भारत की 14 अनछुई जगहें! पक्के घुमक्कड़ ही इन जगहों पर जाने का सोचते हैं

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घुमक्कड़ी कोई अचानक बनाया हुआ कोई प्लान नहीं है। ये तो एक सोची-समझी हुई योजना है। घुमक्कड़ी सिर्फ किसी जगह के लिए निकलने से शुरू नहीं होती है। ये तो तब ही शुरू हो जाती है जब आप उन जगहों के बारे में पढ़ने लगते हैं जहाँ आप जाना चाहते हैं। बहुत से लोग उन जगहों के बारे में पढ़कर वहाँ चले भी जाते हैं और बहुत-से लोग अपने व्यस्त जिंदगी के वजह से नहीं जा पाते हैं। तब खूबसूरत और अनछुई जगहों के बारे मे पढ़कर सुकून पाते हैं। आप हमको भारत की कुछ ऐसी जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में बहुत कम लोगों ने सुना है। इन जगहों पर जाने के बाद आप खुद को नहीं, लोग आपको घुमक्कड़ कहेंगे। अगर आप घुमक्कड़ हैं तो इन जगहों को अपनी बकेट लिस्ट में जोड़ लो।

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1. लोनार झील

झील हमेशा खूबसूरती का पर्याय रही हैं, ऐसी ही खूबसूरत झील है लोनार। करीब 5,000 साल पुरानी ये झील महाराष्ट्र के बुलधाना जिले में स्थित है। लोनार झील हर किसी का मन मोह लेती है। इस झील के बनने की भी एक रोचक कहानी है। माना जाता है कि हजारों साल पहले उल्का पिंड के टकराने से इस जगह पर सैकड़ों गड्ढे हो गए थे। बाद इन गड्ढों में धीरे-धीरे पानी भरता गया जो झील में तब्दील हो गई। झील का पानी इतना साफ है कि लगता है किसी ने इसमें गहरा हरा चटक रंग मिला दिया हो। यहाँ एक वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी है जिसमें शेर, हिरण, बाघ और हाथी जैसे जानवर देखने को मिल जाएंगे।

2. बोर्रा गुफाएँ

बहुत सारे लोग अराकू वैली के नाम से परिचित होंगे। आंध्र प्रदेश की इसी घाटी में बोर्रा गुफाएँ हैं। कहा जाता है कि ये गुफाएँ इतनी लंबी है कि इनको दुनिया की सबसे लंबी गुफाओं में शुमार किया जाता है। बोर्रा गुफाएँ खूबसूरती के मामले में अपने आप में एक अजूबा है। इनके बनावट की बात करें तो ये गुफाएँ चूना मिट्टी के पत्थरों से बनी हैं। इन गुफाओं में बहुत सालों से गोस्थनी नदी का पानी गिरता आ रहा है जिस वजह ये बहुत मशहूर हैं। वैज्ञानिक दृष्टि से इस गुफा का बड़ा महत्व है यहाँ मिलने वाले पत्थर रिसर्च के काम में आते हैं।

3. नीघोज

शायद ही आपने ये नाम सुना हो। पुणे से करीब 2 घंटे दूर ये एक गाँव है, निघोज। यहाँ आपको वो नजारे देखने को मिलेंगे जो शायद आपको कहीं और न मिलें। पानी और पत्थर का मिलना देखा है कभी? यहाँ आकर आप सोचते रह जाएँगे कि पानी और पत्थर का मिलन इतना खूबसूरत कैसे हो सकता है? नीघोज गाँव बेसाल्ट पत्थरों का खजाना है। असल बात ये है कुकड़ी नदी का तल इन्हीं पत्थरों से बना है। जिसके चलते इन पत्थरों में गड्ढे हो गए हैं जो देखने में मटके की तरह लगते हैं। इन्हें यहाँ के लोग अपनी लोकल भाषा में कुंड बोलते हैं। इन गड्ढों की गहराई ज्यादा नहीं है इसलिए आप कुछ दूर तक इनमें चल सकते हैं। हालांकि सावधानी जरूरी है क्योंकि कुछ गड्ढे 40 फीट तक गहरे हैं।

4. गंडिकोता वैली

आंध्र प्रदेश की धरती अपने आप में इतने नगीनों को छिपाए बैठी है कि क्या ही कहा जाए? इन्हीं में से एक है गंडिकोटा वैली। 300 फीट से भी ज्यादा गहरी ये घाटी आंध्र प्रदेश के कुद्दापाह जिले में आती है। 1,000 साल से भी ज्यादा पुरानी इस घाटी में 13वीं सदी का एक किला भी है। ये किला अपने आप में एक अजूबा है। देखने में बेहद सुंदर इस किले का निर्माण बलुआ पत्थर यानी सैंडस्टोन से हुआ है। भारत में ऐसी बहुत ही कम जगह होंगी जो गंडिकोटा घाटी की शान की बराबरी कर पाएँ। अगर आप अचंभित कर देने वाले नजारे देखना चाहते हैं तो थोड़ा मेहनत करिए और ट्रेक करके इसके ऊपरी छोर तक जाइए। यहां से आपको नीचे पेन्नार नदी दिखाई देगी जो कि जंगल के बीच से बहती हुई बेहद सुंदर लगती है।

5. होगेनक्कल वाटरफाॅल

मेरे ख्याल से वाटरफाॅल खूबसूरती और सुकून का दूसरा नाम है। हो सकता कि किसी को पहाड़ पसंद हों और किसी को बीच। मगर वाटरफाॅल हर किसी को पसंद होते हैं। ऊँचाई से गिरते पानी को गिरते देखना, उसके नीचे नहाना ये सब एडवेंचर भी देता है और रिलैक्स भी फील कराता है। ऐसा ही खूबसूरत वाटरफाॅल है, होगेनक्कल। कन्नड़ भाषा में होगेनक्क्ल का मतलब है धुआँ वाले पत्थर। इस झरने का मुख्य स्रोत है, कावेरी नदी। ये नदी तमिलनाडु और कर्नाटक से होते हुए एक संकरी-सी घाटी बनाते हुए होगेनेक्कल झरने में बदल जाती है। 150 फीट की ऊँचाई से गिरते पानी को देखना वाकई सुकून देता है। पानी की ऊंचाई इतनी ज्यादा होती है कि दूर से देखने पर वो पानी कम धुआँ ज्यादा लगता है। खास बात यह है होगेनक्कल झरना एक बड़ा झरना नहीं है। असल में कई सारे छोटे-छोटे झरने हैं जो जब एक साथ इतनी ऊँचाई से गिरते हैं तो लगता है कि ये एक ही झरना है।

6. लोकतक लेक

चलिए आपसे एक जीके का सवाल पूछता हूँ। भारत की मीठे पानी की सबसे बड़ी झील कौन-सी है? अगर आप किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो आपको इस बारे में जरूर पता होगा। भारत में मीठे पानी की सबसे बड़ी झील है लोकतक झील। ये लेक नाॅर्थ-ईस्ट के मणिपुर में है। इस झील की खास बात ये है कि इसी झील में दुनिया का इकलौता तैरता हुआ पार्क केईबुल लमजाओ नेशनल पार्क है। यहीं पर दुनिया का इकलौता तैरता हुआ गाँव भी है। इस झील का एक अलग तरह का इकोसिस्टम है जिसे यहाँ के लोग फूमदी कहते हैं। अब बताइए है ना ये झील देखने लायक?

7. बैरन द्वीप

बैरन यानी कि कुछ नहीं। इस नाम से तो यही लगता है कि बैरन द्वीप पूरी तरह से खाली होगा। इस द्वीप पर कोई नहीं रहता होगा। अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो आप पूरी तरह से सही हैं। अब सोचने वाली ये बात है कि जब इस द्वीप पर कोई नहीं रहता तो फिर यहाँ देखने लायक क्या है? बैरन द्वीप पर भारत का इकलौता सक्रिय ज्वालामुखी है जो इस जगह को खास बनाता है। ये द्वीप अंडमान निकोबार से कुछ ही दूरी पर है। यहाँ जाने के लिए आप अंडमान से मोटरबोट का सहारा ले सकते हैं। ये द्वीप प्रकृति का एक अद्भुत करिश्मा है। यहाँ आकर आपको शांति और सुकून का एहसास होगा।

8. संगेत्सर लेक

तवांग, सेला पास और दिरांग। ये सब सुन कर हर किसी के जेहन में अरुणाचल प्रदेश ही आता होगा। उसी अरुणाचल प्रदेश में एक ऐसी झील है जो सालों पहले आए एक भूकंप की वजह से बन गई। अरुणाचल प्रदेश की संगेत्सर झील सालों पहले 1971 में आए भूकंप का नतीजा है। कभी-कभी होता है कि खूबसूरती शब्दों में बयां नहीं हो पाती। ऐसी ही मनमोहक लेक है, संगेत्सर। आप जब झील को देखेंगे तो आप खुद ही इसकी सुंदरता का अंदाजा लगा पाएँगे। भारत और तिब्बत दोनों में ही इस झील की बहुत मान्यता है। इस झील को यहाँ पर शो-गा-सीर के नाम से भी जानी जाता है। खास बात ये है कि इस झील में आपको सैकड़ों पेड़ों की शाखाएँ तैरती हुई देखने मिलेंगी जो एक अलग तस्वीर बनाती है। अगर आपको यहाँ जाना चाहते हैं तो आपको पहले डिस्ट्रिक्ट कमिश्नर कार्यालय तवांग से परमिशन लेनी होगी। बिना परमिशन के आप इस झील को नहीं देख पाएँगे।

9. हाइड एंड सीक बीच

कभी-कभी हमें खूबसूरत नजारे आश्चर्य में डाल देते हैं तो कुछ जगहें ऐसी होती हैं जिनको विश्वास करना थोड़ा मुश्किल होता है। ऐसी ही एक जगह है चाँदीपुर बीच। ओडिशा के बालासोर जिले का चाँदीपुर बीच में आपको वो देखने को मिलेगा। जो शायद आपको कहीं और मिले। चाँदीपुर समुद्र तट पर दिन के समय पानी इतना पीछे चला जाता है कि लगता ही नहीं है यहाँ कभी कोई समुद्र था। फिर रात में ज्वार आता है और पानी आगे की ओर आकर गड्ढों में आकर भर जाता है। इसी आगे-पीछे के नजारे की वजह से चांदीपुर बीच को हाइड एंड सीक बीच भी कहते हैं। ऐसा इस बीच पर एक दिन में दो बार होता है। पानी कम होने पर 5 किलोमीटर समुद्र के तक पर नंगे पाँव चलना एक अलग ही एहसास होता है।

10. मैगनेटिकल हिल

अगर मै आपसे कहूँ कि भारत में एक ऐसी भी जगह है ग्रैविटी का नियम काम नहीं करता। तो क्या आप मेरी बात मान लेंगे? आपको शायद मेरी बात पर विश्वास न हो लेकिन ऐसा सच में है और ये अजूबे वाली जगह और कहीं नहीं भारत में ही है। लद्दाख हर घुमक्कड़ की चाहत होती है। लेह से 30 किलोमीटर दूर लेह-कारगिल-श्रीनगर हाईवे पर है ये जगह। जिसे मैगनेटिक हिल भी कहते हैं। सालों से यह जगह सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहाँ पहुँचने पर सड़क पर आपको एक सफेद निशान मिलेगा। इसका मतलब है कि आपको अपनी गाड़ी यहीं रोकनी है। फिर आपको ऐसा लगेगा कि आपकी गाड़ी अपने-आप ही पहाड़ पर ऊपर जाने वाली सड़क की ओर चल रही है। ऐसा इसलिए है कि क्योंकि ऊपर की तरफ जाने वाली सड़क असल में नीचे उतरती हुई सड़क है और ये सिर्फ आपकी आंखों का धोखा है।

11. उल्टा झरना

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श्रेय: एलएलबी।

भारत में ऐसी कितनी जगहें हैं जो अब भी हम घुमक्कड़ों के कदमों के इंतजार में है। मुंबई की मायानगरी से दूर मालशेज घाट से अहमदनगर जाने वाला रास्ता अपने आप में इस बात की एक मिसाल है। यहाँ आपको सिंहगढ़ का किला देखने को मिलेगा। पुणे वालों के लिए भाग-दौड़ भरी जिन्दगी से रिलैक्स के लिए अच्छी जगह है। किले के चारों ओर पेड़ ही पेड़ हैं। बारिश के मौसम में ये जगह हरियाली से खिल उठती है। इस जगह की एक खास बात और है यहाँ एक झरना भी है। यहाँ हवा इतनी तेज चलती है ऐसा लगता है मानो पानी नीचे ना गिर कर वापस से ऊपर की तरफ ही जा रहा है। इसी वजह से इसे उल्टा झरना भी कहा जाता है। ट्रेक करके ऊपर जाइए और कुछ देर ठहरकर इस मनमोहक दृश्य का आनंद लीजिए। हवा में तैरती पानी की छोटी-छोटी बूंदें आपके मन को तरोताजा कर देंगी।

12. उमंगोट नदी

मेघालय कितना खूबसूरत है ये उनको ही पता है जो यहाँ गए हैं। इस खूबसूरती में चार चांद लगा देती है डावकी की उमंगोट नदी। शिलांग से डवाकी की दूरी लगभग 95 किलोमीटर है। हर साल अप्रैल-मई के महीने में यहाँ नाव की प्रतियोगिता होती है। शिलांग पीक से निकलने वाली उमंगोट नदी प्रकृति का एक अजूबा ही है। झील का पानी इतना साफ है कि पानी में तैरती मछलियाँ भी आपको दिख जाएँगी। नदी में चलती नावों को देखकर लगता है कि वे हवा में लहरा रही हैं। इस नदी की एक खास बात ये भी है नदी के इस तरफ भारत है और दूसरी तरफ बंग्लादेश। अगर आप मेघालय नहीं गए हैं और कभी जाएँ तो इस जगह पर जाना न भूलें।

13. बेलम की गुफाएँ

भारत का सिलिकॉन वैली कहा जाने वाला बेंगलुरु को लोग आईटी कंपनियों के लिए ही जानते हैं। मगर यदि आप बेंगलुरु में हैं और शहर से दूर किसी शांत और सुन्दर जगह पर छुट्टियां बिताने का सोच रहे हैं। तो आपको बिना ज्यादा सोचे बेलम गुफाओं की यात्रा पर निकल जाना चाहिए। बेंगलुरु से 275 किलोमीटर दूर आंध्र प्रदेश की कुरनूल जिले में हैं ये गुफाएँ। बेलम गुफाएँ भारत की सबसे लंबी गुफा है। यहाँ की खूबसूरती देख कर आप दंग रह जाएँगे। संस्कृत में बेलम शब्द का मतलब होता है छेद। इसकी खास बात ये है कि इन गुफाओं में एक सप्तस्वराला गुहा है। जिसका मतलब है सात स्वरों की गुफा। यहाँ आपको तरह-तरह की आकृति और नक्काशी भी देखने को मिलेगी। इन गुफओं में बहुत सारे स्टैलक्टाइट भी मिल जाएँगे। स्टैलक्टाइट का मतलब है गुफा की छत से लटका हुआ चट्टान का एक पतला टुकड़ा। इनको हाथ या लकड़ी से बजाने पर प्यारी धुन निकलती है। जिसको सुन कर आप दो पल के लिए खो जाएँगे।

14. सेंट मैरी द्वीप

नारियल द्वीप के नाम से फेमस कर्नाटक का सेंट मैरी द्वीप अपने अलग तरह के लावा पत्थरों के लिए भी जाना जाता है। इसके अलावा इस द्वीप को खास बनाती है एक ऐतहासिक घटना। ऐसा माना जाता है कि जब वास्कोडिगामा अपनी यात्रा पर थे तब वो कुछ समय के लिए इस द्वीप पर भी रुके थे। इस द्वीप को जो बात इसको बाकी सबसे अलग बनाती है वो है यहाँ मिलने वाली शेल्फिश। द्वीप का आधा भाग पत्थरों से भरा हुआ है और बाकी आधा हिस्सा एक शेल हेवेन है। जो सीपियों से भरा पड़ा है। 1979 में भारत की जियोलॉजिकल सर्वे ने इस द्वीप को राष्ट्रीय जियोलॉजिकल स्मारक घोषित कर दिया। तब से ये जगह घूमने के लिहाज से और खास बन गई है।

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