नमस्कार दोस्तों, आज बाहर बहुत बढ़िया बारिश हो रही है, तो मैंने सोचा, यही सही मौका है, अपने यात्रा की डायरी में से एक पन्ना आज पढ़ ही देता हूँ.
तो दोस्तों, ये कहानी है, भालुकपोंग की. शायद थोड़ा अटपटा सा नाम लग रहा हो, पर यह बता दूँ, की इसकी खूबसूरती इतनी अटपटी नहीं है.
एक दिन ऐसे ही आपको किसी लॉन्ग ड्राइव पर निकल पड़ने का मन करता है, तो आप अपनी सवारी पर बैठते हैं, और NH-27 का रास्ता पकड़ लेते हैं. यह हाईवे शुरू होता तो गुवाहाटी से है, लेकिन मानो जैसे इस रास्ते का कोई अंत नहीं है. आप जैसे एक कभी ना ख़त्म होने वाली रोड ट्रिप पर निकल चुके हैं, और आपको रुकने की कोई जल्दी भी नहीं है. बाहर नज़ारे ही इतने बेहतरीन हैं, कि आप रुक नहीं पाएंगे.
करीब २५० किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद आप ब्रह्मपुत्र नदी के साथ साथ चल रहे हैं. यूँ समझ लीजिये, की आप इतनी दूर निकला गए हैं, तो नदी भी आपके सफर में आपके साथ जुड़ गई है. चलते हुए अचानक नामेरी रिज़र्व फारेस्ट के घने जंगल से होकर आप गुज़रते हैं, तो अचानक यहाँ के घने जंगल और हरियाली आपको विस्मित कर देती हैं.
पर मेरी कहानी इन वादियों के बारे में इतनी नहीं है, जितनी इनमे छुपी रहस्मय कहानियों के बारे में है. जब आप भालुकपोंग की गेट तक पहुँचते हैं, तो असम राज्य का दायरा समाप्त हो जाता है, और अरुणाचल प्रदेश शुरू होता है. भालुकपोंग लगभग १०० मीटर रोड के दोनों तरफ बसा हुआ छोटा सा क़स्बा है. शुरू होते ही ख़तम हो जाता है. पर एक बात विचित्र है इस जगह की. और वो है, यहाँ की रहस्मय बारिश.
भालुकपोंग प्रवेश द्वार के पीछे तो सब कुछ सामान्य है. देख कर ऐसा लगता है, की मौसम सुहाना है, और, अच्छी धूप भी खिली हुई है. पर जैसे ही भालुकपोंग में प्रवेश करते हैं, बूंदाबांदी शुरू हो जाती है. और एक पल में आप ऐसे भीग जाते हैं, जैसे पता नहीं कितनी तेज़ बारिश हो गयी हो. पर हैरत की बात यह है, की जैसे ही आप भालुकपोंग गाँव को पार करते हैं, दूसरी तरफ वही चिलचिलाती धूप आपकी राह देख रही होती है.
पहले तो ऐसा लगता था की यह कोई संयोग ही होगा. पहली मुलाकात में किसी के बारे में क्या ही पता चलता है. पर जब कुछ और मुलाकातें हुई, और जान पहचान बढ़ी तो पता चला की यह बारिश तो इनका पुराना अंदाज़ है. तो अब जब भी यहाँ से गुज़रता हूँ, मुझे एहसास होता है, की बूंदें मेरी प्रतीक्षा कर रही होंगी. जब भी भालुकपोंग से मिलुंगा, एक अलग अंदाज़ से मिलाप होगा.
फिलहाल वापस खिड़की के किनारे से बाहर हो रही बारिश का मज़ा लेता हूँ. और अगर आपकी की भी इच्छा हो भालुकपोंग से मिलने की, तो एक अंतहीन सफर पे निकला जाइये. आपसे आगे और ऐसी अंतहीन कहानियों का सिलसिला जारी रहेगा.. मेरा नाम रजत है