छत्तीसगढ़ की छिपी हुई जगह, घुमक्कड़ों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं

Tripoto
Photo of छत्तीसगढ़ की छिपी हुई जगह, घुमक्कड़ों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं by Rishabh Dev

भारत में कुछ राज्य ऐसे हैं जहाँ घुमक्कड़ों के लिए बहुत कुछ है लेकिन किसी एक वजह से लोग वहाँ कम ही जाते हैं। ऐसी अनदेखी और अनजानी जगहें वाकई में बेहद खूबसूरत होती हैं। छत्तीसगढ़ में ऐसी ही अनगिनत जगहें जहाँ हर घुमक्कड़ को जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ में एक तरफ नदी, पहाड़ और झरने हैं तो दूसरी तरफ ऐतहासिक जगह हैं जो आपको अतीत के गलियारे में ले जाएगी। छत्तीसगढ़ में ऐसी ही एक ऐतहासिक जगह है, बारसूर।

Photo of छत्तीसगढ़ की छिपी हुई जगह, घुमक्कड़ों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं by Rishabh Dev

बारसूर छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग का एक छोटा-सा गाँव है। इन्द्रावती नदी के किनारे बसा बारसूर जगदलपुर से 95 और दंतेवाड़ा से सिर्फ 33 किमी. की दूरी पर है। हरे भरे जंगलों से घिरी इस जगह को गंगवंशी ने बसाया था। बाद में इस पर नागवंशी राजाओं ने शासन किया। कभी यहाँ पर 147 मंदिर हुआ करते और इतने ही तालाब भी थे। इनमें से कुछ मंदिर आज भी देखने लायक है। 10वीं-11वीं शताब्दी के इन मंदिरों और एतिहासिक स्मारकों को देखने के लिए आपको बारसूर की यात्रा जरूर करनी चाहिए।

कैसे पहुँचे?

इसे भी अवश्य पढ़ें: धमतरी

हवाई मार्ग: फ्लाइट से जाने के लिए सबसे नजदीकी बड़ा हवाई अड्डा राजधानी रायपुर में है। इसके अलावा जगदलपुर में एक मिनी एयरपोर्ट है। आप जगदलपुर से बस या टैक्सी बुक करके बारसूर पहुँच सकते हैं।

रेल मार्ग: यदि आप ट्रेन से बारसूर जाने का प्लान बना रहे हैं तो सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन दंतेवाड़ा है। यहाँ बहुत ज्यादा ट्रेन नहीं आती हैं लेकिन कुछ ट्रेनें नियमित रूप से चलती हैं।

सड़क मार्ग: आप वाया रोड भी बारसूर जा सकते हैं। रायपुर और दंतेवाड़ा के बीच बस चलती है। दंतेवाड़ा से टैक्सी बुक करके बारसूर पहुँच सकते हैं। अगर आपके पास खुद की गाड़ी है तब तो बारसूर पहुँचना और भी आसान हो जाएगा।

क्या देखें?

1- बत्तीसा मंदिर

बारसूर में आप बत्तीसा मंदिर से घुमक्कड़ी की शुरूआत कर सकते हैं। 32 स्तंभों पर बने इस शानदार मंदिर को नागवंशी शासक ने बनवाया था। बत्तीसा मंदिर में एक नहीं बल्कि दो मंदिर हैं। मंदिरों के दोनों गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है। इसके अलावा भगवान नंदी भी स्थापित हैं। कहा जाता है कि नागवंशी शासक की दो पत्नियां थीं। दोनों पत्नियां एक साथ पूजा कर सकें इसलिए राजा ने दो गर्भगृह बनवाये। मंदिर का आर्किटेक्टर बेजोड़ और देखने लायक है।

2- जुड़वा मूर्ति

Photo of छत्तीसगढ़ की छिपी हुई जगह, घुमक्कड़ों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं by Rishabh Dev

बारसूर का आर्किटेक्चर आपको 11वीं शताब्दी में ले जाएगा। बारसूर में भगवान गणेश की विशालकाय जुड़वा मूर्ति है। कहा जाता है कि भगवान शिव के भक्त बाणासुर ने इस मूर्ति को बनवाया था। भगवान गणेश की जुड़वा मूर्तियों में एक मूर्ति 8 फीट और दूसरी 5 फीट की है। बारसूर की गणेश प्रतिमा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी प्रतिमा है। बारसूर आएं तो इन मूर्तियों को देखना न भूलें।

3- मामा भांजा मंदिर

बारसूर का एक और शानदार मंदिर है, मामा भांजा का मंदिर। 11वीं शताब्दी में बने इस मंदिर का आर्किटेक्चर बेहद खूबसूरत है। इस मंदिर के बारे में कई सारी किवंदती हैं। एक किवंदती के अनुसार, भांजे ने इस मंदिर को बनाया था और मामा को मारकर उसका गला मंदिर के शिखर पर लटका दिया था। एक कहानी में कहा जाता है कि राजा के आदेश पर मामा भांजे ने एक दिन में इस मंदिर को बनाया था। कहानी कुछ भी हो लेकिन इस मंदिर को आपको जरूर देखना चाहिए।

4- चन्द्रादित्य मंदिर

Photo of छत्तीसगढ़ की छिपी हुई जगह, घुमक्कड़ों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं by Rishabh Dev

तालाब किनारे बना चन्द्रादित्य मंदिर बारसूर के शानदार स्मारकों में से एक है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर को 11वीं शताब्दी में सामंती सरदार चन्द्रादित्य ने बनवाया था और उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नाम पड़ गया। मंदिर के दरवाजे पर विष्णु और शिव की संयुक्त हरी-हर की भव्य मूर्ति है। इसके अलावा दंतेश्वरी देवी की मूर्ति भी है।

5- सातधार वाटरफॉल

बारसूर में एतिहासिक जगहों के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य भी देखने लायक है। बारसूर से लगभग 6 किमी. की दूरी पर जंगलों के बीचों बीच एक खूबसूरत झरना स्थित है, सातधार वाटरफॉल। 10 से 15 फीट की ऊंचाई से गिरने वाली इन्द्रावती नदी का पानी सात धाराओं में बंट जाती है। ये खूबसूरत नजारा आपकी आंखों में हमेशा के लिए बस जाएगा। इसके अलावा आप ट्रेकिंग, कैंपिंग के लिए मुचनार जा सकते हैं।

कब जाएं?

वैसे तो आप छत्तीसगढ़ के बारसूर गाँव को एक्सप्लोर करने के लिए पूरे साल में कभी भी जा सकते हैं लेकिन गर्मियों के मौसम में आप सही से घूम नहीं पाएंगे। आपको सर्दियों में बारसूर जाने का प्लान बनाना चाहिए। बारसूर जाने का सबसे बढ़िया समय दिसंबर से फरवरी तक का होता है। इस दौरान आप बारसूर को अच्छे से घूम भी पाएंगे और ये जगह आपको सुंदर लगेगी।

कहाँ ठहरें?

बारसूर छत्तीसगढ़ का एक छोटा-सा गाँव है। यहाँ पर ठहरने के लिए कोई होटल या गेस्ट हाउस नहीं है लेकिन पास में दंतेवाड़ा शहर है। आप बारसूर जाएं तो दंतेवाड़ा में ठहर सकते हैं। यहाँ पर आपको बजट के हिसाब से होटल मिल जाएंगे। जहाँ आप आराम से रात गुजार सकते हैं। दंतेवाड़ा आपकी बारसूर की यात्रा को और भी शानदार बना देगा।

क्या आपने छत्तीसगढ़ के बारसूर की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।

बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।

रोज़ाना टेलीग्राम पर यात्रा की प्रेरणा के लिए यहाँ क्लिक करें।

Further Reads