"क्या है भानगढ़ के भुतहा किले का रहस्य?"

Tripoto
5th Jun 2020
Photo of "क्या है भानगढ़ के भुतहा किले का रहस्य?" by Smita Yadav
Day 1

वैसे तो हमारे देश में बहुत से हॉन्टेड प्लेस है लेकिन इस लिस्ट में जिसका नाम सबसे ऊपर आता है वो है भानगढ़ का किला (Bhangadh Fort)। जो कि बोलचाल में “भूतो का भानगढ़” नाम से ज्यादा प्रसिद्ध है। तो चलिए जानते है मेरी इस सुंदर यात्रा का वर्णन रूप।

भानगढ़ किले का इतिहास

राजस्थान के अलवर जिले में स्थित भानगढ़ का किला भूतों का किला माना जाता है। कहा जाता है इस किले में आज भी राजकुमारी रत्नावती की चीख गूंजती रहती है। ये किला भूतों का भानगढ़ नाम से ज्यादा प्रसिद्ध है। भानगढ़ किला जिसकी कहानी बड़ी ही रोचक है।16वीं शताब्दी में भानगढ़ को बसाया गया था। 300 वर्षों तक भानगढ़ खूब फलता फूलता रहा, कहते है कि भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती बेहद खुबसुरत थी। उस समय उनके रूप की चर्चा पूरे राज्य में थी। और देश के कोने-कोने के राजकुमार उनसे विवाह करने के इच्छु‍क थे। उस वक्त राजकुमारी उम्र महज 18 वर्ष ही थी और उनका यौवन उनके रूप में और निखार ला चुका था। राजकुमारी के लिए कई राज्यो से उनके विवाह के प्रस्ताव आ रहे थे। जि‍सके स्‍वयंवर की तैयारी चल रही थी.

उसी राज्‍य में एक तांत्रिक सिंघि‍या नाम का जादूगर था जो राजकुमारी को पाना चाहता था मगर ये सम्भव नहीं था। इसलि‍ए तांत्रिक सिंघि‍या ने राजकुमारी की दासी जो राजकुमारी के श्रृंगार के लि‍ए तेल लाने बाजार आयी थी को सम्मोहित कर दिया। जिसके बाद एक दिन वो तेल राजकुमारी रत्‍नावती के हाथ से छूटकर चट्टान पर गि‍रा और वह चट्टान तांत्रिक सिंघि‍या की तरफ लुढ़कती हुई आने लगी। सिंघिया उसी चट्टान के नीचे कुचल कर मर गया। लेकिन तांत्रिक सिंघि‍या ने मरते समय उस नगरी व राजकुमारी को नाश होने का श्राप दे दि‍या। संयोग से उसके एक महीने बाद ही पड़ोसी राज्य अजबगढ़ से लड़ाई में राजकुमारी सहित सारे भानगढ़ के सभी निवासी मारे गए और भानगढ़ वीरान हो गया। तब से वीरान हुआ भानगढ आज तक वीरान ही है और उस लड़ाई में मारे गए लोगो के भूत आज भी रात को भानगढ़ के किले में भटकते है। तांत्रिक के श्राप के कारण उन्हें मुक्ति नहीं मिल पाई।

भानगढ़ किले के मंदिर

जैसा कि हमने आपको बताया कि इस किले में कई मंदिर भी है जिसमे भगवान सोमेश्वर, गोपीनाथ, मंगला देवी और केशव राय के मंदिर प्रमुख मंदिर है।

इन मंदिरो कि एक यह विशेषता है कि जहाँ किले सहित पूरा भानगढ़ खंडहर में तब्दील हो चूका है वही भानगढ़ के सारे के सारे मंदिर सही है अलबत्ता अधिकतर मंदिरो से मुर्तिया गायब है। हालांकि सोमेश्वर महादेव मंदिर में जरूर शिवलिंग है। दूसरी बात भानगढ़ के सोमेशवर महादेव मंदिर में सिंधु सेवड़ा तांत्रिक के वंशज ही पूजा पाठ कर रहे है।

ऐसा हमे 2014 में हमारी भानगढ़ यात्रा के दौरान उस मंदिर के पुजारी ने बताया था। जब हमने उनसे भूतों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि यहाँ भूत है यह बात सही है पर वो भूत किले के अंदर केवल खंडहर हो चुके महल में ही रहते है महल से निचे नहीं आते है क्योकि महल की सीढ़ियों के बिलकुल पास भोमिया जी का स्थान है जो उन्हें महल से बाहर नहीं आने देते है। उन्होंने यह भी कहा कि रात के समय आप किला परिसर में रह सकते है कोई दिक्क्त नहीं है पर महल के अंदर नहीं जाना चाहिए।

किलें में सूर्यास्ता के बाद प्रवेश निषेध

भानगढ़ में रात के समय किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं है...पर्यटकों को यह यह शाम 6 बजे से पहले छोड़ देने का आदेश भी है। जैसा के मैं आपको पहले भी बता चुकी हूं। पुरातत्व विभाग ने सख्‍त हिदायत दे रखी है कि सूर्यास्‍त के बाद इस इलाके में कोई भी व्‍यक्ति न रुके। यहां तक की ये भी कहा जाता है क‍ि इस किले में सूर्यास्‍त के बाद जो भी गया वो फिर कभी भी वापस नहीं आया। ये तक कहा गया है की यहां आने वालों को कई बार रूहों द्वारा परेशान किया गया है और कुछ लोगों को अपनी जान तक से हाथ धोना पड़ा है।

खूबसूरती के क्या कहने

भले ही आज इस किले को भूतिया और वीरान कहा जाता है लेकिन अगर यहां आने वाले इसकी वास्तुकला को गौर से देखें तो उन्हें एहसास होगा कि इसकी खूबसूरती बेमिसाल है और ये किसी का भी मन मोह सकती है।

किले के आसपास घूमने की जगह

किले के आसपास घूमने के लिए खूबसूरत झील है..जो भानगढ़ को और भी खूबसूरत बनाते हैं।

टाइगर रिजर्व

इसके अलावा पर्यटक सरिस्का टाइगर रिजर्व को भी देख सकते हैं

कब घूम सकते हैं

भानगढ़ को घूमने का उचित समय सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक है।

एंट्री फीस

भानगढ़ को घूमने के लिए विदेशियों को 200 रुपये अदा करने होते हैं..साथ ही भारतीय नागरिक को 25 रूपये और वीडियो कैमरे के लिए 200 रूपये अदा करना होता है।

कैसे पहुंचे भानगढ़

दिल्ली से भानगढ़ का रूट

दिल्ली-गुडगांव-भिवाड़ी-अलवर-सरिस्का-थानागजही-प्रतापगढ़-अजबगढ़-भानगढ़

साथ ही आप दिल्ली से टैक्सी भी किराये से भी पहुंच सकते हैं।

जयपुर से भानगढ़

जयपुर-दौंसा-गोले का बाज..यहां उतरने के बाद 15 मिनट चलने के बाद आप टैक्सी के जरिये भानगढ़ पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग द्वारा

भानकारी यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन है। राजस्थान संर्पक क्रांति एक्सप्रेस, मंदौर सुपरफास्ट एक्सप्रेस, उत्तरांचल एक्सप्रेस और अला हजरत एक्सप्रेस यहां तक आने वाली कुछ प्रसिद्ध ट्रेनें हैं। वैसे मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, बेंग्लुरु, पुणे, चंडीगढ़ और लखनऊ जैसे शहरों से भी यहां के लिए नियमित ट्रेनों की व्यवस्था है। रेलवे स्टेशन से भानगढ़ का किला महज 25 किमी की दूरी है, जहां तक टैक्सी, बस या आटो द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

हवाई मार्ग द्वारा

जयपुर हवाई अड्डा, यहां का सबसे निकटतम हवाई अड्डा है जहां से यहां किला 90 किमी की दूरी पर स्थित है। इस एयरपोर्ट के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों की अच्छी व्यवस्था है। इसलिए आप यहां के लिए कहीं से भी टिकट बुक करा कर आ सकते हैं।

आइये मगर संभाल के

हम आपसे बस इतना ही कहेंगे आप यहां आ तो रहे हैं मगर एक बात का ध्यान रखिये यहां आने के बाद शाम से पहले ही वापस निकल जाइयेगा।

तो यह है भानगढ़ कि कहानी (Bhangarh Fort Story) अब वहाँ भूत है कि नहीं यह एक विवाद का विषय हो सकता है पर यह जरूर है कि भानगढ़ एक बार घूमने लायक जगह है और यदि आप भानगढ़ घूमने का प्रोग्राम बनाये तो हमारी यह राय है कि आप वहा सावन ( जुलाई -अगस्त ) में जाए क्योकि भानगढ़ तीनो तरफ से अरावली कि पहाड़ियो से घिरा हुआ है और सावन में उन पहाड़ियो में बहार आ जाती है।

तो आप सब जब भी भानगढ़ के दर्शन के लिए जाए तो इस बारे में मुझे जरुर अपने विचार साझा करें।

Photo of भानगढ़ फोर्ट by Smita Yadav
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