रोपवे एक ऐसी चीज है जिसका नाम सुनते ही हर इन्सान का मन रोमांच से भर जाता है। रोपवे की सब अच्छी बात होती है कि आप कम समय में ज्यादा से ज्यादा चीजें देख सकते हैं। जिन जगहों को देखने के लिए वैसे आपको शायद 1 घंटा लगे, रोपवे की सवारी से वही चीज आप कुछ मिनटों में देख सकते हैं। इसके अलावा आप घाटियों और पहाड़ों के ऊपर से गुजरने का अनुभव ले सकते हैं। रोपवे की एक सवारी रोमांच के साथ-साथ बेशकीमती नजारों से भी सजी होती है। भारत में भी कुछ ऐसे रोपवे हैं जिनकी एक सवारी से आपका मन खुश हो जाएगा। इन 12 केबल कारों की सवारी करिए और अपनी जिंदगी के अनुभवों में कुछ यादगार पल जोड़ लीजिए।
गंगतोक केवल सिक्किम की राजधानी ही नहीं है। बल्कि ये शहर अपने आप में इतनी खूबसूरती लिए बैठा है कि आप देखते रह जाएंगे। इस शहर में शानदार वादियाँ और मन को खुश कर देने वाले नजारे तो हैं ही लेकिन इस शहर में एक और चीज है जो इसे घुमक्कड़ों के लिए बेहद खास बनाती है। गंगतोक से आपको दुनिया के तीसरे सबसे ऊँचे पहाड़ का बेशकीमती नजारा भी दिखाई देता है। लेकिन अगर आप कंचनजंगा के सौंदर्य को असल में देखना चाहते हैं तो आपको गंगतोक रोपवे की सवारी करनी चाहिए। इस 1 किमी. लंबे रोपवे की शुरुआत देओराली बाजार से होती है। नामनांग और ताशिलिंग से होते हुए ये रोपवे आपको लगभग 3500 मीटर की ऊँचाई तक ले जाता है। इस पूरे सफर को तय करने में कुल 15 से 20 मिनट का समय लगता है लेकिन यकीन मानिए इस रोपवे में बिताया हुआ हर एक मिनट बहुत कीमती होता है।
मसूरी को पहाड़ों की रानी कहा जाता है और इसके पीछे वजह भी है। मसूरी में आपको वो सब देखने के लिए मिलता है जो इस परफेक्ट पहाड़ी वेकेशन के लिए चाहिए होता है। मसूरी की ये केबल कार केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अपने आकर्षक नजारों के लिए जानी जाती है। गन हिल मसूरी का दूसरा सबसे ऊँचा पहाड़ है जहाँ ये रोपवे आपको लेकर जाता है। पहाड़ के ऊपर से दिखाई देने वाला नजारा बहुत प्यारा होता है और इस पहाड़ पर पहुँचने के बाद आप आराम से रिलैक्स कर सकते हैं। रोपवे के रास्ते से बेहद प्यार नजारा दिखाई देता है। हिमालय पर्वतमाला और दून घाटी के शानदार दृश्यों से रूबरू कराने वाला ये रोपवे मसूरी की सबसे लोकप्रिय चीजों में से है।
आप भारत में किसी से भी हिल स्टेशनों के बारे में पूछ लीजिए। शिमला, कुल्लू, मनाली कुछ ऐसी जगहें हैं जिनका नाम हर घुमक्कड़ को मुंह जुबानी याद रहता है। मनाली की बात करें तो ये जगह अपने आप में पूरा पैकेज है। पहाड़ों के शानदार नजारे, रोमांचक खेल, बढ़िया कैफे और खूब सारा स्थानीय प्यार। जब भी कोई मनाली आता है तब वो सोलांग वैली को देखने जरूर जाता है। सोलांग कुल्लू घाटी का हिस्सा है जो अपने एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए जाना जाता है। इस सूची में सबसे पहला नाम आता है सोलांग रोपवे का। इस रोपवे की शुरुआत सोलांग घाटी से होती है जो 3200 मीटर की ऊँचाई से होते हुए अंत में फाटरू पहुँचता है। लगभग 10 मिनट की इस जादुई यात्रा में आपको हिमाचल की रूह दिख जाती है। कलकल बहते झरने और नदियाँ, बेहतरीन नजारे और ढेर सारी प्राकृतिक सुन्दरता। अगर आप मनाली आने का प्लान बना रहे हैं तो इस रोपवे की सवारी जरूर करनी चाहिए।
इस रोपवे का नाम गुजरात के प्रसिद्ध महाकाली मंदिर के नाम पर रखा गया है। इस रोपवे का इस्तेमाल पहाड़ के ऊपर बसे महाकाली मंदिर तक पहुँचने के लिए किया जाता है। टूरिस्टों और श्रद्धालुओं के बीच इस रोपवे की लोकप्रियता खूब दिखाई देती है। वैसे इस मंदिर तक पहुँचने के लिए आप पैदल चलकर भी जा सकते हैं लेकिन अगर आप पावागढ़ पर्वतमाला का शानदार नजारा देखना चाहते हैं तब आपको इस रोपवे की सवारी करनी चाहिए। लगभग 1 किमी. लंबी दूरी वाले इस रोपवे की डिमांड हाल के कुछ सालों में बढ़ी है। खासतौर से अगर आप नवरात्रि के समय यहाँ आते हैं तब आपको इस रोपवे में सवारी करने के लिए अच्छा खासा इंतजार भी करना पड़ सकता है। आपकी गुजरात यात्रा में इस रोपवे की सवारी जरूर होनी चाहिए।
औली का ये रोपवे सबसे खास होने के साथ-साथ भारत का सबसे लंबा रोपवे भी है। इस रोपवे को एशिया का दूसरा सबसे लंबा रोपवे होने का गौरव मिला हुए है जो इसको और भी खास बना देता है। 4 किमी. लंबा ये रोपवे आपको उत्तराखंड की खूबसूरती के दर्शन करवाता है। इस सफर को पूरा करने में कुल 20 मिनट का समय लगता है। इस रोपवे की शुरुआत जोशीमठ से होती है और ये आखिर में औली पहुँचकर खत्म होता है। इस रोपवे में बैठकर आप हिमालय पर्वतमाला और नंदा देवी पहाड़ के हैरान कर देने वाले नजारे देख सकते हैं। बर्फीले मैदान के ऊपर से होकर गुजरने वाला ये रोपवे उत्तराखंड की शान है। अगर आपको अबतक इस रोपवे के बारे में नहीं मालूम था तो अब आप ट्रेकिंग और स्कीइंग करने के अलावा भी औली जा सकते हैं।
अगर आप भारत के सबसे पुराने रोपवे की सूची बनाएंगे तो इस रोपवे का नाम सबसे पहले आएगा। इस रोपवे को भारत का सबसे पुराना और अबतक चलने वाला रोपवे माना जाता है। 1000 मीटर की ऊँचाई वाले इस रोपवे से आपको राजगीर के हरे-भरे नजारे दिखाई देते हैं। इस रोपवे का इस्तेमाल विश्वशांति स्तूप जाने के लिए किया जाता है जो रत्नागिरी पहाड़ पर बना है। इस रोपवे की सबसे अच्छी बात ये है कि हर केबल कार में एक बार में केवल एक ही व्यक्ति बैठ सकता है। कहते हैं राजगीर कुल 7 पहाड़ियों से घिरा हुआ है। अगर आप इस घाटी का मजा उठाना चाहते हैं तब आपको इस 7 मिनट की यात्रा पर जरूर जाना चाहिए।
अगर आप एक बार में दार्जिलिंग के मोहक नजारों को महसूस करना चाहते हैं तो आपको रंजीत वैली केबल कार से बढ़िया ऑप्शन नहीं मिलेगा। ये रोपवे भी भारत के सबसे पुराने रोपवे में से है जो 7000 फीट की ऊँचाई से होकर गुजरता है। इस केबल कार की शुरआत दार्जिलिंग के सिंगामारी से होती है। इस केबल कार से आप केवल 45 मिनट में सिंगला बाजार पहुँच सकते हैं। इस रोपवे की सवारी करने पर आपको केवल दार्जिलिंग शहर ही नहीं बल्कि पहाड़, नदियाँ, झरने और चाय के बागान के बेहद खूबसूरत नजारे देखने के लिए मिलते हैं। इसलिए अगर दार्जिलिंग आने का प्लान बना रहे हों तो ये एक चीज आपकी लिस्ट में जरूर होनी चाहिए।
अगर आप सोचते हैं कि केरल में देखने के लिए केवल बैकवॉटर्स ही हैं तो आपने अबतक इस राज्य को ठीक तरह से जानने की कोशिश नहीं की है। मालमपुझा गार्डन में बनी ये केबल कार मालमपुझा डैम के भी नजदीक है। बाकी रोपवे की तुलना में ये रोपवे जितना अलग है उतना ही अलग इससे दिखाई देने वाले नजारे भी हैं। इस रोपवे से आपको नीचे फैले फूलों के बाग, फाउंटेन और कलाकृतियाँ दिखाई देती हैं। इस 60 फीट की ऊँचाई वाले रोपवे की सवारी करने के लिए आपको कुल 20 मिनट का समय लगता है। अगर आपको नेचर, हरियाली और उससे जुड़ी कोई भी चीज पसंद है फिर ये केबल कार को आपके लिए ही बनाया गया है।
9. स्काई व्यू गंडोला, पटनीटॉप
पटनीटॉप में बना ये रोपवे भारत की सबसे ऊँची केबल कारों में से है। जमीन से 65 मीटर की ऊँचाई पर बने इस रोपवे से आप संगेत से पटनीटॉप पहुँच सकते हैं और वो भी केवल 12 मिनट में। कहा जाता है कि ये भारत का अकेला ऐसा गंडोला है जो पहाड़ों और पेड़ों दोनों के ऊपर से होकर गुजरता है। अगर आप गर्मियों के समय इस रोपवे की सवारी करते हैं तब आपको नीचे हरे-भरे मैदान दिखाई देंगे। लेकिन अगर आप दिसंबर या जनवरी में इस गंडोला में बैठते हैं तब आपको चारों तरफ केवल बर्फ ही बर्फ दिखाई देगी। बर्फ से ढका शहर कैसा लगता है ये आपको इस गंडोला की सवारी करके पता चल जाएगा।
अगर आप ऊटी की सबसे आकर्षक जगहों के बारे में जानते होंगे तब आपने ग्लेनमोर्गन घाटी का नाम जरूर सुना होगा। तमिलनाडु की इस सुंदर घाटी में बड़ी झील के साथ-साथ तीन पहाड़ों से घिरी हुई है। इस घाटी में आपको कई सारे चाय के बागान भी देखने के लिए मिलते हैं। कुल मिलाकर ये घाटी ऊटी के सबसे बेहतरीन नजारों का खजाना है। वहाँ पर बना ये रोपवे घाटी की शान को और भी बढ़ा देता है। इस 3 किमी. लंबे रोपवे में सवारी करने के लिए दो पड़ाव हैं जिन्हें पार करते हुए आप सिंगारा से ग्लेनमोर्गन पहुँचते हैं। इस रोपवे से आप मुदुमलाई नेशनल पार्क, मोयार घाटी और मैसूर के शानदार नजारे देख सकते हैं। ग्लेनमोर्गन बहुत ही फेमस पिकनिक स्पॉट है जिसकी शान ये रोपवे खुद है।
धुआंधार रोपवे के नाम से मशहूर ये रोपवे जबलपुर का आकर्षण है। अगर आप धुआंधार वॉटरफॉल के सबसे खूबसूरत नजारों को देखना चाहते हैं तो आपको इस रोपवे से बढ़िया विकल्प नहीं मिलेगा। ये 1140 मीटर लंबा रोपवे भेड़ाघाट में है जिसको नर्मदा नदी के ऊपर बनाया गया है। नदी के ठीक ऊपर होने की वजह से रोपवे से आपको धुआंधार वॉटरफॉल, भेड़ाघाट मार्बल और नर्मदा नदी के सीधे नजारे दिखाई देते हैं। रोपवे से दिखने वाले नजारे इतने शानदार होते हैं कि आपको यकीन नहीं होगा। अगर आप किसी वॉटरफॉल को पार करना कैसा लगता है देखना चाहते हैं तब आपको इस केबल कार की सवारी जरूर करनी चाहिए।
जम्मू कश्मीर के गुलमर्ग में बना ये रोपवे दुनिया का दूसरा सबसे ऊँचा चलने वाला गंडोला है। ये एशिया का सबसे ऊँचा रोपवे भी है। इस गंडोला की ये बातें इसको भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर से सबसे फेमस केबल कारों में से एक बनाती हैं। 4200 मीटर की ऊँचाई से होकर गुजरने वाला ये गंडोला लगभग 2.5 किमी. लंबा सफर तय करता है। ये रोपवे दो चरणों में चलता है। पहले चरण में आप गुलमर्ग रिजॉर्ट से कोंगडोरी घाटी आती हैं जहाँ से फिर आप अपहरवट पहुँचते हैं। इस पूरी यात्रा को करने में लगभग 21 मिनट का समय लगता है। कश्मीर को धरती पर जन्नत कहा जाता है और इस रोपवे की सवारी करके आपको कुछ ऐसा ही महसूस होगा। बर्फीले पहाड़ों के ऊपर से गुजरने वाला दृश्य आपको पूरी जिंदगी याद रहेगा।
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