भुवनेश्वर ट्रैवल गाइडः मंदिरों के शहर में घूमने को है बहुत कुछ!

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कहते हैं हर शहर का अपना रंग होता है, अपनी तहज़ीब और पहचान होती है। यही उसकी आत्मा होती है। मैं भुवनेश्वर शहर आया, उसकी तहज़ीब और विरासत से मिला, कुछ दिन यहीं का हो गया मानो। अपनी घूमी जगहों का लेखा जोखा और वो सारी जानकारी, जो आपको भुवनेश्वर ट्रिप जो आपको जाने से पहले जाननी चाहिए, सब मिलेगी यहाँ।

कैसे नाम पड़ा भुवनेश्वर

ये शहर किसी ज़माने में 7,000 मंदिरों का घरौंदा हुआ करता था, आज भी वही विरासत यहाँ की हवा में है। भगवान शिव के नाम त्रिभुवनेश्वर के नाम पर इसका नामकरण भुवनेश्वर के नाम से हुआ।

भुवनेश्वर के सबसे प्रसिद्ध लिंगराज मंदिर में भगवान शिव अपने दर्शन देते हैं। उनका महत्त्व इतना है कि हर दिन भारत और विदेश से क़रीबन 6,000 श्रद्धालु भगवान के दर्शन को आते हैं।

भुवनेश्वर के पर्यटन स्थल

जैसा कि पहले बताया, भुवनेश्वर पर्यटन स्थलों में मंदिरों का बहुत योगदान है। पर हर घुमक्कड़ मंदिरों के अलावा भी कुछ खोजता है। उम्मीद है आप भी इस तलाश में होंगे।

1. लिंगराज मंदिर

सातवीं सदी में राजा जजाति केशरी ने आराध्य भगवान शिव का मंदिर बनवाया था। तभी से यह श्रद्धा का प्रतीक बना हुआ है। इस मंदिर का रंग तो तब निखर कर आता है जब भगवान शिव का सबसे बड़ा त्यौहार महाशिवरात्रि यहाँ पर मनाया जाता है। चारों ओर धूम होती है महाशिवरात्रि की और जो नज़ारा मिलता है, वो जीवन में एक बार तो अनुभव किया जाना चाहिए।

2. परशुरामेश्वर मंदिर

अगर एक वाक्य में कहूँ तो यह मंदिर असल मायनों में उड़ियन वास्तु कला का नमूना है। 650 ईसवी में बना यह मंदिर आपको नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर की याद दिलाता है। हर तरफ़ ढेर सारे छोटे छोटे शिवलिंग मंदिर में स्थित हैं। शिव के साथ ही भगवान गणेश और माता पार्वती की नक्काशीदार मूर्तियाँ भी इस मंदिर की शोभा बढ़ाती हैं।

3. राजा रानी मंदिर

यूँ तो राजा रानी मंदिर पूरे भारत में आपको मिलेगें जहाँ प्रेम को अलग अलग रंगों में प्रकाशित किया जाता है। नायक और नायिका की प्रेम दर्शाती नक्काशी वाली मूर्तियाँ मिलती हैं। लेकिन यह एक अनूठा कारण इसे अन्य राजा रानी मंदिर से अलग कर देता है। इस मंदिर में एक भी मूर्ति नहीं है। बस दीवार पर भगवान शिव और माँ पार्वती के खुदे हुए चित्र दृष्टिगोचर होते हैं।

4. आदिवासी कला और कलाकृति म्यूज़ियम

राज्य के बड़े शहरों में अपनी कला और संस्कृति ज़िन्दा रखने के लिए म्यूज़ियम प्रायः हुआ करते हैं। भुवनेश्वर चूँकि उड़ीसा की विरासत का केन्द्र है और आदिवासियों की कई प्रजातियाँ आज भी यहाँ मौजूद हैं, उन्हें जानने और सीखने का मौक़ा छोड़ना नहीं चाहिए। कम से कम उस नज़रिए से भी तो दुनिया देखें जिससे हमको जान कर जुदा रखा जाता है।

इसलिए यहाँ आना बेहद यादगार तोहफ़ा होगा, ख़ुद के लिए भी और अपने समाज के लिए भी।

5. खंडगिरी गुफ़ाएँ

खंडगिरी गुफ़ाओं का अपना ऐतिहासिक महत्त्व भी है। दूसरी शताब्दी में यहाँ आस-पास ही लोग अपने आराध्यों के मंदिर बनाते थे। मनोरंजन के लिए मूर्तियाँ बनाते थे जिनका वजूद और अर्थ आज भी यहाँ देखने मिलता है। यहाँ आपको बौद्ध भिक्षु और जैन मुनि भी ध्यान और आराधना करते मिल ही जाएँगे।

किसी शान्तपरस्त और सुकून देने वाली जगह की तलाश में यहाँ आना श्रेयस्कर ही होगा।

6. डारस बाँध

किसी शाम में मंदिर से मन ऊब सा जाता है, इसलिए आपको डारस बाँध आना चाहिए। बना तो यह सिंचाई के लिए था, लेकिन पर्यटकों को इससे क्या मतलब। दूर दूर तक फैले घास के मैदान और ठंडी हवा इस जगह को और यादगार बनाती है।

7. बिन्दु सरोवर

जैसा डारस बाँध है, उससे कुछ अधिक पवित्र है बिन्दु सरोवर। कहा जाता है कि इस सरोवर का पानी सभी पवित्र नदियों और तालाबों से शामिल किया गया है। इसके साथ ही यह सरोवर लिंगराज मंदिर के पास में ही स्थित है, तो ख़्याल और बढ़ जाता है।

जाने का सही समय

भुवनेश्वर अपने ऐतिहासिक परिवेश के लिए जाना जाता है। घूमने के लिए ढेर सारी जगहें होने के बाद समुद्र यहाँ से बहुत दूर नहीं है। गर्मियों के मौसम में तापमान 40-45 डिग्री तक पहुँच जाता है। और मॉनसून के महीनों में तो यूँ झूम के बरसता है पानी कि ख़बरें दिल्ली तक पहुँचती हैं। इसलिए अगर भुवनेश्वर घूमने का मन बनाया है तो सर्दियों का समय सबसे बढ़िया रहेगा। अक्टूबर से फ़रवरी के महीनों में यहाँ आने का प्लान बनाया जा सकता है।

कैसे पहुँचें भुवनेश्वर

हवाई मार्गः उड़ीसा में अकेला हवाई अड्डा बीजू पटनायक हवाई अड्डा है जो कि भुवनेश्वर में स्थित है। भारत के हर बड़े हवाई अड्डे से आपको यहाँ के लिए फ़्लाइट मिल जाएँगी।

दिल्ली से भुवनेश्वर का हवाई किराया ₹4,000 तक होगा।

रेल मार्गः भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन भारत के हर बड़े स्टेशन से जुड़ा है। कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई और बंगलौर से आप ट्रेन पकड़ सकते हैं। यहाँ से आपको कैब और टैक्सी मिल जाएँगी, जिससे आप कहीं भी घूमने निकल सकते हैं।

दिल्ली से भुवनेश्वर का एसी 3 टियर किराया ₹3,400 जबकि स्लीपर किराया ₹710  है।

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श्रेयः अंगमत

सड़क मार्गः शहर से भुवनेश्वर बस अड्डे की दूरी 8 किमी0 है। लेकिन उड़ीसा परिवहन की बसें आपको मंज़िल तक पहुँचा ही देंगी।

हैदराबाद से भुवनेश्वर की वोल्वो बस का किराया ₹1,700  तक होगा।

ठहरने के लिए

1. ट्रीबो ट्रेंड आतिथ्य

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दो लोगों के लिए एक दिन का कुल किराया ₹1,650  तक होगा।

2. फ़ैब एक्सप्रेस 7 सैंड्स

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दो लोगों के लिए एक दिन का कुल किराया ₹2,000  तक होगा।

खाने का ज़ायका

निर्भर करता है कि आप किस क़िस्म का खाना पसन्द करते हैं।

देसी तड़का पसन्द हो तो मेफ़ेयर लगून के ज़ायके का स्वाद ज़रूर लें। दो लोगों के लिए आपका कुल बिल ₹1,400 से ₹1,800 तक बनेगा।

होटल स्वस्ति में ज़ायका आज़मा सकते हैं आप जो भारतीय, एशियाई और इंटरनेशनल ज़ायके के लिए प्रसिद्ध है। दो लोगों के लिए आपका कुल बिल ₹1,000 से ₹1,500  तक बनेगा।

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