत सारी जगहें घूमने जाना है, तो सामान्य बजट की जगहें या कोई होमस्टे चुनिए। मुन्नार में हमने एक होमस्टे चुना, क्योंकि हमारा पूरा दिन नीलकुरिंजी देखने में जाने वाला था।
अगर आपको बहुत सारी जगहें घूमने नहीं जाना हो, तो आप कोई शाही होटल बुक करिए। ठीक वैसे ही, जैसा हमने उदयपुर के ताज होटल की शाही ख़ातिरदारी का लुत्फ़ उठाया।
आसान भाषा में, अपनी सुविधा के अनुसार होटल की बुकिंग करिए।
4. ऑफ़िस की छुट्टियाँ और आपका ट्रिप
अगर प्लानिंग तगड़ी हो, तो आपको ट्रिप भी बिना ज़्यादा छुट्टी लिए हो जाएगी।
और हमारी किस्मत भी बहुत अच्छी थी। 2018 की बहुत सारी छुट्टियाँ थीं, जो लंबे वीकेंड बनीं।
कहाँ गए, कब घूमे, कहाँ रुके, पूरी लिस्ट
1. भंडारदरा, महाराष्ट्र, जून 2018, दो दिन की वीकेंड ट्रिप
एक लोकल कंपनी ने हमारा ये ट्रिप प्लान किया। पहली बारिश के बाद की सौंधी ठंड, हवा में उड़ते सैकड़ों चमकीले जुगनू और काली काली रात। ये ट्रिप हम कभी भी भूल नहीं सकते।
2. लवासा झील, महाराष्ट्र, जुलाई 2018, 2 दिन की वीकेंड ट्रिप
इस बार हमने एक सर्विस अपार्टमेंट में रुकने का मन बनाया जो अभी बन ही रहा था।
ख़ासियत थी कि यह लवासा झील के बिल्कुल सामने था। हमें पता था कि लवासा में और कुछ ज़्यादा देखने लायक नहीं है। इसलिए हमने कुछ ज़्यादा पैसे देकर पूरा समय लवासा झील के नज़ारे देखे।
3. बेकर झरने पर रैपलिंग, अगस्त 2018, एक दिन का ट्रिप
मॉनसून अपने उफ़ान पर था और हम थे बेकर झरने पर। एक दिन का ट्रेक था यह हमारे लिए।
4, 5. महाबलेश्वर और लोनावला, अगस्त 2018, 4 दिन की ट्रिप, (स्वतंत्रता दिवस+ लंबा वीकेंड+ एक दिन की छुट्टी)
हमने कुछ महीनों पहले ही महाबलेश्वर पर एक कमरा बुक कर लिया था।
चूँकि लोनावला में भीड़ भीड़क्का बहुत रहता है, इसलिए हमने भुशी बाँध देखने के लिए पास ही ख़ूबसूरत स्काई विला रुकने के लिए चुना।
जैसा पहले बताया हमने, बहुत घूमना है तो सस्ता होटल देखो, कम घूमना है तो महँगा।
6. पेब-विकटगढ़ क़िले की ट्रेकिंग, सितंबर 2018, एक दिन का ट्रिप
एक बहुत ख़ूबसूरत ट्रेक,जिसकी नज़र सब पर नहीं गई है। हमने यहाँ एक दिन की ट्रिप का प्लान बनाया।
दूर दूर तक गहरी हरियाली, पहाड़ों पर से बहती ठंडी हवाएँ और दिलक़श नज़ारे, और कितनी तारीफ़ करूँ इस ट्रेक के।
7. नीलकुरिंजी, मुन्नार, सितम्बर 2018, 3 दिन की ट्रिप (गणेश चतुर्थी + 1 दिन की छुट्टी)
अगर आप 12 साल में होने वाले उत्सव में एक बार जाते हैं, तो आप कहीं न कहीं बँध जाते हैं। हम सीधा प्लेन से कोयम्बटूर पहुँचे और आगे 3 दिन के लिए टैक्सी बुक की।
रुकने के लिए हमने मुन्नार पर एक रूम बुक किया जो हमारी हर लोकेशन से नज़दीक था।
टिप- नीलकुरिंजी की ख़ूबसूरती को देखना और स्वर्ग देखना एक ही बात है।
8. कास पथर, फूलों की घाटी, सतारा, अक्टूबर 2018, दो दिन की ट्रिप
सतारा जाने से पहले हम अपने दोस्त के पास पुणे में रुके। मतलब रहने का बिल शून्य, पैसा लगा तो बस इस आने जाने और प्रवेश शुल्क का।
9. उदयपुर, अक्टूबर 2018, 4 दिन की ट्रिप (दशहरा+ दो दिन की छुट्टी)
जब हमने ये ट्रिप प्लान किया था, तो पहले ही हमने प्लान बना लिया था उदयपुर के प्रसिद्ध ताज लेक पैलेस में ठहरने का।
पानी से घिरे इस पैलेस में हमने अपना शानदार समय गुज़ारा। इस शाही पैलेस में हमारा शानदार आवभगत, वो दिन हम कभी नहीं भूल सकते।
10. कच्छ का रण, गुजरात, नवंबर 2018, 3 दिन की ट्रिप (वीकेंड+ एक दिन की छुट्टी)
कच्छ में नवंबर में रण उत्सव मनाया जाता है। इस समय में यहाँ पर रहने के लिए ढेर सारे टेंट लगाए जाते हैं। लेकिन इस रण उत्सव का जो आनंद है, वो आप कभी नहीं भूल सकते।
बेहतरीन सांस्कृतिक उत्सव, लज़ीज़ खाना, दूर तक फैला हुआ सफेद कच्छ का रेगिस्तान, आपका रण उत्सव का पैकेज बहुत शानदार कर देता है।
मुझे इसके बारे में एक दोस्त ने बताया था। कम पैसों में प्राइवेट बीच रिसॉर्ट का मज़ा आख़िर किसे छोड़ना था, तो हम भी यहाँ आ ही गए।
शहर से भीड़ से दूर एक बेहद शान्त किनारा हमारे वीकेंड के लिए बेहद शानदार था।
12. वेलास का कछुआ उत्सव, रत्नागिरी, मार्च 2019, दो दिन की ट्रिप
यहाँ हमने गाँव की ज़िन्दगी जी। छोटे छोटे कछुओं का उत्सव, उनमें से कुछ तो अभी अभी अण्डे से बाहर आए थे।
इस ट्रिप में ख़ास था कोंकणी भोजन। जैकफ्रूट की सब्ज़ी, सादा, सरल और देसी खाना। दिन बन गया हमारा। ये ट्रिप आपने मिस किया तो बहुत कुछ मिस कर दिया।
कुछ ख़ास बातें
एक साल में हमने 12 ट्रिप पूरे किए। उसमें ज़रूरत पड़ी तो केवल 6 छुट्टियों की। हर बार हमने बजट में घूमने की सोची भी नहीं, कुछ बार तो हमने सिर्फ़ एक्सपीरिएंस पर ध्यान दिया।
और एक बात, सफ़र का मतलब जिप्सी बनकर इधर से उधर घूमना नहीं होता। हो सकता है ये बात कुछ लोगों को पसन्द न आए, लेकिन अभी तक की ज़िन्दगी में हमने तो यही सीखा है। इस सफ़र से होते हुए हम एक नए अनुभव से गुज़रते हैं, जो हमें बहुत बेहतर इंसान बनाता है। उन गलियों से, मोहल्लों से, हर जगह के लोगों से मिलते हुए हम बहुत कम समय में बहुत ज़्यादा समझदार हो जाते हैं।
इस नए साल पर हमने और भी ज़्यादा ट्रिप करने का प्लान किया है। आप भी कुछ बढ़िया ट्रिप प्लान करें, तो हमें कमेंट्स में बताएँ। तब तक के लिए पढ़ते रहिए, घूमते रहिए।
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