बिहार के वो पाँच हिल स्टेशन जिनका नाम आपने शायद न सुना हो

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ज़बान पर चढ़ा हुआ भोजपुरिया टोन, मुँह में पान और ‘का हाल बा’ वाले स्टाइल को दुनिया ने इतना पसन्द किया कि पटना और मुगलसराय की गलियों में गूँजता ये डायलॉग मायानगरी के तीसमारख़ान एक्टरों की ज़बान पर चढ़ गया। बिहार में कुछ तो बात है। बिहार की ख़ासियत ही ये है कि यहाँ पर हर कोई रम जाता है।

इस बार बिहार की बात एकदम बिहारी अंदाज में। बिहार को अपनी अपनी नज़र से देखने वाले कभी इसे एक टूरिस्ट स्पॉट के रूप में कभी देख ही नहीं पाए। वैसे भी घर की मुर्गी तो दाल बराबर ही होगी।

लेकिन अब बहुत हुआ सम्मान, घर की मुर्गी की असली क़ीमत घुमक्कड़ों की दुनिया को बतानी है। बताना है कि बिहार के ये पाँच हिल स्टेशन में भी घुमक्कड़ी का पूरा कोर्स किया जा सकता है।

तो चला उन पहाड़िन की ओर...

1. रामशिला हिल

गया, बिहारियों में इस जगह का आध्यात्मिक महत्त्व है, पौराणिक भी। लेकिन बिहार के इसी गया में विष्णुपाद मंदिर से पाँच किमी0 दूर पड़ता है रामशिला हिल। कुदरत की छोटी सी नुमाइश इस पहाड़ी का असली महत्त्व वो घुमक्कड़ जानते हैं, जो ऐसी पहाड़ियों पर उछल कदम करते हुए ऊपर तक चढ़ जाते हैं और फिर धीरे से नीचे उतर आते हैं। कहते हैं भगवान राम ने यहाँ पर पिण्डदान किया था, इसलिए उनके कदमों पर चलते चलते श्रद्धालु यहाँ पर पिण्डदान करने आते हैं। सदियों से ये प्रथा चल रही है, आगे भी चलेगी। यहाँ पर एक मंदिर भगवान राम, माँ सीता और भक्त हनुमान को समर्पित है। आप जब यहाँ आएँ, तो इसके दर्शन भी कर लें।

2. गुरपा की चोटी

Photo of बिहार के वो पाँच हिल स्टेशन जिनका नाम आपने शायद न सुना हो 2/5 by Manglam Bhaarat
श्रेयः आशीष कौशिक

गया के गुरपा गाँव में बसता है यह हिल स्टेशन। इस पहाड़ी को स्थानीय लोग कुक्कुटपदगिरि भी कहते हैं। जैसा कि आपको मालूम है, भगवान बुद्ध का एक मठ बिहार के सारनाथ में है, उसकी महिमा से पूरा बिहार जगमगाता है। उनका यश और वैभव सारनाथ से होता हुआ गुरपा हिल स्टेशन तक आ गया। ध्यान करने के लिए, मन को शान्त करने के लिए लोग यहाँ ख़ूब आते हैं।

इस जगह को लेकर एक रोचक कहानी है, जो आपको जाननी चाहिए। भगवान बुद्ध के उत्तराधिकारी महा कश्यप अपने जीवन के समापन की ओर थे, उस समय वे इस पहाड़ी को चढ़ने का प्रयत्न कर रहे थे। इन्हीं में किसी चट्टान के बीच उनका पाँव फँस गया, लेकिन फिर चट्टानों ने स्वयं ख़ुद को अलग कर उनको रास्ता दिया। वे ऊपर पहुँचे और ध्यान किया। उनके ध्यान में रहते हुए चट्टान उनके चारों ओर सिमट गईं। कहा जाता है आज भी महा कश्यप ऋषि उसी जगह पर ध्यान लगाते हैं और मैत्रेया का इंतज़ार करते हैं, जो कि भगवान बुद्ध के अगले जन्म का अवतार हैं। अब यह जगह एक आध्यात्मिक रूप से समृद्ध जगह हो गई है और लोगों के ध्यान और शान्ति का स्तूप भी। आप यहाँ पर घूमने के इरादे से भी आ सकते हैं और घुमक्कड़ी के इरादे से भी।

3. प्राग्बोधि हिल स्टेशन

किरियामा गाँव के बहुत पास, गया में स्थित है प्राग्बोधि हिल स्टेशन। प्राग्बोधि हिल स्टेशन को धुंगेश्वर भी कहा जाता है। इस जगह को ज्ञान की प्राप्ति का दूसरा नाम भी मानते हैं। कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने जब तक ज्ञान नहीं पाया था, उसके कुछ समय पहले वो स्वयं यहाँ ठहरे थे। यहीं की एक गुफ़ा में उन्होंने सत्य की साधना की थी।

यहाँ की सर्वाधिक प्रसिद्ध जगहों में एक तिब्बती भिक्षुओं द्वारा चलाया जाने वाला मंदिर है, जहाँ पर ध्यान साधना के लिए आपको आना चाहिए। इसके साथ ही पहाड़ी की चोटी पर पहुँचने के साथ ही आप ढेर सारे स्तूप भी देखते हैं, जहाँ पर भगवान बुद्ध की प्रतिकृति देखने मिलती है।

4. प्रेतशिला हिल

रामशिला हिल से महज़ 10 किमी0 दूर है प्रेतशिला हिल्स। यह गया से लगभग 12 किमी0 दूर है। इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि बिहार, जिसे आप अभी तक घुमक्कड़ों के लिहाज़ से ऐवैं जगह मानते थे, वो हक़ीकत में कितनी जानदार शानदार है।

इस पहाड़ी के नीचे बहती है ब्रह्म कुण्ड झील, जहाँ पर लोग अपना पिण्डदान करने आते हैं। जैसा कि आपको बताया गया, गया में पिण्डदान करने की पुरानी परम्परा है, आप भी उसमें अपना सहयोग दे सकते हैं। इस पहाड़ी की चोटी पर एक मंदिर है अहिल्या बाई मंदिर, जिसे अपने वास्तु और सुन्दरता के कारण लोगों से बहुत सम्मान मिलता है। यहाँ पर पहुँचने के बाद थकान के बाद जो सुकून मिलता है, उसका आँकलन तो आप शायद कर ही नहीं सकते।

5. ब्रह्मजूनि हिल

Photo of बिहार के वो पाँच हिल स्टेशन जिनका नाम आपने शायद न सुना हो 5/5 by Manglam Bhaarat
श्रेयः गया बीट्स

विष्णुपाद मंदिर लगभग एक किमी0 दूर दक्षिण पश्चिम दिशा में पड़ती हैं ब्रह्मजूनि हिल्स। भगवान विष्णु को आराध्य मानकर उनकी पूजा होती है इस पहाड़ी पर। गया को अगर आँखें भर कर निहारना हो तो चले आइए ब्रह्मजूनि पहाड़ी की चोटियों पर। गया का सबसे मनोरम दृश्य यहाँ से देखने को मिलेगा। यहाँ पर दो छोटी गुफ़ाएँ हैं ब्रह्मयोनि और मृत्युयोनि और कई सारे मंदिर जो अष्टभुजादेवी और दूसरे भगवानों को समर्पित हैं। जब भी यहाँ आने का प्लान बनाएँ, तो इन सबका ध्यान रखकर ही आएँ।

जाने का सही समय

गर्मियों के सीज़न में या फिर मॉनसून के महीने में, यह जगह लाजवाब हो जाती हैं। घूमने के हर लिहाज़ से परफ़ेक्ट। रहने के लिए आपको ढेर सारे होटल और होमस्टे मिल जाएँगे, जहाँ पर आप सुख से ट्रैवल की हर ऊँचाई को पार कर सकते हैं।

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