Back To Ancient- Chittorgarh-A Rajput Pride

Tripoto
24th Jun 2019
Day 1

चलते है आज इतिहास की ओर-- राजपूती शान का बेजोड़ उदाहरण, रेत के समंदर में तैरता एक अदभुत किला - चित्तौड़गढ़

मैंने अपनी यात्रा की शुरुआत की कोटा रेलवे स्टेशन से। कोटा से चित्तौड़गढ़ 2-3 घंटे में पहुचा जा सकता है । सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है उदयपुर जो यहां से 2 घंटे की दूरी पर है।

सुबह 7 बजे देहरादून एक्सप्रेस कोटा से चलती है जो 9 बजे आपको चित्तौड़गढ़ पहुचा देती है। समान्य क्लास का किराया 90 रूपए के आसपास है।जैसे ही आप रेलवे स्टेशन से बाहर आते है एक साफ सुथरा शहर आपका स्वागत करता है। राजस्थान के अन्य शहरों के विपरीत वेस्टर्न राजस्थान के शहर बहुत साफ सुथरे मिलेंगे आपको।
शहर में प्रवेश करते ही राजपूती भैभब शहर में लगी हुई प्रतिमाओं से दिखाई पड़ने लगता है।
फ्रेश होने या ठहरने के लिए एक सामान्य होटल का किराया 600-1000 के बीच पड़ता है 24 घंटे के लिए ।चित्तोड़ फोर्ट पहुचने के लिए खुद की गाड़ी या ऑटो prefer कर सकते है । ऑटो से फोर्ट पहुचना ज्यादा सस्ता और सुरक्षित पड़ता है।शहर से फोर्ट मात्र 30-40 रुपये में पहुच सकते है जो यहां से 4-5 km पड़ता है।
किला परिषर में प्रवेश करते ही आपका स्वागत खूबसूरत और विशाल 7 दरबाजे करते है ।पदम पोल पहला दरवाजा है ,अंतिम दरवाजा राम पोल है जो आपको इतिहास की मजबूत सुरक्षा व्यवस्था की झलक दिखाते है ।
राजपूत काल मे कभी घना बसा हुआ ये किला अब कुछ आबादी तक सीमित रह गया है जो कि इसके सरंक्षण के लिए जरूरी भी है ।
किला परिषर में आते ही जहा ऑटो आपको छोड़ता है खूबसूरत और ऐतिहासिक विजय स्तभ पर आपकी नजर पड़ती है जिसे ददेखकर आप बाकी के किले की खूबसूरती का अंदाज आसानी से लगा लोगे ।
इस खूबसूरत स्तंभ का निर्माण1448 में राणा कुम्भा द्वारा मुहम्मद खिलजी पर विजय के उपलक्ष्य में बनाया गया । 122 फ़ीट ऊँचा ये विजय स्तम्भ कला का एक अद्भुत और बेजोड़ नमूना है  । 9 मंजिला ये स्तम्भ हिन्दू देवी देवताओं की अनगिनत मूर्तियों के कारण मूर्तियों का अजायबघर जान लड़ता है। 127 सीढ़ियों के जरिये इसके ऊपरी भाग तक पहुंचा जा सकता है। बस्तुकार जैता और नापा द्वारा निर्मित ये स्तंभ न केवल रणनीतिक विजय का अपितु उस दौर की बेजोड़ कला का भी अदभुत नमूना है
इसके आस पास ही आपको दिख जाएंगे अनेक मंदिर जो अब जीर्ण शीर्ण हालत में है लेकिन कला की दृष्टि से बेजोड़ है।
किले का एक अद्भुत और देखने लायक स्थान है खूबसूरत झील जो कि पानी की पूर्ती का माध्यम रही होगी ।यहां से पूरे चित्तौड़ शहर का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है ।झील के अंदर बना मंदिर और झील में तैरते हुए केकड़े मछलियां खूबसूरती को और बड़ा देते है ।
यहां से 50-100 मीटर की दूरी पर बना हुआ है म्यूज़ियम और रानी पद्मिनी महल ।म्यूज़ियम में जहाँ आप ऐतिहासिक चीजो को देख सकते है वही रानी पद्मिनी का महल आपको राजपूतों के दौर की याद दिला देगा । यहां वह झरोखा भी बना है और वह शीशा भी लगा है जिसमे रानी पद्मिनी की एक झलक अलाउद्दीन को दिखायी गयी थी ।तालाब के  बीच बना हुआ रानी पद्मिनी का महल बास्तु का एक अदभुत उदाहरण है । संरक्षण के कारन यह महल अब बंद कर रखा है ।
यहां से आगे जाकर मीराँबाई का एक विशाल मंदिर है जहाँ वानरो की विशाल टोलियां आपका स्वागत करती है ।
किला परिषर में चारो और घूमते हुए जब आप वेस्टर्न भाग में पहुचते है तो विशाल और खूबसूरत जैन मंदिर देखने को मिलते है जिनमे स्पतेश्वर मंदिर और पास में बना हुआ कीर्ति स्तम्भ मुख्य है ।

किले की दीवारों पर बैठकर आप खूबसूरत चित्तौड़गढ़ का नजारा ले सकते है ।चारो और फैली हुईं हरियाली और हाइवे का विहंगम दृश्य आपको प्रफुल्लित कर देगा । चित्तौड़ शहर सीमेंट उत्पादन के लिए जाना जाता है अनगिनत फैक्टरी आप किले के ऊपरी भाग से देख सकते है ।
पूरा किला देखने के लिए एक दिन का समय पर्याप्त है । यहां बने हुए अनगिनत मन्दिर उस काल की यात्रा तो कराएंगे ही साथ ही आपकी यात्रा को एक खूबसूरत अहसास भी देंगे ।जैन मंदिरों की यहां भरमार है । पूरी यात्रा को आप तस्वीरों के जरिये देख सकते है । इस खूबसूरत किले की यात्रा सभी को एक न एक बार जरूर करनी चाहिए ।

Photo of Back To Ancient- Chittorgarh-A Rajput Pride by Anirudh Jorwal

रानी पद्मिनी महल

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विजय स्तंभ

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