चारों तरफ पहाड़ और हजारों फीट की ऊँचाई पर दूर-दूर तक फैला हरी घास का मखमली मैदान। ऐसा नजारा पहाड़ों में किसी को भी मदहोश कर सकता है। इस नजारे के लिए आप यहाँ बार-बार आना चाहेंगे। अगर आप ऐसे ही शानदार नजारा देखने की हसरत रखते हैं तो चले आइए उत्तराखंड के चमोली जिले में और यात्रा कीजिए उत्तराखंड की सबसे बड़े बुग्याल की, बेदनी बुग्याल।
बुग्याल का अर्थ है, पहाड़ों की ऊँचाई पर हरे-भरे घास के मैदान। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बेदनी बुग्याल समुद्र तल से 3,354 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। रूपकुंड जाने के रास्ते में ही आपको बेदनी बुग्याल मिलेगा। बेदनी बुग्याल उत्तराखंड के सबसे खूबसूरत बुग्यालों में से एक है। हालांकि यहाँ तक पहुँचना आसान नहीं है। बेदनी बुग्याल तक पहुँचने के लिए आपको एक लंबा ट्रेक करना पड़ेगा। इसके बाद आपको इस जहाँ के सबसे सुंदर नजारे देखने को मिलेंगे। आपको एक बार तो यहाँ जरूर आना चाहिए।
बेदनी बुग्याल
बेदनी बुग्याल के ट्रेक में आप अली बुग्याल की भी यात्रा कर सकते हैं। इसके अलावा आप साथ में रहस्मयी रूपकुंड को भी ट्रेक कर सकते हैं। रूपकुंड ट्रेक सबसे कठिन ट्रेकिंग में से एक माना जाता है। बेदनी बुग्याल तक का ट्रेक ज्यादा कठिन नहीं है। बेदनी बुग्याल का ट्रेक करने के दो रास्ते हैं। पहला रास्ता वान गाँव से शुरू होता है। यहाँ से बेदनी बुग्याल 10 किमी. की दूरी पर है। दूसरा रास्ता लोहाजंग से शूरू होता है। लोहाजंग से बेदनी बुग्याल 20 किमी. की दूरी पर है।
ट्रेकिंग रूट
दिन 1
लोहाजंग पहुँचे
सबसे पहले आप ट्रेन से काठगोदाम पहुँचे। काठगोदाम उत्तराखंड की एक छोटी-सी जगह है। यहाँ से आपको लोहाजंग पहुँचना है। अगर आप बड़े ग्रुप में हैं तो एक कैब बुक कर सकते हैं। इसके अलावा आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट से लोहाजंग पहुँच सकते हैं। काठगोदाम से लोहाजंग की दूरी लगभग 265 किमी. है। आप काठगोदाम से ग्वालदम होते हुए लोहाजंग पहुँच सकते हैं।
दिन 2
लोहाजंग से दिदना गाँव
लोहाजंग से ही बेदनी बुग्याल का ट्रेक शुरू होता है। अगले दिन नाश्ता करने के बाद बेदनी बुग्याल की यात्रा पर निकल पड़िए। आपको रास्ते में एक नील नदी भी मिलेगी। ब्रिज पार करने के बाद आपको चढ़ाई मिलेगी। लोहाजंग से दिदना गाँव लगभग 10 किमी. है। पहले दिन आपको ट्रेक करने में दिक्कत हो सकती है और थकावट भी काफी होगी। लगभग 4-5 घंटे की यात्रा के बाद आप दिदना गाँव पहुँचेंगे। यहाँ आप होमस्टे में ठहर सकते हैं या फिर टेंट में रात गुजार सकते हैं।
दिन 3
दिदना से अली बुग्याल
इस ट्रेक की असली खूबसूरती अली बुग्याल में देखने को मिलेगी। प्राकृतिक सुंदरता क्या होती है? ये आपको इस ट्रेक में समझ आएगा। अगले दिन जल्दी उठिए और निकल पड़िए ट्रेकिंग पर। दिदना गाँव से अली बुग्याल की दूरी 10 किमी. है। रास्ते में आपको देवदार, चीड़ और कई प्रकार के पेड़ मिलेंगे। तोलकान पहुँचने पर आपको मिना बुग्याल देखने को मिलेगा। यहाँ से 1 घंटे की यात्रा के बाद आप उस जगह पहुँच जाएंगे। जहाँ आपको चारों तरफ खूबसूरत मखमली घास का मैदान दिखेगा। अली बुग्याल में आप टेंट लगाकर रात गुजार सकते हैं।
दिन 4
अली बुग्याल से बेदनी बुग्याल
यही वो दिन है जिसके लिए आपने अपने घर से दूर इतनी लंबी और कठिन यात्रा को चुना है। अली बुग्याल से बेदनी बुग्याल की दूरी सिर्फ 3 किमी. है। रास्ता भी बहुत ज्यादा कठिन नहीं है। यहाँ से हिमालय के सबसे खूबसूरत नजारे देखने को मिलेंगे। बर्फ से ढंकी पहाड़ी आपको जिंदादिल महसूस कराएगी। बेदनी बुग्याल में आपको चारों तरफ हरे-भरे फूल देखने को मिलेंगे। यहाँ पर बेदनी कुंड भी है। पहाड़ों के बीच स्थित इस लेक को आपको जरूर देखना चाहिए। बेदनी कुंड के पास में एक मंदिर है। आपको रात में बेदनी बुग्याल में ही ठहरना चाहिए।
दिन 5
बेदनी बुग्याल- वाण- लोहाजंग
बेदनी बुग्याल का ट्रेक पूरा करने के बाद अगले दिन सुबह-सुबह नीचे उतरना शुरू कर दीजिए। बेदनी बुग्याल से आप वाण गाँव के रास्ते से लोहाजंग पहुँचिए। ये रास्ता छोटा भी है और आप जल्दी भी पहुँच जाएंगे। बेदनी बुग्याल से वाण गाँव तक का ट्रेक 12 किमी. का है। वाण गाँव से आप कैब से लोहाजंग पहुँच सकते हैं। रात लोहाजंग में गुजारिए और फिर अगले दिन वहाँ से ऋषिकेश या काठगोदाम जा सकते हैं।
कहाँ ठहरें?
समुद्र तल से 3,000 मीटर से ज्यादा की ऊँचाई पर स्थित बुग्याल में आपको कोई गेस्ट हाउस या लॉज नहीं मिलेगा। यहाँ ठहरने का एक ही विकल्प है। हरे-भरे मखमली मैदान में टेंट लगाइए और इस खूबसूरत जगह का आनंद लीजिए। आप अपने साथ खुद का टेंट भी ला सकते हैं या फिर टेंट को रेंट भी कर सकते हैं। आपको टेंट का सामान वाण गाँव और लोहागंज में मिल जाएगा।
टिप्स:
1- बेदनी बुग्याल ट्रेक से पहले आपको साइकिल चलानी चाहिए, दौड़े और तैराकी करें। जिससे आपका स्टेमिना बढ़े।
2- आप गलती से भी इस ट्रेक को मानसून में ना करें। मानसून में रास्ता फिसलन भरा होता है और लैंडस्लाइड होने का भी खतरा रहता है।
3- आपको इस ट्रेक को अकेले नहीं करना चाहिए। ग्रुप में ट्रेक करने से ट्रेकिंग कठिन नहीं लगेगी। अगर अकेले ट्रेक कर रहे हैं तो अपने साथ गाइड जरूर रखें।
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