मराठी में एक बहुत लोकप्रिय कहावत है : दुरून डोंगर साजरे, जिसका मतलब है कि दूर से पहाड़ बहुत सुंदर दिखते हैं मगर पास से उतने ही ख़तरनाक होते हैं |
हम में से ज़्यादातर लोग इस कहावत पर गौर नहीं करते क्योंकि हमें पहाड़ों से प्यार जो है, है ना? मगर आप लोगों को पता ही होगा कि पहाड़ों में कैसे-कैसे रहस्य छिपे होते हैं | इंसान को उसकी औकात और अज्ञानता याद दिलाने का ये प्रकृति का ख़ास तरीका है | और इंसान की फितरत में जिज्ञासु होना तो है ही, ये हमारी फितरत ही हमें खोज करने की राह में आगे ले जाती है | ऐसे ही एक जिज्ञासु इंसान इगोर क्रिप्टोव ने ऐसी प्रजाति की मधुमक्खियों के बारे में पता लगाया है जो नशीला शहद बनाती है |
जी हाँ, वही शहद जिसे आपकी माँ ने आपको बचपन में खिलाया था, आज एक अनोखे अवतार में सामने आया है | और नेपाल ही एक ऐसी जगह है जहाँ आपको ये मिल पाएगा |
कहाँ मिलेगा?
ये शहद नेपाल में अन्नपूर्णा पर्वत की तलहटी में हिमालयी धर्मस्थल तालो चिपला में पाया जाता है और दुनिया की सबसे बड़ी मधुमक्खियों एपिस डोरसाटा लेबरियोसा इसे बनाती हैं |
इस शहद की औषधीय ख़ासियत के अलावा तालो चिपला के स्थानीय लोग गुरूंग, नशा करने के लिए इस शहद को अपनी जान जोखिम में डालकर छत्ते से उतारते हैं |
मगर ये लोग ये काम अपनी परंपरा और पुरखों के लिए करते हैं |
ये ख़ास शहद उतारने के लिए गुरूंग अपनी जान जोखिम में डाल कर पहाड़ की चोटियों पर चढ़ जाते हैं | इन लोगों के पास यहाँ के हाइड्रो-इलेक्ट्रिक बांध में रोजगार का सुनहरा अवसर है, लेकिन यह परंपरा उन्हें अपने अतीत से सबसे ज़्यादा साहसिक रूप से जोड़े रखती है।
तो इस नशीले शहद के पीछे क्या विज्ञान है?
बुरांस नेपाल का राष्ट्रीय फूल है | इस फूल का पराग यहाँ की मधुमक्खियाँ इस्तेाल करती हैं | इस पराग में ग्रायनोटॉक्सीन नाम का पदार्थ होता है जो नशीला एहसास करवाने वाला न्यूरोटॉक्सिन है |
ये न्यूरोटॉक्सिन शहद में मिल जाता है और इसी तरह बनता है हमारा नशीला शहद |
वैसे तो यहाँ के स्थानीय लोग इस शहद का इस्तेमाल जोड़ों के दर्द में आराम पाने के लिए करते हैं मगर जापान, चाइना, साउथ कोरिया, नॉर्थ कोरिया में स्तंभन दोष दूर करने के लिए इसकी काफ़ी माँग है |
खाने के बाद कैसा लगता है?
ये हिमालयी शहद मैदानी शहद के मुक़ाबले गाढ़ा और गहरे रंग का होता है | इस नशीले शहद के सिर्फ 2 चम्मच खाने के बाद आपको गांजे जैसा नशा महसूस होता है |
ज़्यादा मात्रा में ये नशीला शहद खाने से दिन भर नशा रह सकता है और अगले दिन काफी ज्यादा उल्टी-दस्त की शिकायत भी हो सकती है |
इगोर क्रॉप्टोव के अनुसार यूनानी सैनिक इस शहद का इस्तेमाल 'ब्लैक सी' के पास से गुज़रते समय नशा करने के लिए करते थे |
नेपाल में इगोर क्रोप्टोव की इस साहसिक खोज ने कई संभावनाएँ खोल दी हैं | मुझे यकीन है कि हमारे ग्रह की गोद में कई ऐसे अंजाने रहस्य छुपे हैं जिनकी रोचक कहानियाँ हमारे होश उड़ा देंगी |
क्या आप ऐसे किसी अनोखे रहस्य के बारे में जानते हैं ? अगर हाँ, तो हमारे साथ ज़रूर शेयर करें|
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