बाबा सिद्ध चानो मंदिर
बाबा सिद्ध चानो की उत्तर भारत में बहुत मान्यता है। यहां पर बाबा के बहुत से मंदिर हैं । इनमें कुछ मंदिर जैसे बाबा का आनंदपुर में मंदिर, हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के प्रागपुर का मंदिर और बिलासपुर जिले के समैला का मंदिर और हमीरपुर जिले के पिपलु का मंदिर काफी प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों में हर दिन भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन मंगलवार और शनिवार के दिन यहां आने वाले भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है।
यहां बाबा सिद्ध चानो को न्याय का देवता और सच्ची सरकार के रूप में पूजा जाता है। कहते हैं जिस किसी व्यक्ति को कहीं न्याय नहीं मिलता, उसे बाबा के दरबार में न्याय मिलता है। मान्यता है जो कोई बाबा के दरबार में सच्ची श्रद्धा से आता है वह बाबा सिद्ध चानो के दरबार से कभी खाली हाथ नहीं जाता।
कई बर्षों से बाबा जी के बकरे को भी पूजा जाता है
भक्तों की मुरादें पूरी होने पर भक्त बाबा जी के इस बकरे को पूजते हैं। बकरे को भगाना या मन्दिर से बाहर कभी नहीं किया जाता है। बकरा हमेशा मन्दिर के प्रांगण में ही रहता है।
चानो बाबा जी के मन्दिर के बाहर बनी दुकानें
मन्दिर जाते समय रास्ते से दिखती खूबसूरती
बाबा सिद्ध चानो की कहानी
प्राचीन समय की बात है द्वापर युग में कैलाश नाम का एक राजा मक्का मदीना में राज करता था। वह भगवान शिव जी का बहुत बड़ा भक्त था। राजा कैलाश के राज्य में हर कोई सुखी था परंतु राजा उदास रहते थे। इसका कारण राजा के मंत्रियों ने जानना चाहा और कहा कि राजन आपके राज्य में हर कोई सुखी है, आप दुखी लोगों की सेवा करते हैं, लेकिन फिर भी आप अंदर ही अंदर दुखी दिखाई देते हैं ऐसा क्यों है? तब राजा ने बताया कि मैं अपनी कोई संतान नहीं होने से दुखी हूं। इस पर मंत्रियों ने कहा कि आप भगवान शिव के इतने बड़े भक्त हैं, आप भगवान शिव की शरण में जाएं। शिव जी आपकी मनोकामना जरूर पूरी करेंगे। तब राजा कैलाश ने भगवान शिव जी की तपस्या की, जिससे खुश होकर शिव जी प्रकट हुए और राजा को वरदान मांगने के लिए कहा। राजा कैलाश ने उनसे पुत्र प्राप्ति का वरदान मांगा। भगवान शिव ने उन्हें चार पुत्रों का वरदान दिया और कहा कि तुम्हारा सबसे छोटा पुत्र बलशाली और विशलकाय होगा। उसके बाद राजा कैलाश की पत्नी ने चार पुत्रों को जन्म दिया। राजा के पुत्रों का नामकरण किया गया और उनके नाम कानो, वानो, सदुर और छोटे पुत्र का नाम चाणुर रखा गया। राजा के दरबार में रूक्को नाम की दाई थी जिसने इन बालकों का पालन-पोषण किया । समय के साथ चारों वालक जवान हुए, चाणुर इन सब में बड़ा तेजस्वी और बलवान था।
यहाँ आयें कैसे
यहाँ आने के लिए आप बाइ रोड बस दिल्ली से चंडीगढ़, चंडीगढ़ से ऊना से नेहरनपुखर से प्रागपुर
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