दिल्ली की महरौली प्रदेश में स्थित श्री आद्य कात्यायनी शक्तिपीठ मन्दिर, जिसे जनसाधारण छत्तरपुर मन्दिर के नाम से भी जानता है, अपनी भक्ति के साथ-साथ, अपनी भव्यता के लिए भी विश्वभर में प्रसिद्ध है। महरौली के छत्तरपुर इलाके में निर्मित ये मंदिर देवी कात्यायनी को समर्पित है। विश्व धरोहर कुतुब मीनार से बस 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ये मंदिर देश की सबसे बड़ी मंदिरों में से एक है।
छतरपुर मंदिर का निर्माण 1974 में बाबा नागपाल द्वारा करवाया गया था। करीब 70 एकड़ से भी ज्यादा में फैला ये मंदिर पूर्णतया संगमरमर से निर्मित है। 2005 तक, जब दिल्ली की ही अक्षरधाम मंदिर का निर्माण नहीं हुआ था, ये देश का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरी सबसे बड़ा मन्दिर माना जाता था। तीन भाग में विभाजित इस पूरे मंदिर का निर्माण वेसारा पद्धति से हुआ है। अपनी अद्भुतता और भक्ति भावना की वजह से ये दक्षिण दिल्ली की सबसे प्रसिद्ध धरोहरों में से एक है।
इस मंदिर में हर साल देश-विदेश से लाखों पर्यटक व श्रद्धालु दर्शन हेतु आते हैं। दिल्ली में इतने समय रहने के बावजूद मैंने इसका बस नाम सुना था, कभी जाने का मौका ही नहीं मिला। एक रोज मैं और मेरे दोस्त पूरे दिन दिल्ली छानने के बाद महरौली इलाके से वापस अपने पते की ओर लौट रहे थे, तब मैंने उन्हें यहाँ चलने का प्रस्ताव दिया। चूँकि रात हो गयी थी, इसलिए उनका मन नहीं मान रहा था परंतु मैं जिद करके उन्हें मना ही लिया। जब हम मंदिर की ओर चले तब उन्होंने ही मुझे बताया कि यहाँ हनुमान की एक विशालकाय मूर्ति भी है। इस जानकारी ने इन मंदिर के प्रति मेरी उत्सुकता को और बढ़ा दिया।
छत्तरपुर मेट्रो स्टेशन के ठीक सामने पड़ने वाले इस मंदिर के बारे में मुझे सच में कोई अंदाजा नहीं था कि ये इतनी बड़ी परिधि में फैला हुआ है। एक सड़क की मंदिर के बीच से होती हुई जाती-सी लगती है। सड़क के दोनों ओर बसा ये कॉम्प्लेक्स वाकई छत्तरपुर इलाके की शोभा बढ़ाता है। हम रात में गए थे, बावजूद इसके इसकी भव्यता कहीं से भी कम नहीं लगी, बल्कि और भी खूबसूरत नजर आ रही थी।
मन्दिर में घुसते ही आपको भव्यता और भक्ति का अद्भुत समागम मिलेगा। एक ओर माँ कात्यायनी का मंदिर, पूजा, भक्ति। वहीं दूसरी ओर खूबसूरत निर्माण कौशल। विशालकाय कछुआ और उसकी पीठ पर निर्मित त्रिशूल ऐसी प्रतीत हो रही थी मानो स्वयं शिव उसे वहाँ स्थपित करके गए हैं। एक बड़ी-सी घण्टी और बड़े से एक दरवाजे में लगा एक विशालकाय ताला। सिर्फ इतना ही नहीं, हनुमान जी की जिस मूर्ति को देखने मैं यहाँ आया था, रात के अंधेरे में काले आसमान के बीच उसपर पड़ती रोशनी, उसे और भव्यता प्रदान करती है। ऐसा लग रहा था मानो वह मूर्ति आसमान छू रही हो। सिर्फ इतना ही नहीं, काफी कुछ है ऐसा वहाँ, जोकि भक्ति और भव्यता दोनों से मन को जीत लेता है।
मैं पहली बार गया था वहाँ, और वाकई बहुत प्रभावित हुआ। भव्यता और सुंदरता में ये अक्षरधाम मंदिर से कहीं भी कम नहीं। जो लोग गए हैं वहाँ, उन्हें मालूम ही है ये बात। यदि आप कभी दिल्ली घूमने निकले, और परिवार के साथ किसी मंदिर के दर्शन करना चाहते हैं, तो मेरी सलाह रहेगी कि आप श्री आद्य कात्यायनी शक्तिपीठ मन्दिड/छत्तरपुर मंदिर के भी दर्शन कर आएँ। दिल्ली में भक्ति और भव्यता का ऐसा संगम विरले ही देखने को मिलता है।
कैसे जाएँ?- निकटतम मेट्रो है पीली लाइन पर निर्मित छत्तरपुर मेट्रो स्टेशन। वहाँ से निकलकर मुख्य सड़क पार कर आप इस मंदिर जा सकते हैं।
प्रवेश शुल्क:- निःशुल्क
समय:- सुबह 6 बजे से रात 9 बजे का समय सर्वोत्तम