बिहार की वो ऐतिहासिक जगह, जिसे एक भूकंप ने गुमनामी में ढकेल दिया

Tripoto
Photo of बिहार की वो ऐतिहासिक जगह, जिसे एक भूकंप ने गुमनामी में ढकेल दिया by Rishabh Dev

हमारे देश में कई ऐसी छिपी हुई जगहें हैं जिसके बारे में हमें पता नहीं है। घूमते-घूमते हम कई बार ऐसी जगहों से रूबरू हो जाते हैं जो हमें हैरान कर देती है।

जिनके बारे में जानकर लगता है कि इस जगह की अहमियत कुछ और हुआ करती थी लेकिन अब इसे भुला दिया है।

अक्सर ऐसी जगहें इतिहास से जुड़ी होती हैं। इतिहास हमें अपने वर्तमान का आईना दिखाता है।

ये घुमक्कड़ी ही तो जो इन गुमनाम ऐतहासिक जगहों को भी सबके सामने रख देती है।

Tripoto हिंदी के इंस्टाग्राम से जुड़ें

आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बताने जा रहा हूं जिसे भुला दिया गया शहर कहा जाता है।

जिसको एक भूकंप ने गुमनामी में धकेल दिया। बिहार का राजनगर वो ऐतिहासिक और गुमनामी वाली जगह है।

Photo of बिहार की वो ऐतिहासिक जगह, जिसे एक भूकंप ने गुमनामी में ढकेल दिया 1/1 by Rishabh Dev

राजनगर बिहार के मधुबनी जिले में आता है। ये वही मधुबनी है जो पूरी दुनिया में अपनी पेंटिग्स के लिए फेमस है। राजनगर दरभंगा से 50 किमी. और बिहार की राजधानी पटना से 190 किमी. की दूरी पर है।

राजनगर बिहार के भुला दिए गए इतिहास का एक हिस्सा है। अगर आप वाकई अपने आपको घुमक्कड़ मानते हैं तो राजनगर आपकी बकेट लिस्ट में जरूर होना चाहिए। जब भी बिहार घूमने का मौका मिले तो राजनगर जाना न भूलें।

इतिहास

राजनगर को बिहार की इतालवी लुटियंस भी कहा जाता है। जिस समय दिल्ली में लुटिएंस का निर्माण हो रहा था, ठीक उसी समय बिहार के राजनगर में लुटिएंस बन रही थी।

इस जगह की इमारतें और आर्किटेक्चर के देखने के बाद आपको ये समझ भी आ जाएगा। दरभंगा के राजा लक्ष्मेश्वर सिंह ने राजनगर अपने छोटे भाई रामेश्वर को दे दिया।

राजनगर में उन्होंने अपने भाई के लिए शाही निवास बनवाया। लक्ष्मेश्वर की मौत के बाद रामेश्वर खुद महाराजा बन गए और उन्होंने राजनगर को एक राॅयल सिटी के रूप में डेवलेप किया।

उन्होंने राजनगर में कई महल, मंदिर और सचिवालय बनवाए। 1929 में महाराजा रामेश्वर की मौत हो गई।

इसके बाद दरभंगा राज के राजा बने उनके बेटे कामेश्वर सिंह। कामेश्वर राजधानी और परिवार को वापस राजनगर से दरभंगा ले गए।

1934 में भारत-नेपाल में भूकंप आया। जिसने बिहार समेत उत्तर भारत को हिलाकर रख दिया। इस भूकंप ने इसी ऐतहासिक शहर को खंडहर में बदल दिया। भूकंप के बाद राजनगर में अभी भी बहुत कुछ देखने लायक है।

कैसे पहुँचे?

फ्लाइट सेः अगर आप फ्लाइट से राजनगर जाने का प्लान बना रहे हैं तो सबसे नजदीकी जयप्रकाश इंटनेशनल एयरपोर्ट है। पटना से राजनगर की दूरी 190 किमी. है। आप बस या टैक्सी बुक करके राजनगर तक आराम से पहुँच सकते हैं।

ट्रेन सेः यदि आप राजनगर ट्रेन से आने का सोच रहे हैं सबसे निकटतम राजनगर रेलवे स्टेशन है। रेलवे स्टेशन मुख्य शहर से लगभग दो किमी. की दूरी पर है। इसके अलावा आप दरभंगा और मधुबनी रेलवे स्टेशन है। जहाँ से आप टैक्सी बुक करके राजनगर पहुँच सकते हैं।

वाया रोडः अगर आप वाया रोड राजनगर जाना चाहते हैं राजधानी पटना से मुजफ्फरपुर और फिर दरभंगा वाले रास्ते पर आइए। दरभंगा से राजनगर की दूरी 50 किमी. है। आप खुद की गाड़ी से या किराए पर गाड़ी बुक करके राजनगर पहुँच सकते हैं।

कहाँ ठहरें?

राजनगर कभी बिहार की अहम जगह हुआ करती थी। आज तो एक छोटी-सी जगह है जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता हैं। यहाँ आपको ठहरने के लिए कुछ नहीं मिलेगा। राजनगर से मधुबनी की दूरी 14 किमी. है। यहाँ पर आपको छोटे-बड़े हर प्रकार के होटल मिल जाएंगे। आप यहाँ पर अपने बजट के हिसाब से जगह को चुन सकते हैं। राजनगर आने के लिए सबसे बेस्ट टाइम सर्दियों का है। सर्दियों में आप बिहार के राजनगर को आराम से घूम पाएंगे।

क्या देखें?

राजनगर आज जरूर लोगों ने बिसरा दिया हो लेकिन ये कभी दरभंगा के राजा की राजधानी हुआ करता था। बहुत कुछ खंडहर में तब्दील भी हो गया है फिर भी यहाँ देखने को बहुत कुछ है।

1- नौलखा महल

राजनगर की सबसे महत्वपूर्ण इमारत में से एक है, नौलखा महल। इस महल का नाम नौलखा इसलिए है क्योंकि इसको बनाने में नौ लाख रुपए लगे थे। इस महल में कई कमरे और देवी दुर्गा का मंदिर अंदर ही है। नौलखा महल की छत अब नहीं है। भूकंप की वजह से ज्यादातर हिस्सा खंडहर बन गया है। इसके बावजूद इसकी खूबसूरती और आर्किटेक्चर को देखकर सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा सकता है कि पहले ये कितना खूबसूरत हुआ करता होगा। राजनगर आएं तो नौलखा महल को जरूर देखें।

2- दुर्गा मंदिर

बिहार के राजनगर में दुर्गा मंदिर नौलखा महल के दक्षिणी तरफ स्थित है।

इस मंदिर में गर्भगृह है जो मंडप से जुड़ा हुआ है। मंदिर में देवी दुर्गा की संगमरमर की मूर्ति है। जिसमें उनकी दस भुजाएं हैं और वो शेर पर बैठी हैं।

उनके दाहिने पैर के नीचे महिषासुर है। मंदिर की छत पर अलंकृत नक्काशी और पेंटिंग है।

नक्काशी में पत्तियां, फूल और पेड़ बने हुए हैं। 6 खूबसूरत स्तंभों पर खड़ा हुआ ये मंदिर राजनगर का खूबसूरत मंदिर हैं।

मंदिर के पुरे परिसर में पेटिंग बनी हुई हैं। आप धार्मिक हो या न हो आपको ये मंदिर घुमक्कड़ की तरह देखना चाहिए।

3- सचिवालय

इस ऐतहासिक जगह पर एक बहुत बड़ा परिसर है जिसे सचिवालय बनाया गया था। जिसे राजा ने सरकारी कामकाज के लिए बनाया था।

1971 में इसे ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी को दिया गया था। अब इसके कुछ हिस्से में विश्वेश्वर जनता कॉलेज चलता है।

सचिवालय के गेट पर दो बड़े-बड़े सीमेंट के हाथी बने हैं। जिनके बनने के पीछे एक दिलचस्प वाक्या है। इतालवी आर्किटेक्चर कोरोन जिन्होंने इस जगह पर इमारतें बनाईं। उन्होंने राजा से कहा कि सीमेंट से बने खंभे इतने मजबूत होंगे कि उसे हाथी भी नहीं तोड़ पाएंगे।

जिसके बाद राजा ने उनसे सीमेंट के हाथी बनाने को कहा। सीमेंट के हाथी जब बनकर तैयार हुए तो राजा ने उनको देखा।

हाथियों को देख राजा इतने खुश हुए कि उन्होंने इसे सचिवालय की डिजाइन में रखने को कहा।

बाद में आर्किटेक्चर कोरोन की बात सही साबित हुई. 1934 के भूकंप में लगभग पूरा शहर खंडहर बन गया लेकिन सीमेंट के हाथी ज्यों के त्यों खड़े रहे।

4- काली मंदिर

राजनगर में एक और खूबसूरत मंदिर है, काली मंदिर। इस मंदिर को महाराजा रामेश्वर सिंह ने बनवाया था। सफेद संगमरमर का बना काली मंदिर पंचायतन शैली में बना हुआ है।

जिसमें गर्भगृह, शिखर और मंडप है। ये मंदिर गंगासागर तालाब के किनारे बना हुआ है। जिसमें काली मां मूर्ति है।

मंदिर की दीवारों पर मिथिला की पेंटिंग बनी हुई है। मंदिर बड़े-बड़े स्तंभों पर खड़ा हुआ है जिन पर सुंदर नक्काशी बनी हुई है।

मंदिर की दीवारों में संस्कृत में भी कुछ-कुछ लिखा हुआ है। आर्किटेक्चर का बेहतरीन नमूना है राजनगर का काली मंदिर।

इसके अलावा आप यहाँ के कामाख्या और अर्द्धनारीश्वर मंदिर को भी देख सकते हैं।

5- मधुबनी

राजनगर से कुछ किलोमीटर की दूरी पर मधुबनी है।

मधुबनी अपनी मिथिला पेंटिंग के लिए पूरी दुनिया में फेमस है। मधुबनी घूमते हुए आपको यहाँ की गलियों और दीवारों पर मिथिला पेंटिंग की झलक दिखाई देगी।

मिथिला पेंटिंग का असली रूप गांव की झोपड़ियों में मिट्टी से बनी कलाकृति में दिखाई देता है।

आप बिहार के राजनगर आते हैं तो मधुबनी देखना न भूलें।

बिहार के राजनगर को सरकार और लोगों ने भुला दिया है। यहाँ पर बहुत कुछ खंडहर में तब्दील हो गया है लेकिन बहुत कुछ है जो अब भी सहेजा जा सकता है।

इसके लिए घुमक्कड़ों के राजनगर जाना चाहिए और सबको इस जगह के बारे में बताना चाहिए। यही तो असली घुमक्कड़ी है।

क्या आपने कभी बिहार की किसी जगह की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।

बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें

Tripoto हिंदी के इंस्टाग्राम से जुड़ें और फ़ीचर होने का मौक़ा पाएँ।

Further Reads