हो सकता है आप घुमक्कड़ व्यक्तित्व के स्वामी हों पर कई बार बड़े बड़े मुसाफिर दिग्गज भी घूमने फिरने की प्यास में इतना डूब जाते हैं कि उन्हें भी दिमागी रूप से थकान हो जाती है | इस थकान को मिटाने के लिए आपके किसी ऐसी जगह जाकर नया अनुभव लेने का दिल करेगा जो ना आपने पहले कहीं देखी-सुनी हो ना किसी और ने | तो जब आप गूगल पर भारत में घूमने योग्य 10 सर्वोत्तम स्थानों के बारे में पता करने का प्रयास करते हैं तो आपके पास सैकड़ों परिणाम आ जाते हैं | हर परिणाम में उस हरेक स्थान की विस्तृत सूची होती है जहाँ आप को जाना चाहिए | इसे सुनकर आपको लगा होगा कि इससे तो मुसाफिरों के मन में उठने वाले सबसे बड़े सवाल का जवाब मिल गया : "आख़िर अब घूमने कहाँ जाये जाए?" | लेकिन ऐसा नहीं होता। आप पायेंगे कि हर परिणाम में भारत में घूमने योग्य स्थानों की एक जैसी ही सूची है |
हो सकता है कि उन स्थानों पर ज़्यादातर सैलानी जाना पसंद करते हों, पर आप की कुछ नयी जगह देखने और घूमने की भूख इन प्रचलित स्थानों पर जाने से शांत नही होगी | आपको किसी ऐसी जगह जाना होगा जो अपनी संस्कृति , भोजन , रोमांचक गतिविधियों, सुंदर दृश्यों , विविध वन्यजीवों से आपको दीवाना बना दे |
अगर आप कुछ ऐसा ही ढूँढ रहे हैं तो आगे पढ़ते रहिए | यहाँ हम बात करेंगे भारत की कुछ ज़्यादा ही घूमी जा चुकी जगहों और उनके विकल्पों के बारे में ताकि अगली बार कहीं नयी जगह जाने से पहले आप इन विकल्पों पर नज़र डाल लें |
1.) दार्जिलिंग की जगह मावलिनोंग जायें
1.) दार्जिलिंग की जगह मावलिनोंग जायें
टाइगर हिल की असीम उँचाई से सूर्योदय का विहंगम दृश्य और टॉय ट्रेन की रोमांचक यात्रा के लिए दार्जिलिंग जाना जाता है | लेकिन पर्यटकों की दिन पर दिन बढ़ती संख्या की वजह से दार्जिलिंग में अब वो शांति और सुख नही रहा जो एक समय में इस हिल स्टेशन पर हुआ करता था | दार्जिलिंग की चाय का नाम सुनकर तो चिढ़ सी हो गयी है |
अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो मेघालय का एक छोटा सा गाँव मावलिनोंग आप की सूची में शामिल हो सकता है | शांत, सुंदर और सुखमय होने के अलावा, मावलिनोंग आधिकारिक तौर पर एशिया का सबसे साफ गांव भी है। ऐसी जगह पर एक दिन गुज़ारने की कल्पना करने में भी कितना आनद आता है |
यात्रा का सबसे अच्छा समय: जून से सितंबर मावलिनोंग जाने का सबसे अच्छा समय है क्योंकि इस समय बरसात अपने चरम पर होती है जिससे चारों ओर हरे भरे पेड़ पौधों की चादर सी बिछ जाती है |
कैसे पहुंचे: निकटतम हवाई अड्डा लगभग 92 किलो मीटर की दूरी पर शिलांग में स्थित है और निकटतम रेलवे स्टेशन लगभग 104 किलो मीटर दूर गुवाहाटी में है | आप शिलांग और गुवाहाटी पहुँच कर इस गाँव तक जाने के लिए टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या बस से भी जा सकते हैं।
क्या करें : इस विचित्र से छोटे गाँव में पैदल घूमने का अलग ही मज़ा है | चाहें तो पास ही में चढ़ाई पर भी जा सकते हैं | साथ ही तकनीकी बुद्धिमता से जीवित वृक्षों की जड़ों से बने हुए पुल, अपने आप संतुलन बनाए हुए चट्टान और स्काई वॉक वेधशाला से चारों ओर के सुंदर दृश्यों का आनंद ले सकते हैं |
कहाँ रहना है: पंपकिन खार्मवशुन होमस्टे और पंपकिन सफी कॉटेज
2.) मॅकलोडगंज की जगह तवांग की सैर करें |
उत्तरी भारत के शहरों ख़ासकर के दिल्ली और आस पास के इलाक़ों में रहने वाले लोगों के लिए सप्ताह के अंत में कही घूमने जाने की सबसे पसंदीदा जगह है म्क्लॉडगंज | इतने समय से हमें मंत्रमुग्ध कर देने वाली म्क्लॉडगंज की प्राकृतिक खूबसूरती को ना हम भूल सकते हैं ना भूलना चाहिए | हालाँकि अब समय के साथ साथ ये छोटा सा कस्बा भी बदल गया है | त्रिउन्द की चढ़ाई इतनी छोटी है की चढ़ने को दिल नहीं करता और भगसुनाग झरना सैलानियों के सीजन के वक़्त इतना भर जाता है कि उँचाई से आती इसकी धार के अलावा नीचे का तालाब तो बिल्कुल नहीं दिखता | तो ऐसे में सवाल उठता है कि भई जायें तो जायें कहाँ?
शुक्र है, अरुणाचल प्रदेश में तवांग मौजूद है। समुद्र तल से 2,670 मीटर की ऊँचाई पर स्थित तवांग चीन और भूटान से लग कर बसा एक पहाड़ी शहर है जिसकी खूबसूरती के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं |
चारों ओर बर्फ से लदी हिमालय की विशाल चोटियाँ, प्यारी प्यारी झीलें, स्वादिष्ट भोजन और स्थानीय लोगों की गर्मजोशी आपको तवांग आने के बाद म्क्लॉडगंज की याद भी नहीं आने देगी |
यात्रा का सबसे अच्छा समय: मार्च से सितंबर तवांग जाने के लिए सबसे अच्छे महीने हैं क्योंकि मौसम बहुत बढ़िया रहता है और प्रवासी पक्षियों के झुंड प्रसिद्ध पेंगा तेंग त्सो झील के पास देखे जा सकते है।
कैसे पहुंचे: लगभग 319 किलो मीटर की दूरी पर स्थित तेजपुर में निकटतम हवाई अड्डा है और तेज़पुर में ही हवाई अड्डे से 9 किलो मीटर दूर निकटतम रेलवे स्टेशन है।
हालांकि तेज़पुर से तुलना करें तो भालुकपोंग और उदलगुड़ी स्टेशन तवांग के पास पड़ते हैं , मगर इन स्टेशनों से आने जाने के साधन मिलना मुश्किल वाली बात हो सकती है | यदि आप ट्रेन से यात्रा करना चुनते हैं, तो तेजपुर या गुवाहाटी में उतरना बेहतर होगा और फिर तवांग जायें | तेजपुर और गुवाहाटी रेलवे स्टेशनों से बसें और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
क्या करें : एक बार आप तवांग पहुँच जायें तो पाएँगे की देखने और करने लायक चीज़ें म्क्लॉडगंज से ज़्यादा यहाँ मौजूद हैं | इस कम आबादी वाले छोटे से गाँव की प्राकृतिक सुंदरता में खोने के अलावा यहाँ के चार सौ साल पुराने तवांग मठ की ओर भी घूम कर आ सकते हैं | तवांग युद्ध स्मारक, बला की सुंदर माधुरी झील और नूरानंग झरने की यात्रा भी कर सकते हैं।
कहाँ रहें : डोंड्रब होमस्टे और वामोस ट्रेल, तवांग
3.) जैसलमेर के स्थान पर खिमसर गांव में घूमें
जैसलमेर जिसे गोल्डन सिटी ऑफ इंडिया भी कहा जाता है, सड़क मार्ग द्वारा घूमने जाना हमेशा ही लोगों में काफ़ी प्रचलित रहा है | रास्ते में आपको राजस्थान की शान जैसे विशाल जैसलमेर का किला, गाडीसर झील और थार का बंजर रेगिस्तान जैसे आकर्षणों को देखने का मौका मिलता है | लेकिन आप यह सुनकर हैरान रह जाएँगे कि राजस्थान में एक ऐसी जगह भी है जो राजस्थान की आबो हवा और ज़मीन को उसी तरह पेश करती है जैसे जैसलमेर | मज़े की बात तो यह है कि इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं |
इस जगह का नाम है खिमसर | थार के दूर दूर तक फैले मरुस्थल में इस गाँव तक जीप, ऊँट या घोड़े द्वारा ही पहुँचा जा सकता है | इस जगह पहुँचकर आप को एहसास होता है कि थार का रेगिस्तान ऐसे ही कोई छोटी मोटी जगह में नही बल्कि मीलों तक फैला हुआ बंजर बियाबान है |
अगर आप जैसलमेर और जोधपुर जैसी जगहों पर जा जाकर थक चुके हैं तो इस गाँव के रूप बदलते रेत के टीलों, शांति, और सहजता से प्रेम हो जाएगा | हाँ, अगर आप इस गाँव से थोड़ा आगे और चलेंगे तो हो सकता है आपको रेगिस्तान में नखलिस्तान भी देखने को मिल जाए |
यात्रा का सबसे अच्छा समय: अक्टूबर से मार्च खिमसर गांव जाने के लिए सबसे अच्छे महीने हैं क्योंकि यह एकमात्र समय है जब मौसम यहाँ घूमने फिरने के लिए अनुकूल होता है।
कैसे पहुंचे: निकटतम हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन दोनों जोधपुर में स्थित हैं, जो कि खिमसर से करीब 98 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। जोधपुर से कोई टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या बस सेवाओं का सहारा भी लिया जा सकता है।
क्या करें : थार के अपार रेगिस्तान में बसे इस छोटे से गाँव तक यात्रा का अनुभव अपने आप में अविस्मरणीय है | मगर इसके अलावा आप यहाँ के चार सौ साल पुराने खिमसर के किले को देखने भी जा सकते हैं जिसे अब एक हेरिटेज होटल में परिवर्तित कर दिया गया है | साथ ही आप यहाँ के रेत के टीलों पर ऊँट या घोड़े की सवारी का भी आनंद ले सकते हैं | खुले आसमान में सितारों के तले रात भर रेगिस्तान में कैंपिंग का अनुभव भी भुलाया नहीं जा सकता है | जहाँ दूर दूर तक कुछ नहीं है वैसे सूने रेगिस्तान में धोखा खा जाना भी लोग बड़ा पसंद करते हैं | क्या आपके अनुसार ये अलौकिक जगह भारत में रेगिस्तान से जुड़ा रोमांच ढूँढने वालों के लिए एक ज़बरदस्त विकल्प नहीं है?
कहाँ रहें : खिमसर के किले में या और ड्यून्स एंड खिमसर सैंड ड्यून्स रिसोर्ट में |
4.) चकराता जायें, मनाली नहीं
अगर आप पर्वतों और पहाड़ी क्षेत्रों से प्यार करते हैं और फिर भी हर बार घूमने निकलते वक़्त मनाली को दरकिनार कर देते हैं, तो शायद आप एक नया पहाड़ी अनुभव खोज रहे हैं | बढ़िया बढ़िया रिसोर्ट से भरी मनाली की घाटी वैसे तो हमेशा से सुंदर थी और रहेगी मगर अगर आप दो तीन बार मनाली जा चुके हैं तो अब तक समझ गये होंगे कि मनाली का रूप अब बहुत व्यावसायिक हो गया है | फिर भी, जैसा कि कहा जाता है : सड़क का मोड़ सड़क का अंत नहीं होता " | यह सड़क का मोड़ अब आपको ले जाएगा उत्तराखंड की ऐसी जगह जहाँ जाते ही आप दीवाने हो जाएँगे |
चकराता उत्तराखंड में देहरादून जिले का एक सुंदर सा छोटा पहाड़ी गाँव है | ये जन्नातनुमा जगह मैदानी शहरों की भीड़भाड़, शोरगुल और धुएँ से दूर समुद्रतल से 2118 मीटर ऊपर स्थित है | सैलानियों की मारकाट से परे यहाँ के स्वच्छ वातावरण की हवा में साँस लेना बेहद सुकून देता है | इस पहाड़ी गाँव के आस पास आपको वो सब मिलेगा जो आपको पहाड़ों की ओर खींच लाता है जैसे झरने, सुंदर सूर्यास्त के दृश्य, साहसिक खेल और गतिविधियां, प्राचीन गुफाएं, सुंदर स्थानीय संस्कृति से रूबरू होने का मौका इत्यादि |
चकराता जाने का सबसे अच्छा समय: मार्च से जून के बीच के महीनों को चकराता जाने का सबसे अच्छा समय माना जाता है क्योंकि इस समय यहाँ मौसम ज़्यादा ठंडा ना होकर घूमने के लिहाज से बहुत सुखद हो जाता है।
कैसे पहुंचे: चकराता से 113 किलो मीटर की दूरी पर देहरादून में निकटतम रेलवे स्टेशन है और 87 किलो मीटर दूर देहरादून में ही निकटतम हवाई अड्डा भी है | देहरादून और अन्य आस-पास के शहरों से बसें और टैक्सी आसानी से मिल जाता हैं, लेकिन हमारी राय मानें तो चकराता में रात ढालने से पहले ही पोोच जायें |
क्या करें: आने वाले यात्रियों के लिए चकराता में देखने लायक बहुत कुछ है | आप प्रसिद्ध टाइगर झरने का दौरा कर सकते हैं | झरने पर ही रैपलिंग का आनंद ले सकते हैं | चिलमीरी नेक पहुँच कर अद्भुत सूर्यास्त का विहंगम दृश्य देख सकते हैं | रात में तंबू में रहने के अनुभव का मज़ा लिया जा सकता है | शांत जंगलों में सवेरे की सैर का आनंद ही कुछ और होता है | चकराता के आस पास घूमते समय अपनी आँखें खुली रखें क्यूंकी इस सुंदर गाँव में आप प्रकृति का कोई भी नज़ारा गँवाना नहीं चाहेंगे |
कहाँ रहें : एस्केप ट्राइबल कैंप और ग्रीन हेवेन रिज़ॉर्ट्स
5.) लद्दाख की जगह सिक्किम को प्राथमिकता दें
सिक्किम की इस सुंदर झील की तस्वीर लद्दाख की पांगोंग झील की तस्वीर से कितनी मेल खाती है | समुद्रतल से सैकड़ों मीटर की ऊँचाई पर गंगटोक के आस पास स्थित झीलों में बात ही कुछ ऐसी है | और क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि इस तरह की बेपनाह खूबसूरती वाली झीलें सिक्किम में इतनी सारी है कि उंगलियों पर गिनती नही हो सकती |
सिक्किम की राजधानी गंगटोक भारत के अन्य राज्यों की राजधानियों से काफ़ी अलग है | यहाँ की खुली आबो हवा, चारों ओर फैले पहाड़ों की बर्फ से लदी चोटियाँ, हरे घास के मैदान, कम आबादी और रंगीन संस्कृति वाले सिक्किम में आपको एक बार तो घूम कर आना ही चाहिए |
जल्दी से घूम आइए वरना ये भी सैलानियों की भीड़ बढ़ने से कहीं दूसरा लद्दाख ना बन जाए |
सिक्किम जाने का सबसे अच्छा समय: मार्च से मई के महीने गंगटोक में छुट्टियों का आनंद लेने के लिए सबसे अच्छे महीने हैं। और आप शायद कारण का अनुमान लगा सकते हैं: घूमने के लिए एकदम सुहाना मौसम |
कैसे पहुँचें: निकटतम रेलवे स्टेशन नई जलपाईगुड़ी में है जो गंगटोक से करीब 150 किमी दूर है। गंगटोक से लगभग 124 किलो मीटर दूर बागड़ोगरा में निकटतम हवाई अड्डा स्थित है | इन दोनों स्थानों से आप या तो टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या गंगटोक पहुंचने के लिए बस भी ले सकते हैं।
क्या करें : गंगटोक इतनी सुंदर जगह है कि यहाँ आप अपने कमरे के भीतर तो बिल्कुल नहीं रह पाएँगे | गंगटोक पहुँच कर आराम से ऊँचाई पर स्थित झीलों के अविस्मरणीय नज़ारे लीजिए जैसे मेनमेको झील, त्सोगो झील, गुरुडोंगमार झील और त्सो लोमो झील | त्सो लोमो झील भारत की सबसे ऊँचाई पर स्थित झील है | इसके अलावा आप रुमटेक मठ, बाबा हरभजन सिंह मंदिर, नमची टॉप और कई अन्य जगहों पर जा सकते हैं | सिक्किम में बिताया एक भी पल आप बिल्कुल नहीं भूल पाएँगे |
कहाँ रहना है: होटल ड्रैगन इन और होटल शेर-ए-पंजाब
6.) गोवा के स्थान पर दमन और दीव का चयन करें
अगर आपको समुद्रतट पर खुलकर मौज मस्ती करनी है तो भारत में तो एक ही नाम ज़हन में आता है : गोवा | गोवा के बारे में इतना कुछ लिखा और कहा गया है कि अगर कोई गोवा नहीं भी गया है तो उसे लगेगा कि वह भी गोवा जाकर आ चुका है | गोवा का इलाक़ा कभी पुर्तगालियों के काबू में हुआ करता था | सबसे ज़्यादा सैलानी अगर भारत में कहीं घूमने जाते हैं तो वो जगह गोवा ही है | ऐसे में आप पूछेंगे कि क्या भारत में ऐसी कोई जगह है तो गोवा को सुंदरता और विविधता के मामले में टक्कर दे सकती है? जवाब है : जी हाँ |
हम बात कर रहे हैं दमन और दीव की | तीन ओर से अरब सागर से घिरे इस केंद्र शासित प्रदेश में बहुत से दुर्लभ और शांत समुद्रतट हैं | ऐसे शांत तटीय इलाक़े अब गोवा में नहीं मिल पाते हैं | सुंदर समुद्र तटों, प्राचीन गुफाओं, सभी प्रकार के साहसिक खेलों और एक सुखद माहौल के साथ दमन दीव उन लोगों के लिए एकदम सही जगह है जो गोवा जैसा माहौल चाहते हैं पर गोवा की भीड़भाड़ में नहीं जाना चाहते | ऐसे सैलानियों के लिए दमन दीव सबसे अच्छा विकल्प है |
यात्रा करने का सबसे अच्छा समय: नवंबर से मार्च के महीने दमन और दीव में छुट्टियों का आनंद लेने का सबसे अच्छा समय है, क्योंकि गर्मियों के मौसम में यहाँ बहुत गर्मी पड़ती है |
कैसे पहुँचें: निकटतम रेलवे स्टेशन वापी और वेरावल, दमन से लगभग 15 किलो मीटर और दीव से 90 किलो मीटर दूर हैं। इन रेलवे स्टेशनों से आप को बड़ी आसानी से टैक्सी और स्थानीय बसें मिल जायेंगी | दमन और दीव दोनों जगहों पर हवाईअड्डे बने हुए हैं जो पुणे और मुंबई और आस-पास के शहरों से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं। दमन और दीव तक सड़क मार्ग भी बहुत अच्छा है इसलिए यहाँ तक पहुँचने के लिए बसों और टैक्सियों का सफ़र भी कोई मुश्किल नहीं है |
क्या करें : अगर आप को गोवा की सुंदरता भा गयी है तो दमन और दीव आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे | अपने प्राकृतिक सौंदर्य और विविधता के लिए प्रसिध्ध यह केंद्र शासित प्रदेश कलात्मक और सांस्कृतिक रूप से बहुत समृद्ध है | पैरासेलिंग करनी है तो जंबोर बीच जाइए | हल्की हल्की धूप सेकने और आराम करने के लिए जलंधर बीच जेया सकते हैं | इसके अलावा नायदा की गुफाएं, गंगाश्वर मंदिर और चक्रतर्थ बीच की सैर भी कर सकते हैं |
कहाँ रहें : होटल अपार और हार्डिस विला रिज़ॉर्ट
7.) हम्पी की जगह मालुति जायें
प्राचीन काल से ही देख जाए तो पता चलेगा कि दुनिया की जितनी भी महान सभ्यतायें रहीं है वो सभी नदियों के किनारे ही पनपी हैं | हम्पी एक ऐसा ही शहर है जो ऐतिहासिक रूप से तो महत्वपूर्ण है ही साथ ही युनेसको द्वारा विश्व की धरोहरों में से एक भी घोषी किया जेया चुका है | ये शहर तुंगभद्र नदी के किनारे पर स्थित है जो कभी भारत के महान साम्राज्य विजयनगर की राजधानी हुआ करता था | अब यहाँ उस महान साम्राज्य के अवशेष देखने को मिलते हैं | लेकिन पर्यटकों की दिन पर दिन बढ़ती तादात के चलते हो सकता है आपको इस महान शहर के भव्य मंदिर और अवशेष देखने में उतना मज़ा नही आए | और अगर आप पुरातन विग्यान के विद्यार्थी है और यहाँ के अवशेषों की तस्वीरें लेने में रूचि रखते हैं तो हो सकता है कि लोगों की भीड़ के साथ आपको तस्वीरें लेने में बिल्कुल मज़ा ना आए |
इसलिए हम लेकर आए हैं मालुति| झारखंड राज्य के दुमका जिले में स्थित मालुति अपने मंदिरों के लिए काफ़ी प्रसिध्ध है | झारखंड को पर्यटन की दृष्टि से नगण्य रूप से जाना जाता है | लेकिन इससे 15 वीं शताब्दी में बाज बसंत वंश की राजधानी के रूप में गौरव प्राप्त कर चुकी मालुति का महत्व कम नहीं हो जाता |
कहते हैं मालुति के राजा बाज बसंत ने अपने शासन में महलों का निर्माण करवाने की बजाय खूब सारे मंदिरों का निर्माण करवाया था जो आज भी मालुति में खंडरों के रूप में मौजूद हैं | अगर आपको सैलानियों की भीड़भाड़ से दूर पुरातन समय की दास्तानों की गहराई में जाना पसंद है तो 72 मंदिरों के खंडरों वाला मालूटी आपको ज़रूर भाएगा |
यात्रा का सबसे अच्छा समय: झारखंड के इस विचित्र गांव के ऐतिहासिक मंदिरों के खंडहरों में घूमने का आनंद लेने के लिए अक्टूबर से मार्च के महीने वर्ष का सबसे अच्छा समय है।
कैसे पहुँचें: मालुति से लगभग 16 किलो मीटर की दूरी पर पश्चिम बंगाल में रामपुरहट रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है। यहाँ से मालुति के लिए बस सेवायें उपलब्ध हैं। मालुति से लगभग 250 किमी दूर रांची हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है।
क्या करें: मालुति में वह सब कुछ है जो एक ऐतिहासिक मंदिरों वाले शहर में होना चाहिए। आप यहाँ के विभिन्न खंडहरों में प्राचीनकाल के मंदिरों की भव्यता की झलक देख सकते हैं | मंदिरों से जुड़ी दिलचस्प किंवदंतियाँ, दीवारों पर उकेरी गयी जटिल नक्काशी के साथ आस पास फैले जंगल, पहाड़ियाँ और नदियों की छोटी धारायें इस जगह की आभा को कई गुना बढ़ा देती है | यहाँ पर्यटकों के समूह भी कम ही आते हैं इसलिए इस गाँव का शांतिपूर्ण वातावरण अभी भी बरकरार है |
कहाँ रहें: स्वागतम इंटरनेशनल और माँ तारा पैलेस
8.) जिम कॉर्बेट पार्क की जगह टैडोबा रिजर्व को चुनें
माना की जिम कॉर्बिट राष्ट्रीय उद्यान में भारत के किसी भी अन्य बाघ अभयारण्य की तुलना में सबसे ज़्यादा संख्या में बाघ पाए जाते हैं लेकिन अगर आप जिम कॉर्बिट गये हैं तो आपको वहाँ का आलम पता ही होगा | जिम कॉर्बिट सैलानियों और पशु प्रेमियों के जत्थों से हमेशा घिरा रहता है | सैलानियों से लदी जीपों के काफिले इधर से उधर दौड़ते रहते हैं जिसकी वजह से यहाँ बाघ को उसके प्राकृतिक परिवेश में विचरते देखना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो गया है |
अगर आप सच्चे अर्थ में बाघों को देखना और जंगल सफारी का मज़ा लेना चाहते हैं तो क्यूँ ना किसी और बाघ अभयारण्य चला जाए? इसलिए महाराष्ट्र का सबसे बड़ा टाइगर रिज़र्व ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व हमारी मंज़िल बन सकता है | सैलानियों की भीड़ भाड़ कम होने की वजह से बाघों के साथ ही धारीदार लकड़बग्घे, स्लोथ भालू, भारतीय तेंदुए और कई अन्य जंगली जानवर भी अपने प्राकृतिक परिवेश में घूमते फिरते दिख जाते हैं | बाघ की तस्वीर या फिल्म बनाने के इच्छुक फ़ोटोग्राफ़रों के लिए इससे अच्छी और कोई जगह नहीं हो सकती |
यात्रा का सबसे अच्छा समय: गर्मी के मौसम में मार्च से मई के महीनें और सर्दियों में नवंबर से दिसंबर तक के महीनें ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व में जंगल सफारी का आनंद लेने के लिए सबसे अच्छे महीने हैं। पार्क जून से अक्टूबर तक बंद रहता है।
कहाँ है : सबसे करीब का रेलवे स्टेशन चंद्रपुर रेलवे स्टेशन है, जो टाइगर रिजर्व से लगभग 45 किमी दूर है। 140 किमी पर नागपुर हवाई अड्डा सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा है। रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे से रिज़र्व तक जाने के लिए टैक्सी और बसें उपलब्ध हैं। टाइगर रिज़र्व आस पास के शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और चिमूर बस अड्डा रिज़र्व से सबसे पास है।
क्या करें : ज़ाहिर सी बात है कि अगर टाइगर रिज़र्व में घूमने जा रहे हैं तो आपको उद्देश्य पशु पक्षी, वन्यजीव और मुख्यतया बाघ देखना होगा | खुशी की बात तो ये है कि जंगल के बीचों बीच जाने के लिए खुली जीप मिल जाती है |
कहाँ रहें : ताडोबा टाइगर रिज़ॉर्ट और जयश्री मीडोज़
9.) एलीप्पी के स्थान पर वलीयपरम्बा की योजना बनायें
एलेप्पी, या आलप्पुषा शायद भारत में सबसे ज़्यादा घूमी जाने वाली जगहों में से एक है | यहाँ के बैकवाटर्स पर घरनुमा शिकारों पर सैर करना किसी ज़माने में शांति और सुकून देता था | पिछले एक दशक में हुई सैलानियों की ताबड़तोड़ गतिविधियों के कारण ना अब यहाँ के बैकवाटर्स पर नाव की सवारी करने में वो सुख रहा है ना ही मज़ा | गॉड्स ओन कंट्री कहे जाने वाली इस जगह के बैकवाटर्स में शिकारों की भरमार देखी जेया सकती है | तो क्यूँ ना कोई ऐसा विकल्प खोजा जाए जो अलेप्पी जितना ही खूबसूरत हो मगर अलेप्पी जितना प्रदूषित ना हो |
खोजने पर एक ही विकल्प सामने आता है जिसका नाम है वैलीपरम्बा | अलौकिक रूप से सुंदर ये तटीय द्वीप आज भी शांत और सुखमय है जहाँ के बैकवाटर्स पर सूर्यास्त के समय शिकारे की सवारी करना आपको 90 के दशक के आलप्पुषा की याद दिला देगी | और यहाँ के बैकवाटर्स पर शिकारे की सवारी तक ही क्यूँ सीमित रहें ? वैलीपरम्बा का मुख्य आकर्षण यहाँ स्थित बेकल का किला और नैसर्गिक सुंदरता से लबरेज़ एझिमाला की पहाड़ियों और विशाल समुद्रतट की सुंदरता देख कर आप मंत्रमुग्ध रह जाएँगे | हम कितना भी गुणगान कर लें, लेकिन जब तक आप एक बार वैलीपरम्बा हो कर नही आते, यहाँ के आकर्षण को करीब से कभी नहीं समझ पाएँगे |
यात्रा का सबसे अच्छा समय: अक्टूबर से मार्च के महीनें वैलिपरम्बा जाने का सबसे अच्छा समय है क्योंकि वर्ष के अन्य महीनो के मुक़ाबले मौसम सबसे सुखद है।
कैसे पहुँचें : वैलिपरम्बा से मात्र 5 किलो मीटर दूर चेरुवथुर में निकटतम रेलवे स्टेशन है | मात्र 50 किलो मीटर की दूरी पर मैंगलोर हवाई अड्डा स्थित है जो यहाँ से निकटतम हवाई अड्डा है। चेरुवथुर और मैंगलोर से किराए की टॅक्सी और बस आसानी से उपलब्ध हैं। यदि आप वैलिपरम्बा तक स्वयं ड्राइव करके पहुँचना चाहते हैं, तो आपको बड़ा मज़ा आएगा क्यूंकी यहाँ तक जुड़ने वाली सड़कों की स्थिति बहुत अच्छी है |
क्या करें : वैलिपरम्बा पहुँचने पर देखने और करने योग्य चीज़ों की कोई कमी नहीं मिलेगी | यहाँ के मशहूर बेकल के किले को देखने निकल जाइए | बेकल होल एक्वा पार्क जेया सकते हैं | मगर यहाँ के बैकवाटर्स में शिकारों की सवारी का अविस्मरणीय अनुभव लेना ना भूलिएगा |
कहाँ रहें : लेकव्यू बीच होमस्टे और अवीसा द्वीप
10.) कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान की जगह जाइए ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान
कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान प्रकृति की सुंदरता को करीब से देखने के लिए शायद दुनिया की सबसे अच्छी जगह है | इस उद्यान में आपको विश्व की तीसरी सबसे ऊँची चोटी माउन्ट कंचनजंगा के दर्शन होते हैं | कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान का विकल्प ढूँढना मुश्किल था क्यूंकी इसकी खूबसूरती अभी भी बरकरार है और यहाँ आने वाले सैलानियों की संख्या भी कोई बहुत ज़्यादा नही है | लेकिन अगर आप इस मनोरम और ऐतिहासिक स्थल की यात्रा कर चुके हैं तो शायद आप यहाँ फिर से जाना ना पसंद करें | ऐसे में क्या और कोई जगह है जहाँ आप दुर्लभ प्रजाति के बर्फ़ीले तेंदुए की तस्वीरें ले सकते हैं?
यदि आप इसी पसोपेश में हैं तो आइए आपको हिमालय की वादियों में बसे ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान की बारे में संक्षिप में जानकारी दें | हो सकता है कि प्रकृति प्रेमी होने के बाद भी आप ने इस जगह के बारे में सुना भी ना हो | या फोटोग्राफी मे रुझान रखने के बावजूद आप आज तक इस राष्ट्रीय उद्यान की हरियाली और वन्यजीवों की विविधता को अभी तक अपने कैमरे में क़ैद नहीं किया हो | आप को ये जानकर भी आश्चर्य होगा कि ये राष्ट्रीय उद्यान युनेसको द्वारा विश्व धरोहर स्थल भी घोषित किया जा चुका है |
यहाँ जाने का सबसे अच्छा समय: मार्च से जून और मध्य सितंबर से मध्य नवंबर तक के महीनें ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान जाने का सबसे अच्छा समय है क्योंकि यहाँ की सर्दियाँ बेहद ठंडी और मानसून बहुत ही खतरनाक होता है।
कैसे पहुँचें : यदि आप हवाई जहाज़ द्वारा इस राष्ट्रीय उद्यान तक पहुँचना चाहते हैं तो यहाँ से लगभग 60 किलो मीटर की दूरी पर कुल्लू जिले के भुंतर में निकटतम हवाई अड्डा स्थित है | दिल्ली से भुंतर के लिए हवाई जहाज़ उड़ान भरते ही रहते हैं |
सबसे करीबी मुख्य रेलवे स्टेशन यहाँ से 296 किलो मीटर दूर चंडीगढ़ में स्थित है | पठानकोट जंक्शन से जुड़ा एक और रेलवे स्टेशन जोगिंदरनगर रेलवे स्टेशन ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान से 142 किलो मीटर की दूरी पर है | यदि आप सड़क मार्ग स्वरा आने की योजना बना रहे हैं तो पहले औत पहुँचिए और वहाँ से बंजर घाटी तक की लिंक रोड पकड़ लीजिए | आने से पहले ग्रेट हिमालयन् राष्ट्रीय उद्यान की अधिकारिक वेबसाइट चेक करना ना भूलें | वहाँ आपको राष्ट्रीय उद्यान से जुड़ी कई प्रकार की अपडेट्स और हेल्पलाइन नंबर मिल जाएँगे |
क्या करें : ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान में करने लायक गतिविधियों का वैसे तो कोई अंत नहीं है | बर्फ़ीली चोटियों के बीच वन्यजीव सफारी, आस पास के छोटे छोटे मनोरम गाँवों की पैदल सैर, ऊँचाई पर स्थित हरे भरे चरागाहों की ओर ट्रेकिंग जैसी कई चीज़ें हैं करने को |
नोट- पार्क में प्रवेश करने के लिए यहाँ के सरकारी अधिकारी की अनुमति लेना अनिवार्य है | अधिक जानकारी के लिए ऊपर दी गयी जीएनएचपी की वेबसाइट देखें।
कहाँ रहें : पहली बात तो यह है कि ये कोई मैदानी वन्यजीव उद्यान नहीं है | ये जगह काफ़ी ऊँचाई पर हिमालय शृंखला की गोद में बसी है | इसलिए आपके पास रात गुज़ारने के लिए ज़्यादा विकल्प नहीं हैं | यूँ तो साइपोरा में एक सरकारी अतिथिग्रह है लेकिन आप को आस-पास के गांवों में बहुत सस्ती कीमतों पर आरामदायक होमस्टे भी मिल सकते हैं।
तो बताइए आपने इनमे से कौन सी जगह की ओर जाने का मन बनाया | नीचे कमेंट बॉक्स में अपने विचार लिख कर हमें बताइए | आप चाहें तो अपनी यात्रा की कहानियाँ भी यहाँ लिख सकते हैं | सफ़र के बेहतरीन विडियो देखने के लिए यूट्यूब पर ट्रिपोटो का चैनल ज़रूर सब्स्क्राइब करें |
ये आर्टिकल अनुवादित है, ओरिजिनल आर्टिकल के लिए यहाँ क्लिक करें: