घुमक्कड़ी का एक अजब ही दस्तूर होता है। हमको जो जगह अजनबी लगती है, वहाँ पहुंचने के कुछ घंटे के बाद वो जगह, वहाँ गलियां सब कुछ अपना लगने लगता है।
हम उस शहर, गाँव या कस्बे में ऐसे बेपरवाह चलते हैं जैसे हम यहाँ सालों से रहते आ रहे हैं।
घूमते हुए ऐसे ही कई जगहें अपनी हो जाती हैं।
इन जगहों से पहली बार मिलना अजीब तो होता है लेकिन उत्सुकता भी होती है।
आज आपको ऐसे ही एक अजनबी लेकिन बेहद खूबसूरत जगह की सैर पर ले चलते हैं।
सूर्योदय वाले देश अरुणाचल प्रदेश की एक खूबसूत घाटी है, दिबांग।
जहाँ खूबसूरती ऐसे पसरी हुई है जैसे किसी ने कैनवास पर खूबसूरत पेंटिंग उकेर दी हो।
दिबांग घाटी अरुणाचल प्रदेश के बेहद अंदरुनी हिस्से में आता है। इस वजह से यहाँ तक कम ही लोग आ पाते हैं।
दिबांग घाटी दो भागों में बंटी हुई है एक लोअर दिबांग वैली और एक अपर दिबांग वैली है। ये दोनों जिलों को मिलाकर एक पूरी दिबांग वैली होती है।
दिबांग घाटी से दिबांग नाम की नदी बहती है, उसी के नाम पर इस जगह का नाम पड़ा। समुद्र तल से 2,655 मीटर की ऊँचाई पर स्थित दिबांग वैली के चारों तरफ खूबसूरत पहाड़ हैं जो बर्फ से ढंके हुए हैं।
अगर आप प्रकृति से प्रेम करते हैं तो आपको दिबांग वैली बहुत पसंद आएगी। अरुणाचल की संस्कति और खूबसूरती को लिए बैठी ये घाटी आपको सरप्राइज कर देगी।
कैसे पहुँचे?
दिबांग घाटी अरुणाचल प्रदेश के बेहद रिमोट इलाके में है। इसलिए वहाँ तक जाने के लिए ज्यादा विकल्प नहीं है लेकिन आप कम ऑप्शन में दिबांग पहुँच सकते हैं।
फ्लाइट सेः अगर आप फ्लाइट से दिबांग जाना चाहते हैं तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट मोहनबाड़ी है। मोहनबाड़ी ये रोइंग की दूरी 140 किमी. है। यहाँ से आपको एन्नी के लिए बस भी मिल जाएगी और एन्नी से कैब करके दिबांग पहुँच सकते हैं।
ट्रेन सेः यदि आप ट्रेन से दिबांग घाटी जाने का सोच रहे हैं तो सबसे नजदीकी तिंसकुलिया रेलवे स्टेशन है। यहाँ से कई प्राइवेट गाड़ियाँ चलती हैं जो आपको सीधा दिबांग पहुँचा देंगी।
वाया रोडः अगर आप वाया रोड दिबांग जाना चाह रहे हैं तो भी आराम से पहुँच सकते हैं। आप बस से रोइंग तक आ सकते हैं और फिर यहाँ से टैक्सी से दिबांग पहुंच सकते हैं। अगर आप खुद की गाड़ी से जा रहे हैं तो रोड बढ़िया है आपको गाड़ी चलाने में ज्यादा दिक्क्त नहीं होगी।
कब जाएं?
अगर आप दिबांग घाटी को अच्छे-से एक्सप्लोर करना चाहते हैं तो आपके लिए नवंबर से मार्च तक का समय सबसे बढ़िया रहेगा। सर्दियों में दिबांग वैली का तापमान 0 डिग्री तक और गर्मियों में 36 डिग्री तक जाता है। आप दिबांग वैली में जुलाई में होने वाले बेहदेइनखलम फेस्टिवल का अनुभव कर सकते हैं। ये तीन दिनों तक चलने वाले फेस्टिवल है। इस त्यौहार में आपको कल्चर और खूबसूरती दोनों ही देखने को मिलेंगे। इसके अलावा दिबांग में ठहरने के लिए बहुत ज्यादा होटल नहीं है। कुछ होमस्टे और होटल भी हैं जिनमें आप ठहर सकते हैं।
इनरलाइन परमिट
अरुणाचल प्रदेश के इतने अंदरूनी हिस्से में जाने के लिए आपको इनरलाइलन परमिट लेना होगा। ये परमिट आपको ईटानगर, जोरहाट, गुवाहटी, कोलकाता, तेजपुर, नॉर्थ लखीमपुर, डिब्रूगढ़ और नई दिल्ली के लाइसन ऑफिसर से परमिट ले सकते हैं। शांतिपुर बॉर्डर चेकपोस्ट से भी आप अस्थायी परमिट ले सकते हैं और ऑनलाइन भी परमिट के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा अपने साथ अपना पहचान पत्र जरूर रखें। बिना परमिट के आप दिबांग किसी भी सूरत में नहीं पहुँच सकते हैं।
क्यों जाएं?
दिबांग वैली अरुणाचल प्रदेश की एक शानदार जगह है। आपको यहाँ पर आना चाहिए क्योंकि यहाँ की दुनिया हैरान कर देने वाली है। यहाँ कुदरत की खूबसूरती तो है ही इसके अलावा संस्कृति भी बेहद रिच है। ये इंडो-चाइना बॉर्डर के बेहद पास है। दिबांग घाटी, अरुणाचल प्रदेश की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है। यहाँ की सुबह और शाम भी बेहद शानदार होती हैं। यहाँ तक पहुंचना बहुत आसान नहीं है लेकिन जब आप यहाँ पहुँचेंगे तो आपको एक अलग ही एहसास होगा। उस एहसास के लिए आपको दिबांग वैली जाना चाहिए।
क्या देखें?
1- एनिनी
एनिनी दिबांग जिले का एक हेडक्वार्टर है। ये कस्बा चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है। ये जगह इतनी खूबसूरत है कि आपका मन मोह लेगी। यहाँ पहाड़ों के चारों तरफ बादल तैरते हुए दिखाई देते हैं। दूर तक बर्फ से लिपटे पहाड़ दिखाई देते हैं। कस्बे के पास से नदी गुजरती है जहाँ घंटों बैठकर निहारा जा सकता है। एनिनी, दिबांग, द्री और मथुन नदी के संगम पर स्थित है। यहाँ की शांति आपको एक अलग ही एहसास देती है। आपको एक बार जरूर इस अनछुई जगह की सैर करनी चाहिए।
2- भीस्मकनगर
दिबांग घाटी में सिर्फ नदियां, झरने, जंगल और पहाड़ नहीं हैं। यहाँ कुछ ऐतहासिक जगह भी हैं जिनको देखा जाना चाहिए। उन्हीं जगहों में से एक है, भीस्मकनगर। भीस्मकनगर कोई जगह नहीं बल्कि एक एतहासिक किला है। भीस्मकनगर फोर्ट, रोइंग में स्थित है। माना जाता है कि ये 8वीं शताब्दी का किला है जो इस क्षेत्र की सबसे पुरानी विरासत में से एक है। किले का बहुत-सा भाग टूटा और जर्जर हो गया है लेकिन अभी भी किले में काफी कुछ देखने लायक है। किले के दो बड़े-बड़े गेट हैं, 3 हॉल और दो बड़े कमरे भी हैं।
3- मेहाओ लेक
कहते हैं कि जिस जगह पर नदी या झील होती है वो जगह बेहद सुंदर होती है। जब दिबांग की मेहाओ झील को देखेंगे तो अपाको ये जगह वाकई कमाल लगेगी। हरे-भरे जंगलों के बीच में ये छिपी हुई झील प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है। रोइंग से 14 किमी. दूर लोअर दिबांग में स्थित है। इस जगह को देखने के बाद आपको दिबांग वैली और भी खूबसूरत लगने लगेगी। इसके अलावा लोअर दिबांग में आप वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी भी देख सकते हैं।
4- मायोदिया पास
दिबांग वैली की सबसे खूबसूरत जगह में से एक है, मायोदिया पास। समुद्र तल से मायोदिया 2,655 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। मायोदिया एक स्थानीय शब्द है जिसमें मायो का अर्थ है, देवी, दी का मतलब है पानी और या माने धरती है। गर्मियों में ये जगह हरियाली से भरी होती है, चारों तरफ एक अलग ही हवा होती हैं। वहीं सर्दियों में यहाँ पर आप बर्फ से लदी दुनिया को देख सकते हैं। अगर आप अरुणाचल में स्नोफॉल को एंजॉय करना चाहते हैं मायोदिया पास आ सकते हैं। दिबांग वैली आएं तो मायोदिया पास आना न भूलें।
5- दिबांग वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी
प्रकृति प्रेमियों के लिए दिबांग किसी जन्नत से कम नहीं है। यहाँ पर आपको वो जानवर देखने को मिलेंगे जो आपने कहीं नहीं देखे होंगे। ये सैंक्चुरी अपर दिबांग जिले में आती है। बर्ड वाचिंग के लिए तो से सैंक्चुरी स्वर्ग है। 2009 में इसी सैंक्चुरी में गिलहरी की एक नई प्रजाति को देखा गया था। ये नई गिलहरी उड़ भी सकती है। अगर आपकी किस्मत अच्छी रही तो शायद आपको भी देखने को मिले। कुछ देखने को मिले या न मिले, ये जगह आपको जरूर पसंद आएंगी।
6- आदिवासी जनजीवन को समझें
दिबांग वैली तीन आदिवासी समूहों का घर है, इडु मिश्मी जनजाति, दिगारो आदिवासी और मिुज मिश्मी। वे अरुणाचल प्रदेश के अपर और लोअर दिबांग दोनों जिलों में रहते हैं। आप इन जगहों पर जा सकते हैं। उनके जीवन को देख सकते हैं, आदिवासियों के घरों से लेकर, खान-पान सब कुछ समझ सकते हैं। उनमें से किसी को हिन्दी या अंग्रेजी होती हो तो उनसे बात भी कर सकते हैं। यकीन मानिए ऐसा करने पर आप अनुभव करेंगे जो घूमने पर होता है।
7- लजीज जायका
अरुणाचल भारत का ऐसा राज्य है जहाँ प्रदेश के अंदर ही बहुत सारी वैरायटी है। अरुणाचल प्रदेश के दिबांग का भी एक अलग जायका है। आप यहाँ आएं तो शानदार स्थानीय फूड का स्वाद जरूर लें। चीन के पास होने की वजह से यहाँ काफी कुछ चाइनीज दिखाई देता है। खाने में यहाँ की सबसे मुख्य डिश चावल है। चावल को मीट और लजीज सब्जी के साथ दिया जाता है। दिबांग में खाने को बंबू पर पकाया जाता है। इसके अलावा आप यहाँ पर पिका पिला, लुकटेर, पेहक और चुरा सब्जी का स्वाद भी ले सकते हैं। इसके अलावा यहाँ की स्थानीय शराब अपोंग और मरूआ भी जरूर पिएं।
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