किसी गाँव में एक संजीव डॉक्टर हुआ करते थे, मरीज़ों के सच्चे सेवक। आधी रात को भी कोई इमरजेन्सी हो, संजीव डॉक्टर बिस्तर छोड़ कर इलाज करने आते थे। गाँव के लोग भी उनसे बहुत प्यार करते थे। एक बार क्या हुआ, किसी मरीज़ का इलाज करते वक़्त ग़लती से उनकी कैंची पेट में ही रह गई। पूरे गाँव ने इनको इतना बदनाम किया जिसकी सीमा नहीं।
कुछ दिनों बाद एक आदमी उनसे मिलने के लिए गाँव आ रहा था। उसने रेलवे स्टेशन के बाहर रिक्शे वाले को बोला कि संजीव डॉक्टर के घर जाना है। रिक्शे वाला तपाक से बोला, ‘वही संजीव डॉक्टर, जो पेट में कैंची डाल देते हैं?’ इस छोटी सी कहानी का सार क्या? यही, कि एक ग़लती कर दो तो सालों की मेहनत एक दिन में हवा हो जाती है।
बड़ोग की कहानी भी ऐसी है, एक सिविल इंजीनियर थे कर्नल बरोग। उन्हें कालका शिमला रेलवे ट्रैक को बड़ोग से निकालने के लिए पहाड़ को काटने की ज़िम्मेदारी थी। उनकी ग़लती की वजह से जिस तरह से उन्होंने पहाड़ काटा, तो दोनों तरफ़ से बनाए रस्ते एक दूसरे से मिले ही नहीं। ब्रिटिश कंपनी की ख़ूब ज़िल्लत उन्हें झेलनी पड़ी। इतनी बदनामी हुई, कि तंग आकर उन्होंने आत्महत्या कर ली।
इस घटना का असर इस सुन्दर बड़ोग गाँव पर भी पड़ा। लेकिन गनीमत है कि हम लोग उन गाँववालों के जैसे नहीं हैं।
बड़ोग, कालका शिमला रेलवे ट्रैक को जोड़ता सोलांग के पहाड़ों पर बसा छोटा सा गाँव है, जो पर्यटकों का चहेता होता जा रहा है। कारण है इसकी ख़ूबसूरती, ऊँचे ऊँचे पहाड़ जब एक जगह को अपनी ख़ूबसूरती से लब्बोलुआब करने लगते हैं, और हल्की हल्की ठण्डक मौसम को सुहाना कर देती है तो बड़ोग हम जैसे पर्यटकों की नज़र में तो आने ही लगेगा, बहुत सीधी सी बात है।
बड़ोग में कहाँ कहाँ घूमें
बड़ोग में घूमने के लिए और बड़ोग से घूमने निकलने के लिए बहुत सुन्दर जगहें हैं, जिनके बारे में आपको ज़रूर जानना चाहिए।
1. दोलानजी मठ
इस मठ से मुझे तिब्बत की ख़ुशबू आती है। तिब्बती अंदाज़ में रंगे इस मठ को 1969 में अबोट लुंगतुंग तेनपाई नियमा ने बनवाया था। नारग-सराहन रोड पर स्थित इस मठ को देखना आपका बड़ोग का सबसे अच्छा अनुभव हो सकता है।
2. सुकेति फ़ॉसिल पार्क
फ़र्ज़ करिए आप 85 लाख साल पीछे जा चुके हैं। आस पास डायनॉसोर घूम रहे हैं, उस समय के दूसरे जानवर गुलाटियाँ खा रहे हैं, खेल कूद कर रहे हैं। ऐसी दुनिया देखने का मन तो आपका भी होगा। सदियों पुरानी इन कहानियों को जीने के लिए आप सुकेति फ़ॉसिल पार्क जा सकते हैं। ये ठीक उसी जगह पर बना है, जहाँ पर इन जीवों के जीवाश्म मिले हैं। इतने बेहतरीन ढंग से समझाया गया है उस समय को, कि किसी बच्चे के साथ जाना आपके लिए सफल हो जाएगा।
3. बड़ोग कैंपिंग ग्राउण्ड
सोलांग घाटी में बसे बड़ोग में अपने दोस्तों संग मौज मस्ती करने के लिए बड़ोग कैंपिंग ग्राउण्ड सबसे बढ़िया जगह है। टेंट के साथ में यहाँ पर मूलभूत सुविधाओं की पूरी व्यवस्था की गई है। जैसे कि खाना, बिजली, बोनफ़ायर, लॉजिंग, डांस फ़्लोर, बाथरूम और टेलीफ़ोन।
4. चूर चाँदनी की चोटी
शान्ति और सूकून को खोजने लोग आते हैं यहाँ पर। यह बड़ोग की ऐसी जगह है, जहाँ से पूरा क़स्बा एक नज़र में दिखाई देता है। रात की चाँदनी में यह जगह जो चमकती है, क्या ख़ूब नज़ारा होता है। पर्यटकों के लिए और मुख्य रूप से ट्रेकिंग करने वाले मुसाफ़िरों के लिए तो यह जगह जन्नत है। आप लोग हमेशा से ऐसी जगह की तलाश में तो आते हैं।
5. बड़ोग का क़ब्रिस्तान
कर्नल बरोग के शरीर को यहीं पर दफ़नाया गया था। उनके ही नाम पर इस गाँव का नाम पड़ा है, इसलिए ये क़ब्रिस्तान भी प्रसिद्ध हो गया है। लोग कहते हैं जो स्टेशन वो नहीं बनवा पाए थे, वहाँ आज भी उनकी आत्मा घूमती है। लेकिन अच्छी बात ये है कि वो किसी को नुकसान नहीं पहुँचाती। घूमने के लिहाज़ से और थोड़ा एडवेंचर करने के लिए इस जगह आने का प्लान ज़रूर बनाना चाहिए।
6. धरमपुर
वघई-वंसदा हाइवे पर स्थित धरमपुर अपने आप में नया टूरिस्ट स्पॉट है, लेकिन बड़ोग के पास है इसलिए इसके बारे में भी जान लीजिए। यहाँ पर घूमने की फ़ेमस जगहों में जापानी गार्डन, लक्ष्मीनारायण मंदिर और लेडी विल्सन म्यूज़ियम हैं। इस जगह को थोड़ा सा रईस लोगों का घर कहा जाता है, क्योंकि यहाँ पर पहले कभी राजा महाराजा लोगों का निवास हुआ करता था।
घूमने का सही समय
जहाँ तक बात करें गर्मियों की, तो इस मौसम में बड़ोग का तापमान 10 से 23 डिग्री के बीच झूलता है। वहीं सर्दियों में ये तापमान 5 से 15 डिग्री के पास तक आ जाता है। लेकिन सबसे सही मौसम होता है बारिश का, एक बार बारिश के सीज़न में यहाँ आ गए तो बस समझो मौसम बन जाएगा। अगर सबसे सही समय जानना है तो मॉनसून के सीज़न में ही आइए। साथ में कुछ गर्म कपड़े भी लाइए।
ठहरने के लिए
जैसे जैसे बड़ोग का नाम लोगों की ज़ुबान पर आ रहा है, होटल्स और होमस्टे भी खुलते जा रहे हैं। अगर आप भी यहाँ आ रहे हैं, तो पाइनवुड, होटल बड़ोग, पाइन ड्राइव रेसॉर्ट, कोरिन्स होटल में बुकिंग कर सकते हैं। इसके अलावा यहाँ पर दूसरे भी कई होमस्टे हैं, जो आपको कम बजट में रहने की सुविधा दे देंगे।
कैसे पहुँचें
हवाई मार्गः शिमला सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा है। वहाँ से बड़ोग की कुल दूरी 55 किमी0 की है। आप चाहें तो टैक्सी ले सकते हैं, कुछ नया करने का मन है तो टॉय ट्रेन भी बढ़िया तरीक़ा है।
ट्रेन मार्गः बड़ोग का ख़ुद का अपना रेलवे स्टेशन है, लेकिन यहाँ पर सिर्फ़ नैरो गेज की ट्रेन चला करती हैं। कालका-शिमला रेलवे ट्रैक पर पड़ने वाले इस रास्ते के लिए आपको चंडीगढ़ से ट्रेन पकड़नी होगी, या फिर आप शिमला से भी ट्रेन पकड़ सकते हैं।
सड़क मार्गः दिल्ली के आईएसबीटी बस स्टॉप से कालका या शिमला के लिए बसें चलती हैं। वहाँ से आप इनमें से किसी जगह पहुँच सकते हैं। वहाँ से आपको दूसरी बसें मिल जाएँगी। दिल्ली के अलावा चंडीगढ़, चैल, कसौली और सोलान से भी आपको यहाँ के लिए बसें मिल जाती हैं। दिल्ली से शिमला का बस किराया लगभग 800-1000 रु. तक होगा। जबकि वहाँ से आप बड़ोग तक 200 रु. तक में पहुँच जाएँगे।
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