घुमक्कड़ों की दुनिया बड़ी अनोखी, अज़ीब, दिलचस्प और रोमांच से भरपूर होती है, जी हां आपने बिल्कुल सही सुना। दोस्तों आज मैं एक ऐसे ही दिलचस्प, अनोखे और रोमांच से भरपूर घुमक्कड़ की कहानी से आपको रूबरू कराने जा रहा हूँ। मैं आज ऐसे घुमक्कड़ की कहानी लिखने जा रहा हूँ जो कि पेशे से वेब डिज़ाइनर हैं तथा स्विट्ज़रलैंड के नागरिक हैं लेकिन उनको घुमक्कड़ी का नशा कुछ कदर चढ़ा कि वो स्विट्ज़रलैंड से लगभग 15000 km की दूरी पैदल चलकर भारत आ गए। मैं बात कर रहा हूँ स्विट्ज़रलैंड के एक ऐसे 29 वर्षीय युवा की जिसे भारत से बेहद लगाव है और भारत पैदल चलकर आना उसका सपना था उनको इस सपने को पूरा करने में 4 साल लग गए इंडियन बॉर्डर तक पहुंचने में और 1 साल से वो भारत में भ्रमण कर रहे हैं यानी कि कुल 5 साल से वो इस यात्रा पर हैं। इस यात्रा को उन्होंने Peace Walker या शांति यात्रा का नाम दिया है। वो अभी हिमाचल प्रदेश में रह रहे हैं। मैं बात कर रहा हूँ घुमक्कड़ Ben Viattae की जिन्हें भारतीय संस्कृति, वेशभूषा, सनातन धर्म, योग, पातंजल योग-दर्शन से बेहद लगाव है और इसी कारण वो भारत की ओर खींचे चले आए ठीक उसी प्रकार जैसे चुम्बक लोहा की ओर खींचा चला आता है। इनकी माता जी भारतीय दर्शन, योग और संस्कृति से जुड़ी हुई हैं और इनका स्विट्ज़रलैंड में एक योगा सेंटर भी है। हरिद्वार 2021 के कुंभ में शामिल होना इनका सपना था अतः ये एक दिन अपना बैकपैक उठाए और निकल पड़े पैदल भारत की यात्रा पर।
भारत में Ben Viatte को एक नया नाम मिला :-
भारत के लोगों ने Ben Viatte को एक नया नाम दिया Ben Baba और Ben अब इसी नाम से प्रसिद्ध भी हैं। उनकी भारत तक कि यात्रा 18 मुल्कों से होकर भारत तक पहुंचती हैं। Ben 10th तक पढ़ाई की है क्योंकि इनको शुरू से ही योग, संस्कृति और अध्यात्म में रुचि थी तो 10th के बाद आगे की पढ़ाई करने की बजाय ये चीन चले गए योगा और मार्शल आर्ट सीखने। ये योगा मास्टर भी हैं, यौगिक पोस्चर में ये दक्ष हैं। Ben बाबा ने आखिर भारत को ही अपना अंतिम डेस्टिनेशन क्यों बनाया? विश्व में कई सारे देश हैं, आप वहां भी जा सकते थे और जैसा कि आप ख़ुद 18 मुल्कों की सरहदों को पार करके तब भारत पहुंचे हैं जब यह सवाल उनसे पूछा गया तो इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत एक जीवंत देश है यहां धर्म और संस्कृति, दर्शन, आत्म-बोध का ज्ञान है, यहां से मनुष्य सब कुछ सीख सकता है यहां से मनुष्य अपनी ज्ञान की पिपासा को शांत करके तृप्त हो सकता है क्योंकि आत्मा से परमात्मा की प्राप्त का मार्ग, साधन और ज्ञान अगर विश्व में कहीं है तो इस अखिल ब्रह्मांड में वह भूभाग भारत देश है।
Ben Baba के 18 मुल्कों की यात्रा कैसी रही :-
Ben Baba ने बताया उनको इस 18 मुल्कों की यात्रा में दो देश में बहुत मुश्किल हालात से गुजरना पड़ा जहां 2 देश की सीमाओं में प्रवेश करते हुए उनको गन पॉइंट पर भी रखा गया वो देश थे सीरिया और टर्की हालांकि जब वो गन पॉइंट पर थे तब उस देश के मुल्कों की सेनाओं को उन्होंने बताया कि वो कोई Terrorist या आतंकवादी नहीं बल्कि एक घुमक्कड़ है जो स्विट्ज़रलैंड से भारत की Peace Walker यानी शांति यात्रा पर हैं। उनके डॉक्यूमेंट चेक करने के बाद दोनों देश की सेनाओं को जब यह यक़ीन हो गया कि Ben वास्तव में एक घुमक्कड़ हैं तो दोनों देश की सेनाओं के कैंपो और मिलिट्री बेस में उनकी जमकर आव-भगत और मेहमान नवाज़ी हुई पर जब वो गन पॉइंट पर थे तब बहुत ही ज़्यादा घबरा गए थे और डारे हुए थे जहां उनके साथ कुछ भी हो सकता था और उनकी ज़िंदगी उस समय बंदूक की एक ट्रिगर पर आश्रित थी। हालांकि Ben बाबा ने बताया कि यह अनुभव उनकी यात्रा का सबसे ज़्यादा डरावना भरा था और दूसरी ओर सबसे ज़्यादा उनकी मेहमान नवाज़ी भी इन्हीं दो जगहों पर हुआ वो भी किसी देश की सेनाओं द्वारा। उनके लिए यह लम्हा काफ़ी रोमांचक भी था और डरावना भी, कुल मिलाकर ज़िन्दगी में कभी न भूलने वाला पल।
Ben ने बताया कि यात्रा के दौरान कुछ मुल्क में रेगिस्तानी क्षत्र ज़्यादा थे जहां मिलों दूर-दूर तक कई बार कोई गांव या बस्ती नहीं होती थी और जहां कहीं भी गांव बस्ती होती थी वहां के सभी लोगों ने इनकी मदद की, इन्हें पानी, भोजन आदि हर जरूरत की चीज मुहैया करवाया अन्यथा Ben का कहना था कि वो इस यात्रा पर भूखे-प्यासे, भोजन पानी के अभाव में दम तोड़ देते इसके लिए उन्होंने लोगों का तहे दिल से धन्यवाद किया।
ये फ़ोटो उनकी यात्रा के दौरान विभिन्न मुल्कों से हैं।
भारत पहुंचने से पहले उनका आख़िरी मुल्क पाकिस्तान रहा :-
भारत पहुंचने से पहले 18 मुल्कों की यात्रा में पाकिस्तान उनका आख़िरी देश था। Ben Baba की सबसे बड़ी क्वालिटी जो है वो यह है कि वो जिस भी देश में पहुंचे वहीं की संस्कृति, वेश-भूषा, रहन-सहन सहज रूप में अपना लिया जैसे वो स्वयं उस देश के लोकल निवासी हों यही कारण था उनकी यह 15000 km की दुष्कर और मुश्किल प्रतीत होती यात्री बहुत ही सुखद, सुगम और रोमांचक रही। वह लोगों से बहुत ही मैत्री, करुणा और शिष्टतापूर्वक मिलते थे और उनके साथ, उनके रहन-सहन में घुल-मिल जाते थे।
Ben Baba को हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति से बेहद लगाव :-
Ben Baba को हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति से बेहद लगाव है। उन्होंने अपनी यात्रा पर 4 साल पहले ही बिना किसी टीचर की मदद से हिंदी सीखना शुरू कर दिया था। उन्हीने हिंदी को किताबों, इंटरनेट, और पॉडकास्ट के माध्यम से सीखा और वो बहुत ही अच्छी हिंदी बोल लेते हैं। भारत में आने के बाद उन्होंने बिल्कुल साधु वाला जीवन और दिनचर्या जीने लगे। उन्होंने गेरुआ और साधु वस्त्र भी धारण कर लिया है। यहां वो भारत की आत्मा अध्यात्म को आत्मसात कर रहे हैं। भारतीय पातंजल योग दर्शन, वेद, मंत्र आदि का अध्ययन कर रहे हैं। वो भारतीय संस्कृति और यहां की आध्यात्मिक ज्ञान को अपनी प्ररणा बताते हैं। वो अपने इस जीवन की यात्रा को न सिर्फ बाह्य रूप से पूर्ण करने चाहते हैं बल्कि आंतरिक आध्यत्मिक यात्रा के मार्ग पर चलते हुए अपने इस जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते हैं। वो भारत के 'वसुधैव कुटुम्बकं' को जीवंत आत्म सात किये हुए हैं, पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हैं। सनातन और बौद्ध धर्म में उनकी गहरी दिलचस्पी है।
अपनी इस यात्रा को वो अपनी साधना का मार्ग बतलाते हैं और कहते हैं हमें शांति सिर्फ़ बाहर की दुनिया में नहीं अपितु अपने अंतर्मन की दुनिया में, अपनी आत्मा में खोजना है तभी शांति इस संसार में कायम होगी। वो कहते हैं पाश्चत्य जगत भौतिकता में लिप्त है जिसके माध्यम से परम वैभव सुख-शांति की स्थापना महज एक कोरी कल्पना है। उन्होंने भारतीय आध्यत्मिक ज्ञान, दर्शन और संस्कृति में ही मानव मात्र के कल्याण का मार्ग बतलाया।
Ben Baba ने अपनी इस यात्रा-वृतांत को एक पुस्तक के रूप में लिख दिया है। उनकी इस पुस्तक का नाम है " Two little wandering monks an inner journey "
दोस्तों आपको इस घुमक्कड़ की यात्रा-वृतांत कैसा लगा मुझे जरूर बताएं।
Note : All photos taken from Ben Viatte Facebook page
PC : Ben Viatte
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