उड़ीसा, हरियाली से भरा भारत का वह प्रदेश, जिसकी तरफ़ लोग बहुत ज़्यादा ध्यान नहीं देते हैं। न तो पर्यटन और न ही किसी और चीज़ के मामले में उड़ीसा का बहुत नाम हुआ है। अपना काम गुपचुप तरीक़े से करते इस प्रदेश का पास इतना कुछ है घूमने घुमाने के लिए कि सारी ज़िंदगी छोटी पड़ जाए। इनमें ही एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय पार्क भीतरकनिका आने वाले 1 अक्टूबर से आपकी सेवा में खुल जाएगा।
भीतरकनिका वाइल्डलाइफ़ सैंचुरी क्यों है इतनी ख़ास?
इस वाइल्डलाइफ़ सैंचुरी को भारत का मिनी अमेज़ॉन भी कहा जाता है। बंगाल की खाड़ी से सटे इस राष्ट्रीय पार्क में सदाबहार पेड़ों की संख्या सुंदरबन के बाद दूसरे नंबर पर है। अपनी हरियाली, दूसरे देशों से आने वाले पंछी, जैतूनी कछुए, दिलकश मौसम इसे पर्यटन के हिसाब से और भी सुंदर बना देते हैं। इस इलाक़े में खारे पानी के सबसे ज़्यादा मगरमच्छ पाए जाते हैं, लगभग 1,600। लेकिन केवल मगरमच्छ ही नहीं, यहाँ पर आपको हिरण, जंगली सुअर और चटख रंग वाले पंछी बहुत आसानी से देखने मिल जाएँगे।
यहाँ के सैकड़ों पेड़ों पर बगले की दस से भी ज़्यादा प्रजातियाँ मिल जाएँगी। दूसरे पंछियों में एशियाई ओपनबिल, काले इबिस, कॉर्मोरेंट, डार्टर आदि भी भारी संख्या में इस घर में रहते हैं। दूसरे जीव जन्तुओं में हॉक्सबिल, लेदरबैक कछुए, किंग कोबरा, सांभर, चीतल, मछली पकड़ने वाली बिल्लियाँ, तेंदुए, केंकड़े भी आए दिन देखने मिल जाते हैं। कुल मिलाकर सभी प्रकार के जीवों और पंछियों को देखने के लिए यह जगह एक स्वर्ग है।
बंगाल की खाड़ी से सटे होने के कारण आपको पानी के जीव भी बहुत आसानी से देखने मिल जाते हैं। उनमें बोतल सी नाक वाली डॉल्फ़िन, इरावडी डॉल्फ़िन, बिना पंखों वाली पोर्पॉइस डॉल्फ़िन भीतरकनिका अभयारण्य में सामान्य तौर पर देखने मिलती हैं। खाड़ी से सटे होने का एक फ़ायदा यह भी है कि आप शायद पहली बार किसी डेल्टा को बनते हुए देखते हैं। यहाँ का किराया 40 रु. है।
आप यहाँ साल के किसी भी महीने में आएँ, हर बार आपको अलग नज़ारा मिलेगा। फिर चाहे आप प्रकृति विज्ञानी हों या फिर वाइल्डलाइफ़ देखने के शौक़ीन। जब भी यहाँ पर आएँ, अपने साथ कैमरा लाना न भूलें। क्योंकि जाने के बाद हर लम्हे को याद रखने के लिए कैमरा बहुत ज़रूरी होता है।
ठहरने के लिए
दंगामल नेचर कैंप, बालीखाटी, गुप्ती नेचर कैंप भीतरकनिका में ऐसी कुछ लग्ज़री जगहें हैं जहाँ पर आप ठहर सकते हैं। आपके लिए यहाँ उड़ीसा का मनपसंद का खाना और रहने की व्यवस्था हो जाती है। हबालीखाटी नेचर कैंप में कुल 9 कमरे हैं जहाँ से आपको समुद्र का नज़ारा देखने मिलता है। आप बहुत कम क़ीमत में यहाँ पर ठहर सकते हैं। हबालीखाटी एक ख़ास, अनछुआ और शानदार बीच है, जिसके बारे में शायद ही कुछ लोग जानते होंगे।
यह बीच रात के समय चमकता भी है। गुप्ती नेचर कैंप जंगलों के बीच में बना हुआ 6 लग्ज़री कमरों का आशियाना है, जो पतासला नदी के पास में स्थित है। भीतरकनिका वाइल्डलाइफ़ सैंचुरी में आप यहाँ से होते हुए प्रवेश करते हैं। अगर आप यहाँ पर आ रहे हैं, तो समुद्री खाने का जो स्वाद आप पाएँगे, उसका कोई हिसाब नहीं है। एकदम उँगलियाँ चाटने वाला खाना। आप ठहरने के साथ मौज मस्ती के लिए बोटिंग का भी आनंद ले सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको यहाँ के मुख्यालय से लाइसेंस बनवाना होगा।
एक विशेष जानकारी
इस जंगल में घूमने के लिए आने का केवल एक रास्ता है, जो इन होटलों से होकर गुज़रता है। आप इनमें से किसी होटल में बुकिंग किए बिना इस वाइल्डलाइफ़ सैंचुरी में नहीं आ सकते। आप यहाँ पर होटलों की बुकिंग इस लिंक पर जाकर कर सकते हैं।
कैसे पहुँचें
सड़क मार्गः राजनगर और चाँदबली रोड से आप आसानी से यहाँ पहुँच सकते हैं।
रेल मार्गः कटक जंक्शन रेलवे स्टेशन यहाँ से 117 किमी0 और भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन 169 किमी0 दूर है। भद्रक रेलवे स्टेशन कुल 55 किमी0 दूर है, जहाँ से आप आसानी से भीतरकनिका पहुँच सकते हैं।
हवाई मार्गः भीतरकनिका के सबसे नज़दीक बीजू पटनाइक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। आप यहाँ से कैब कर पहुँच सकते हैं।
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