ये हैं भारत के सबसे अमीर गाँव, लाखों में कमाते हैं गाँव वाले!

Tripoto

'भारत गाँवों का देश है।'

जब भी हम ऐसा सोचते हैं तो हमारे सामने गाँवों की एक छवि बनकर आती है। जहाँ सड़कें कच्ची हैं, पानी आता नहीं, लोग ज़मींदार के खेत में काम करते हैं और ज़मींदार उनका ख़ूब ख़ून चूसता है। बिजली का भी पानी जैसा ही हाल है। कुल मिलाकर तमाम दिक्कतें हैं और लोग मजबूर।

संभव है कि भारत के अधिकांश गाँवों की स्थिति ऐसी ही हो, लेकिन हम ज़िक्र करने जा रहे हैं भारत के उन गाँवों का, जो इस छवि से कोसों दूर हैं। भारत के ये 7 गाँव देश के सबसे अमीर गाँव कहलाते हैं। 

महाराष्ट्र और गुजरात के गाँव इस लिस्ट में टॉपर हैं। तो आइए, इस सफ़र पर चलते हैं Tripoto हिन्दी के साथ,

1. हिवरे बाज़ार, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र का अहमदनगर ज़िला सूखाग्रस्त होने के कारण पूरे भारत में प्रसिद्ध है। उसी अहमदनगर में अपने सिंचाई तंत्र के लिए मशहूर है हिवरे बाज़ार।

1990 में बेरोज़गारी, पलायन और डकैती से जूझता हुआ हिवरे बाज़ार, रालेगण सिद्धि (अपनी योजनाओं के इस्तेमाल के लिए प्रसिद्ध गाँव) की तर्ज पर चला और सरकार से मिलने वाली योजनाओं का ही फ़ायदा उठाकर सही रास्ते पर आया। यहाँ रह रहे गाँव वासियों की औसत आय ₹30,000 महीना है और यहाँ रह रहे 235 परिवारों में से 60 परिवार लखपति हैं।

2. हम्पी, कर्नाटक

अपने ऐतिहासिक इमारतों के लिए प्रसिद्ध हम्पी मुख्य रूप से अपने ऐतिहासिक कलेवर में ही जाना जाता है, लेकिन इसके गाँव का स्वरूप भी अद्भुत है। इस गाँव में लोग आपको बाइक पर घूमते मिल जाएँगे। उनमें कुछ विदेशी होने की पूरी संभावना है। यहाँ पर रशियन और इज़्राइली खाना मिल जाएगा। संगीत के सामान की दुकानें हैं यहाँ पर।

सबसे ज़रूरी बात, अपनी ऐतिहासिक विरासत को समेटे हम्पी का ये गाँव शहर वाले सारे रंग रखने के बाद भी अपने गाँव की रंगत पर पूरा खरा उतरता है। अगर हम्पी आप सिर्फ़ इसके ऐतिहासिक महत्त्व को देखने जा रहे हैं, तो कुछ कम कर रहे हैं आप।

3. मरोग गाँव, हिमाचल प्रदेश

हिमाचल की आब ओ हवा से वाक़िफ़ हैं आप। एक ख़ूबसूरत गाँव भी देखने का मौक़ा निकाल लीजिएगा। हिमाचल के जंगलों के नज़दीक ही मरोग गाँव मिलेगा। इस गाँव में सेब का इतना बड़ा कारोबार है कि विदेशों तक में यहाँ का सेब बिकता है।

सूत्रों की मानें तो इस गाँव में लोगों की अधिकतम सालाना आय 95 लाख रुपए तक है।

4. माधोपुर, गुजरात

1990 के दशक में तकनीक का ज़माना आया और माधोपुर देश के सबसे पहले हाइ टेक गाँव की शक्ल में आ गया। पूरे गुजरात ने पिछले दो दशक में ख़ूब विकास किया है। लेकिन इस गाँव की ख़ासियत थी अच्छे होटलों की, समझदार लोग थे, तकनीक का प्रभाव था, इसलिए बड़ी बड़ी मीटिंग कराने के लिए बेस्ट जगह बन गया गुजरात का माधोपुर।

गाँव के सभी लोगों की संपत्ति का ब्यौरा निकालेंगे तो माधोपुर भारत के सबसे अमीर गाँवों की लिस्ट में मिलेगा।

5. पुंसरी, गुजरात

साबरकाँठा ज़िले में स्थित पुंसरी नामक गाँव, बस नाम का ही गाँव है। शहर की लगभग हर सम्पदा बसती है इस गाँव में। और सबसे ख़ूबसूरत बात, यहाँ पर लोकतान्त्रिक मूल्यों का बड़ा ख़्याल रखा जाता है।

पंचायती राज का बहुत अच्छा पालन और उपयोग होने के कारण बिजली, शिक्षा, पानी की समुचित व्यवस्था के साथ तकनीकी इंटरनेट और वाई-फ़ाई की सुविधा भी उपलब्ध है। यहाँ के हिमांशु पटेल ने 23 की उम्र में सरपंच बनकर यहाँ की व्यवस्था को सुधारा है।

इसके साथ ही इस गाँव में बारिश से होने वाले भराव को रोकने के लिए बेहतरीन जलनिकासी की सुविधा है। पूरा गाँव खुले में शौच से मुक्त है।

6. बल्दिया, गुजरात

गुजरात के भुज से 20 कि.मी. दूर स्थित बल्दिया गाँव की पहचान भी दूर-दूर तक है। अगर बात करें परिवहन की तो टॉप क्लास की सेवा है परिवहन के मामले में। चौड़ी सड़कें हैं और टेलेकम्युनिकेशन भी पहुँच चुका है यहाँ तक।

8000 लोगों के इस छोटे से गाँव की कुल संपत्ति 1200 करोड़ रुपए है। अंदाज़ा आप लगा लीजिए कि आर्थिक रूप से कितना संतुष्ट है पूरा गाँव।

और सबसे बड़ी बात, यहाँ पर बहुतायत की संख्या में पटेल समुदाय के लोग रहते हैं। उन्होंने अमेरिका, कनाडा और दूसरे देशों में अपना व्यापार खोल लिया। विदेशों में होने के बाद भी उन्होंने अपने गाँव को छोड़ा नहीं और विकास में बहुत योगदान दिया। इसीलिए बल्दिया की छवि आस-पास के गाँवों में बहुत अच्छी बनी हुई है।

7. मेंढा लेखा, महाराष्ट्र

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली ज़िले का गाँव मेंढा लेखा अपने आप में बहुत विचित्र गाँव है। 6 साल तक चली एक बड़ी क़ानूनी जंग जीतने के बाद मेंढा लेखा पहला ऐसा गाँव बना, जिसके पास अपने वन अधिकार भी हैं।

गाँव की आबादी मुख्य रूप से बाँस पर निर्भर है। 450 लोगों की आबादी वाले गोंड जाति के लोग इस बाँस से कागज़ बनाते हैं। यही उनकी आमदनी का मुख्य स्रोत है। और सबसे बड़ी बात इनकी कमाई करोड़ों में होती है, जितना आज के ज़माने में डॉक्टर, इंजीनियर भी नहीं कमा पाते हैं। इस पैसे का पूरा इस्तेमाल गाँव के विकास और सामाजिक कल्याण के लिए किया जाता है।

इन गाँवों के बारे में जानते हुए आप एक बात समझ पाएँगे कि सभी जगह पंचायती राज और नियमों का इस्तेमाल बड़ा बख़ूबी किया जाता है।

सरकार द्वारा मिलने वाला पैसा या तो नेताओं की जेब में जाता है, या फिर वापस सरकार के ख़ज़ाने में। लेकिन यहाँ की जनता और व्यवस्थाएँ सुधर जाएँ तो बात बन जाए, हाँ बात बन जाए। इसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं ये गाँव।

अगर आपको और किसी गाँव की जानकारी है जो इतना ही विकसित है तो हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।

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