अरब सागर के किनारे बसे कर्नाटक के खूबसूरत गाँव गोकर्ण में घुमक्कड़ी

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Photo of अरब सागर के किनारे बसे कर्नाटक के खूबसूरत गाँव गोकर्ण में घुमक्कड़ी by Dr. Yadwinder Singh

गोकर्ण कर्नाटक में अरब सागर के किनारे एक ईतिहासिक गाँव है| गोकर्ण का अर्थ है गाय का कान | यहाँ ऐसी माना जाता है कि भगवान शिव का जन्म गाय के कान से हुआ था| गोकर्ण गाँव का आकार भी कान जैसा ही है| गोकर्ण गाँव अपने प्राचीन मंदिरों और खूबसूरत समुद्र के किनारों के लिए प्रसिद्ध है| गोकर्ण में आपको गोवा जैसी भीड़ भाड़ नहीं मिलेगी| अगर आप समुद्र के किनारे किसी शांत जगह पर दो तीन गुजारना चाहते हो तो कर्नाटक का गोकर्ण आपके लिए सबसे बढ़िया जगह है| गोकर्ण बहुत सुंदर गाँव है| आप दो दिन आराम से गोकर्ण में गुजार सकते हो|

गोकर्ण के समुद्री किनारे का नजारा

Photo of गोकर्ण by Dr. Yadwinder Singh

गोकर्ण पहुंचना- अपनी साऊथ इंडिया यात्रा के समय 7 सितम्बर 2023 को मैंगलोर सैनट्रल रेलवे स्टेशन से दोपहर 12.45 बजे ट्रेन नंबर 12620 मतस्यगंधा एक्सप्रेस पकड़ कर शाम को 4.50 बजे तकरीबन 4 घंटे के सफर के बाद हम गोकर्ण रोड़ रेलवे स्टेशन पर पहुँच गए| गोकर्ण रोड़ रेलवे स्टेशन गोकर्ण गाँव से थोड़ा दूर है| गोकर्ण गाँव से रेलवे स्टेशन की दूरी 9 किमी के आसपास है| जब हम गोकर्ण रेलवे स्टेशन पर उतरे तो शाम के पांच बजने वाले थे| जैसे ही हम गोकर्ण रेलवे स्टेशन से बाहर निकले तो आटो ड्राइवर खड़े हुए थे जो गोकर्ण जाने के लिए पूछ रहे थे| मैंने गोकर्ण में रहने के लिए पहले ही एक होटल को बुक कर रखा था जो गोकर्ण गाँव से बाहर 2.5 किलोमीटर दूर समुद्र के किनारे पर था| मैंने आटो ड्राइवर से बात की तो वह 300 रुपये मांग रहा था आखिर में 250 रुपये में हमारी बात तय हो गई| हमने अपना सामान आटो में रखा और फिर हम आटो में सवार होकर गोकर्ण में अपने होटल की चल पड़े|

गोकर्ण में घुमक्कड़

Photo of गोकर्ण by Dr. Yadwinder Singh

गोकर्ण रोड़ रेलवे स्टेशन से हमारा आटो गोकर्ण गाँव की ओर चल पड़ा| खूबसूरत रास्ते पर चलते चलते हम गोकर्ण गाँव में पहुँच जाते हैं| गोकर्ण गाँव की संकरी गलियों में से होते हुए हम गोकर्ण गाँव से बाहर आ जाते हैं|सामने दिखाई देते समुद्र के पास एक गली में आकर हमारा आटो रुक जाता है| आटो ड्राइवर बोलता है आपका होटल आ गया है| मैंने कहा हमारे होटल का नाम तो दिखाई नहीं दे रहा?? तो आटो ड्राइवर कहता है अब आपको समुद्र के साथ बनी हुई रेतीली बीच पर चलना होगा 200 मीटर के बाद आपका होटल आ जाऐगा| आटो यहाँ तक ही जाऐगा| मैंने आटो से अपना सामान उतारा और आटो ड्राइवर को 250 रुपये किराया दिया| अब हम समुद्र की रेतीली बीच पर चलने लगे थोड़ी देर बाद हम अपने होटल Ocean Breeze Cottage पहुँच गए| होटल में पहुँच कर हमने चैक इन किया और अपनी काटेज में सामान टिका दिया| यह काटेज मैंने 1000 रुपये में बुक किया था| हमारा काटेज साफ सुथरा और बढिया था| थोड़ी दूर ही समुद्र था काटेज के बाहर से ही समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई दे रही थी| थोड़ा आराम करने के बाद हम समुद्र के पास आ गए| समुद्र की आती जाती लहरों को देखते रहे| रहने के लिए मैं गोकर्ण गाँव में भी रह सकता था लेकिन यह जगह गाँव से बाहर समुद्र के किनारे पर थी| बहुत शांत और भीड़ भाड़ से दूर | समुद्र के किनारे के पास रहने का अलग ही आनंद था| दुनिया की शोरगुल से दूर कुदरत की गोद में| शाम को समुद्र का नजारा गजब था| आज थोड़े बादल दिखाई दे रहे थे| थोड़ी देर बाद अंधेरा हो जाता है| अब हम डिनर करने के लिए चल पड़ते हैं| समुद्र के साथ साथ चलते हुए हमें कुछ दूर जगमग करते हुए कुछ रेस्टोरेंट दिखाई देते हैं| एक रेस्टोरेंट जिसका नाम Sea Spirit था पर हम पहुँच जाते हैं| अपनी बेटी नव किरन के लिए दूध का एक गिलास और अपने लिए हम खाने का आर्डर कर देते हैं| ठंडी ठंडी हवा चल रही थी और सामने समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई दे रही थी बहुत शांत माहौल था| एक घंटे तक हम वहाँ बैठे रहे मौसम और माहौल का आनंद लेते रहे| रात के 10 बजने वाले थे हम वापस अपने होटल में आ गए| थके हुए थे तो नींद कब आ गई पता ही न चला |

Ocean Breeze Cottage Gokarna

Photo of Ocean Breeze Cottage and Cafe by Dr. Yadwinder Singh

गोकर्ण में हमारी काटेज

Photo of Ocean Breeze Cottage and Cafe by Dr. Yadwinder Singh

अगले दिन सुबह जल्दी ही मैं उठ गया था| मैंने सोचा सुबह सुबह समुद्र देखकर आता हूँ लेकिन बाहर निकला तो देखा बहुत तेज़ बारिश हो रही है| मैं जिस आटो से गोकर्ण रोड़ रेलवे स्टेशन से होटल पहुंचा था उस आटो ड्राइवर का नंबर मैंने ले लिया था| मैंने आटो ड्राइवर को 7.30 बजे सुबह आने के लिए कह दिया था जिसने मुझे गोकर्ण घुमाना था और बाद में गोकर्ण रोड़ रेलवे स्टेशन पर छोड़ना था| हमने अपने बैग पैक कर लिए थे| नहा धोकर हम तैयार हो गए थे| सात बजे मैंने आटो ड्राइवर को फोन कर दिया | एक बार फिर उसको याद करवा दिया कि 7.30 बजे आ जाना | दोस्तों जब भी मैं अकेला या फैमिली के साथ कहीं घूमने जाता हूँ तो समय को बहुत महत्व देता हूँ कयूंकि घूमने के लिए कभी सुबह जल्दी तैयार होना कभी लेट वापस आना | यह चीजें अक्सर होती है घुमक्कड़ी में तो इनके लिए पहले ही तैयार रहता हूँ| हमारा आटो ड्राइवर भी सुबह 7.30 बजे आ जाता है| सबसे पहले हम गोकर्ण गाँव में ही गोकर्ण बीच पर पहुंचते है| कुछ समय गोकर्ण बीच पर बिताने के बाद हम गोकर्ण के प्राचीन मंदिरों की ओर बढ़ जाते हैं|

गोकर्ण बीच

Photo of Gokarna beach by Dr. Yadwinder Singh

सबसे पहले हम गोकर्ण के महाबलेश्वर मंदिर पहुंचते है| यह एक प्राचीन मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है| इस मंदिर का निर्माण चौथी शताब्दी में हुआ था| इस शिव मंदिर में भगवान शिव का आत्म लिंग जमीन के 6 फीट नीचे है जिसका आकार गाय के कान जैसा है इसीलिए इस मंदिर को गोकर्ण महाबलेश्वर मंदिर भी कहा जाता है| इस मंदिर में फोटोग्राफी करना मना है| यह मंदिर गोकर्ण गाँव के बीच में बना हुआ है| सुबह सुबह हमने भगवान शिव के इस मंदिर के दर्शन किए| इसके बाद हमने गणेश जी के मंदिर के दर्शन भी किए जो इस मंदिर के पास ही बना हुआ है| फिर हम एक छोटे से होटल पर ब्रेकफास्ट करने के लिए पहुंच जाते हैं| मसाला डोसा के साथ फिलटर कौफी का आनंद लेते हुए हम ब्रेकफास्ट करते हैं| तभी बहुत तेज़ बारिश शुरू हो जाती है लगभग आधा घंटा हम उस होटल में ही बैठे रहते हैं| तब मेरी नजर होटल की दीवार पर लगे हुए एक बोर्ड पर पड़ती है जहाँ लिखा होता शीरा 40 रुपये पलेट | शीरा एक तरह का हलवा होता है जब मैं महाराष्ट्र में होमियोपैथी की मासटर डिग्री कर रहा था तब वहाँ पर शीरा खाया था| बारिश का मौसम था कुछ मीठा खाने का मन कर रहा था तो मैंने एक पलेट शीरा मंगवा लिया| गरमागरम शीरा खाकर मजा आ गया| थोड़ी देर बाद बारिश रुक जाती है और हम आगे गोकर्ण घूमने के लिए चल पड़ते हैं|

गोकर्ण में गणेश मंदिर

Photo of गोकर्ण महाबलेश्वर जोय्तिर्लिंगा by Dr. Yadwinder Singh

ओम बीच का नाम इस क्षेत्र की सबसे खूबसूरत बीच में आता है| दुबारा आटो में बैठ कर हम गोकर्ण गाँव से 6 किलोमीटर दूर ओम बीच की ओर बढ़ने लगे| गोकर्ण गाँव की गलियों में गुजरते समय बारिश फिर दुबारा शुरू हो गई| गोकर्ण गाँव की गलियों से होते हुए एक बड़ा तालाब आया जो बहुत खूबसूरत लग रहा था लेकिन बारिश की वजह से हम बाहर नहीं निकल सके| गोकर्ण गाँव को पार करने के बाद एक छोटी सी पहाड़ी के ऊपर हमारा आटो चढ़ाई चढ़ने लगा| हरे भरे खूबसूरत रास्ते पर चलते चलते हम उस जगह पर पहुँच जाते है जहाँ पर ओम बीच का एक बोर्ड लगा हुआ था| यहाँ आकर हमारा आटो रुक गया| अब हमें सीढियों के रास्ते से उतर कर ओम बीच पर जाना था| थोड़ी बूंदाबांदी हो रही थी तो हमने छाता निकाल लिया| सीढ़ियों को उतरते हुए हम ओम बीच की ओर जाने लगे| ऊपर से समुद्र और बीच का खूबसूरत दृश्य दिखाई दे रहा था| थोड़ी देर में ही हम ओम बीच पर पहुँच गए| सुबह का समय था बीच पर शांति थी | ओम बीच का नाम कर्नाटक की सबसे खूबसूरत बीच में आता है| ओम बीच के दृश्य बहुत शानदार थे| काफी समय तक हम नंगे पांव ओम बीच पर चलते रहे| समुद्र की आती जाती लहरों का आनंद लेते रहे| आप ओम बीच पर लंबी वाक कर सकते हो| ओम बीच पर ही एक जगह में पत्थर पड़े हुए थे| अब बारिश रुक चुकी थी| अगर आपको स्कून चाहिए तो ओम बीच आपके लिए बहुत बढ़िया विकल्प है| ओम बीच को ऊपर से देखने से हिन्दू धर्म का ओम शब्द का आकार दिखाई देता है इसीलिए इस जगह को ओम बीच कहते हैं| एक घंटा ओम बीच पर बिताने के बाद हम वापस सीढ़ियों को चढ़कर आटो के पास आ गए| अब हम वापस गोकर्ण गाँव की तरफ चल पड़े|

ओम बीच पर घुमक्कड़ अपनी फैमिली के साथ

Photo of Om Beach by Dr. Yadwinder Singh

ओम बीच गोकर्ण

Photo of Om Beach by Dr. Yadwinder Singh

अब हम आटो में बैठ कर वापस गोकर्ण गाँव की तरफ चल पड़े| रास्ते में एक वियु पुवाईट पर आटो ड्राइवर ने आटो को रोक दिया| यहाँ से कुडले बीच का खूबसूरत नजारा दिखाई दे रहा था| दूर से दिखाई देती समुद्र की लहरें आसपास हरा जंगल और हरी पहाडि़यों ने इस नजारे को चार चांद लगा दिए| कुछ समय हम खूबसूरत नजारे को निहारते रहे| बाद में हम आटो में बैठ कर गोकर्ण रोड़ रेलवे स्टेशन की तरफ चल पड़े| कुछ ही देर में हम गोकर्ण रोड़ रेलवे स्टेशन पर पहुँच गए| हमारी रेलगाड़ी आने में अभी आधा घंटा बाकी था तब तक हमने रेलवे स्टेशन पर ही चाय पी ली| यहाँ से रेलगाड़ी पकड़ कर हम गोवा की तरफ चल पड़े|

कुडले बीच गोकर्ण

Photo of Kudle Beach by Dr. Yadwinder Singh

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