अब मनाली आने वाले पर्यटक ब्यास नदी के मुख्य स्थल का भी दीदार कर सकेंगे। मनाली घाटी के युवाओं ने मंदिर के द्वार खोलने के बाद बाकायदा ब्यास ऋषि की पूजा-अर्चना भी की।
इसी स्थान पर ब्यास ऋषि जी ने 12 साल तपस्या की थी और यह वही स्थान है जहां ऋषि जी ने महाभारत, 4 भेद और 18 पुराण लिखें थे। यह स्थान ट्रेकिंग के लिए तो उत्तम है ही अपितु कुंड की पवित्रता अपरम्पार है। इसी पवित्र स्थान पर ब्यास ऋषि जी ने प्यास लगने पर पानी का एक कुंड बनाया था। आज वही स्थान की पूजा की जाती है। ब्यास नदी यहीं से शुरू होती है।
इस बार भी पहले की तरह कुंड तक रास्ता खोलने के लिए घाटी के युवक आगे आये। पहले रास्ते से बर्फ हटाई फिर मन्दिर के कपाट खोले। समुद्रतल से 13,050 फीट ऊंचे रोहतांग दर्रा में स्थित ब्यास नदी के मुख्य स्थल अब ब्यास मंदिर के द्वार भी छह महीने बाद खुल गए हैं।
460 किलोमीटर लंबी ब्यास नदी का मुख्य स्थल रोहतांग दर्रा में स्थित ब्यास मंदिर है। हिमाचल में इस नदी की लंबाई 256 किलोमीटर है। भारी बर्फबारी के कारण रोहतांग दर्रा बंद हो जाने से करीब छह महीने तक ब्यास मंदिर के कपाट भी बंद हो जाते हैं। दो दिन पहले ही रोहतांग दर्रा पर्यटकों के लिए बहाल किया गया है। पर्यटकों का रोहतांग जाना शुरू हो गया है।
बढ़ने लगे पर्यटक
रोहतांग दर्रा बहाल होने के बाद पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो रहा है। शनिवार को पर्यटकों की यहां काफी ज्यादा भीड़ जुटी। रोहतांग दर्रा बहाल होने के पहले दिन शुक्रवार को 580 वाहन गए थे। शनिवार के लिए भी करीब 900 परमिट जारी किए गए। रोहतांग दर्रा के लिए एक दिन में कुल 1,200 वाहनों को जाने की अनुमति है। इसके लिए पर्यटन विभाग द्वारा बनाई गई ऑनलाइन साइट पर स्लॉट बुक करना पड़ेगा। इसी स्लॉट के माध्यम से परमिट जारी किए जाते हैं।
कैसा लगा आपको यह आर्टिकल, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।
बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें