हम चाहे कितने भी टेक्नोलॉजी क्यों न बना ले लेकिन जो शांति और सुकून हमे प्रकृति से मिलती है वो और कहीं भी नहीं मिल सकती।जब भी हम अपनी रोजमर्रा के काम से थक जाते है और थोड़ा ब्रेक लेने को सोचते हैं तो हम में से कई लोग प्रकृति के बीच वेकेशन का प्लान बनाते हैं।ताकि प्रकृति से थोड़ा सुकून चुरा सके।और यकीनन इस थोड़े से सुकून से हम फिर से रीचार्ज हो जाते हैं अपने आगे के कुछ दिनों के लिए।तो अगर आपको भी ऐसे ही किसी सुकून की तलाश में है और आपके पास ज्यादा टाइम नही है तो वीकेंड पर लखनऊ के पास इन अभयारण्य में घूमने का प्लान बना सकते हैं। प्रकृति और पक्षियों के बीच बिताए इस समय में आप फिर से फ्रेशअप हो जायेंगे।तो आइए जानते हैं लखनऊ के नजदीक कुछ अभयारण्य के बारे में।
1. कुकरैल वन अभयारण्य
इसकी स्थापना 1978 में उत्तर प्रदेश वन विभाग और पर्यावरण मंत्रालय के सहयोग से की गई थी।यह एक मगरमच्छ, घड़ियाल और कछुओं का अभयारण्य है।एक बहुत विस्तृत वन क्षेत्र है जहां से मुख्य प्रवेश द्वार की ओर से आप जंगल सफारी भी कर सकते हैं।यह भारत में तीन मगरमच्छ प्रजनन केंद्रों में से एक है और मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट के साथ मगरमच्छ प्रजातियों के लिए समर्पित शीर्ष दो प्रजनन केंद्रों में से एक है। तीसरा कुरुक्षेत्र में स्थित है।इसकी एक अन्य दिलचस्प बात यह है कि मार्च से अप्रैल के महीनों के दौरान यहाँ आने वाले स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की 200 से अधिक प्रजातियों देखने को मिलती है।आप अपनी वीकेंड की छुट्टियों में आराम से अपना वक्त बिता सकते हैं।
दूरी (शहर के केंद्र से) - 1.6 किमी
स्थान - सिविल अस्पताल के पास, नरही, हजरतगंज, लखनऊ, उत्तर प्रदेश 226001
2. नवाबगंज पक्षी अभयारण्य
नवाबगंज पक्षी अभयारण्य, जिसका नाम 2015 में शहीद शेखर मुक्त अभयारण्य के चंद्र के रूप में रखा गया।यूपी के उन्नाव जिले में लखनऊ कानपुर हाइवे के किनारे स्थित नवाबगंज पक्षी विहार वीकेंड पर घूमने का एक बहुत अच्छा ऑप्शन है ।आप यहां कई प्रवासी पक्षियों को देख सकते हैं।करीब 224 हेक्टेयर में फैला हुआ इस रिजर्व का बहुत बड़ा हिस्सा झील के रूप में है, जहां आप सारस, सारस, मोर, व्हिसलिंग तिल, जकाना, लैपविंग, गिद्ध, पैजेंट, किंग कौवा आदि देख सकते है।
दूरी - (शहर से दूरी) 50.9km
स्थान - NH 25, रावणहर, उत्तर प्रदेश 209859
3. कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य
लखनऊ से 200 किमी दूर स्थित कतर्निया घाट दुधवा टाइगर रिजर्व का एक हिस्सा है।इस रिजर्व में आपको घड़ियाल और घने जंगलों के बीच हाथी के झुंड को देखने को मिलेंगे।साथ ही जंगल के बीचों बीच आपको गिरवी नदी मिलेगी जिसमे आप दुर्लभ प्रजाति के कछुए, ताजे पानी में पाई जाने वाली मछलियां आसानी से देख सकते हैं।। यहां रुकने के लिए वन्य विभाग का कॉटेज भी उपलब्ध है। जिसके लिए आपको पहले से ही ऑनलाइन बुकिंग करानी होगी। यहां जीप में जंगल सफारी के साथ गिरवा नदी में वोटिंग प्रमुख आकर्षण हैं।
दूरी - 195km
स्थान - 84PF+9CC, निशानगढ़, बॉर्डर रोड, धर्मपुर, उत्तर प्रदेश 271855
4. दुधवा नेशनल पार्क
इस वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को 1958 में हिरनों के संरक्षण के लिए स्थापित किया गया था। उसके बाद 1977 में इसे टाइगर रिजर्व के रूप में नेशनल पार्क घोषित कर दिया गया। यह लखनऊ से मात्र 230 किमी की दूरी पर स्थित है।इस क्षेत्र में 60 से अधिक बाघ और 1600 से अधिक दलदली हिरण हैं।दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में स्तनधारियों की प्रजातियों से लेकर पक्षियों , सरीसृपों और यहाँ तक कि मछलियों की एक विस्तृत विविधता तक कई विभिन्न प्रकार के जानवरों का घर है।
दूरी - 216 किमी
स्थान - पलिया-दुधवा-चंदन चौकी रोड, चंदन चौकी, पलिया कलां, उत्तर प्रदेश 262902
5. किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य
किशनपुर भी कतरनियाघाट की तरह बड़े दुधवा टाइगर रिजर्व का एक हिस्सा है और भूमि क्षेत्र में लगभग 227 वर्ग किलोमीटर शामिल है।यह स्थान मुख्य रूप से बारहसिंगा के लिए जाना जाता है।तराई क्षेत्र होने के कारण यहां कई प्रकार के स्तनधारी जीव पाए जाते हैं। विभिन्न प्रजातियों के हिरन यहां का मुख्य आकर्षण हैं।इसके अलावा आप यहां बाघ, तेंदुआ, दलदली हिरण, हॉग हिरण, बार्किंग हिरण, फ्लोरिकॉन या बस्टर्ड, आदि का दीदार भी कर सकते हैं।
दूरी - 201km
स्थान - 9CQ5+96X, F-1, उत्तर प्रदेश 262901
6. सोहेलवा वन्यजीव अभयारण्य
452 वर्ग किमी0 के क्षेत्र में फैला सुहेलदेव वन्यजीव प्राणी अभयारण्य की स्थापना 1988 में की गई थी।वन्य जीवों में यहां बाघ तेदुएं, चीतल, भालू, भेड़िए, षियार, खरगोष, जंगली, शुअर, सांभर, बन्दर, लन्गूर, अजगर, उद्बिलाव आदि सामान्य रूप से पाये जाते है। इसके आलावा विभिन्न प्रकार के पक्षी जैसे ब्लैक पैरिट बटेर, किंग फिषर, मैना, बाझ, नाइटिंगेल, कोयल तथा उल्लू भी इस वन क्षेत्र में पाये जाते है।
दूरी - 208 किमी क्षेत्र -
स्थान -R624 +584, वन कटवा रेंज, उत्तर प्रदेश 271207
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