चमोली Chamoli
साल में केवल एक बार रक्षाबंधन के दिन खुलने वाला बंशीनारायण मंदिर (Bansinarayan Temple) उत्तराखंड के चमोली जिले की उरगाम घाटी में समुद्रतल से 12000 फीट (करीब 3600 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है। ये अपने कठिन लेकिन बेहद खूबसूरत ट्रेक और रोचक कहानी के लिए जाना जाता है। चमोली का रणनीतिक, पर्यटन और धार्मिक तीनों रूप मे बहुत अधिक महत्व है, यह अलकनंदा नदी के किनारे बद्रीनाथ के समीप बसा हुआ है। जानते है इसके बारे मे मेरे साथ...🙏
उर्गम घाटी (Bansi Narayan Temple Urgam Valley)
13 हजार फीट की ऊंचाई पर मध्य हिमालय के बुग्याल क्षेत्र में स्थित है। ये बहुत ही खूबसूरत वादी है और अपने दूर तक फैले घास के मैदानों जिन्हें बुगयाल कहा जाता है मे समाये हैं कई किस्से।
बंसीनारायण मंदिर
के कपाट साल में केवल एकबार रक्षाबंधन के दिन खुलते हैं। लड़कियां और महिलाएं मंदिर के अंदर जाती हैं और अपने भाइयों को राखी बांधने से पहले भगवान से प्रार्थना करती हैं। सूर्यास्त के बाद मंदिर के कपाट एक साल के लिए फिर से बंद कर दिए जाते हैं। यहां की सबसे दिलचस्पी जागने वाली खासियत है कि मुख्य प्रतिमा में भगवान कृष्ण और महादेव शिव दोनो की छवियां अनुभूत होती हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब बामन अवतार धारण कर भगवान विष्णु ने दानवीर राजा बलि का अभिमान चूर कर उसे पाताल लोक भेजा तब बलि ने तब श्री हरि से अपनी सुरक्षा का आग्रह किया, जिसपर श्रीहरि विष्णु स्वयं पाताल लोक में बलि के द्वारपाल हो गए। पति को मुक्त कराने के देवी लक्ष्मी पाताल लोक पहुंची और राजा बलि के राखी बांधकर भगवान को मुक्त कराया। किवदंतियों के अनुसार पाताल लोक से आकर भगवान यहीं प्रकट हुए थे।
यह 8वीं शताब्दी में बना एकल संरचना (सिंगल स्ट्रक्चर) मंदिर है जो भगवान कृष्ण को समर्पित है। उरगाम घाटी के अंतिम गाँव #बांशा से 10 किमी आगे स्थित श्री वंशीनारायण मंदिर (Bansinarayan Temple) की यह यात्रा खड़ी चडाई वाली है। मंदिर तक पहुचने के लिए बांसा से दो पहाड़ की चोटियों को पार कर तीसरे पहाड़ की चोटी तक पहुचना होता है। इस मार्ग में स्थान स्थान पर कुछ विशिष्ट प्रकार के पक्षियों का कलरव इस शांत वातावरण में सुमधुर संगीत सुनाता हुआ प्रतीत होता है। इसलिए मंदिर के आसपास ना तो कोई मानव बस्तियाँ हैं और ना ही कोई मानव गतिविधयां। मतलब बंशा गांव से बंशी नारायण मंदिर के बीच ना तो कोई बस्ती है ना इंसान। बस नंदादेवी पर्वत श्रृंखला और उसके आसपास (Oak और Rhododendrons) के घने जंगल अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रहे होते हैं।
यह मंदिर पहाड़ी वास्तुकला शैली #कत्यूरी में बना है। 10 फुट ऊंचे मंदिर में भगवान कृष्ण की चतुर्भुज मूर्ति विराजमान है। परंपरा के अनुसार यहां मंदिर के पुजारी राजपूत ही होते हैं।
ट्रेक
चमोली जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित वंशीनारायण (Bansinarayan, Vanshinarayan) मंदिर तक पहुंचना आसन काम नहीं है। जिला मुख्यालय गोपेश्वर से उर्गम घाटी तक वाहन से पहुंचने के बाद आगे आपको 12 किलोमीटर का सफर पैदल ही करना पड़ता है। पांच किलोमीटर दूर तक फैले मखमली घास के मैदानों को पार करने के बाद सामने नजर आता है 1200 वर्ष प्राचीन वंशीनारायण मंदिर।
दर्शनीय स्थल
यहां पास ही में एक भालू गुफा जहां आए हुए भक्त भोजन बनाते हैं। प्रसाद के लिए नजदीक के ही कलगोठ गांव के प्रत्येक घर से भगवान नारायण के लिए मक्खन आता है। इसी मक्खन से वहां पर प्रसाद तैयार होता है। वंशी नारायण (Bansinarayan) क्षेत्र में फूलों की कई दुर्लभ प्रजातियां खिलती हैं।
छोटानंदी कुंड, स्वनलकुंड आदि बंशी नारायण से 1 किलोमीटर की दूरी पर लाजी खरक, कैल्खुर खर्क पर स्थित है। यहां से २ किलोमीटर आगे नीचे की तरफ सुंदर प्राकर्तिक पुष्प उधानो के मध्य स्वनुलकुंड सरोवर है, जो घाटी के मध्य 100 मीटर लम्बा मीटर चौड़ा है! इसके बाई तरफ से 150 मीटर लम्बा व् 80 मीटर चौड़ा छोटा मंदिर कुंड सरोवर है। सिर्फ प्रकृति के सान्ध्य में चलते हुए पक्षियों का कलरव मात्र सुनायी पड़ता है!
यह ट्रेक हिमालय की चोटियों को देखने के लिए एक सुंदर जगह है। ट्रेक एक मध्यम ट्रेक है जिसमें कुछ कठिन मोड़ वाले मार्ग हैं। कुल ट्रेक की दूरी लगभग 60 किमी है जो 4 ट्रेकिंग दिनों में कवर की जाती है। बंसी नारायण मंदिर लगभग 3600 मीटर की ऊंचाई पर है और इस शिखर की ऊंचाई 400 मीटर है। आप इतनी ऊंचाई पर बर्फ पाएंगे और रात में तापमान -2 से -4 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। दिन तेज धूप के साथ गर्म होंगे। ट्रेक घने ओक के जंगलों से होकर गुजरता है और एक तरह के अभियानों में वापस आता है। आप ट्रेक के दौरान उत्तराखंड की अविश्वसनीय ग्रामीण जीवन शैली को देखने का मौका पाए हैं। साल का यह समय बर्ड वॉचिंग और वाइल्डलाइफ व्यूइंग के लिए एकदम सही है।🙏