भारत की 12 बेहद सुंदर पर अनछुई घाटियाँ जिनके बारे में हर घुमक्कड़ को पता होना चाहिए!

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हमारे देश भारत में इतनी खूबसूरत और शानदार घाटियाँ है कि हम उन सबको देखने की सिर्फ कोशिश ही कर सकते है । इसीलिए यहाँ पर उन घाटियों में से कुछ सबसे सबसे सुंदर, रहस्यमय और अनदेखी घाटियाँ की एक लिस्ट है जो आपको भारत के उत्तरी और उत्तर-पूर्वी भागों में मिलेगी।

ये उन घाटियों की लिस्ट है जिनकी बस झलक भर देखने के बाद आपका मन इन्हें तुरंत अपनी ट्रैवल लिस्ट में जोड़ने का करेगा। 

1. माणा घाटी, चमोली, उत्तराखंड

माणा, हिन्दू सभ्यता के अनुसार वो महान जगह जहाँ महर्षि व्यास ने गणेश जी को महाभारत की पूरी कथा सुनाई थी और गणेश जी ने पूरी कथा लिखी। प्रसिद्ध बद्रीनाथ मंदिर माणा गाँव से मात्र 3 किमी0 की दूरी पर स्थित है। माणा घाटी में, गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी अलकनंदा का उद्गम स्थल भी है।

कैसे पहुँचे माणाः यहाँ पहुँचने के लिए सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट देहरादून का जौली ग्रांट हवाई अड्डा है। और अगर आपका ट्रेन से जाने का प्लान है तो आप पहले ऋषिकेश जाएँ और वहाँ से जोशीमठ होते हुए बद्रीनाथ के लिए या तो आप सुबह की बस पकड़ सकते है, प्राइवेट टैक्सी कर सकते हैं या फिर खुद ड्राइव करके जा सकते है ।

माणा में ख़ासः भारत और तिब्बत के बीच की सीमा पर स्थित माणा ला 18,192 फ़ीट की ऊँचाई पर है जो की दुनिया का सबसे ऊँचा पास है । इसे भारत का आख़िरी गाँव भी कहते हैं। माणा ला से होकर आपको चौखंबा की चोटी पर जाना ही चाहिए। इसके अलावा यहाँ दो गुफ़ाएँ, व्यास गुफ़ा और गणेश गुफ़ा, जिन्हे देखना अपने आप में एक अच्छा अनुभव रहेगा । और अगर आप यहाँ हैं तो वसुंधरा झरना, सतोपंथ झील और भीम पुल घूमना नाभूलें।

2. पिंडर घाटी, बागेश्वर ज़िला, उत्तराखंड

कुमाऊँ के बागेश्वर ज़िले में पिंडर घाटी और पिंडारी नदी दोनों एक दूसरे के पक्के साथी हैं क्योंकि पिंडारी नदी इस घाटी के साथ साथ ही बहती है । पिंडारी नदी पिंडर घाटी के अलावा देवाल, थराली, कुलसरी, हरमानी, मींग, नारायण बगर और नलगाँव जैसे छोटे कस्बों से भी होकर निकलती है । पिंडारी नदी, कर्णप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिलती है।

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श्रेय- अशोक शाह

कैसे पहुँचें: सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा पन्तनगर का है और वहीं रेलवे स्टेशन काठगोदाम का है। यहाँ पहुँचने के बाद आपको सुबह सुबह बस पकड़नी होगी या फिर टैक्सी से अल्मोड़ा से होते हुए बागेश्वर जाना होगा।

पिंडर घाटी में ख़ासः भुवनेश्वर की आकर्षक चूना पत्थर की गुफाएँ और मंदिर बागेश्वर के रास्ते में ही पड़ते है। पिंडर घाटी ख़ुद में ही कई सारे गाँवों का बसेरा है, जैसे कि धुर। आप यहाँ एक से दूसरे गाँव पर हाइकिंग के लिए निकल सकते हैं। अगर आपको थोड़ी और मेहनत करने से कोई परहेज नहीं है तो आप पिंडारी ग्लेशियर का ट्रेक भी कर सकते है ।

3. दारमा घाटी, पिथौरागढ़ ज़िला, उत्तराखंड

कुथ यांगती और लसार यांगती घाटी के बीच में बसती है दारमा नाम की ये घाटी। पिथौरागढ़ की इस ऊँची-ऊँची हिमालयी घाटी को आप केवल पैदल ही पार कर सकते है और यही पंचाचूली बेस कैंप के लिए प्रसिद्ध ट्रेक मार्ग है। भारत-तिब्बत सीमा के करीब होने की वजह से, सिन ला की तरफ जाते हुए आपको यहाँ से कैलाश पर्वत की चोटियों के शानदार नज़ारे देखने को मिलते रहते हैं।

कैसे पहुँचें: पिथौरागढ़ का नैनी सैनी हवाई अड्डा इस ख़ूबसूरत जगह के सबसे नज़दीक है। वहीं टनकपुर सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है। यहाँ पहुँचकर आपको सुबह की बस लेनी पड़ेगी या फिर टैक्सी से धारचूला तक जाना होगा।

दारमा घाटी में ख़ासः हर पहाड़-प्रेमी को अपने जीवन में एक बार दारमा घाटी में ट्रेकिंग तो करनी ही चाहिए । पंचाचूली बेसकैंप तक पहुँचने का रास्ता जंगलों और ग्लेशियरों से होकर गुज़रता है। कहा जाता है कि पांडवों ने स्वर्ग जाने से पहले आख़िरी बार भोजन यहीं किया था। आप धौलीगंगा से दुगतू के रास्ते तिदांग और सिन ला से भी ऊपर बसे हुए बिदांग गाँव के रास्ते व्यास घाटी तक भी जा सकते हैं।

4. पिन घाटी, लाहौल और स्पीति ज़िला, हिमाचल प्रदेश

काज़ा के दक्षिण पूर्वी हिस्से की तरफ़ बढ़ेंगे तो आपको पिन नदी और स्पीति नदी का संगम होता हुआ देखने को मिलेगा। पिन घाटी जहाँ आपको शानदार नज़ारे देखने को मिलते हैं, वो दुनिया की कुछ अनोखी वनस्पति और पेड़-पौधों का घर है। पिन घाटी का अधिकतर इलाक़ा ठंडा रेगिस्तान है और पिन घाटी राष्ट्रीय पार्क दक्षिण के धनकर मठ तक जाता है जो स्पीति घाटी का आखिरी पॉइंट भी है । किन्नौर गाँव का, का डोगरी इसकी सबसे ऊँची जगह है जो क़रीब 20,000 फ़ीट पर है।

कैसे पहुँचें: सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट भुंतर (252 किमी0) है और रेलवे स्टेशन जोगिन्दर नगर में है। मनाली और शिमला से काज़ा के लिए बसें जाती हैं। यहाँ पहुँचकर आगे पिन घाटी के लिए आपको बस या प्राइवेट टैक्सी करनी पड़ेगी। आप मनाली से रोहतांग पास होते हुए या शिमला से रेकॉन्ग पिउ होते हुए भी आप यहाँ पहुँच सकते हैं।

पिन घाटी में ख़ासः आप यहाँ हैं तो आपको 680 साल पुराना उगयेन संगक चोलिंग गोम्पा और उसकी एक नयी मोनेस्ट्री की इमारत ज़रूर देखनी चाहिए । यहाँ पर पुराने ज़माने के तीन मंदिर हैं जिन्हें काले भित्ति चित्रों और त्यौहारों वाले मुखौटे से सजाया हुआ है । सगनम गाँव से मुध तक का एक दिन का ट्रेक आपके सफ़र को यादगार बना देगा। इसके साथ आप पिन-पार्वती पास, भाबा पास और किन्नौर के काफनु भी जा सकते हो।

5. तीर्थन घाटी, कुल्लू ज़िला, हिमाचल प्रदेश

हिमालयन नेशनल पार्क से सटी हुई तीर्थन घाटी का नाम तीर्थन नदी के नाम पर पड़ा है। तीर्थन घाटी एक शानदार छिपे हुए पहाड़ी शहर में स्थित है, जो हिमालयी राष्ट्रीय उद्यान (जीएनएन) मे आता है । इस पार्क से केवल 3 कि.मी. दूर, तीर्थन घाटी में वनस्पतियों और जीवों की बहुतायत है । घाटी में कई शांत और शानदार कस्बे हैं जहाँ आप हाइक पर जा सकते है और कैंप कर सकते है।

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श्रेय- विश्र्तु पांडे

कैसे पहुँचें: यहाँ से 80 किमी0 दूर भुंतर सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा है। वहीं कीरतपुर में सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है। कुल्लू और मनाली से जाने वाली हर बस औट तक जाती है, जहाँ आपको उतर जाना है। यहाँ पहुँचने पर आपको सुबह सुबह शोजा या जिभी की बस लेनी पड़ेगी या फिर टैक्सी करनी पडे़गी।

तीर्थन घाटी में ख़ासः तीन बड़ी जगहें जैसे तीर्थन, शोजा और जिभी देखने के लिए बढ़िया हैं। यहाँ के कैंप में आप एडवेंचर स्पोर्ट्स का मज़ा ले सकते हैं। इसके अलावा हिमालयी राष्ट्रीय पार्क के ट्रेक पर निकल जाइए। जलोरी पास, सर्लोसकर झील, नेउली, गुशैनी और भागी कशाहरी इस राष्ट्रीय पार्क में देखने लायक जगहें और हाइक्स हैं।

6. काँगड़ा घाटी, काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश

काँगड़ा घाटी के रास्तों में देवदार के पेड़ों की भरमार है जो किसी भी ट्रैवलर की साँसों में ताज़गी भर देगा । यह घाटी तिब्बत के कई शरणार्थियों का एक घर है जिन्होंने हिमाचल के शांत और शानदार पहाड़ों को अपना घर बना लिया है । अगर आप ढंग से काँगड़ा घाटी घूमना चाहते हैं तो कम से कम सात दिन का प्लान बनाकर आइए (अगर आप दिल्ली से शुरू कर रहे हैं तो )।

कैसे पहुँचें: 14 किमी0 दूर गग्गल हवाई अड्डा सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट है, वहीं पठानकोट सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है। दिल्ली से धर्मशाला और मंडी के लिए सीधी रेल जाती है। अगली सुबह को टैक्सी या बस लेकर आप काँगड़ा पहुँच सकते हैं।

काँगड़ा घाटी में ख़ासः मंडी से आप बग्गी गाँव के लिए बस या टैक्सी लें और वहाँ से सुंदर पराशर ट्रेक तक ट्रेक करें। आप झील के पास एक छोटे से गेस्टहाउस में भी रात बिता सकते हैं। बीर में, प्रतिष्ठित चौकालिंग मठ पर जाएँ। यह बीर की तिब्बती कॉलोनी में स्थित है और यहाँ आसानी से पैदल पहुँचा जाता है। आप भारत की पैराग्लाइडिंग राजधानी बिलिंग में पैराग्लाइडिंग के लिए समय निकाल सकते हैं। कटोच राजवंश द्वारा बनाए गए प्रसिद्ध कांगड़ा किले को देखना नहीं भूलें क्योंकि इस किले को हिमालय के सबसे बड़े किलों में से एक माना जाता है।

7. वारवान घाटी, किश्तवाड़ ज़िला, कश्मीर

उत्तर भारत के उन छिपे ख़ज़ानों में से एक, जिसके बारे में बड़े बड़े घुमक्कड़ नहीं जानते, वो है वारवान घाटी। इसके एक तरफ़ है हरे जंगलों वाली कश्मीर घाटी, तो दूसरी तरफ़ लद्दाख का बर्फ़ीला रेगिस्तान। आप इस घाटी को गर्मियों के कुछ ही महीनों में घूम सकते है क्योंंकि साल के 7 महीने यह घाटी बंद रहती है ।

कैसे पहुँचेंः सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा श्रीनगर का है, वहीं जम्मू का रेलवे स्टेशन सबसे पास है। वारवान, अनंतनाग के कोकरनाग से सिर्फ तीन घंटे की दूरी पर है। कोकरनाग पहुँचने के बाद आपको यहाँ से बस मिल जाएगी या फिर यहाँ पहुँचने के लिए टैक्सी भी कर सकते है ।

वारवान घाटी में ख़ासः वारवान घाटी की गहराई व सुंदरता को एक्सप्लोर करने का सबसे अच्छा और एकमात्र तरीका इन इलाकों में ट्रेक करना है, जिसमें बड़े पैमाने पर ब्रैकन ग्लेशियर और मोरेन से लेकर अविरल मैदानी क्षेत्र शामिल हैं।

8. लिद्दर घाटी, अनंतनाग ज़िला, कश्मीर

पूरे कश्मीर का पेट भरने वाली लिद्दर नदी, कोल्होई ग्लेशियर से शुरू होते हुए झेलम नदी में जाकर मिलती है। लिद्दर घाटी का सफर अनंतनाग कस्बे से 7 किमी0 आगे से शुरू होता है । वारवान की ही तरह ये भी दक्षिण में पीर पंजाल के पहाड़ों की और उत्तर में सिंध और ज़ंस्कार पहाड़ों की रेंज से घिरी हुई है।

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लिद्दर नदी का धार्मिक महत्व भी है और इसका हिंदू पौराणिक कथाओं में उल्लेख किया गया है, क्योंकि पूर्वी लिद्दर नदी पवित्र शेषनाग झील से निकलती है। इस घाटी के कुछ प्रमुख शहरों में मांडलान, लारीपोरा, फ्रासलुन, अश्मुक्कम और सीर हमदान हैं।

कैसे पहुँचेंः सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा श्रीनगर का है, वहीं जम्मू का रेलवे स्टेशन सबसे पास है। लिद्दर अनंतनाग से कुल 7 किमी0 की दूरी पर है। आप सुबह की टैक्सी या बस लेकर आप यहाँ पहुँच सकते हैं।

लिद्दर घाटी में ख़ासः अगर आपको इस घाटी के अलग-अलग इलाकों को एक्सप्लोर करना है तो आपको कोल्होई ग्लेशियर का थोड़ा- चुनौतीपूर्ण ट्रेक करना होगा। अगर आप ये ट्रेक नहीं करना चाह रहे हैं, तो अरु विलेज में भी आपको समान ही नज़ारे देखने को मिलेंगे । लिद्दर के रास्ते में, अवंतीपोरा में एक प्राचीन विष्णु मंदिर के अवशेष हैं, जिसे राजा अवंतिवर्मन ने बनाया था, जिन्होंने 855-883 सीई से शासन किया था। एक गुरु नानक देव गुरुद्वारा भी है, जिसके बारे मे माना जाता है कि पूर्वी हिमालय के अपने दौरे पर सिख गुरु का विश्राम स्थल था ।

9. नुब्रा घाटी, लेह ज़िला, लद्दाख

लद्दाख की नुब्रा घाटी को कभी फूलों की घाटी-लदुमरा कहा जाता था। एक ऐसा नाम जो एक ठंडे रेगिस्तान को ज्यादा सूट नहीं करता है । आपको यहाँ असली भूरे रंग के पहाड़ और गहरे नीले आसमान के चमकीले रंगों के शानदार नज़ारे देखने को मिलेंगे । श्योक नदी, सिंधु नदी की एक सहायक नदी है जो काराकोरम पर्वतमाला से होकर बहती है। नुब्रा घाटी की औसत ऊँचाई 10,000 फीट है और अधिकांश गाँव उससे भी ऊँचे हैं, जिससे यह रहने के लिए एक मुश्किल जगह बन जाती है । प्रसिद्ध सियाचिन ग्लेशियर भी उत्तर नुब्रा घाटी में स्थित है।

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श्रेय- प्रभू दोस

कैसे पहुंचे: निकटतम हवाई अड्डा लेह में है (लेह से 150 कि.मी.) और निकटतम रेलमार्ग जम्मू में है। इन स्थानों पर पहुँचने के बाद, आपको घाटी पहुँचने और घूमने के लिए या तो सुबह की बस या साझा टैक्सी लेनी होगी।

नुब्रा घाटी मे खास: नुब्रा घाटी के डिस्कीट में 32 मीटर ऊँची मैत्रेय बुद्ध प्रतिमा है। 1420 ईसा पूर्व में बना डिस्किट मठ, नुब्रा घाटी का सबसे बड़ा मठ है। पहले, नुब्रा किंगडम गिलगित-बाल्टिस्तान के क्षेत्रों में फैल गया था, लेकिन सीमाओं के बंद होने के बाद भी , नुब्रा घाटी बल्टी जनजाति का घर बना हुआ है। यह घाटी सबसे ज्यादा कई किलोमीटर में फैले रेत के टीलों के लिए जानी जाती है, जो बैक्ट्रियन ऊँटों के लिए प्राकृतिक आवास हैं, जो सीबकथॉर्न के दुर्लभ जंगलों से चारा खाते हैं। नुब्रा घाटी का एक गाँव टर्टुक, 2010 तक पर्यटकों के लिए बंद था, जब तक सरकार ने भारतीय यात्रियों को बिना परमिट के इस जगह को एक्सप्लोर करने की परमिशन देना शुरू किया।

10. दिबांग घाटी, दिबांग ज़िला, अरुणाचल प्रदेश

अरुणाचल प्रदेश की दूरस्थ दिबांग घाटी दो अलग-अलग जिलों में विभाजित है, ऊपरी दिबांग घाटी और निचली दिबांग घाटी। 9,129 वर्ग किमी के क्षेत्र के साथ भारत में सबसे बड़ा जिला होने के बावजूद, ऊपरी दिबांग घाटी भारत में सबसे कम आबादी वाला जिला है। ऊपरी दिबांग का जिला मुख्यालय, अनिनी का इतिहास अभी तक अज्ञात है। यह जगह देशी ईदू मिश्मी और कुछ अन्य जनजातियों का घर है जो एक हजार साल पहले प्राचीन तिब्बत से चले आए थे। अनीनी ऊपरी दिबांग में एकमात्र स्थान है जहाँ आप देश के बाकी हिस्सों से पहुँच सकते है । यहाँ के जंगल, जिसे अब दिबांग वन्यजीव अभयारण्य कहा जाता है, पूर्वी हिमालय के सबसे सम्पन्न जंगलो में से एक माने जाते हैं। मिश्मी के जंगल उड़ने वाली गिलहरीयों का घर है , अब इस क्षेत्र का नाम मिश्मी हिल्स विशालकाय फ्लाइंग स्क्विरेल (पेटौरिस्ता मिश्मिनेसिस) रखा गया है।

कैसे पहुँचेंः निकटतम हवाई अड्डा डिब्रूगढ़ हवाई अड्डा है और निकटतम रेलहेड तिनसुकिया में है। इन स्थानों पर पहुँचने के बाद, घाटी तक पहुँचने और घूमने के लिए आपको एक टैक्सी लेनी होगी। यह ध्यान रहे की ऊपरी दिबांग घाटी के लिए सड़कें केवल अनिनी तक ही जाती हैं।

दिबांग घाटी में ख़ासः अगर आप निचली दिबांग घाटी को एक्सप्लोर करना चाहते है तो कई टूर ऑपरेटर और स्थानीय एजेंसियाँ यहाँ पर ट्रेक करवाती है । यह ट्रेक रोइंग से शुरू होते हैं जिनसे आप मिश्मी गाँव को एक्सप्लोर करते हुए निज़ाम घाट तक पहुँच जाते है । ऊपरी दिबांग घाटी के लिए, आप घने दिबांग वन्यजीव अभयारण्य मे घूम सकते है या अनीनी शहर को एक्सप्लोर कर सकते है । एक संवेदनशील क्षेत्र होने की वजह से दिबांग घाटी के कुछ जगहों की यात्रा के लिए परमिट की आवश्यकता होती है, इसलिए इसकी तैयारी पूरी रखें।

11. ज़ुको घाटी, नागालैंड और सेनापति ज़िला, मणिपुर

ज़ुको नाम की यह खूबसूरत घाटी नागालैंड और मणिपुर की सीमा पर स्थित है। उत्तराखंड में फूलों की घाटी की तरह , ज़ुकोउ घाटी पर भी सिर्फ ट्रैकिंग ट्रेल्स के जरिये ही पहुँचा जा सकता है। आप यहाँ विस्वेमा गाँव की तलहटी से और जाखामा गाँव (जिसे ज़खामा भी लिखा जाता है) के जरिये जा सकते हैं। ये दोनों मार्ग नागालैंड से शुरू होते हैं और कोहिमा तक जाते है। ज़ुकोउ घाटी लिली फूल की एक अनोखी प्रजाति के लिए विश्व प्रसिद्ध है, जो दुनिया में और कहीं नहीं मिलती है, ज़ुको लिली। ज़ुको लिली के अलावा, घाटी के घास के मैदानों मे हर मौसम में कई खूबसूरत फूलो की प्रजातियाँ लगती है।

Photo of भारत की 12 बेहद सुंदर पर अनछुई घाटियाँ जिनके बारे में हर घुमक्कड़ को पता होना चाहिए! 11/12 by Saransh Ramavat

कैसे पहुंचे: निकटतम हवाई अड्डा दीमापुर हवाई अड्डा है और निकटतम रेलमार्ग दीमापुर में है। इन जगहों पर पहुँचने के बाद, आपको जाखामा या विस्विमा पहुँचने के लिए टैक्सी लेनी होगी और फिर वहाँ से ट्रेक करना होगा।

जूकोउ घाटी मे खास: अगरआप मणिपुर के माध्यम से जुको घाटी में प्रवेश करना चाहते हैं, तो सेनापति जिले में माउंट इसु से पाँच घंटे का रास्ता पकड़ें जिसे हाल ही में मणिपुर पर्वतारोहण और ट्रेकिंग एसोसिएशन द्वारा खोला गया है। पुलिए बेज वन्यजीव अभ्यारण्य, पक्षी-प्रेमियों के लिए मस्ट-विसिट जगह है जो जापफी और जुलेकी पर्वत धाराओं के बीच में स्थित है। ज़ुकोउ घाटी, जापफू पीक के तल पर स्थित है। अगर आप एक ट्रेकर है और खुद को चैलेंज करना चाहते है तो नागालैंड की दूसरी सबसे ऊँची चोटी आपके लिए बेस्ट जगह है ।

12. युमथांग घाटी, सिक्किम

11,693 फीट की ऊँचाई पर पूर्वी हिमालय की गोद में स्थित, युमथांग घाटी भारत का रोडोडेंड्रॉन स्वर्ग है। तीस्ता की एक सहायक नदी से समृद्ध, युमथांग में रोडोडेंड्रोन फूलों की 24 से अधिक प्रजातियाँ हैं। यह घाटी स्कीइंग के लिए भी फेमस है और दिसंबर से मार्च के अलावा यह घाटी साल भर पर्यटकों का स्वागत करती है। युमथांग का निकटतम शहर लाचुंग है, जो घाटी से सिर्फ एक छोटी सी ड्राइव की दूरी पर है।

कैसे पहुंचे: निकटतम हवाई अड्डा बागडोगरा (युमथांग से 218 कि.मी.) में है और निकटतम रेल्वे स्टेशन दार्जिलिंग में है। इन स्थानों पर पहुँचने के बाद, घाटी तक पहुँचने और घूमने के लिए आपको या तो सुबह की बस या साझा टैक्सी लेनी होगी।

यहाँ क्या खास है : शिंगबा रोडोडेंड्रोन अभयारण्य को देखना बिलकुल ना भूले, यहाँ मार्च से मई तक रोडोडेंड्रोन खिलते हैं , और तब ही यहाँ अंतर्राष्ट्रीय रोडोडेंड्रोन महोत्सव भी होता है। युमथांग घाटी में प्रवेश करने से पहले ही एक छोटा ट्रेक आपको युमथांग हॉट स्प्रिंग तक ले जाएगा, यहाँ के पानी में बहुत ज्यादा सल्फर है और कहा जाता है कि इसमें औषधीय गुण होते हैं। युमथांग से लगभग 23 कि.मी. दूर ज़ीरो पॉइंट है (जिसे यूम संगाड के नाम से भी जाना जाता है)। यह वह जगह है जहाँ अंतिम नागरिक सड़क खत्म होती है और कुछ ही किलोमीटर बाद चीन की सीमा लग जाती है। लेकिन जीरो पॉइंट पर सबसे ज्यादा देखने लायक चीज़, तीन नदियों का संगम है, जो गर्मियों के समय ज्यादा अच्छे से दिखता है । लाचुंग शहर में, आप स्थानीय संस्कृति और खाने का स्वाद लेने के लिए लाचुंग मठ और कालीन बुनाई केंद्र पर जा सकते हैं।

अब आप अपनी बकेट लिस्ट को अभी ही अपडेट कर लीजिये । इसके अलावा पढ़ें, भारत के 11 राष्ट्रीय उद्यानों को पैदल कैसे एक्सप्लोर किया जाये ।

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