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हमेशा से ही जंगल अपने आप में बेहद रोमांचक और रहस्यमय होता रहा है। हालाँकि, अधिकांश लोगों में जंगल की कल्पना टीवी और कहानियों के माध्यम से ही आई होगी और ऐसे बहुत कम ही लोग होंगे, जिन्हें जंगल को देखकर एडवेंचर का मज़ा लेने का मन हो उठता है। हम सभी ने जंगलों और वन्यजीवों को बस दूर से ही देखा होगा लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आप खुद भी जंगल की लाइफ का मज़ा ले सकते हैं।
हमारे देश में ऐसे कई जंगल हैं जहाँ पर आप एडवेंचर का मज़ा ले सकते हैं। भारत के जंगलों के बारे में लोग बहुत कम ही जानते हैं। जंगल में आप ट्रैकिंग, कैंपिंग और फॉरेस्ट बाथिंग का आनंद उठा सकते हैं। एडवेंचर के शौकीन लोगों को हाइकिंग और ट्रैकिंग का लुत्फ उठाने का मौका भी इन जंगलों में ही मिलता है। सच कहा जाए तो यह देखने में जितना आसान लगता है, यहाँ रहना शायद उतना आसान नहीं हो, लेकिन वो एडवेंचर ही क्या, जो आसान लगे! इसलिए आज मैं आपको देश के ऐसे जंगलों के बारे में बताऊंगी जहाँ की हरियाली वाइल्डनेस और एडवेंचर को पसंद करने वाले लोगों के दिल को छू जाएगी। तो आइए जानते हैं।
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कान्हा नेशनल पार्क, मध्य प्रदेश
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मध्य प्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क में स्तनपाई जीवों की 22 से भी ज्यादा प्रजातियां मौजूद हैं। यहां पर आप शेर, स्लोथ बीयर, माउस डीयर आदि देख सकते हैं। यहाँ की सबसे खास बात है सिओनी के जंगल का ट्रैक। ये नेशनल पार्क ट्रैकर्स और वाइल्डलाइफ पसंद करने वाले लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय है। इसे भारत के शीर्ष जंगल ट्रैकिंग डेस्टिनेशन में शामिल किया गया है।
कब जाएं: इस ट्रैक पर जाने का सबसे सही समय अक्टूबर के मध्य से जून के अंत तक है। मॉनसून के मौसम में कान्हा नेशनल पार्क बंद रहता है।
कुंजखड़क ट्रैक, उत्तराखंड
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उत्तराखंड में कुंजखड़क ट्रैक की शुरुआत पंगोट से होती है जोकि हिमालय की तलहटी में कोर्बेट के पास स्थित है। अगर आपको दूरगम स्थानों पर जाना पसंद है तो इस ट्रैक पर एक बार आपको जरूर आना चाहिए। यहाँ कुंजखड़क के हरे-भरे जंगल आप का मन मोह लेंगे तथा इन जंगलों में देवदार के बड़े-बड़े पेड़ भी आपको बेहद आकर्षक लगेंगे। कुंज खड़क पर राप्ती नदी दिखेगी, जो कि भारत और नेपाल की सीमा को बांटती है। इस जंगल में ट्रैकिंग के लिए अक्टूबर से अप्रैल तक का महीना बेस्ट कहा जाता है और उत्तराखंड के कुंजखड़क की शुरुआत हिमालय की तलहटी में कोरबात के पास स्थित है। पूरे रास्ते आपको इस नदी से बनी सीमा का साथ मिलेगा।
कब जाएं: इस ट्रैक पर अक्टूबर से अप्रैल के बीच जाना सही रहता है।
पाली वॉटरफॉल ट्रैक, गोवा
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गोवा का नाम सुनते ही समुद्र की लहरे और खूबसूरत समुद्रतट, पार्टियां याद आ जाती हैं लेकिन गोवा में इससे ज्यादा बहुत कुछ है। पाली वॉटरफॉल को शिवलिंग झरने के नाम से भी जाना जाता है। इसका रास्ता देश के सबसे ऑफबीट जंगल ट्रैक में से एक है। इस राज्य के सबसे घने जंगल के क्षेत्र से ये झरना ढका हुआ है। आपको बता दूं कि शिवलिंग झरना छोटे से वलपोई गांव में बहता है। यहां पर सांप और कोबरा भी रहते हैं इसलिए अपना रास्ता ज़रा इनसे बचाकर रखें। ट्रैकिंग का रास्ता थोड़ा मुश्किल और चुनौतीपूर्ण हो सकता है लेकिन अनुभवी लोगों को यहाँ ट्रैकिंग करने में बहुत मज़ा आएगा। लेकिन अगर आप ट्रैकिंग के माहिर हैं तो आप इस वाटर फॉल पर जरूर जाएं। ये ट्रैकिंग ट्रेल 6 किमी लंबी और ये वलपोई गांव से शुरु होती है। सड़कों, बहते पानी और घनी वनस्पतियों से होकर इस ट्रैकिंग का रास्ता पूरा होता है।
कब जाएं: पाली वॉटरफॉल ट्रैक पर जाने का सबसे सही समय मॉनसून के बाद है क्योंकि इस समय यहाँ गर्मी कम होती है और मौसम भी साफ रहता है। अगस्त के अंत से लेकर सिंतबर तक यहाँ आना सही रहता है।
सीताबनी ट्रैक उत्तराखंड
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उत्तराखंड के जिम कोर्बेट में सीताबनी ट्रैक भी बिगीनर ट्रैकर्स और ट्रैवलर्स के लिए बहुत खास माना जाता है। इस ट्रैक की शुरुआत सीताबनी मंदिर से होती है। और ये भोला मंदिर पर जाकर खत्म होता है। सीताबनी मंदिर से भोला मंदिर घने जंगलों में 8 से 9 किमी की दूरी पर स्थित है। भोला मंदिर तक के रास्ते में पड़ने वाले घने जंगलों में जंगली जानवर जैसे हाथी, शेर और भालू रहते हैं।
कब जाएं: अक्टूबर से अप्रैल तक का समय यहाँ आने के लिए बेहतर रहता है। इस समय बारिश नहीं होती और मौसम भी सुहावना रहता है।
नेत्रवली वन्यजीव अभ्यारण्य, गोवा
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हरे-भरे जंगलों से ढका नेत्रवली वन्यजीव अभ्यारण्य ट्रैकिंग के लिए बेहतर माना जाता है। यहाँ पर आपको कई तरह की वनस्पतियां और वन्यजीव भी देखने को मिलेंगे। गोवा के अन जंगलों में 30 मीटर ऊंचे पेड़ हैं जो इस जगह और भी ज्यादा रोमांचक बनाते हैं। जंगल ट्रैकिंग के लिए ये जगह एकदम परफैक्ट है। मिनापि झरने से होते हुए इस ट्रैक का रास्ता गुज़रता है और मॉनसून के मौसम में तो इस झरने की खूबसूरती दोगुनी हो जाती है। इस जगह पर बिगीनर्स रॉक क्लाइंबिंग भी कर सकते हैं।
कब जाएं: अक्टूबर से मार्च तक इस अभ्यारण्य जाने का सही समय रहता है। यहाँ आने के लिए सर्दी का मौसम ठीक रहता है लेकिन इस दौरान झरनों में पानी ज्यादा नहीं मिलता है।
मुदुमलई, तमिलनाडु
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तमिलनाडु के मुदुमलई नेशनल पार्क के बारे में तो सभी जानते हैं। जंगल ट्रैकिंग के लिए इससे बेहतर जगह आपको कहीं और नहीं मिलेगी। एडवेंचर प्रेमियों और एड्रेनलाइन जंकियों के बीच ये जगह बहुत लोकप्रिय है। ये ट्रैक ज्यादा मुश्किल नहीं है और यहाँ पर आपको रहने के लिए हॉस्टल, होटल, रिजॉर्ट और गांव के घरों में रहने की सुविधा भी मिल जाएगी। आसपास के गांवों से ही ट्रैक की शुरुआत होती है। ट्रैकिंग के इस रास्ते में आपको मुदुमलई के कई खूबसूरत नज़ारे देखने को मिलेंगे।
कब जाएं: मॉनसून के खत्म होने पर मुदुमलई आना ज्यादा बेहतर रहता है। नवंबर के अंत से मार्च के अंत तक आप मुदुमलई आ सकते हैं।
बिंसार जीरो प्वॉइंट ट्रैक, उत्तराखंड
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बिंसार, उत्तराखंड राज्य का एक छोटा सा गांव है। ये जगह खूबसूरत नज़ारों, प्राकृतिक सौंदर्य और मेहमान नवाज़ी के लिए मशहूर है। बिंसार जीरो प्वाइंट ट्रैक बिंसार वन्यजीव अभ्यारण्य से होकर गुज़रता और ये काफी आसान ट्रैक माना जाता है। बिंसार के जंगलों में कई बंदर, कई तरह के पक्षी, लंगूर और अन्य जानवर देखने को मिलते हैं। इस ट्रैक की शुरुआत टूरिस्ट गेस्ट हाउस से होती है और ये बिंसार की सबसे ऊंची चोटि पर जाकर खत्म होता है। इस ट्रैक में ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से गुज़रना पड़ता है।
कब जाएं: इस ट्रैक पर अक्टूबर से नवंबर और फरवरी-मार्च के बीच जाना सही रहता है। इस समय यहाँ बारिश और बर्फ भी कम रहती है और मौसम सुहावना होता है।
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